माफिया अतीक अहमद की मौत को 2 साल बीत गए। अब केवल उसका टूटा हुआ साम्राज्य और IS-227 गैंग बचा है। वही गैंग जिसके जरिए अतीक अहमद ने तीन दशक तक खौफ बनाए रखा। एक समय इस गैंग में 200 से ज्यादा अपराधी थे। तमाम लोगों की हत्या की। हजारों करोड़ की संपत्ति बनाई। लेकिन अब पहले जैसा कुछ नहीं रहा। पत्नी फरार है। दो बेटे जेल में हैं। बाकी जो गुर्गे इशारा पाते ही हत्या कर देते थे, वह अब अंडरग्राउंड हो गए हैं। दैनिक भास्कर की टीम इस वक्त प्रयागराज में ही है। आज हम बताएंगे कि अब इस गैंग का क्या हाल है, कौन इसका चीफ हो सकता है, जब गैंग उफान पर था तब क्या हाल था, क्या कभी गैंग खत्म भी हो पाएगा? पढ़िए पूरी रिपोर्ट… अतीक गैंग के आधे मेंबर जेल में, आधे फरार
अतीक अहमद के चकिया वाले घर से महज 200 मीटर की दूरी पर उसके साढ़ू इमरान का घर है। अब यह पूरी तरह से जमींदोज हो चुका है। करीब दो साल का वक्त बीत गया, कोई मलबा तक उठाने नहीं आया। इसी तरह से अतीक के फाइनेंसर रहे माशूक उद्दीन, अतीक के शूटर रहे असद के घर, अशरफ की पत्नी जैनब के भाई जैद मास्टर के घर को भी जमींदोज किया गया। ये सभी अतीक के गैंग IS-227 के सदस्य रहे हैं। इसी तरह से गुड्डू मुस्लिम, शूटर अरमान और साबिर, खालिद जफर के घर और जमीन को कुर्क किया गया। उमेश पाल मर्डर केस के बाद अतीक गैंग में शामिल लोगों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई हुई। 2023 और 2024 में अतीक गैंग के सदस्यों की लिस्ट जारी हुई। 2023 में गैंग में कुल सदस्यों की संख्या 66 थी। 2024 में जब लिस्ट जारी हुई तो इसके सदस्यों की संख्या 34 हो गई। प्रशासन ने 2025 में लिस्ट को दोबारा से जारी करने की तैयारी कर रखी है। अंदाजा है कि इस बार भी करीब 30 मेंबर रहेंगे। इसमें आधे से ज्यादा जेल में हैं। कुछ फरार हैं। कुछ नए अपराधी शामिल किए जाने हैं। अतीक के किस बेटे को गैंग लीडर बनाया जा सकता है
इस गैंग में नंबर 1 और नंबर 2 यानी अतीक अहमद और अशरफ की मौत हो चुकी है। इसलिए किसी नए सदस्य को इसका लीडर बनाया जा सकता है। ऐसा हुआ तो यह अतीक के परिवार का ही होगा। इसमें सबसे आगे नाम अतीक के दूसरे नंबर के बेटे अली अहमद का चल रहा है। क्योंकि उसके खिलाफ कुल 11 केस है। इसमें जेल के अंदर से धमकी देने और वसूली करने का मामला पिछले साल भी दर्ज हुआ था। पिछले साल अतीक के बड़े बेटे उमर और अली अहमद की खुल्दाबाद थाने में हिस्ट्रीशीट खोली गई। उमर पर तीन केस है उसकी हिस्ट्रीशीट 57-बी है। अली अहमद पर 11 केस और हिस्ट्रीशीट 48-बी है। इसी थाने में एक समय अतीक अहमद की हिस्ट्रीशीट 39 थी और उसके भाई अशरफ की हिस्ट्री शीट 93-बी हुआ करती थी। अली अहमद अपने पिता के नक्शे कदम पर चलता था, वह हमेशा से उत्तराधिकारी बनने की चाह रखता था। उमर-अली दोनों जेल में बंद, तेवर में अली भारी
अतीक के पांच बेटे थे बड़ा बेटा उमर अहमद, उससे छोटा अली अहमद है। यही दोनों उसके साम्राज्य के वारिस माने जा रहे हैं। अतीक के तीसरे बेटे असद की दो साल पहले पुलिस एनकाउंटर में मौत हो चुकी है। बाकी जो दो छोटे बेटे हैं अभी वह पढ़ाई कर रहे हैं। कारोबारी की पिटाई मामले में हुई सीबीआई जांच
