‘आजम खान उस कैदी की तरह हैं, जो जेल से बाहर आया है लेकिन कभी भी जेल जा सकता है। जिस शख्स पर डकैती, गरीबों की जमीन हड़पने, कब्रिस्तान की मिट्टी चुराने, सरकारी पैसों का गलत इस्तेमाल करने और जाली पासपोर्ट रखने जैसे 100 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हों उसकी रिहाई से किसी को कोई मतलब नहीं है। आजम खान सिंपैथी बटोरने के लिए कितना भी बोल लें, सब जानते हैं कि नवाबों की ईंट से ईंट बजाने वाला आज तक कोई पैदा नहीं हुआ।‘ रामपुर के नवाब हैदर अली खान उर्फ हमजा मियां दावे से कहते हैं कि आज भी रामपुर की पहचान नवाबों से होती है, आगे भी होती रहेगी। दरअसल रामपुर के नवाब और आजम के बीच हमेशा छत्तीस का आंकड़ा रहा है। इसके सबूत रामपुर में जगह-जगह देखने को मिलते हैं। 2012 से 17 तक कैबिनेट मंत्री रहते हुए आजम ने नवाब खानदान को निशाना बनाया। उन्होंने नवाबों के दौर में बने 10 से ज्यादा शाही गेटों को जर्जर बताकर तुड़वा दिया। 23 सितंबर को रिहाई के बाद आजम खान ने पहले इंटरव्यू में ही नवाबों पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा नवाबों के दौर में रामपुर एक गांव से भी गया गुजरा था, यहां एक पक्का घर तक नहीं था। लोग खपरैल में रहते थे। इनका चरित्र कैसा था, ये सबको पता है। लोगों की अस्मत लूटने वाले आज बेमहल होकर अपनी अस्मत बचाते फिर रहे हैं। आजम और रामपुर के नवाब परिवार के बीच 5 दशकों से चली आ रही इस अदावत की कहानी क्या है? क्या वाकई आजम ने सत्ता में रहते हुए रामपुर से नवाबों का इतिहास मिटाने की कोशिश की? इस दुश्मनी पर रॉयल फैमिली और सपा नेता के करीबी क्या कहते हैं? ये जानने के लिए हम रामपुर पहुंचे। शुरुआत नवाब परिवार और आजम के बीच अदावत की कहानी से
आजादी से पहले रामपुर यहां के नवाबों की वजह से पूरे देश में जाना जाता था। उत्तर भारत में रामपुर इकलौता ऐसा शहर था, जहां अपनी फौज, अपना रेलवे स्टेशन, अपना बिजलीघर यहां तक कि अपनी अदालतें थीं। नवाब अली मोहम्मद खान ने रामपुर स्टेट की स्थापना की थी और सैय्यद रजा खान यहां के आखिरी नवाब थे। उन्होंने 1949 में अपनी रियासत भारत गणराज्य में मिला दी। 1966 में नवाब सैय्यद रजा खान की मौत के बाद उनके बेटे ज़ुल्फिकार अली खान उर्फ मिकी मियां ने नवाब परिवार की गद्दी संभाली। उन्होंने नवाबों को यूपी की पॉलिटिक्स में शामिल किया। रामपुर में मिकी मियां का वर्चस्व इतना ज्यादा था कि उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर 1967, 1971, 1980, 1984 और 1989 में लगातार सांसदी का चुनाव जीता था। उनकी मौत के बाद उनकी बेगम नूरबानो ने दो बार रामपुर से लोकसभा चुनाव (1996-1999) जीता। सीनियर जर्नलिस्ट फजल शाह फजल रामपुर के नवाब और उनकी सियासत पर कई आर्टिकल लिख चुके हैं। फजल बताते हैं, ‘1970 के दशक में जब नवाब मिकी मियां दूसरी बार सांसद का चुनाव लड़ रहे थे। तब आजम अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी AMU में कानून की पढ़ाई कर रहे थे। AMU में पढ़ते हुए आजम ने राजनीति शुरू कर दी थी। वहां उन्होंने छात्रसंघ का चुनाव भी जीता।‘ ‘आजम बेहद सामान्य परिवार से थे। उनके पिता मुमताज खान अपनी साइकिल पर टाइपिंग मशीन लेकर चलते थे, लेकिन आजम की महत्वाकांक्षा कहीं बड़ी थी। वो यूपी की राजनीति में अपनी जगह बनाना चाहते थे। कॉलेज से पासआउट होकर आजम ने 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर पहला चुनाव लड़ा लेकिन कांग्रेस के शन्नू मियां से हार गए। इसके बाद आजम गरीबों की आवाज उठाने लगे।