बुजुर्ग मां को काशी में घाट पर छोड़ गई बेटी:कानपुर में बोली- गलत नहीं किया; रातभर चिल्लाती और उठ-उठकर भागती थीं

‘जिसको मैंने गोद में सुलाया वो मुझे घाट पर सुलाकर चली गई। बेटी को बेटे से कम नहीं समझा। उसे हल्का सा बुखार आ जाता था तो मैं रातभर जागती थी। लोग पूछते थे कि सिर्फ एक बेटी है तो मैं कहती थी यही मेरा बेटा है। बेटी के आगे बेटे की चाहत नहीं थी। लेकिन क्या पता था, अंतिम दिनों में अपनों के लिए इतना बोझ बन जाऊंगी। मेरी बेटी ही इस कदर तड़प-तड़पकर मरने के लिए छोड़ देगी।’ काशी में मणिकर्णिका घाट पर जमीन पर पड़ीं कानपुर की 70 वर्षीय इंदिरा देवी भी कुछ ऐसा ही सोचती रही होंगी। बेटी और दामाद 13 अप्रैल को व्हीलचेयर पर लेकर आए। उन्हें घाट उतारा और पत्थर की टेक लगाकर बैठा दिया। इसके बाद व्हीलचेयर तक लेकर चले गए। रातभर घाट पर पड़ी रहीं। सुबह सफाई कर्मियों ने संभाला। महिला कर्मचारियों ने नहलाकर कपड़े बदलवाए। इसके बाद समाजसेवी अमन कबीर को सूचना दी और अस्पताल में भर्ती करवाया। अमन ने सोशल मीडिया पर इसका वीडियो पोस्ट किया। लिखा- कानपुर की इस बुजुर्ग मां को उनकी बेटी और दामाद छोड़कर चले गए। इनको तो हम आश्रम में रखवा देंगे, लेकिन इस वीडियो को कानपुर तक इतना फैला दो कि उन लोगों को शर्म आ जाए। वीडियो सामने आने के बाद भास्कर टीम बुजुर्ग महिला के घर कानपुर पहुंची। घर में मौजूद बेटी ने पहले बात करने से मना कर दिया। फिर उन्होंने खुद ही काशी में मां को छोड़कर आने की बात को स्वीकार किया। कहा- हां, छोड़ा तो क्या गलत किया, वो चिल्लाती थीं, रात में घर से भाग जाती थीं। पढ़िए रिपोर्ट… पहले बेटी की बात बेटी बोली- हां, ये हमारी अम्मा का वीडियो है
भास्कर टीम शिवाला की सब्जी मंडी के पास इंदिरा देवी के घर पहुंची। वहां उनकी बेटी रीता उर्फ रंजीता घर से बाहर आईं। उन्हें बुजुर्ग महिला का वीडियो दिखाया, तो उन्होंने कहा- इन्हें मैं नहीं जानती हूं। मगर पड़ोसियों के आने के बाद बोलीं- हां, ये तो अम्मा का वीडियो है। इसके बाद वह कैमरे और माइक पर सवालों के जवाब देने की बजाए अपने पति को फोन किया। पति आदर्श ने फोन पर भास्कर टीम से कहा कि कल आना। जब हम घर आएंगे, तब जवाब देंगे। लेकिन मोहल्ले के लोगों के आक्रोश और दबाव के चलते रीता को मजबूरी में जवाब देना पड़ा। बेटी ने कहा- वो आधी रात को घर छोड़कर चली जातीं, हम परेशान हो गए थे
काशी में अपने घर की बुजुर्ग महिला को छोड़कर आने के सवाल पर रीता ने कहा- मेरी मर्जी है। हमने परेशान होकर उन्हें काशी में छोड़ दिया… ठीक है। हमको हमारे हाल पर छोड़ दो। वो चिल्लाती थीं, आधी-आधी रात को घर से बाहर निकल जाती थीं। हम लोग रात में उठ-उठकर उन्हें लेने भागते थे। एक दिन तो कुत्तों ने उन्हें घेर लिया। फिर रीता ने पड़ोसियों की तरफ देखकर कहा- ये सब भी तो तुम लोग इन्हें बताओ। हम उन्हें आश्रम में छोड़कर आए