अतीक के बड़े बेटे उमर अहमद पर कुल तीन मुकदमे हैं। इस वक्त उमर लखनऊ जेल में बंद है। सबसे बड़ा अपराध स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने तय किया है। इसमें उमर पर जालसाजी, रंगदारी मांगने, लूट और आपराधिक साजिश का मामला दर्ज है। असल में 29 दिसंबर 2018 को लखनऊ के रियल स्टेट कारोबारी मोहित जायसवाल ने एक FIR दर्ज करवाई। उन्होंने बताया था, ‘अतीक के बेटे उमर और उसके साथी मुझे गोमती नगर से अगवा करके 300 किलोमीटर दूर देवरिया जेल ले गए। वहां अतीक अहमद था, उसने और उसके साथ 15 लोगों ने मुझे लोहे की राड और बंदूक की बट से बेतहाशा पीटा।’ इस पूरे मामले की जांच स्थानीय पुलिस ने की। लेकिन जेल के अंदर पीटने का मामला बड़ा था। केस सीबीआई को ट्रांसफर हुआ। अतीक, उसका बेटा उमर समेत 12 लोग आरोपी बनाए गए। सीबीआई ने बाद में 5 और लोगों को जोड़ लिया। इसी मामले में उमर जेल के अंदर है। पिता के नक्शेकदम पर चलता था अली
अतीक अहमद का दूसरा बेटा अली अहमद है। इसको लोग अली अतीक अहमद कहते थे। क्योंकि लोग उसे अतीक का असली उत्तराधिकारी मानते थे। 12वीं की पढ़ाई करने के बाद अली राजनीति में आया और मंचों पर ललकार कर भाषण देने लगा। 2021 में अतीक अहमद जेल में था। दूसरी तरफ पत्नी शाइस्ता परवीन ने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM जॉइन कर ली। उस वक्त अली ने प्रचार का जिम्मा संभाला था। अटाला में एक सभा हुई। अली मंच पर पहुंचा और 10 मिनट तक भाषण दिया। उसने कहा- ‘मैंने अपनी मां से कहा है कि जुल्म के खिलाफ लड़ते हुए अब्बा 26 साल से जेल में हैं। चाचा जेल में हैं। इस जुल्म के खिलाफ मैं भी लड़ाई लड़ते हुए अगर शहीद हो जाऊं तो आंसू न बहाना। तब मेरी मां कहती हैं, तुम्हारे बाद मेरे तीन बेटे और हैं, अपना आंचल फाड़कर परचम बनाऊंगी पर किसी के सामने सिर न झुकाऊंगी।’ अली के इस भाषण की खूब चर्चा हुई। हालांकि बाद में शाइस्ता ने 2022 में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला कर लिया। अली अहमद पर इस वक्त 11 केस दर्ज है। 31 दिसंबर 2021 को पहला केस दर्ज हुआ था। उस दिन अली अपने साथियों के साथ करेली पहुंचा और अतीक के साढ़ू इमरान के भाई जीशान की अपने पिता अतीक अहमद से बात करवाई। अतीक उस वक्त साबरमती जेल में बंद था। अतीक ने कहा कि अपनी ऐनुद्दीनपुर वाली जमीन पत्नी शाइस्ता परवीन के नाम कर दे। जीशान ने मना कर दिया। इसके बाद अली और उसके साथियों ने जीशान की जमकर पिटाई कर दी। जीशान अतीक का रिश्ते में साढ़ू लगता है। उसने करेली थाने में अली समेत 15 लोगों के खिलाफ केस दर्ज करवाया। अली फरार हो गया। पुलिस ने 50 हजार का इनाम घोषित कर दिया। 8 महीने फरार रहने के बाद अली ने सरेंडर कर दिया। अली इस मामले में जमानत को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सीटी रवि कुमार और जस्टिस सुधांशु धूलिया ने मामले ने जमानत देने से मना कर दिया। अली का तर्क था कि मुझे अग्रिम जमानत दे दी जाए, क्योंकि कानून की पढ़ाई में बाधा आ रही है। तब कोर्ट ने यह कहते हुए जमानत से इनकार कर दिया था कि आपने कानून के छात्र होकर भी कानून तोड़ा है। आपका मामला गंभीर है, इसमें अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती। जेल से रंगदारी मांगी