‘ आजम बीड़ी मजदूरों और रामपुरी चाकू बनाने वालों के साथ बैठने लगे। उन्होंने नवाब फैमिली की रजा टैक्सटाइल मिल के कर्मचारियों की मांग पूरी करवाने के लिए हड़ताल तक करवाई। इसी हड़ताल ने आजम और नवाबों के बीच अदावत की पहली लकीर खींच दी। 1980 में आजम फिर जनता पार्टी के टिकट पर लड़े और पहली बार विधायक बने। इस जीत के बाद आजम ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1985 में लोक दल के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीता, फिर 1989 में जनता दल के टिकट पर विधायक बने। इसके बाद उन्होंने 1991, 1993, 2002, 2007, 2012 और 2017 में भी विधानसभा चुनाव में अपने विरोधियों को शिकस्त दी। वो 9 बार MLA और 2 बार सांसद बने। नवाब फैमिली का आरोप: आजम ने पहचान मिटाने की कोशिश की
2022 के विधानसभा चुनाव में नवाब मिकी मियां के बेटे नावेद मियां ने आरोप लगाया था कि आजम खान ने मंत्री रहते हुए शाही खानदान के इतिहास को रामपुर से मिटाने की कोशिश की। सपा नेता ने चौराहों पर नाम से लेकर रामपुर के शाही दरवाजों तक को गिराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यहां तक कि आजम ने रामपुर के गरीबों की जमीनें हड़प ली। नवाब नावेद मियां के बेटे और BJP नेता हैदर अली खान उर्फ हमजा मियां ने हमने बात की। हमजा कहते हैं, ‘रामपुर के नवाबों ने हमेशा से आजम खान और उनके परिवार का भला चाहा। 1970 के दशक में जब विधायकी और सांसद के चुनाव साथ होते थे तब नवाब मिकी मियां खुद लोगों से कहते थे कि बड़ा वोट मुझे और छोटा वोट दीवाने (आजम खान) को दे दो।‘ ‘यहां तक कि आजम का अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU ) में एडमिशन भी मिकी मियां ने ही करवाया था। आजम के दादा को घोड़ा खाल (सरकारी अस्तबल) में नवाब रजा अली खान ने ही नौकरी पर रखा था। फिर भी आज आजम इन बातों को भुलाकर नवाबों के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं। आजम की घटिया सोच रही है कि जिन मिकी मियां ने इनका साथ दिया, उनके परिवार को कैसे निपटा दिया जाए।‘ ‘नवाबों ने रामपुर में 10 से ज्यादा शाही दरवाजे बनवाए, लेकिन सबको आजम खान ने ध्वस्त करवा दिया। बेशक आज इनकी जगह नए गेट खड़े कर दिए गए हों लेकिन रामपुर के लोग इन दरवाजों को पुराने नामों से ही जानते हैं। ये बताता है कि न तो आजम खान न ही इनकी सात पीढ़ियां हमारा कुछ बिगाड़ सकती हैं।‘ नवाब हमजा आगे कहते हैं, ‘नवाबों ने यहां 15 से ज्यादा फैक्टरियां बनाईं। एक समय था जब कानपुर के बाद रामपुर यूपी का दूसरा सबसे बड़ा इंडस्ट्रियल हब था। नवाब परिवार ने रामपुर के बच्चों के लिए रजा डिग्री कॉलेज बनाया, लेकिन वहां के मैनेजमेंट में कभी नवाबों का दखल नहीं रहा। यहां आज भी बच्चे प्रति सेमेस्टर महज 12 से 1500 की फीस में पढ़ते हैं।‘ ‘दूसरी तरफ, आजम खान ने सत्ता में रहते हुए जौहर यूनिवर्सिटी बनवाई। इसके ट्रस्ट में अपने बेटों और बेगम को रख दिया। अब वहां पढ़ाई के लिए हर बच्चे से एक-एक लाख की फीस ली जा रही है। ये सिर्फ अपना फायदा देखने वाले लोग हैं। रामपुर की भलाई के किए इन्होंने कभी नहीं सोचा।‘ आजम ने कहा- जेल में जहर मिला, खराब खाना दिया गया?
