दादरी की वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियन बृजभूषण से मिलने पहुंची:पूर्व सांसद बोले- ओलिंपिक मेडल तक पहुंचने में मदद करूंगा, चीन को हराकर जीता गोल्ड

हरियाणा के दादरी की वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियन भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण से मिलने पहुंची। बृजभूषण ने उनको ओलिंपिक मेडल के लिए प्रोत्साहित करते हुए हर संभव सहायता का भरोसा दिया है। दरअसल जिले की कुश्ती में एक अलग ही पहचान है। यहां रेसलर गीता, बबीता और विनेश फोगाट सहित उनकी दूसरी बहनों ने कुश्ती में बड़ी उपलब्धि हासिल कर देश की दूसरी महिला पहलवानों को भी कुश्ती के प्रति आकर्षित और प्रोत्साहित किया। फोगाट बहनों पर बनी दंगल मूवी के बाद तो जिले की इन रेसलर को और भी ज्यादा पहचान मिली। गीता और बबीता से प्रेरित होकर कुश्ती शुरू करने वाली दादरी ही जिले की पहलवान रचना परमार ने 8 साल के दौरान एक बड़ा मुकाम हासिल कर वर्ल्ड चैंपियन बनी है। अब जिले के लोगों को उनसे ओलिंपिक में पदक की उम्मीद है। वहीं रचना भी उसी उम्मीद को पूरा करने के लिए अभ्यास कर रही है। वहीं अब बृजभूषण ने भी उनको ओलिंपिक मेडल के लिए प्रोत्साहित किया है, जिससे उनके हौसले को और बल मिला है। जीत के बाद पिता संग बृजभूषण से मिलने पहुंची
बता दे कि चरखी दादरी जिले के गांव बौंद खुर्द निवासी रचना परमार उर्फ भंभो पहलवान ने हाल ही में अंडर-17 वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल हासिल किया है। रचना ने ग्रीस में आयोजित प्रतियोगिता के फाइनल में चीन की खिलाड़ी को 3-0 हराकर जीत हासिल की। जीत के बाद वह विदेश से घर लौटी और बाद में बाद में पिता को साथ लेकर बृजभूषण से मिलने यूपी पहुंची। ओलिंपिक में पदक के लिए किया प्रोत्साहित
रचना परमार के पिता अजीत सिंह ने बताया कि बृजभूषण शरण सिंह ने बेटी को ओलिंपिक में पदक लाने के लिए पूरी तरह से प्रोत्साहित किया है और भरोसा दिया है कि उनकी जहां भी जरूरत पड़ेगी वे मदद के लिए खड़े मिलेंगे। वहीं उनके पिता ने कहा कि ओलिंपिक मेडल के लिए वे अपनी तरफ से भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे और बेटी के लिए जमीन भी बेचने पड़े तो बेच देंगे। बस वे ओलिंपिक में बेटी का मेडल चाहते हैं। बृजभूषण सम्मानित करने दादरी पहुंचे थे
ग्रीस में आयोजित वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने से पहले रचना परमार ने वियतनाम में आयोजित अंडर-17 एशियन चैंपियनशिप में भी गोल्ड मेडल जीता था। उनके सम्मान में गांव बौंदकलां के बाबा चंदू-दास धाम में 6 जुलाई को सम्मान समारोह का आयोजन किया गया था, जिसमें बतौर मुख्य अतिथि भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने शिरकत कर उन्हें सम्मानित किया था। भाई लेकर नहीं जाते तो जिद की
रचना परमार ने गांव के ही नरेश अखाड़ा में करीब 8 साल पहले कुश्ती की शुरुआत की थी और अब तक उसी अखाड़े में सुबह-शाम अभ्यास करती है। उसका सगा भाई प्रशांत और चचेरे भाई गौतम और रीतिक इस अखाड़े में अभ्यास करने जाते थे। उनके साथ वह भी जाने लगे। शुरुआत में उसके भाई उसे साथ लेकर नहीं जाते थे, लेकिन उसने जिद्द की और उनके साथ जाना शुरू। जिसके बाद उसने कठिन मेहनत की और पीछे मुड़कर नहीं देखा। 18 साल से भी कम उम्र की यह खिलाड़ी कई बार देश का प्रतिनिधित्व कर इंटरनेशनल स्तर पर मेडल जीत चुकी है। सरपंच की बेटी है रचना
रचना परमार की मां क्षमा देवी गांव बौंद खुर्द की सरपंच हैं। हालांकि माता-पिता खिलाड़ी नहीं रहे लेकिन पिता को खेल का शोक था। सरपंच प्रतिनिधि अजीत सिंह ने बताया कि उन्होंने स्वयं खेल नहीं खेला लेकिन उनकी खेल में बहुत अधिक रुचि है और समय-समय पर खेल प्रतियोगिताएं आयोजित करवाकर खिलाड़ियों को सम्मानित करने में सकुन मिलता है। बेटी के लिए घर पर गाय रखते हैं पिता
रचना परमार के पिता ने बताया कि पहलवान बेटी की डाइट के लिए वे घर पर गाय रखते हैं और गाय का घी व दूध बेटी को देते हैं। इसके अलावा वे अपने हाथों से बादाम रगड़कर बेटी को देते हैं। तीन भाई-बहनों में बीच की है रचना
रचना परमार तीन भाई बहनों में बीच की है। सबसे बड़ा उसका भाई प्रशांत, उसके बाद रचना और उसे छोटी उसकी बहन मानसी है। रचना ने प्रशांत के साथ अखाड़ा जाना शुरू किया था। लेकिन दो साल बाद ही प्रशांत का नवोदय स्कूल में चयन हो गया जिसके बाद उन्होंने अखाड़ा छोड़ दिया लेकिन रचना ने लगातार अभ्यास जारी रखा जिसका परिणाम आज सबके सामने है। तीन बार रह चुकी एशियन चैंपियन
खिलाड़ी के पिता ने बताया कि रचना परमार तीन बार एशियन चैंपियनशिप की गोल्ड मेडलिस्ट रह चुकी हैं। उसने एक बार अंडर-15 और दो बार अंडर-17 में गोल्ड मेडल हासिल किया है। इसके अलावा वे अंडर-17 में पहले वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप की सिल्वर मेडलिस्ट भी रही हैं। अब उसने वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड जीतकर ओलिंपिक में पदक की आस जगाई है।