अली पर एक के बाद एक गंभीर केस दर्ज होते चले गए। उमेश पाल हत्याकांड में भी अली मुल्जिम है। चार्जशीट में बताया गया कि उमेश पाल के शूटर अली से मिलने नैनी सेंट्रल जेल में गए थे। अली ने ही उन शूटरों की बात अपने पिता अतीक और चाचा अशरफ से करवाई थी। पुलिस ने इसके लिए कई बार जेल में छापेमारी भी की लेकिन अली का मोबाइल बरामद नहीं कर सकी। बाद में उसे हाई सिक्योरिटी सेल में ट्रांसफर कर दिया गया। पिछले साल अली पर जेल के अंदर रहते हुए रंगदारी मांगने और जान से मारने की धमकी देने का एक और मुकदमा दर्ज हुआ। पूरामुफ्ती थाना क्षेत्र के हटवा के रहने वाले बालू व्यापारी अबू सईद ने पुलिस से कहा- मुज्जसिर, असाद और अन्य लोगों ने धमकी दी कि जेल से अली का फोन आ रहा, 10 लाख रंगदारी दो वरना धंधा तो दूर, मार दिए जाओगे। रंगदारी नहीं देने पर उन लोगों ने कट्टे के बट से हमला करके मुझसे 48 हजार रुपए छीन लिया। जेल में टीवी और किताब की मांग की
इसी 3 अप्रैल को डीआईजी जेल राजेश श्रीवास्तव ने नैनी जेल का निरीक्षण किया। वह अली की बैरक में भी गए। वहां अली ने कहा- देश दुनिया में क्या कुछ हो रहा है उसे पता नहीं चल रहा। इसलिए कमरे में LED टीवी लगवा दी जाए। साथ ही पढ़ने के लिए न्यूज पेपर और कुछ किताबें दे दी जाएं। इस वक्त गर्मी बहुत लगती है इसलिए कूलर और ठंडे पानी की व्यवस्था की जाए। इस वक्त अली से कोई मिलने नहीं जाता। इस साल की शुरुआत में एक वकील मिलने गए थे, लेकिन काफी दिनों से वह भी नहीं गए। हालांकि गैंग लीडर की बात आती है तो अली का नाम ज्यादा चर्चा में है। मौजूदा एनडीए विधायक भी कभी गैंग का सदस्य रहे
2023 में जब अतीक गैंग के सदस्यों के नामों का ऐलान हुआ था तो उसमें वाचस्पति का भी नाम शामिल था। वाचस्पति इस वक्त बीजेपी की सहयोगी पार्टी अपना दल के सदस्य हैं और वह प्रयागराज की ही बारा विधानसभा सीट से विधायक हैं। वाचस्पति पर 2017 में धूमनगंज पुलिस ने विशनापुर कॉलोनी में 8 बीघा सरकारी बंजर जमीन कब्जाने के आरोप में केस दर्ज हुआ था। 2020 में उन्हें अतीक गैंग में शामिल कर दिया गया। फरवरी 2023 में उमेश पाल की हत्या से ठीक 15 दिन पहले उनका नाम लिस्ट से बाहर कर दिया गया। 66 लोगों की लिस्ट में उनका नाम 50वें नंबर पर था। वाचस्पति ने उस वक्त कहा था कि 2017 में जमीन के एक मामले में एसडीएम ने मेरे खिलाफ एफआईआर करवा दी थी। जांच हुई तो मैं बरी हुआ। उस केस में मेरे खिलाफ एफआर लगी। अतीक अहमद से मेरा कोई संबंध नहीं रहा है। 2004 में मैं सांसदी जीत गया था, लेकिन यही लोग मिलकर मुझे 630 वोटों से हरवा दिए थे। मैं वो दर्द कभी नहीं भूल सकता। मैं अब यह नहीं कह सकता कि अतीक को नहीं जानता, मैं यहीं पैदा हुआ और पला बढ़ा, मेरे खिलाफ दर्ज वो मामला खत्म हो चुका है। अतीक के गैंग की शुरुआत