इस सवाल के जवाब में नवाब हमजा मियां कहते हैं, ‘आजम खान सरकार पर आरोप लगाते हैं कि उन्हें जेल में खराब खाना दिया गया। मैं पूछना चाहता हूं कि क्या जेल में 5 स्टार होटल जैसा खाना मिलता है?’ ’कैबिनेट मंत्री रहते रहते हुए आजम खान ने रामपुर के सैकड़ों बेकसूरों को फर्जी मुकदमों में जेल भिजवाया, क्या उनके परिवार नहीं थे। कब्रिस्तान की मिट्टी उखड़वाई, डूंगरपुर में कितनों को बेघर कर दिया। लोगों की 50-50 लाख की जमीनें 5-10 हजार रुपए देकर हड़प लीं।’ ‘मासूमों के साथ इतनी ज्यादती करने वाले आजम खान आज सिंपैथी पाने के लिए दुखड़ा गा रहे हैं। हालांकि जनता सब जानती है कि वो जेल से बाहर कोई आजादी की जंग लड़कर नहीं लौटे बल्कि चोरी और डकैती जैसे संगीन अपराधों में सजा काटकर लौटे हैं। लोगों की हाय लगी है, तभी उन्हें 50 महीने जेल में काटने पड़े।’ बिहार चुनाव में आजम के स्टार प्रचारक बनने पर चुटकी लेते हुए नवाब हमजा कहते हैं, ‘आजम खान की जब रामपुर में कोई हैसियत नहीं बची है, तब वे बिहार में महागठबंधन को कैसे जिता पाएंगे? जिस आदमी का यूपी में ही कोई वर्चस्व नहीं बचा, वो बिहार के चुनाव में कुछ नहीं कर सकता।’ आजम का दावा: मिकी मियां के खिलाफ चुनाव लड़ा तो सीने पर तमंचे रखे गए
जेल से रिहा होने के बाद आजम ने मीडिया के सामने दिए बयान में कहा- ’1980 में मेरे विधायक बनने से पहले रामपुर में एक भी पक्का मकान, नाला और सड़क तक नहीं थी। यहां सिर्फ नवाब गेट, दिल्ली दरवाजा और शाहबाद गेट जैसे बड़े-बड़े दरवाजे थे। इन दरवाजों की चौड़ाई सिर्फ इतनी थी, जिससे नवाबों की अंग्रेजी गाड़ियां गुजर सकें।’ ‘नवाबों की पहचान मिटाने के लिए मुझे अवामी ताकत का इस्तेमाल करना पड़ा। उन दिनों चुनावों में मिकी मियां के लोग पूरे के पूरे बूथ लूट लिया करते थे। मैंने इसके खिलाफ आवाज उठाई तो मेरे सीने पर 8-10 तमंचे रख दिए गए। बावजूद इसके रामपुर के लोगों की बदौलत मेरी सरकार बनी।’ नवाब परिवार ने ही आजम खान के बेटे अब्दुल्ला पर फर्जी प्रमाणपत्र मामले में केस दर्ज करवाया था। इसके बाद उन्हें 2 साल की सजा हुई और उनकी विधायकी भी रद्द हो गई थी। सजा के बाद से ही अब्दुल्ला नवाब फैमिली पर निशाना साधते रहे हैं। 2022 विधानसभा चुनाव में रामपुर के नवाबों को लेकर पूछे गए सवालों पर अब्दुल्ला ने कहा, ‘नवाबों ने 1857 की जंग में अंग्रेजों का साथ दिया था। इसकी वजह से रामपुर के कई क्रांतिकारियों को मरवा दिया गया। नवाबों को सामान्य लोगों से हाथ मिलाने तक में शर्म आती है। उनकी मानसिकता ऐसी है कि वो लोगों से हाथ मिलाने के बाद अपने हाथों को सैनेटाइज करते हैं।’ एक्सपर्ट बोले- गरीब Vs अमीर की राजनीति ने आजम को बड़ा नेता बनाया
