वाराणसी की हॉकी प्लेयर पूजा ऑस्ट्रेलिया में बिखेरेगी जलवा:5 मैचों की सीरीज के लिए टीम इंडिया में हुआ चयन;बोली-अब ओलिंपिक है लक्ष्य

‘गांव की पगडंडी के से होकर स्कूल जाती थी। लड़के सिवान में क्रिकेट खेलते थे। उन्हें देखना अच्छा लगता था। वहां से घर आती तो बगल में मौजूद गंगापुर इंटर कालेज में लड़के हॉकी खेलते थे। हाथ में हॉकी स्टिक लेकर दौड़ते लड़कों देखकर मुझे भी यह खेल भा गया। इसके बाद रोजाना जाकर उन्हें देखने लगी। जिसपर कोच घनश्याम चोटी वाला ने मुझसे दिल की बात पूछी और फिर शुरू हो गया मेरे हॉकी का सफर।’ ये कहना है वाराणसी के गंगापुर की रहने वाली पूजा यादव का; पूजा का चयन आस्ट्रेलिया में होने वाली भारत-आस्ट्रेलिया के बीच पांच मैचों की सीरीज के लिए हुआ है। मिडफील्डर पूजा यादव इस समय बेंगलूर के ट्रेनिंग कैंप में है। दैनिक भास्कर ने पूजा से बात की और उनके लक्ष्य और हॉकी में आने के सफर के बारे में जाने। पढ़िए रिपोर्ट… सबसे पहले जानिए पूजा ने कब से हॉकी खेलना शुरू किया और उसके घर के क्या हालात हैं… साल 2015 से खेलना शुरू किया हॉकी
पूजा ने बताया- साल 2015 में कक्षा 9 में थी। उस समय घर के बगल में स्थित गंगापुर इंटर कालेज में लड़के हॉकी खेलने आया करते थे। उन्हें रोज हॉकी स्टिक के साथ देखती थी और उनका खेल देखकर खुद भी घर में उसी तरह ड्रिब्लिंग और शॉट का एक्शन करने लगी। पिता महेंद्र यादव ने पूछा तो मैंने उन्हें अपनी दिल की बात बताई। जिसपर उन्होंने गंगापुर स्पोर्ट्स अकादमी के हॉकी कोच घनश्याम चोटी वाला से बात किया और फिर मै भी रोजाना मैदान में आने लगी। ​​​​​​ कई स्टेट और नेशनल लेवल की प्रतियोगिताएं खेलीं
पूजा ने बताया – इस दौरान घनश्याम सर के मार्गदर्शन में कई स्टेट और नेशनल प्रतियोगिताएं खेली। वाराणसी और स्टेट की टीम से खेलने का मौका मिला। मुझे उन्होंने मिडफील्ड में उतारा और आज मै सफल मिडफील्डर हूं। मुझे हॉकी के सबसे टफ और जिम्मेदारी भरे काम पेनाल्टी कार्नर में भी पारंगत किया। जिसकी वजह से मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। पिता चलाते हैं दूध की डेयरी
पूजा के पिता महेंद्र यादव गंगापुर में दूध का व्यापार करते हैं। वो छोटी सी डेयरी चलाते हैं। महेंद्र ने बताया- बेटी ने जो मकाम आज हासिल किया है। उससे न सिर्फ घर के लोग बल्कि पूरा गांव गौरवान्वित हैं। सभी लोग बधाई के लिए घर आ रहे हैं। बेटी तो अभी बंगलुरू है लेकिन उसकी वजह से यहां हमारा सीना गर्व से चौड़ा हो रहा है। वहीं मां कलावती देवी की भी खुशी देखते हुए बन रही है। 6 बहन एक भाई में 5वें नंबर की पूजा अकेली हैं घर में जो खेल से जुड़ी हुई हैं। अब जानिए कब हुआ पूजा का साईं में चयन, क्या है पूजा का लक्ष्य… साल 2017 में साईं में हुआ चयन
पूजा ने बताया- घनश्याम सर की ट्रेनिंग के दौरान कई चयनों के लिए भेजा था। इसी में साल 2017 में साईं सेंटर के सिलेक्शन के लिए लगे कैंप में चयन परिक्षण के लिए उन्होंने भेजा था। जहां मेरा परफॉर्मेंस देखकर चयन समिति काफी खुश हुई और मुझे साईं सेंटर के लिए सेलेक्ट कर लिया। उस दिन से मै बंगलुरू साईं सेंटर में हॉकी का ककहरा सीख रही हूं। ओलिंपिक है लक्ष्य
हॉकी प्लेयर पूजा ने बताया- हमने कई प्रतियोगिताएं खेली और अब वाराणसी की पहली महिला खिलाड़ी बनने का मौका मिला जो इंडियन हॉकी टीम के लिए खेलेगी। पहली बार नीली जर्सी पहनकर देश के लिए खेलना गर्व की बात है। काशी और देश का नाम ऊंचा करने के लिए वहां अपने खेल का प्रदर्शन करूंगी। उसके बाद ओलिंपिक टीम का सदस्य बनकर देश के लिए खेलना लक्ष्य है। ललित भइया के वीडियो देते हैं प्रेरणा
पूजा ने ओलंपियन हॉकी प्लेयर ललित उपाध्याय का नाम लेते हुए कहा- हमें जब भी ऐसा लगता है कि हम नहीं कर पाएंगे। हम छोटे से गांव से हैं तो तुरंत ललित भईया के वीडियो देखकर मोटिवेट हो जाते हैं। क्योंकि वो भी गांव से ही आते हैं। उन्होंने दुविधाओं से बाहर निकलकर ओलिंपिक तक का सफर तय किया है। उन्होंने कहा अनुशासन और ईमानदारी से ही आप आगे बढ़ सकते हैं। सफलता का कोई शार्ट कट नहीं होता है। हॉकी वाराणसी के अध्यक्ष ने की सराहना, दी बधाई
पूजा की इस उपलब्धि पर हॉकी वाराणसी के अध्यक्ष डॉ एके सिंह ने पूजा को बधाई दी। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री की नीतियों के कारण खेल का विकास हो रहा है और खिलाड़ियों का लगाकर चयन हो रहा है। पूजा के चयन के बाद खिलाड़ी अब हॉकी की तरफ आकर्षित होंगे और एक बार फिर हॉकी। वहीं हॉकी वाराणसी के सचिव कृष्ण बहादुर रावत ने भी पूजा के चयन पर उन्हें बधाई दी और कहा काशी हॉकी को ललित ने एक बार फिर जिंदा कर दिया है।