आकाश के ताकतवर होते ही ससुर की बसपा में वापसी:मायावती से बोले- रिश्तेदारी का नाजायज फायदा नहीं उठाऊंगा, ढाई घंटे में मिली माफी

बसपा में आकाश आनंद के पावरफुल होते ही उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ की भी वापसी हो गई। अशोक सिद्धार्थ ने शनिवार को सोशल मीडिया के जरिए मायावती से हाथ जोड़कर माफी मांगी। साथ ही पार्टी में वापस लेने का आग्रह किया। मायावती ने महज ढाई घंटे के अंदर अशोक सिद्धार्थ को माफ करते हुए पार्टी में वापस ले लिया। रविवार को मायावती ने पार्टी की एक बैठक भी बुलाई है। पार्टी सूत्रों की मानें, तो मायावती बैठक में अशोक सिद्धार्थ की वापसी के कारणों पर बात करेंगी। कुछ इसी तरीके से आकाश आनंद की भी 13 अप्रैल को वापसी हुई थी। उन्होंने भी मायावती से माफी मांगी थी। अशोक सिद्धार्थ बोले- अब गलती नहीं करेंगे
फरवरी, 2025 में गुटबाजी और पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में आकाश आनंद के ससुर अशोक सिद्धार्थ को बसपा से निकाल दिया गया था। आज सिद्धार्थ ने अपनी सभी ‘छोटी-बड़ी गलतियों’ को स्वीकार करते हुए वादा किया कि आगे वे कभी गलती नहीं करेंगे। अब केवल मायावती के मार्गदर्शन में ही काम करेंगे। सिद्धार्थ ने अपने बयान में लिखा है- मैं आदरणीय बहन मायावती जी का हृदय से सम्मान करता हूं। पार्टी कार्य में ‘जाने-अनजाने’ में हुई गलतियों के लिए हाथ जोड़कर माफी मांगता हूं। मैं उनसे अनुरोध करता हूं कि मुझे माफ कर दें। आगे मैं पार्टी के अनुशासन में रहूंगा, रिश्तेदारी का कोई नाजायज फायदा नहीं उठाऊंगा। सिद्धार्थ ने साफ किया कि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष संदीप ताजने, हेमंत प्रताप और अन्य निष्कासित नेताओं को वापस लाने की कोई सिफारिश नहीं करेंगे। आखिर में उन्होंने पार्टी में फिर से शामिल करने का विशेष आग्रह किया। यह माफी ऐसे समय आई है, जब आकाश आनंद को 28 अगस्त को राष्ट्रीय संयोजक बनाया गया था। मायावती ने 13 अप्रैल, 2025 में आकाश को पार्टी में दूसरा मौका दिया था। लेकिन, सिद्धार्थ को ‘माफ करने योग्य नहीं’ बताते हुए उनकी वापसी से इनकार कर दिया था। मायावती ने तब कहा था कि सिद्धार्थ ने गुटबाजी से न केवल पार्टी को नुकसान पहुंचाया, बल्कि आकाश के करियर को भी बर्बाद करने की कोशिश की। लेकिन, अब आकाश की मजबूत स्थिति के बाद सिद्धार्थ की वापसी हो गई। बसपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा- आकाश का पावर बढ़ा है, परिवार का प्रभाव है। ऐसे में अशोक सिद्धार्थ की वापसी होनी ही थी। मायावती ने ढाई घंटे के अंदर दी माफी
मायावती ने पूर्व राज्यसभा सांसद अशोक सिद्धार्थ को माफी मांगने के ढाई घंटे के अंदर ही माफ कर दिया। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा- कुछ महीने पहले पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण उन्हें पार्टी से निष्कासित किया गया था। आज अशोक सिद्धार्थ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक लंबे पोस्ट के माध्यम से सार्वजनिक रूप से अपनी गलती के लिए माफी मांगी। साथ ही बसपा मूवमेंट और बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के आत्म-सम्मान के प्रति पूर्ण निष्ठा के साथ कार्य करने का आश्वासन दिया। इसके चलते उनको निकालने का निर्णय तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया गया। उन्हें पार्टी में फिर से शामिल कर लिया गया। मायावती ने उम्मीद जताई कि अशोक सिद्धार्थ अन्य कार्यकर्ताओं की तरह पूरे समर्पण के साथ पार्टी को मजबूत करेंगे। जिससे बसपा के नेतृत्व में बहुजन समाज शोषित वर्ग से ऊपर उठकर प्रदेश और देश का शासक वर्ग बन सके। जिला से पोलिंग बूथ स्तर तक कमेटियों के गठन की समीक्षा