सीनियर जर्नलिस्ट फजल शाह फजल ने हमें नवाबों के शाही दरवाजों को लेकर एक दिलचस्प किस्सा सुनाया। फजल के मुताबिक, रामपुर शहर के मुख्य चौराहे पर पहले नवाब गेट बनाया गया। वो इतना चौड़ा बना था कि उस पर कमरे भी बने हुए थे। बारिश के वक्त इसके साये में लोग रुक जाया करते थे। वे आगे कहते हैं, ‘नवाब गेट इतना मजबूत था कि उसे गिराने में प्रशासन को 72 घंटे लग गए। इस कार्रवाई के दौरान कई बुलडोजर खराब हो गए थे क्योंकि वो नवाब गेट था। उससे होकर रोज नवाबों की शाही सवारी गुजरती थी। इसलिए अपनी सियासी दुश्मनी के चलते आजम खान ने उसे गिरवा दिया।‘ एक तरफ आजम खान की पॉलिटिक्स जमीनी तौर पर शुरू हुई, दूसरी तरफ नवाब विरासत में मिली सियासत को आगे बढ़ा रहे थे। नवाब रजा अली खान की गिनती देश के ताकतवर नवाबों में होती थी। ‘इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब आजादी के बाद देश में अलग-अलग रियासतें मर्ज हुईं, तब रामपुर स्टेट ने सबसे पहले मर्जर एग्रीमेंट साइन किया। उसके बाद दूसरी रियासतों ने साइन किया था।‘ ‘मिकी मियां नवाब होने के नाते हुकूमत पर सियासत करते थे लेकिन आजम गरीबों की सियासत करते थे। गरीब तबके के साथ बैठ-उठकर आजम ने ये अमीरी और गरीबी के बीच एक लकीर खींची, जिसने उन्हें मुसलमानों का बड़ा नेता बना दिया। धीरे-धीरे वो राजनीति में आगे बढ़े और नवाब पीछे होते गए।‘ आजम-अब्दुल्ला के चुनाव लड़ने पर बैन, नवाब परिवार फायदे में
आजम की पॉलिटिक्स पर करीब से नजर रखने वाले सीनियर जर्नलिस्ट विवेक गुप्ता कहते हैं, ‘1980 से 2017 तक आजम 9 बार विधायक और 2 बार सांसद बने। उनका क्रेज इस कदर बढ़ा कि लोग रामपुर को रामपुरी चाकू से नहीं बल्कि आजम खान के नाम से जानने लगे थे। फिर 2017 में सपा सरकार गिरने के बाद आजम पर शिकंजा कसने लगा।’ ‘2022 में उन्होंने विधानसभा चुनाव जीता लेकिन इसी साल उन्हें भड़काऊ भाषण देने के मामले में सजा हो गई। अब वो 2028 तक कोई चुनाव नहीं लड़ सकते। कुछ ऐसा ही हाल आजम के बेटे अब्दुल्ला का भी है। 2023 में अब्दुल्ला की विधायकी चली गई। वो स्वार सीट से विधायक थे। वो भी 2029 तक चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। लिहाजा आजम फैमिली के दोनों मजबूत चेहरे इस वक्त सियासी तौर पर कमजोर हैं। इसका फायदा 2027 विधानसभा चुनाव में नवाब परिवार को मिल सकता है।
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ये खबर भी पढ़ें… 50 महीने जेल-600 करोड़ खत्म, चुनाव लड़ने पर बैन यूपी सरकार में कभी कैबिनेट मंत्री रहे आजम ने बीते 5 सालों में अपनी जिंदगी के 50 महीने जेल में काटे। योगी सरकार आने के बाद वो 2 बार जेल गए। पहली बार फरवरी 2020 से मई 2022 तक और फिर अक्टूबर 2023 से सितंबर 2025 तक जेल में रहे। कैद में रहते हुए आजम की करोड़ों की प्रॉपर्टी पर बुलडोजर चला और स्कूल बंद कर दिए गए। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
आजादी से पहले रामपुर यहां के नवाबों की वजह से पूरे देश में जाना जाता था। उत्तर भारत में रामपुर इकलौता ऐसा शहर था, जहां अपनी फौज, अपना रेलवे स्टेशन, अपना बिजलीघर यहां तक कि अपनी अदालतें थीं। नवाब अली मोहम्मद खान ने रामपुर स्टेट की स्थापना की थी और सैय्यद रजा खान यहां के आखिरी नवाब थे। उन्होंने 1949 में अपनी रियासत भारत गणराज्य में मिला दी। 