अतीक के गैंग की शुरुआत कहां से हुई, यह जानने हम रिटायर्ड IPS लालजी शुक्ल के पास पहुंचे। लालजी शुक्ला प्रयागराज में लंबे वक्त तक पुलिस विभाग के बड़े पदों पर कार्यरत रहे। वह कहते हैं, गैंग को मैंने ही इंटर स्टेट रजिस्टर्ड करवाया था। उस वक्त इसकी गैंग में 100 से ज्यादा मेंबर थे। पहले वह खुद अपराध करता था, फिर दूसरों से करवाता था। इसके बाद उसने अपने ही परिवार को इसमें शामिल कर लिया, अपने भाई अशरफ से हत्या करवाता था। उसके गैंग के सदस्य तो वाहवाही में मर्डर करवा देते थे। अतीक जेल गया तो वहां से उसने मर्डर करवाना शुरू कर दिया। लालजी शुक्ल कहते हैं, 1995 से 2002 तक जब तक मैं रहा, तब तक बिना किसी प्रेशर के उसके खिलाफ कार्रवाई करता रहा। लेकिन 2003 में सत्ता परिवर्तन हुआ। सपा की सरकार बनी और मुलायम सिंह सीएम बन गए। अतीक उस वक्त अपना दल का विधायक बना था। यह सपा में शामिल हो गया, उसने सत्ता का भरपूर आनंद लिया। अतीक ने अपने लोगों को ज्यादा मरवाया
लालजी शुक्ल 1995 की एक घटना का जिक्र करते हैं। वह बताते हैं, 1995 में प्रयागराज की कचहरी में दो लोगों का मर्डर हुआ। पुलिस वहां मौजूद थी इसलिए उसने हमलावरों अखलाख और उसके साथी को मौके पर ही मार गिराया। उस मामले में अतीक आरोपी बना। केस मजबूत था, कानून का भी शिकंजा कसता जा रहा था। मैंने इस मामले की हर एंगल से जांच की। 2002 में इसने उसी कचहरी में अपने ऊपर बम चलवा लिया। हमने पूछा कि अतीक ने ऐसा क्यों किया? लालजी शुक्ल कहते हैं, इसे भरोसा था कि ऐसा करने से मेरा ट्रांसफर हो जाएगा। हालांकि मेरा ट्रांसफर नहीं हुआ लेकिन जब 2003 में सपा की सरकार बनी तो मेरा ट्रांसफर सबसे पहले हुआ। बाकी अतीक अहमद ने अपने लोगों को ज्यादा मरवाया है, खासकर उनको जो पहले उसके कहने पर अपराध को अंजाम देते थे, बाद में मना करने लगे। अशरफ भी ऐसा ही था। गैंग कभी खत्म नहीं हो सकता
अतीक अहमद गैंग में साल-दर-साल अपराध बढ़ते चले गए। तमाम अपराधी पुलिस एनकाउंटर में मारे गए। जब-जब सरकार और प्रशासन ने हस्तक्षेप किया तब-तब यह गैंग अंडरग्राउंड हो गया, लेकिन जैसे ही पसंदीदा सरकार आई, अपराध बढ़ता चला गया। हमने लालजी शुक्ल से पूछा कि क्या गैंग खत्म हो सकता है। वह कहते हैं, जब तक गैंग का एक भी व्यक्ति जिंदा है, गैंग खत्म नहीं हो सकता, हां, गैंग निष्क्रिय जरूर हो जाता है। प्रयागराज में ही तैनात एक पुलिस अधिकारी कहते हैं, किसी को गैंग में इसलिए शामिल किया जाता है क्योंकि वह बार-बार अपराध कर रहा है। एक बार शामिल कर देने के बाद उसका निकालना संभव नहीं है। क्योंकि वह आदतन अपराधी हो चुका है। उसे तभी निकाला जा सकता है जब उसका एनकाउंटर हो गया हो या फिर उसकी स्वाभाविक मौत हो चुकी हो। हालांकि पुलिस अधिकारी की बातें यहां पूरी तरह से सही नहीं हैं। 2022 में अतीक गैंग में करीब 179 लोग रजिस्टर्ड थे। 17 की मौत हुई थी, कुल 162 एक्टिव थे। लेकिन अगले साल जब लिस्ट जारी हुई तो इसमें 67 लोग बचे थे। ————————- ये खबर भी पढ़ें… अतीक का परिवार अब किस हाल में:परिवार की 3 महिलाएं फरार, 2 साल में STF भी पकड़ नहीं पाई; 2 बेटे जेल में माफिया अतीक अहमद की हत्या को 2 साल हो गए। उसके परिवार की तीन महिलाएं अभी भी फरार हैं। इसमें अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन, भाई अशरफ की पत्नी जैनब और बहन नूरी शामिल हैं। यूपी सरकार की पुलिस, एसटीएफ, इंटेलिजेंस और केंद्र सरकार की तरफ से ED भी उतार दी गई। इनाम की घोषणा की गई। अलग-अलग राज्यों में पोस्टर लगवा दिए गए। लुकआउट नोटिस तक जारी करवा दिया गया, लेकिन दो साल में भी तीनों महिलाएं पकड़ में नहीं आईं। पढ़ें पूरी खबर
