पाकिस्तान के नाम पर राजनीति करके सत्ता में आए:गुर्जर नेता रविंद्र सिंह बोले- भाजपा गुर्जर विरोधी सरकार

मेरठ के दादरी गांव में 21 सितंबर को हुई गुर्जर महापंचायत में बिरादरी के 22 लोगों को जेल भेजा गया। इस पूरे आंदोलन का नेतृत्व आजाद समाज पार्टी के और गुर्जर स्वाभिमान संघर्ष समिति दोनों के राष्ट्रीय महासचिव एडवोकेट रविंद्र सिंह भाटी ने किया। रविंद्र भाटी खुद पूरे मामले में गुर्जर नेताओं के साथ जेल गए। बिरादरी के लिए उन्होंने जेल में आमरण अनशन भी किया। आखिरी में छोड़े गए 11 नेताओं के साथ उनकी रिहाई हुई। बिरादरी और महापुरुषों के सम्मान के लिए हुई इस महापंचायत ने रविंद्र सिंह भाटी को देशभर में एक बार फिर चर्चा में ला दिया। दैनिक भास्कर ने तमाम बिंदुओं पर रविंद्र सिंह भाटी से साक्षात्कार किया। पढ़िए पूरी बातचीत… सवाल- मेरठ की दादरी महापंचायत में माहौल आखिर इतना कैसे बिगड़ा? जवाब- तेजगढ़ी चौराहे पर गुर्जर सम्राट मिहिर भोज के नाम से एक बोर्ड लगाया गया। जिसे एक असामाजिक तत्व ने फाड़ दिया। तब हमारे समाज के युवाओं ने प्रशासन से कहा कि इसे ठीक कराया जाए, लेकिन इस पर कोई सुनवाई नहीं हुई। कुछ दिन बाद कपसाड़ के पास सलावा गांव में दूसरी जाति के बोर्ड लगाए गए। एक्शन न होने पर समाज के युवाओं ने एक ज्ञापन देकर अपना विरोध प्रकट किया। इसके बाद भी कोई एक्शन नहीं लिया गया। अगर ज्ञापन के बाद भी सुनवाई न हो, सरकारें गूंगी-बहरी हो जाएं, अफसर सुनना बंद कर दें तो पंचायत अपना विरोध प्रकट करने का एक माध्यम होती हैं। हमने पंचायत के माध्यम से अपनी बात प्रशासन तक पहुंचाने का रास्ता चुना। दादरी गांव को बैरिकेडिंग लगाकर सील कर दिया गया। हमने अफसरों से कहा कि हमें पंचायत करनी है। सक्षम अफसर को बुलाएं। हम उनके सामने अपनी बात रखेंगे। लेकिन अधिकारी सुनने को तैयार नहीं थे। हमने कहा- हम संवैधानिक तरीके से अपनी बात रखने आए हैं। तब विरोध के रूप में हमने अपनी गिरफ्तारी दी। जैसे ही हमें ट्रक में लेकर पुलिस जाने लगी, तो पुलिस ने पीछे युवाओं पर लाठी बजाना शुरू कर दिया। जब हमारे युवाओं को चोट लगी, तब माहौल बिगड़ा। सवाल- महापंचायत से आप लोगों को रोका गया, बरेली में सपाइयों को जाने से रोका गया, क्या भाजपा डरी हुई है? जवाब- भाजपा सरकार तीसरी बार यूपी में आई है। एक तानाशाही का रवैय्या आ गया है। सरकार लोगों के हितों और समानता के विपरीत एक हिटलरशाही को अपना रही है। लोग अपनों से मिलने नहीं जा सकते। जिस तरह के शब्द प्रदेश के सीएम यूज करते हैं कि इनका इलाज कर देंगे, आगे वाली नस्लें याद रखेंगी। ये लगता है कि वो प्रदेश के सीएम नहीं है, बल्कि एक जाति के मोह में बंधे हुए हैं। 21 सितंबर 2021 में सीएम योगी आदित्यनाथ दादरी में आए थे। यहां उन्होंने गुर्जर सम्राट मिहिर भोज जी की जयंती समारोह में बुलाया। तो मुख्यमंत्री ने वहां अपनी जाति का पक्ष लिया। हमें लगा था, वो वहां किसी बड़े कॉलेज या संस्थान की सौगात देंगे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। बल्कि उन्होंने उस मामले को विवादित बनाने का काम किया। एक संत को ये शोभा नहीं देता। प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ आधुनिक महाभारत के धृतराष्ट्र हैं। जिन्हें केवल अपनी जाति दिखती है। प्रधानमंत्री अक्षरधाम मंदिर में गुर्जर सम्राट की प्रतिमा लगवा सकते हैं लेकिन यूपी के सीएम उससे बचते हैं। जबकि इतिहास में गुर्जर सम्राट मिहिर भोज का नाम लिखा है। रिकार्ड्स में भी है। सवाल- आपने कहा भाजपा गुर्जर