1966 में नवाब सैय्यद रजा खान की मौत के बाद उनके बेटे ज़ुल्फिकार अली खान उर्फ मिकी मियां ने नवाब परिवार की गद्दी संभाली। उन्होंने नवाबों को यूपी की पॉलिटिक्स में शामिल किया। रामपुर में मिकी मियां का वर्चस्व इतना ज्यादा था कि उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर 1967, 1971, 1980, 1984 और 1989 में लगातार सांसदी का चुनाव जीता था। उनकी मौत के बाद उनकी बेगम नूरबानो ने दो बार रामपुर से लोकसभा चुनाव (1996-1999) जीता। सीनियर जर्नलिस्ट फजल शाह फजल रामपुर के नवाब और उनकी सियासत पर कई आर्टिकल लिख चुके हैं। फजल बताते हैं, ‘1970 के दशक में जब नवाब मिकी मियां दूसरी बार सांसद का चुनाव लड़ रहे थे। तब आजम अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी AMU में कानून की पढ़ाई कर रहे थे। AMU में पढ़ते हुए आजम ने राजनीति शुरू कर दी थी। वहां उन्होंने छात्रसंघ का चुनाव भी जीता।‘ ‘आजम बेहद सामान्य परिवार से थे। उनके पिता मुमताज खान अपनी साइकिल पर टाइपिंग मशीन लेकर चलते थे, लेकिन आजम की महत्वाकांक्षा कहीं बड़ी थी। वो यूपी की राजनीति में अपनी जगह बनाना चाहते थे। कॉलेज से पासआउट होकर आजम ने 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर पहला चुनाव लड़ा लेकिन कांग्रेस के शन्नू मियां से हार गए। इसके बाद आजम गरीबों की आवाज उठाने लगे।‘ आजम बीड़ी मजदूरों और रामपुरी चाकू बनाने वालों के साथ बैठने लगे। उन्होंने नवाब फैमिली की रजा टैक्सटाइल मिल के कर्मचारियों की मांग पूरी करवाने के लिए हड़ताल तक करवाई। इसी हड़ताल ने आजम और नवाबों के बीच अदावत की पहली लकीर खींच दी। 1980 में आजम फिर जनता पार्टी के टिकट पर लड़े और पहली बार विधायक बने। इस जीत के बाद आजम ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1985 में लोक दल के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीता, फिर 1989 में जनता दल के टिकट पर विधायक बने। इसके बाद उन्होंने 1991, 1993, 2002, 2007, 2012 और 2017 में भी विधानसभा चुनाव में अपने विरोधियों को शिकस्त दी। वो 9 बार MLA और 2 बार सांसद बने। नवाब फैमिली का आरोप: आजम ने पहचान मिटाने की कोशिश की
2022 के विधानसभा चुनाव में नवाब मिकी मियां के बेटे नावेद मियां ने आरोप लगाया था कि आजम खान ने मंत्री रहते हुए शाही खानदान के इतिहास को रामपुर से मिटाने की कोशिश की। सपा नेता ने चौराहों पर नाम से लेकर रामपुर के शाही दरवाजों तक को गिराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यहां तक कि आजम ने रामपुर के गरीबों की जमीनें हड़प ली। नवाब नावेद मियां के बेटे और BJP नेता हैदर अली खान उर्फ हमजा मियां ने हमने बात की। हमजा कहते हैं, ‘रामपुर के नवाबों ने हमेशा से आजम खान और उनके परिवार का भला चाहा। 1970 के दशक में जब विधायकी और सांसद के चुनाव साथ होते थे तब नवाब मिकी मियां खुद लोगों से कहते थे कि बड़ा वोट मुझे और छोटा वोट दीवाने (आजम खान) को दे दो।‘ ‘यहां तक कि आजम का अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU ) में एडमिशन भी मिकी मियां ने ही करवाया था। आजम के दादा को घोड़ा खाल (सरकारी अस्तबल) में नवाब रजा अली खान ने ही नौकरी पर रखा था। फिर भी आज आजम इन बातों को भुलाकर नवाबों के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं। आजम की घटिया सोच रही है कि जिन मिकी मियां ने इनका साथ दिया, उनके परिवार को कैसे निपटा दिया जाए।