गोरखपुर से इस वक्त की बड़ी खबर आ रही है। पूर्व बसपा विधायक विनय शंकर तिवारी के यहां प्रवर्तन निदेशालय यानी ED की रेड पड़ी है। विनय शंकर तिवारी के गोरखपुर, लखनऊ सहित कई ठिकाने पर टीम पहुंची है। बताया जा रहा है कि करोड़ों रुपए के बैंक फ्रॉड से जुड़े मामले में टीम जांच कर रही है। 18 मार्च 2024 को ED ने विनय शंकर तिवारी की कंपनी गंगोत्री इंटरप्राइजेज की 30.86 करोड़ रुपए की 12 प्रॉपर्टी अटैच की थी। ED ने अलग-अलग बैंकों के 754 करोड़ रुपए हड़पने के मामले में यह कार्रवाई की थी। इसमें गोरखपुर, लखनऊ और नोएडा की संपत्तियों को जब्त किया गया था। ED ने इस मामले की मुख्य आरोपी रीता तिवारी और अजीत पांडेय के साथ ही गंगोत्री एंटरप्राइजेज के प्रमोटर्स, डायरेक्टर्स, गारंटर्स और रॉयल एम्पायर मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड और कंदर्प कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के नाम दर्ज संपत्तियों को जब्त किया है। रीता तिवारी पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी की पत्नी हैं। ED मनी लांड्रिंग का केस दर्ज कर जांच कर रही
ED के मुताबिक, गंगोत्री इंटरप्राइजेज के निदेशकों, प्रमोटर, गारंटर ने मिलीभगत कर बैंकों के दिए 754 करोड़ रुपए की कैश क्रेडिट लिमिट को धोखाधड़ी करके हड़प लिया था। इनमें विनय शंकर तिवारी, पत्नी रीता तिवारी, अजीत कुमार पांडेय की मुख्य भूमिका सामने आई। इसके बाद उनकी 3 शहरों लखनऊ, गोरखपुर और नोएडा की वाणिज्यिक, आवासीय और कृषि भूमि को जब्त किया गया। दरअसल, बैंकों की शिकायत पर CBI ने इस मामले में केस दर्ज किया था, जिसके आधार पर ED ने भी CBI की FIR में नामजद आरोपियों के खिलाफ मनी लांड्रिंग का केस दर्ज कर जांच शुरू की थी। फरवरी 2024 में 103 करोड़ की संपत्ति जब्त कर चुकी है ED
जांच में सामने आया कि बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले 7 बैंकों के कंर्सोटियम से गंगोत्री इंटरप्राइजेज ने 1129.44 करोड़ रुपए की कैश क्रेडिट लिमिट ली थी। बाद में इसे गंगोत्री इंटरप्राइजेज की सहयोगी कंपनियों में डायवर्ट करके निजी संपत्तियों को खरीदा गया। ED ने इस मामले में 23 फरवरी 2024 को विनय शंकर तिवारी और उनके करीबियों के 10 ठिकानों पर छापा मारा था, जहां बैंकों की रकम से खरीदी गई तमाम संपत्तियों के दस्तावेज बरामद हुए थे। इस मामले में ED विनय शंकर तिवारी और उनके करीबियों की करीब 103 करोड़ रुपए की संपत्तियों को जब्त कर चुका है। पिता हरिशंकर तिवारी की सीट चिल्लूपार से विधायक बने विनय विनय शंकर तिवारी ने अपने राजनीतिक करियर कि शुरुआत 2007 से की, लेकिन सफलता नहीं मिली। वह गोरखपुर लोकसभा सीट से योगी आदित्यनाथ के खिलाफ भी चुनाव लड़ चुके हैं। बसपा के टिकट पर 2017 में विनय शंकर तिवारी पहली बार चिल्लूपार सीट से विधायक बने। उन्होंने भाजपा कैंडिडेट राजेश त्रिपाठी को हराया था। इससे पहले इस सीट से विनय शंकर के पिता पंडित हरिशंकर तिवारी लंबे समय तक विधायक रहे। लेकिन, 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले विनय शंकर तिवारी ने बसपा का दामन छोड़ कर सपा का हाथ थाम लिया। चिल्लूपार विधानसभा सीट से सपा ने विनय शंकर तिवारी को अपना उम्मीदवार घोषित किया था। हालांकि, विनय शंकर तिवारी चुनाव न जीत पाए। ——————- ये खबर भी पढ़िए- ‘मंत्रीजी दशरथ नहीं, सम्राट अशोक पर बोलिए’: झांसी में राज्यमंत्री को रामायण पर बोलने से