रीता ने कहा- हम लोग उन्हें बेसहारा छोड़कर नहीं आए थे। उन्हें एक आश्रम में छोड़ा था। टीम ने पूछा- आप लोग उन्हें किस आश्रम में और कहां पर छोड़कर आए थे? इसका जवाब वह नहीं दे सकीं। फिर उन्होंने कहा- वहां किसी व्यक्ति को दिया था। टीम ने पूछा कि वो कौन व्यक्ति था, जिसे आश्रम ले जाने के लिए दिया था? रीता के पास इसका भी कोई जवाब नहीं था। हमारी दादी 102 साल की थी, तो क्या हम उन्हें छोड़ आए कानपुर में पड़ोसी राहुल ने गुस्से में कहा- हमारी दादी तो 102 साल की थीं, लेकिन हम लोगों ने आखिरी सांस तक उनका साथ नहीं छोड़ा। उनकी स्थिति तो इनसे भी ज्यादा गंभीर थी। वो कहीं भी भाग जाती थीं। इनसे भी दूर-दूर चली जाती थीं। हम ढूंढकर लाते थे। पड़ोसी संतोष कुमार ने कहा- ये बताइए, आपकी मां आपको परेशान करेंगी तो आप वीडियो बनाएंगे कि उनका इलाज करवाएंगे। इसके बाद रीता ने कहा- हमें उनको डॉक्टर को दिखाना पड़ता है, इसलिए उनके वीडियो भी बनाए थे। कानपुर में पड़ोसियों ने क्या कहा… अब बात काशी से… दैनिक भास्कर ने दर्द से कराह रहीं महिला को मंडलीय चिकित्सालय लाने वाले सतीश और उन्हें घाट पर देखने वाले राजू से बात की और महिला का दर्द जाना…। सफाई सुपरवाइजर बोले- उनकी पीठ और हाथ पर चोट के निशान थे
मणिकर्णिका घाट पर नगर निगम की तरफ से नियुक्त सफाई सुपरवाइजर सतीश कुमार गुप्ता और उनकी टीम ने रविवार शाम से लेकर मंगलवार शाम तक कानपुर की बुजुर्ग महिला इंद्रावती देवी की सेवा की। अब उन्हें अस्पताल में लावारिस वार्ड में एडमिट कराया है। उन्होंने कहा- मैंने अपनी महिला कर्मचारियों को लगाकर उन्हें नहलवाया और उनके कपड़े बदलवाए। उनकी पीठ और हाथ सहित शरीर पर कई जगह मारपीट के निशान हैं। इसके बाद उनसे बातचीत की तो उन्होंने खुद को कानपुर के पटकापुर का बताया। लेकिन, जब उनसे यह पूछा कि आप को कौन यहां लेकर आया तो वो कुछ नहीं बोलीं। बस मेरी तरफ देखने लगीं। इस पर हमने समाजसेवी अमन को फोन किया। फिर बजुर्ग महिला को हमने अस्पताल पहुंचाया। राजू बोले- वो लोग हमारे सामने इन्हें छोड़ गए
स्थानीय निवासी राजू ने बताया- रविवार की शाम हम अपने दोस्त गणेशू की दुकान पर रोजाना की तरह बैठे थे। उसी समय एक महिला, एक पुरुष और दो बच्चे एक दादी को व्हीलचेयर पर लेकर आए। दादी बेसुध दिख रही थीं। घाट किनारे व्हीलचेयर लगाकर उन्हें उतारा और पत्थर की टेक लगाकर बैठा दिया। इसके बाद उनका मुंह धुलाया। राजू ने बताया- 15-20 मिनट बाद नजर पड़ी तो दादी अकेले बैठी दिखीं। हमने उस ओर ध्यान नहीं दिया था। सोचा कि यात्री हैं साथ के लोग दर्शन करने गए होंगे। ये बुजुर्ग हैं, चल नहीं पा रही होंगी इसलिए नहीं गई होंगी। वहां वे लोग भी नहीं थे जो उन्हें व्हीलचेयर पर लाए थे, न ही व्हीलचेयर थी। इसके बाद रात हुई फिर भी कोई उन्हें लेने नहीं आया। तब हम लोग उनके पास पहुंचे तो वह कुछ बोल नहीं पाईं। बेसुध हाल में पड़ी रहीं। देखने के बाद रोने लगीं थीं इंद्रावती