‘ ‘नवाबों ने रामपुर में 10 से ज्यादा शाही दरवाजे बनवाए, लेकिन सबको आजम खान ने ध्वस्त करवा दिया। बेशक आज इनकी जगह नए गेट खड़े कर दिए गए हों लेकिन रामपुर के लोग इन दरवाजों को पुराने नामों से ही जानते हैं। ये बताता है कि न तो आजम खान न ही इनकी सात पीढ़ियां हमारा कुछ बिगाड़ सकती हैं।‘ नवाब हमजा आगे कहते हैं, ‘नवाबों ने यहां 15 से ज्यादा फैक्टरियां बनाईं। एक समय था जब कानपुर के बाद रामपुर यूपी का दूसरा सबसे बड़ा इंडस्ट्रियल हब था। नवाब परिवार ने रामपुर के बच्चों के लिए रजा डिग्री कॉलेज बनाया, लेकिन वहां के मैनेजमेंट में कभी नवाबों का दखल नहीं रहा। यहां आज भी बच्चे प्रति सेमेस्टर महज 12 से 1500 की फीस में पढ़ते हैं।‘ ‘दूसरी तरफ, आजम खान ने सत्ता में रहते हुए जौहर यूनिवर्सिटी बनवाई। इसके ट्रस्ट में अपने बेटों और बेगम को रख दिया। अब वहां पढ़ाई के लिए हर बच्चे से एक-एक लाख की फीस ली जा रही है। ये सिर्फ अपना फायदा देखने वाले लोग हैं। रामपुर की भलाई के किए इन्होंने कभी नहीं सोचा।‘ आजम ने कहा- जेल में जहर मिला, खराब खाना दिया गया?
इस सवाल के जवाब में नवाब हमजा मियां कहते हैं, ‘आजम खान सरकार पर आरोप लगाते हैं कि उन्हें जेल में खराब खाना दिया गया। मैं पूछना चाहता हूं कि क्या जेल में 5 स्टार होटल जैसा खाना मिलता है?’ ’कैबिनेट मंत्री रहते रहते हुए आजम खान ने रामपुर के सैकड़ों बेकसूरों को फर्जी मुकदमों में जेल भिजवाया, क्या उनके परिवार नहीं थे। कब्रिस्तान की मिट्टी उखड़वाई, डूंगरपुर में कितनों को बेघर कर दिया। लोगों की 50-50 लाख की जमीनें 5-10 हजार रुपए देकर हड़प लीं।’ ‘मासूमों के साथ इतनी ज्यादती करने वाले आजम खान आज सिंपैथी पाने के लिए दुखड़ा गा रहे हैं। हालांकि जनता सब जानती है कि वो जेल से बाहर कोई आजादी की जंग लड़कर नहीं लौटे बल्कि चोरी और डकैती जैसे संगीन अपराधों में सजा काटकर लौटे हैं। लोगों की हाय लगी है, तभी उन्हें 50 महीने जेल में काटने पड़े।’ बिहार चुनाव में आजम के स्टार प्रचारक बनने पर चुटकी लेते हुए नवाब हमजा कहते हैं, ‘आजम खान की जब रामपुर में कोई हैसियत नहीं बची है, तब वे बिहार में महागठबंधन को कैसे जिता पाएंगे? जिस आदमी का यूपी में ही कोई वर्चस्व नहीं बचा, वो बिहार के चुनाव में कुछ नहीं कर सकता।’ आजम का दावा: मिकी मियां के खिलाफ चुनाव लड़ा तो सीने पर तमंचे रखे गए
जेल से रिहा होने के बाद आजम ने मीडिया के सामने दिए बयान में कहा- ’1980 में मेरे विधायक बनने से पहले रामपुर में एक भी पक्का मकान, नाला और सड़क तक नहीं थी। यहां सिर्फ नवाब गेट, दिल्ली दरवाजा और शाहबाद गेट जैसे बड़े-बड़े दरवाजे थे। इन दरवाजों की चौड़ाई सिर्फ इतनी थी, जिससे नवाबों की अंग्रेजी गाड़ियां गुजर सकें।’ ‘नवाबों की पहचान मिटाने के लिए मुझे अवामी ताकत का इस्तेमाल करना पड़ा। उन दिनों चुनावों में मिकी मियां के लोग पूरे के पूरे बूथ लूट लिया करते थे। मैंने इसके खिलाफ आवाज उठाई तो मेरे सीने पर 8-10 तमंचे रख दिए गए। बावजूद इसके रामपुर के लोगों की बदौलत मेरी सरकार बनी।’ नवाब परिवार ने ही आजम खान के बेटे अब्दुल्ला पर फर्जी प्रमाणपत्र मामले में केस दर्ज करवाया था। इसके बाद उन्हें 2 साल की सजा हुई और उनकी विधायकी भी रद्द हो गई थी। सजा के बाद से ही अब्दुल्ला नवाब फैमिली पर निशाना साधते रहे हैं। 2022 विधानसभा चुनाव में रामपुर के नवाबों को लेकर पूछे गए सवालों पर अब्दुल्ला ने कहा, ‘नवाबों ने 1857 की जंग में अंग्रेजों का साथ दिया था। इसकी वजह से रामपुर के कई क्रांतिकारियों को मरवा दिया गया। नवाबों को सामान्य लोगों से हाथ मिलाने तक में शर्म आती है। उनकी मानसिकता ऐसी है कि वो लोगों से हाथ मिलाने के बाद अपने हाथों को सैनेटाइज करते हैं।’ एक्सपर्ट बोले- गरीब Vs अमीर की राजनीति ने आजम को बड़ा नेता बनाया
सीनियर जर्नलिस्ट फजल शाह फजल ने हमें नवाबों के शाही दरवाजों को लेकर एक दिलचस्प किस्सा सुनाया। फजल के मुताबिक, रामपुर शहर के मुख्य चौराहे पर पहले नवाब गेट बनाया गया। वो इतना चौड़ा बना था कि उस पर कमरे भी बने हुए थे। बारिश के वक्त इसके साये में लोग रुक जाया करते थे। वे आगे कहते हैं, ‘नवाब गेट इतना मजबूत था कि उसे गिराने में प्रशासन को 72 घंटे लग गए। इस कार्रवाई के दौरान कई बुलडोजर खराब हो गए थे क्योंकि वो नवाब गेट था। उससे होकर रोज नवाबों की शाही सवारी गुजरती थी। इसलिए अपनी सियासी दुश्मनी के चलते आजम खान ने उसे गिरवा दिया।‘ एक तरफ आजम खान की पॉलिटिक्स जमीनी तौर पर शुरू हुई, दूसरी तरफ नवाब विरासत में मिली सियासत को आगे बढ़ा रहे थे। नवाब रजा अली खान की गिनती देश के ताकतवर नवाबों में होती थी। ‘इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब आजादी के बाद देश में अलग-अलग रियासतें मर्ज हुईं, तब रामपुर स्टेट ने सबसे पहले मर्जर एग्रीमेंट साइन किया। उसके बाद दूसरी रियासतों ने साइन किया था।‘ ‘मिकी मियां नवाब होने के नाते हुकूमत पर सियासत करते थे लेकिन आजम गरीबों की सियासत करते थे। गरीब तबके के साथ बैठ-उठकर आजम ने ये अमीरी और गरीबी के बीच एक लकीर खींची, जिसने उन्हें मुसलमानों का बड़ा नेता बना दिया। धीरे-धीरे वो राजनीति में आगे बढ़े और नवाब पीछे होते गए।‘ आजम-अब्दुल्ला के चुनाव लड़ने पर बैन, नवाब परिवार फायदे में
आजम की पॉलिटिक्स पर करीब से नजर रखने वाले सीनियर जर्नलिस्ट विवेक गुप्ता कहते हैं, ‘1980 से 2017 तक आजम 9 बार विधायक और 2 बार सांसद बने। उनका क्रेज इस कदर बढ़ा कि लोग रामपुर को रामपुरी चाकू से नहीं बल्कि आजम खान के नाम से जानने लगे थे। फिर 2017 में सपा सरकार गिरने के बाद आजम पर शिकंजा कसने लगा।’ ‘2022 में उन्होंने विधानसभा चुनाव जीता लेकिन इसी साल उन्हें भड़काऊ भाषण देने के मामले में सजा हो गई। अब वो 2028 तक कोई चुनाव नहीं लड़ सकते। कुछ ऐसा ही हाल आजम के बेटे अब्दुल्ला का भी है। 2023 में अब्दुल्ला की विधायकी चली गई। वो स्वार सीट से विधायक थे। वो भी 2029 तक चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। लिहाजा आजम फैमिली के दोनों मजबूत चेहरे इस वक्त सियासी तौर पर कमजोर हैं। इसका फायदा 2027 विधानसभा चुनाव में नवाब परिवार को मिल सकता है।
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