विरोधी पार्टी है, आखिर इस मानसिकता की वजह क्या है? जवाब- सरकार ने आज तक गुर्जरों को आरक्षण नहीं दिया। केंद्र ने आज तक नौवीं सूची में नहीं डाला। केंद्र और प्रदेश में भाजपा की सरकार है। पूरे यूपी में गुर्जर समाज से एक कैबिनेट मंत्री नहीं है, राजस्थान में नहीं है, हरियाणा में नहीं है, केंद्र में कोई गुर्जर नेता मंत्री नहीं है। यूपी की 132 सीटों पर गुर्जरों को ध्यान नहीं दिया जाता। वेस्ट यूपी में हम निर्णायक भूमिका में हैं। इसके बावजूद नेतृत्व नहीं दिया जाता। 1857 की क्रांति धनसिंह कोतवाल के नेतृत्व में हुई तमाम शहादतें हमारे गुर्जर रणबांकुरों ने दी है। गुर्जरों ने कभी पीठ नहीं दिखाई। हमेशा सीने पर गोली खाई है। गुर्जर समाज के लोग हर तीसरे दिन देश की सीमा पर शहादत देकर आते हैं। लेकिन इन्होंने गुर्जर रेजिमेंट खत्म कर दी। जबकि अन्य जातीय रेजिमेंट बनी हुई हैं। ये भी सामाजिक असमानता है। एक जाति को दबाने का प्रयास करते हो, जहां मौका मिलता है वहां प्रशासन और लठ के दम पर गुर्जरों को कुचलने का काम किया जाता है। केंद्र और यूपी में सरकार होने के बाद भी भाजपा गुर्जरों के हित में कोई कदम नहीं उठा रहे। गुर्जर सम्राट मिहिर भोज हैं लेकिन इसे कोई कहने को राजी नहीं है। जबकि सिविल सर्विसेज में इसका सवाल भी आता है। सरकार चाहती है कि हमें जातीय लड़ाई में उलझाकर रखे। सवाल- 21 सितंबर को पहले पत्थर बरसे या पुलिस की लाठियां चली थीं? जवाब- उस दिन पहले लाठियां चली थी। जब पुलिस हमें लेकर पुलिसलाइन ले गई, तो हमारे जाने के बाद इन्होंने लाठियां चलाईं, हो सकता है क्रिया की प्रतिक्रिया में कुछ युवाओं ने पत्थर चला दिए हों। पहले हमें 151 में जेल लाया गया। दो दिन तक जेल में हम 151 में जेल में रहे। 23 तारीख में हम पर गंभीर धाराएं लगाकर जेल भेजा गया। जेल में रहकर हमने कैसे सरकारी काम में बाधा डाल दी और पथराव कर दिया। सरकार चाहती थी कि हम अपनी बात न कह सकें। लेकिन कश्मीर से कन्याकुमारी का युवा आक्रोशित है। समाज के लिए 10 बार फांसी पर चढ़ना पड़े, तो हम चढ़ेंगे। सवाल- कुछ नेताओं का कहना है कि महापंचायत में पथराव करने वाले जेहादी या दूसरे संप्रदाय के लोग थे? जवाब- जेहादी की परिभाषा- ये भाजपा की डिक्शनरी का शब्द है। वो गांव के गुर्जर बिरादरी के लोग थे। इनको हर मामले में नफरत और हिंदू मुसलमान दिखाई देते हैं। हम देश में भाईचारे को पसंद करते हैं। लेकिन आए दिन कांवड़ यात्रा में दुकानों पर नाम लिखने, स्टॉलों पर नाम लिखने के नाम पर, जाति के नाम तो कभी कब्रिस्तान लाउडस्पीकरों के नाम पर ये पार्टी यही करती है। शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार के नाम पर इनको काम नहीं करना है। ये भाजपा कुछ भी कर सकती है। ये तो देश के लोगों के लिए ये भी कहते हैं कि देश के गद्दारों को गोली मारो। पहलगाम में सिंदूर बांटना शुरू कर दिया, किस हक से इन्होंने सिंदूर बांटा। अपना चुनावी एजेंडा सेट करने के लिए ये पार्टी कुछ भी कर सकती है। सवाल- आप लोगों की रिहाई के बाद क्रेडिट लेने वालों की होड़ लगी, वाकई रिहाई का श्रेय किसका है? जवाब- बाहर जितने भी लोग थे, सभी ने हमारा साथ दिया। पूरे देश से हमें सहयोग, साथ मिला। मैं किसी एक का नाम नहीं ले सकता। गुर्जर समाज के साथ अन्य समाज के न्याय पसंद लोग हमारे साथ थे। उन्होंने हमारे लिए आवाज उठाई। पूरे देश में ज्ञापन दिए गए। सभी ने हमारी मदद की है। मेरठ के लोगों ने तो 30 सितंबर के दिन धरने पर बैठने का आव्हान कर लिया था। सवाल- जेल में