घाट के सफाई सुपरवाइजर सतीश ने कहा- हम 14 अप्रैल को अपनी टीम के साथ घाट पर पहुंचे तो एक बुजुर्ग महिला घाट पर लेटी थीं। उनके पैर में चोट लगी थी। हमने उनसे नाम-पता पूछा तो वो कुछ नहीं बोलीं। बस कराह रही थीं। इस पर हमारी महिला कर्मचारियों ने उनसे बात की। तब उन्होंने शौच जाने की बात कही। बेटी-दामाद लेकर आए थे काशी
सतीश ने बताया- जब उन्हें हमने दर्द की दवा दी तो वो थोड़ा रिलैक्स हुईं। इस पर हमने उनसे बातचीत की। तब उन्होंने बताया वो कानपुर के पटकापुर की रहने वाली हैं। हमने पूछा लड़का है? तो बोलीं, नहीं एक लड़की और दामाद हैं और कोई नहीं है। उनकी एक आंख में मोतियाबिंद है। महिला के पास से एक बैग और एक झोला मिला है। उसमें गिलास और प्लेट के अलावा कटोरी, चम्मच और कपड़े हैं। बैग में एक भी रुपया नहीं है। पूछने पर भी नहीं बताया बेटी का नाम
सतीश ने कहा- हमने उनसे पूछा कि आप की बेटी का नाम क्या है? तो उन्होंने कुछ नहीं बताया और उनकी आंखों से आंसू छलक उठे। जब हमने कहा कि आपको घर पहुंचा दें तो वो खामोश हो गईं। उन्होंने बस अपने पति का नाम राजकुमार बताया। महिला कर्मियों ने बदले कपड़े तो सामने आया दर्द
सफाईकर्मी शालू ने बताया- माताजी को हमने और प्रमिला दीदी ने स्नान कराया और कपड़े बदले। उनके बदन पर चोट के ऐसे निशान हैं। जैसे उन्हें लाठी और डंडे या बेल्ट से मारा गया है। पीठ और हाथ पर चोट के निशान काले पड़ गए हैं। निशान छूने पर भी वो दर्द से कराहे जा रही थीं। हमने किसी तरह उन्हें नहलाया और कपड़े पहनाए। मोतियाबिंद के साथ ही साथ शुगर और हाईबीपी की पेशेंट हैं इंद्रा
मंडलीय चिकित्सालय के इमरजेंसी में तैनात डॉ. एके मणि ने बताया- महिला बुजुर्ग और कमजोर हैं। बीपी की शिकायत है, शुगर भी है। ऐसे में उन्हें एडमिट किया गया है। एक से दो दिन में वह नार्मल हो जाएंगी। —————————- ये खबर भी पढ़ें- यूपी के 22 SP के पास खुद का घर नहीं:कन्नौज एसपी सबसे अमीर; जानिए प्रदेश के सभी कप्तानों के पास कितनी प्रॉपर्टी यूपी में तैनात IPS अफसरों में से किसी के पास आलीशान बंगले हैं, तो किसी के पास 31 एकड़ तक खेती की जमीन है। प्रदेश के 68 जिलों के पुलिस कप्तानों की प्रॉपर्टी करोड़ों में है। ये फैक्ट IPS अफसरों की केंद्र सरकार को दी गई जानकारी में सामने आए हैं। पढ़ें पूरी खबर