अल्ट्रासाउंड की मदद से सुन्न करने वाली दवा सही जगह पर देना आसान और सुरक्षित हुआ है। पहले डॉक्टर अनुभव और शारीरिक बनावट के आधार पर इंजेक्शन लगाते थे। जबकि अब अल्ट्रासाउंड से नसों को देखकर उस अंग में दवा देते हैं। इससे कम मात्रा में दवा की जरूरत पड़ती है। ये जानकारी पीजीआई में आयोजित 47वें यूपी इंडियन सोसाइटी ऑफ एनेस्थिसियोलॉजिस्ट्स के वार्षिक सम्मेलन के आयोजन सचिव डॉ.आशीष कनौजिया ने दी। सम्मेलन का उदघाटन पीजीआई के निदेशक डॉ. आरके धीमान ने किया। सम्मेलन में जुटे एनेस्थीसिया विशेषज्ञों ने इलाज की नई तकनीक बतायी और डॉक्टरों को प्रशिक्षण भी दिया। पेन मैनेजमेंट में भी हुई आसानी डॉ.आशीष ने बताया कि इस तकनीक को अल्ट्रासाउंड-गाइडेड रीजनल एनेस्थीसिया कहते हैं। इस तकनीक से रक्त वाहिकाओं और फेफड़ों व दूसरे अंगों को नुकसान होने का जोखिम कम हो जाता है। इसका उपयोग हाथों, पैरों या जोड़ों की सर्जरी के अलावा तेज दर्द प्रबंधन,दांतों के इलाज वाले रोगियों में किया जाता है।