मायावती 7 सितंबर को लखनऊ स्थित प्रदेश कार्यालय में प्रदेश के सभी वरिष्ठ पदाधिकारियों, जिला प्रभारियों और जिम्मेदार नेताओं को संबोधित करेंगी। बैठक में जिला से पोलिंग बूथ स्तर तक कमेटियों के गठन की समीक्षा होगी। साथ ही, पार्टी का जनाधार बढ़ाने के कार्यों पर चर्चा होगी। 9 अक्टूबर को बीएसपी संस्थापक कांशीराम जी की पुण्यतिथि पर राज्यव्यापी कार्यक्रमों के लिए दिशा-निर्देश दिए जाएंगे। सूत्रों के मुताबिक, बैठक में आगामी यूपी पंचायत चुनाव 2025 और 2027 के विधानसभा चुनाव की रणनीति पर भी मंथन होगा। आकाश आनंद को बिहार चुनाव का प्रभारी बनाए जाने के बाद अब यूपी फोकस बढ़ा है। बसपा प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने कहा- यह बैठक संगठन को मजबूत करने के लिए अहम होगी। बहन जी कार्यकर्ताओं को जमीनी स्तर पर सक्रिय रहने के निर्देश देंगी। खबर में आगे बढ़ने से पहले इस पोल पर अपनी राय दे सकते हैं… 12 फरवरी को मायावी ने बसपा से किया था बाहर
बसपा प्रमुख मायावती ने 12 फरवरी को भतीजे आकाश आनंद के ससुर अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से निकाल दिया था। उनके करीबी नितिन सिंह को भी पार्टी से बाहर कर दिया था। यह एक्शन मायावती ने संगठन में गुटबाजी और अनुशासनहीनता पर लिया था। मायावती ने X पर लिखा था- दक्षिणी राज्यों के प्रभारी रहे डॉ. अशोक सिद्धार्थ और नितिन सिंह चेतावनी के बाद भी पार्टी में गुटबाजी कर रहे थे। इन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के चलते तत्काल प्रभाव से पार्टी से निष्कासित किया जाता है। सरकारी नौकरी छोड़कर नेता बने अशोक
5 जनवरी 1965 को जन्मे डॉ अशोक सिद्धार्थ पेशे से डॉक्टर हैं। उन्होंने महारानी लक्ष्मीबाई कॉलेज से नेत्र रोग में डिप्लोमा किया। वह सरकारी सेवा के दौरान बामसेफ में विधानसभा, जिला और मंडल अध्यक्ष पदों पर रह चुके हैं। वह साल 2007 में कन्नौज के गुरसहायगंज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनाती के दौरान इस्तीफा देकर बसपा में शामिल हो गए थे। बसपा की ओर से वह पहली बार 2009 और दूसरी बार 2016 में एमएलसी रहे हैं। फिर 2016 में राज्यसभा भेजा गया। वह 2022 तक राज्यसभा के सदस्य रहे। बसपा में कानपुर-आगरा जोनल कोऑर्डिनेटर जैसे महत्वपूर्ण पद पर भी रह चुके हैं। राष्ट्रीय सचिव पद के अलावा कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल सहित 5 राज्यों का प्रभार भी संभाला है। वहीं, डॉ सिद्धार्थ की पत्नी सुनीता सिद्धार्थ साल 2007 से लेकर 2012 तक यूपी महिला आयोग की उपाध्यक्ष रह चुकी हैं। अशोक के बारे में दावा किया जाता है कि वह लो-प्रोफाइल रहने वालों में से हैं। वह पार्टी में पर्दे के पीछे रहते हुए काम करते रहे हैं। ———————– ये खबर भी पढ़ें- राजभर चिल्लाकर बोले- अखिलेश मुसलमान को CM बनाएंगे?:कोई है मर्द मुसलमान पूछने वाला, 4 बार यादव मुख्यमंत्री बना “मुसलमानों के पैगंबर मोहम्मद साहब ने कहा है कि बेबस, लाचार और मजलूम की मदद करें। लेकिन, मुसलमानों की नजर में तो सोनिया गांधी, अखिलेश यादव और मायावती ही मजबूर हैं। ऐसे में मुस्लिम नेता क्या लड़ाई लड़ेंगे? पंचायत चुनाव समय पर होंगे। इसकी तैयारी जोर-शोर से चल रही है।” यह कहना है सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष और प्रदेश सरकार के पंचायतीराज मंत्री ओमप्रकाश राजभर का। दैनिक भास्कर डिजिटल से बातचीत में राजभर ने कहा कि 2027 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी 35 सीटों पर चुनाव की तैयारी कर रही है। अखिलेश यादव 2047 तक मुख्यमंत्री नहीं बन सकते हैं। तब तक वे केवल ट्वीट ही करते रहें। हुबहू पढि़ए उनकी हुई बातचीत…