अतीक अहमद के चकिया वाले घर से महज 200 मीटर की दूरी पर उसके साढ़ू इमरान का घर है। अब यह पूरी तरह से जमींदोज हो चुका है। करीब दो साल का वक्त बीत गया, कोई मलबा तक उठाने नहीं आया। इसी तरह से अतीक के फाइनेंसर रहे माशूक उद्दीन, अतीक के शूटर रहे असद के घर, अशरफ की पत्नी जैनब के भाई जैद मास्टर के घर को भी जमींदोज किया गया। ये सभी अतीक के गैंग IS-227 के सदस्य रहे हैं। इसी तरह से गुड्डू मुस्लिम, शूटर अरमान और साबिर, खालिद जफर के घर और जमीन को कुर्क किया गया। उमेश पाल मर्डर केस के बाद अतीक गैंग में शामिल लोगों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई हुई। 2023 और 2024 में अतीक गैंग के सदस्यों की लिस्ट जारी हुई। 2023 में गैंग में कुल सदस्यों की संख्या 66 थी। 2024 में जब लिस्ट जारी हुई तो इसके सदस्यों की संख्या 34 हो गई। प्रशासन ने 2025 में लिस्ट को दोबारा से जारी करने की तैयारी कर रखी है। अंदाजा है कि इस बार भी करीब 30 मेंबर रहेंगे। इसमें आधे से ज्यादा जेल में हैं। कुछ फरार हैं। कुछ नए अपराधी शामिल किए जाने हैं। अतीक के किस बेटे को गैंग लीडर बनाया जा सकता है
इस गैंग में नंबर 1 और नंबर 2 यानी अतीक अहमद और अशरफ की मौत हो चुकी है। इसलिए किसी नए सदस्य को इसका लीडर बनाया जा सकता है। ऐसा हुआ तो यह अतीक के परिवार का ही होगा। इसमें सबसे आगे नाम अतीक के दूसरे नंबर के बेटे अली अहमद का चल रहा है। क्योंकि उसके खिलाफ कुल 11 केस है। इसमें जेल के अंदर से धमकी देने और वसूली करने का मामला पिछले साल भी दर्ज हुआ था। पिछले साल अतीक के बड़े बेटे उमर और अली अहमद की खुल्दाबाद थाने में हिस्ट्रीशीट खोली गई। उमर पर तीन केस है उसकी हिस्ट्रीशीट 57-बी है। अली अहमद पर 11 केस और हिस्ट्रीशीट 48-बी है। इसी थाने में एक समय अतीक अहमद की हिस्ट्रीशीट 39 थी और उसके भाई अशरफ की हिस्ट्री शीट 93-बी हुआ करती थी। अली अहमद अपने पिता के नक्शे कदम पर चलता था, वह हमेशा से उत्तराधिकारी बनने की चाह रखता था। उमर-अली दोनों जेल में बंद, तेवर में अली भारी
अतीक के पांच बेटे थे बड़ा बेटा उमर अहमद, उससे छोटा अली अहमद है। यही दोनों उसके साम्राज्य के वारिस माने जा रहे हैं। अतीक के तीसरे बेटे असद की दो साल पहले पुलिस एनकाउंटर में मौत हो चुकी है। बाकी जो दो छोटे बेटे हैं अभी वह पढ़ाई कर रहे हैं। कारोबारी की पिटाई मामले में हुई सीबीआई जांच