रोका, कार्यक्रम छोड़कर चले गए झांसी में दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री हरगोविंद कुशवाहा को रामायण पर बोलने से रोक दिया गया। कार्यक्रम में मौजूद लोगों ने कहा- दशरथजी और रामायण से मतलब नहीं है, सम्राट अशोक पर बाेलिए। इससे नाराज होकर हरगोविंद कुशवाहा मंच छोड़कर चले गए। यह वाकया 5 अप्रैल का है। इसका वीडियो रविवार शाम को सामने आया है। रामायण पर बोलने का विरोध करने पर मंत्री ने कहा- यदि कोई राजनीति के प्रेरित होकर विरोध कर रहा है तो करता रहे। पढ़ें पूरी खबर…
ED के मुताबिक, गंगोत्री इंटरप्राइजेज के निदेशकों, प्रमोटर, गारंटर ने मिलीभगत कर बैंकों के दिए 754 करोड़ रुपए की कैश क्रेडिट लिमिट को धोखाधड़ी करके हड़प लिया था। इनमें विनय शंकर तिवारी, पत्नी रीता तिवारी, अजीत कुमार पांडेय की मुख्य भूमिका सामने आई। इसके बाद उनकी 3 शहरों लखनऊ, गोरखपुर और नोएडा की वाणिज्यिक, आवासीय और कृषि भूमि को जब्त किया गया। दरअसल, बैंकों की शिकायत पर CBI ने इस मामले में केस दर्ज किया था, जिसके आधार पर ED ने भी CBI की FIR में नामजद आरोपियों के खिलाफ मनी लांड्रिंग का केस दर्ज कर जांच शुरू की थी। फरवरी 2024 में 103 करोड़ की संपत्ति जब्त कर चुकी है ED
जांच में सामने आया कि बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले 7 बैंकों के कंर्सोटियम से गंगोत्री इंटरप्राइजेज ने 1129.44 करोड़ रुपए की कैश क्रेडिट लिमिट ली थी। बाद में इसे गंगोत्री इंटरप्राइजेज की सहयोगी कंपनियों में डायवर्ट करके निजी संपत्तियों को खरीदा गया। ED ने इस मामले में 23 फरवरी 2024 को विनय शंकर तिवारी और उनके करीबियों के 10 ठिकानों पर छापा मारा था, जहां बैंकों की रकम से खरीदी गई तमाम संपत्तियों के दस्तावेज बरामद हुए थे। इस मामले में ED विनय शंकर तिवारी और उनके करीबियों की करीब 103 करोड़ रुपए की संपत्तियों को जब्त कर चुका है। पिता हरिशंकर तिवारी की सीट चिल्लूपार से विधायक बने विनय विनय शंकर तिवारी ने अपने राजनीतिक करियर कि शुरुआत 2007 से की, लेकिन सफलता नहीं मिली। वह गोरखपुर लोकसभा सीट से योगी आदित्यनाथ के खिलाफ भी चुनाव लड़ चुके हैं। बसपा के टिकट पर 2017 में विनय शंकर तिवारी पहली बार चिल्लूपार सीट से विधायक बने। उन्होंने भाजपा कैंडिडेट राजेश त्रिपाठी को हराया था। इससे पहले इस सीट से विनय शंकर के पिता पंडित हरिशंकर तिवारी लंबे समय तक विधायक रहे। लेकिन, 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले विनय शंकर तिवारी ने बसपा का दामन छोड़ कर सपा का हाथ थाम लिया। चिल्लूपार विधानसभा सीट से सपा ने विनय शंकर तिवारी को अपना उम्मीदवार घोषित किया था। हालांकि, विनय शंकर तिवारी चुनाव न जीत पाए। ——————- ये खबर भी पढ़िए- ‘मंत्रीजी दशरथ नहीं, सम्राट अशोक पर बोलिए’: झांसी में राज्यमंत्री को रामायण पर बोलने से रोका, कार्यक्रम छोड़कर चले गए झांसी में दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री हरगोविंद कुशवाहा को रामायण पर बोलने से रोक दिया गया। कार्यक्रम में मौजूद लोगों ने कहा- दशरथजी और रामायण से मतलब नहीं है, सम्राट अशोक पर बाेलिए। इससे नाराज होकर हरगोविंद कुशवाहा मंच छोड़कर चले गए। यह वाकया 5 अप्रैल का है। इसका वीडियो रविवार शाम को सामने आया है। रामायण पर बोलने का विरोध करने पर मंत्री ने कहा- यदि कोई राजनीति के प्रेरित होकर विरोध कर रहा है तो करता रहे। पढ़ें पूरी खबर…