आपसे अतुल प्रधान, सोमेंद्र तोमर, चंदन चौहान सभी मिले, उन्होंने क्या कहा? जवाब- सभी का यही कहना था कि पूरा देश, पूरी बिरादरी आपके साथ है। हम सब आपके साथ हैं। आपको जेल से निकालने के लिए हम सब काम कर रहे हैं। पक्ष, विपक्ष के जो भी लोग मुझसे मिलने जेल में आए, सभी ने हमें आश्वासन दिया कि वो हमारे साथ हैं। लोगों ने जेल में मिलने आने से लेकर बाहर से हमें पूरा साथ दिया और हमारा सपोर्ट किया। मैं उन सभी का धन्यवाद देता हूं। सवाल- चंद्रशेखर आजाद और एक महिला रोहिणी घावरे का विवाद इन दिनों चर्चा में है। वो क्या मामला है? जवाब- जब किसी नेता का राजनीतिक कद बढ़ता है। उसकी प्रसिद्धि बढ़ती है। तो उसके तमाम दुश्मन बन जाते हैं। बहुत सारे दलों के पेट में दर्द है कि आजाद समाज पार्टी इतने कम समय में इतनी तेजी से कैसे बढ़ रही है। राष्ट्रीय अध्यक्ष जी, बिना किसी के सहयोग से संसद में चले गए। ये भाई के खिलाफ साजिशें और षड्यंत्र चल रहे हैं। हम इससे डरने वाले नहीं है। चंद्रशेखर जी को ये विपक्षी दल न तो ईडी से डरा पाए और न ही सीबीआई से डरा पाए। उन पर हमला तक कराया गया, लेकिन वो डरे नहीं है। इस मामले की जांच हुई है। कोर्ट ने भी इसे निराधार कहा है। कोई फोटो होने का मतलब ये थोड़े है कि किसी ने क्राइम कर दिया। आजकल एआई से कितनी फोटो बन जाती हैं। किसी का भी चेहरा लगा दिया जाता है। लेकिन हमारा फोकस केवल अपनी पार्टी और आगामी चुनाव पर है। सवाल- आजाद समाज पार्टी गुर्जरों के विकास के लिए क्या कर रही है? जवाब- अभी हमारी सरकार तो है नहीं। इसके बावजूद आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद, जहां-जहां गुर्जर बिरादरी को जरुरत पड़ी वो खड़े हुए। राजस्थान, मध्यप्रदेश से लेकर यूपी में जहां भी गुर्जर बिरादरी ने अपने आंदोलन किए, उन पर संकट आया तो चंद्रशेखर आजाद वहां पहुंचे। हमारा साथ दिया। राजस्थान में युवाओं को 307 में बंद किया, मप्र और राजस्थान में चुनाव था। आचार संहिता लगी थी। इसके बावजूद चंद्रशेखर जी हमारे साथ जेल गए। ऐसा नेता कोई दूसरा इस देश में है नहीं। हाल में दादरी मामला, सहारनपुर की गुर्जर गौरव यात्रा, गुर्जर रेजिमेंट की मांग, संसद में धनसिंह कोतवाल के सम्मान की मांग, ये सारे विषय केवल चंद्रशेखर आजाद ने उठाए हैं। अन्य पार्टियां तो हमें खत्म करने, हमारे महापुरुषों के अपमान करने की बात करती हैं। लेकिन चंद्रशेखर आजाद हर मामले में हमेशा बिरादरी के साथ खड़े रहे हैं। सवाल- दिल्ली में 2 अक्टूबर को हुई गुर्जर संसद के बारे में क्या कहेंगे? जवाब- वो समाज से ज्यादा भाजपा का प्रोग्राम था। अगर समाज का आयोजन होता तो समाज के लोगों को बुलाया जाता। लेकिन उसमें समाज के लोगों को उस तरह से नहीं बुलाया गया। जिस तरह गुर्जर समाज अपने महापुरुषों के सम्मान को लेकर भाजपा से आक्रोशित है। तो शायद उनको साधने के लिए यह बैठक बुलाई गई हो। अन्य दलों के समाज के नेताओं को उसमें बुलाया गया हो। ऐसा मुझे नहीं लगा। ……………….. ये खबर भी पढ़ें… अतीक का छोटा बेटा भाई से मिलने जेल पहुंचा था; VIDEO सामने आया, मुलाकात के 14 दिन बाद अली प्रयागराज से झांसी जेल शिफ्ट माफिया अतीक अहमद का सबसे छोटा बेटा अबान दो साल बाद नजर आया। 17 सितंबर को तीन कारों के काफिले के साथ अबान नैनी सेंट्रल जेल में बंद अपने भाई अली से मिलने पहुंचा था। इसका वीडियो अब सामने आया है। इस मुलाकात के 14 दिन बाद यानी 1 अक्टूबर को अली की जेल बदल दी गई। उसे प्रयागराज से 420 किमी दूर झांसी भेज दिया गया। पढ़िए पूरी खबर