अतीक के बड़े बेटे उमर अहमद पर कुल तीन मुकदमे हैं। इस वक्त उमर लखनऊ जेल में बंद है। सबसे बड़ा अपराध स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने तय किया है। इसमें उमर पर जालसाजी, रंगदारी मांगने, लूट और आपराधिक साजिश का मामला दर्ज है। असल में 29 दिसंबर 2018 को लखनऊ के रियल स्टेट कारोबारी मोहित जायसवाल ने एक FIR दर्ज करवाई। उन्होंने बताया था, ‘अतीक के बेटे उमर और उसके साथी मुझे गोमती नगर से अगवा करके 300 किलोमीटर दूर देवरिया जेल ले गए। वहां अतीक अहमद था, उसने और उसके साथ 15 लोगों ने मुझे लोहे की राड और बंदूक की बट से बेतहाशा पीटा।’ इस पूरे मामले की जांच स्थानीय पुलिस ने की। लेकिन जेल के अंदर पीटने का मामला बड़ा था। केस सीबीआई को ट्रांसफर हुआ। अतीक, उसका बेटा उमर समेत 12 लोग आरोपी बनाए गए। सीबीआई ने बाद में 5 और लोगों को जोड़ लिया। इसी मामले में उमर जेल के अंदर है। पिता के नक्शेकदम पर चलता था अली
अतीक अहमद का दूसरा बेटा अली अहमद है। इसको लोग अली अतीक अहमद कहते थे। क्योंकि लोग उसे अतीक का असली उत्तराधिकारी मानते थे। 12वीं की पढ़ाई करने के बाद अली राजनीति में आया और मंचों पर ललकार कर भाषण देने लगा। 2021 में अतीक अहमद जेल में था। दूसरी तरफ पत्नी शाइस्ता परवीन ने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM जॉइन कर ली। उस वक्त अली ने प्रचार का जिम्मा संभाला था। अटाला में एक सभा हुई। अली मंच पर पहुंचा और 10 मिनट तक भाषण दिया। उसने कहा- ‘मैंने अपनी मां से कहा है कि जुल्म के खिलाफ लड़ते हुए अब्बा 26 साल से जेल में हैं। चाचा जेल में हैं। इस जुल्म के खिलाफ मैं भी लड़ाई लड़ते हुए अगर शहीद हो जाऊं तो आंसू न बहाना। तब मेरी मां कहती हैं, तुम्हारे बाद मेरे तीन बेटे और हैं, अपना आंचल फाड़कर परचम बनाऊंगी पर किसी के सामने सिर न झुकाऊंगी।’ अली के इस भाषण की खूब चर्चा हुई। हालांकि बाद में शाइस्ता ने 2022 में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला कर लिया। अली अहमद पर इस वक्त 11 केस दर्ज है। 31 दिसंबर 2021 को पहला केस दर्ज हुआ था। उस दिन अली अपने साथियों के साथ करेली पहुंचा और अतीक के साढ़ू इमरान के भाई जीशान की अपने पिता अतीक अहमद से बात करवाई। अतीक उस वक्त साबरमती जेल में बंद था। अतीक ने कहा कि अपनी ऐनुद्दीनपुर वाली जमीन पत्नी शाइस्ता परवीन के नाम कर दे। जीशान ने मना कर दिया। इसके बाद अली और उसके साथियों ने जीशान की जमकर पिटाई कर दी। जीशान अतीक का रिश्ते में साढ़ू लगता है। उसने करेली थाने में अली समेत 15 लोगों के खिलाफ केस दर्ज करवाया। अली फरार हो गया। पुलिस ने 50 हजार का इनाम घोषित कर दिया। 8 महीने फरार रहने के बाद अली ने सरेंडर कर दिया। अली इस मामले में जमानत को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सीटी रवि कुमार और जस्टिस सुधांशु धूलिया ने मामले ने जमानत देने से मना कर दिया। अली का तर्क था कि मुझे अग्रिम जमानत दे दी जाए, क्योंकि कानून की पढ़ाई में बाधा आ रही है। तब कोर्ट ने यह कहते हुए जमानत से इनकार कर दिया था कि आपने कानून के छात्र होकर भी कानून तोड़ा है। आपका मामला गंभीर है, इसमें अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती। जेल से रंगदारी मांगी
अली पर एक के बाद एक गंभीर केस दर्ज होते चले गए। उमेश पाल हत्याकांड में भी अली मुल्जिम है। चार्जशीट में बताया गया कि उमेश पाल के शूटर अली से मिलने नैनी सेंट्रल जेल में गए थे। अली ने ही उन शूटरों की बात अपने पिता अतीक और चाचा अशरफ से करवाई थी। पुलिस ने इसके लिए कई बार जेल में छापेमारी भी की लेकिन अली का मोबाइल बरामद नहीं कर सकी। बाद में उसे हाई सिक्योरिटी सेल में ट्रांसफर कर दिया गया। पिछले साल अली पर जेल के अंदर रहते हुए रंगदारी मांगने और जान से मारने की धमकी देने का एक और मुकदमा दर्ज हुआ। पूरामुफ्ती थाना क्षेत्र के हटवा के रहने वाले बालू व्यापारी अबू सईद ने पुलिस से कहा- मुज्जसिर, असाद और अन्य लोगों ने धमकी दी कि जेल से अली का फोन आ रहा, 10 लाख रंगदारी दो वरना धंधा तो दूर, मार दिए जाओगे। रंगदारी नहीं देने पर उन लोगों ने कट्टे के बट से हमला करके मुझसे 48 हजार रुपए छीन लिया। जेल में टीवी और किताब की मांग की
इसी 3 अप्रैल को डीआईजी जेल राजेश श्रीवास्तव ने नैनी जेल का निरीक्षण किया। वह अली की बैरक में भी गए। वहां अली ने कहा- देश दुनिया में क्या कुछ हो रहा है उसे पता नहीं चल रहा। इसलिए कमरे में LED टीवी लगवा दी जाए। साथ ही पढ़ने के लिए न्यूज पेपर और कुछ किताबें दे दी जाएं। इस वक्त गर्मी बहुत लगती है इसलिए कूलर और ठंडे पानी की व्यवस्था की जाए। इस वक्त अली से कोई मिलने नहीं जाता। इस साल की शुरुआत में एक वकील मिलने गए थे, लेकिन काफी दिनों से वह भी नहीं गए। हालांकि गैंग लीडर की बात आती है तो अली का नाम ज्यादा चर्चा में है। मौजूदा एनडीए विधायक भी कभी गैंग का सदस्य रहे
2023 में जब अतीक गैंग के सदस्यों के नामों का ऐलान हुआ था तो उसमें वाचस्पति का भी नाम शामिल था। वाचस्पति इस वक्त बीजेपी की सहयोगी पार्टी अपना दल के सदस्य हैं और वह प्रयागराज की ही बारा विधानसभा सीट से विधायक हैं। वाचस्पति पर 2017 में धूमनगंज पुलिस ने विशनापुर कॉलोनी में 8 बीघा सरकारी बंजर जमीन कब्जाने के आरोप में केस दर्ज हुआ था। 2020 में उन्हें अतीक गैंग में शामिल कर दिया गया। फरवरी 2023 में उमेश पाल की हत्या से ठीक 15 दिन पहले उनका नाम लिस्ट से बाहर कर दिया गया। 66 लोगों की लिस्ट में उनका नाम 50वें नंबर पर था। वाचस्पति ने उस वक्त कहा था कि 2017 में जमीन के एक मामले में एसडीएम ने मेरे खिलाफ एफआईआर करवा दी थी। जांच हुई तो मैं बरी हुआ। उस केस में मेरे खिलाफ एफआर लगी। अतीक अहमद से मेरा कोई संबंध नहीं रहा है। 2004 में मैं सांसदी जीत गया था, लेकिन यही लोग मिलकर मुझे 630 वोटों से हरवा दिए थे। मैं वो दर्द कभी नहीं भूल सकता। मैं अब यह नहीं कह सकता कि अतीक को नहीं जानता, मैं यहीं पैदा हुआ और पला बढ़ा, मेरे खिलाफ दर्ज वो मामला खत्म हो चुका है। अतीक के गैंग की शुरुआत
अतीक के गैंग की शुरुआत कहां से हुई, यह जानने हम रिटायर्ड IPS लालजी शुक्ल के पास पहुंचे। लालजी शुक्ला प्रयागराज में लंबे वक्त तक पुलिस विभाग के बड़े पदों पर कार्यरत रहे। वह कहते हैं, गैंग को मैंने ही इंटर स्टेट रजिस्टर्ड करवाया था। उस वक्त इसकी गैंग में 100 से ज्यादा मेंबर थे। पहले वह खुद अपराध करता था, फिर दूसरों से करवाता था। इसके बाद उसने अपने ही परिवार को इसमें शामिल कर लिया, अपने भाई अशरफ से हत्या करवाता था। उसके गैंग के सदस्य तो वाहवाही में मर्डर करवा देते थे। अतीक जेल गया तो वहां से उसने मर्डर करवाना शुरू कर दिया। लालजी शुक्ल कहते हैं, 1995 से 2002 तक जब तक मैं रहा, तब तक बिना किसी प्रेशर के उसके खिलाफ कार्रवाई करता रहा। लेकिन 2003 में सत्ता परिवर्तन हुआ। सपा की सरकार बनी और मुलायम सिंह सीएम बन गए। अतीक उस वक्त अपना दल का विधायक बना था। यह सपा में शामिल हो गया, उसने सत्ता का भरपूर आनंद लिया। अतीक ने अपने लोगों को ज्यादा मरवाया
लालजी शुक्ल 1995 की एक घटना का जिक्र करते हैं। वह बताते हैं, 1995 में प्रयागराज की कचहरी में दो लोगों का मर्डर हुआ। पुलिस वहां मौजूद थी इसलिए उसने हमलावरों अखलाख और उसके साथी को मौके पर ही मार गिराया। उस मामले में अतीक आरोपी बना। केस मजबूत था, कानून का भी शिकंजा कसता जा रहा था। मैंने इस मामले की हर एंगल से जांच की। 2002 में इसने उसी कचहरी में अपने ऊपर बम चलवा लिया। हमने पूछा कि अतीक ने ऐसा क्यों किया? लालजी शुक्ल कहते हैं, इसे भरोसा था कि ऐसा करने से मेरा ट्रांसफर हो जाएगा। हालांकि मेरा ट्रांसफर नहीं हुआ लेकिन जब 2003 में सपा की सरकार बनी तो मेरा ट्रांसफर सबसे पहले हुआ। बाकी अतीक अहमद ने अपने लोगों को ज्यादा मरवाया है, खासकर उनको जो पहले उसके कहने पर अपराध को अंजाम देते थे, बाद में मना करने लगे। अशरफ भी ऐसा ही था। गैंग कभी खत्म नहीं हो सकता
अतीक अहमद गैंग में साल-दर-साल अपराध बढ़ते चले गए। तमाम अपराधी पुलिस एनकाउंटर में मारे गए। जब-जब सरकार और प्रशासन ने हस्तक्षेप किया तब-तब यह गैंग अंडरग्राउंड हो गया, लेकिन जैसे ही पसंदीदा सरकार आई, अपराध बढ़ता चला गया। हमने लालजी शुक्ल से पूछा कि क्या गैंग खत्म हो सकता है। वह कहते हैं, जब तक गैंग का एक भी व्यक्ति जिंदा है, गैंग खत्म नहीं हो सकता, हां, गैंग निष्क्रिय जरूर हो जाता है। प्रयागराज में ही तैनात एक पुलिस अधिकारी कहते हैं, किसी को गैंग में इसलिए शामिल किया जाता है क्योंकि वह बार-बार अपराध कर रहा है। एक बार शामिल कर देने के बाद उसका निकालना संभव नहीं है। क्योंकि वह आदतन अपराधी हो चुका है। उसे तभी निकाला जा सकता है जब उसका एनकाउंटर हो गया हो या फिर उसकी स्वाभाविक मौत हो चुकी हो। हालांकि पुलिस अधिकारी की बातें यहां पूरी तरह से सही नहीं हैं। 2022 में अतीक गैंग में करीब 179 लोग रजिस्टर्ड थे। 17 की मौत हुई थी, कुल 162 एक्टिव थे। लेकिन अगले साल जब लिस्ट जारी हुई तो इसमें 67 लोग बचे थे। ————————- ये खबर भी पढ़ें… अतीक का परिवार अब किस हाल में:परिवार की 3 महिलाएं फरार, 2 साल में STF भी पकड़ नहीं पाई; 2 बेटे जेल में माफिया अतीक अहमद की हत्या को 2 साल हो गए। उसके परिवार की तीन महिलाएं अभी भी फरार हैं। इसमें अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन, भाई अशरफ की पत्नी जैनब और बहन नूरी शामिल हैं। यूपी सरकार की पुलिस, एसटीएफ, इंटेलिजेंस और केंद्र सरकार की तरफ से ED भी उतार दी गई। इनाम की घोषणा की गई। अलग-अलग राज्यों में पोस्टर लगवा दिए गए। लुकआउट नोटिस तक जारी करवा दिया गया, लेकिन दो साल में भी तीनों महिलाएं पकड़ में नहीं आईं। पढ़ें पूरी खबर