‘मुसलमानों के पैगंबर मोहम्मद साहब ने कहा है कि बेबस, लाचार और मजलूम की मदद करें। लेकिन, मुसलमानों की नजर में तो सोनिया गांधी, अखिलेश यादव और मायावती ही मजबूर हैं। ऐसे में मुस्लिम नेता क्या लड़ाई लड़ेंगे? पंचायत चुनाव समय पर होंगे। इसकी तैयारी जोर-शोर से चल रही है।’ यह कहना है सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष और प्रदेश सरकार के पंचायतीराज मंत्री ओमप्रकाश राजभर का। दैनिक भास्कर डिजिटल से बातचीत में राजभर ने कहा कि 2027 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी 35 सीटों पर चुनाव की तैयारी कर रही है। अखिलेश यादव 2047 तक मुख्यमंत्री नहीं बन सकते हैं। तब तक वे केवल ट्वीट ही करते रहें। हूबहू पढ़िए उनसे हुई बातचीत… सवाल: गाजीपुर और मऊ में अंसारी परिवार के बिना आप राजनीति कैसे करेंगे?
राजभर: यह सुनी सुनाई बात है। मुख्तार अंसारी अब दुनिया में नहीं हैं। उनके खिलाफ हमारी पार्टी के नेता ने चुनाव लड़ा था। वह केवल 6 हजार वोट से हारा था। देश के जितने बड़े-बड़े पहलवान हैं, वो ओमप्रकाश राजभर के यहां बैठे हैं। जिस कुर्सी पर आप बैठे हैं, उसी पर उन्हें भी बैठाते हैं। सवाल: क्या विधानसभा चुनाव में एनडीए से गठबंधन जारी रहेगा?
राजभर: हम विधानसभा चुनाव में 35 सीट पर तैयारी कर रहे हैं। समाजवादी पार्टी धोखेबाज पार्टी है। कहने को 17 सीटें दी थीं, लेकिन उसके बाद भी अपना प्रत्याशी हमारी सीट पर दे दिया। जाफराबाद हमारे सिंबल से जीता है, लेकिन टोपी और झंडा सपा का लगाकर उनकी रसीद काट रहा। ऐसा धूर्त विधायक कौन यहां मिलेगा? गरीबों को फंसाता है, फर्जी केस में। हम चुनाव का इंतजार कर रहे हैं, उससे दो-दो हाथ करने की तैयारी है। सवाल: सपा तो 2027 में जीत के लिए आश्वस्त है, क्या कहेंगे?
राजभर: अखिलेश यादव 2047 तक ट्वीट कर मजा लें। अभी चुनाव नहीं हुआ है, लेकिन मुख्यमंत्री बन गए हैं, कॉलर टाइट कर लिया है। वह अगले 20 साल सीएम नहीं बनने वाले हैं। सवाल: भाजपा के बिना सहयोगी दल क्या हैं?
राजभर: हम लोग सच कहते हैं, सच के सिवा कुछ नहीं कहते। सच की लड़ाई लड़ते हैं। हम लोग किसी चीज के मोहताज नहीं। हम अपनी पार्टी, अपनी मेहनत और संघर्ष के दम पर हैं। किसी का एहसान नहीं है। उनके नेता गंवार की तरह बयान देते हैं। 2017 में अखिलेश ने कांग्रेस से गठबंधन किया, तो दोनों दल मिलकर केवल 47 सीट जीते थे। 2022 में ओमप्रकाश राजभर से गठबंधन किया तो 47 से 125 पर पहुंचा दिया। अंबेडकरनगर की पांचों सीटें, आजमगढ़ की 10 सीटें जिताने की हैसियत ओमप्रकाश राजभर ही रखता है। बलिया, गाजीपुर, मऊ, बस्ती जिताने की हैसियत रखता है, तो हराने की हैसियत भी रखता है। अखिलेशजी आप अपने पिता के नहीं हुए, अपने चाचा के नहीं हुए, तो आप किसी के क्या हो पाएंगे? ये अखिलेश यादव हैं, उन्हें केवल अपनी बिरादरी से मतलब है, खाली यादव, मियां भाइयों को बरगलाते हैं। सवाल: भाजपा नेता सहयोगी दलों के नेताओं को निशाना क्यों बना रहे?
राजभर: भाजपा के छुटभैया नेता हमारी बढ़ती हुई लोकप्रियता से परेशान हैं। डॉ. संजय निषाद की लोकप्रियता बढ़ रही है। यूपी में निषाद नेता के नाम पर डॉ. संजय निषाद, पटेल में अनुप्रिया पटेल और राजभर में ओमप्रकाश राजभर का नाम आता है। शोले फिल्म में गब्बर सिंह ने कहा था- तेरा क्या होगा कालिया? उसी तरह भाजपा के छुटभैया नेता पूछ रहे हैं कि हमारा क्या होगा संजय भैया? सवाल: बिहार विधानसभा चुनाव में सुभासपा की क्या तैयारी है?
राजभर: हमारी बिहार चुनाव की पूरी तैयारी है। मैंने बीते एक साल में बिहार में 42 सभाएं की हैं। पहले हम लोग 156 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। उसके बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने हमें बुलाकर कहा कि बिहार में आप तैयारी कर रहे हैं। आप जिन सीटों पर लड़ना चाहते हैं, उन पर फोकस ज्यादा करें। गृहमंत्री अमित शाह ने भी यही बात कही। उसके बाद हमने 29 सीटों पर जमीनी स्तर पर तैयारी की। हमने उन सीटों की सूची भी भाजपा नेतृत्व को उपलब्ध करा दी है। आने वाले दिनों में जब चुनाव की तारीख नजदीक आएगी, तो सीटें तय करेंगे। सवाल: बिहार में अखिलेश यादव भी तैयारी कर रहे हैं। तेजस्वी-राहुल गांधी के साथ रैलियां भी कर रहे?
राजभर: जहां जानी राधा रानी, ऊंहा पड़ी पाथर पानी। अखिलेश यादव मध्यप्रदेश में गए थे, वहां भाजपा की सरकार बनाकर आए। अखिलेश ने मध्यप्रदेश में भाषण दिया था कि ‘कांग्रेस को वोट मत देना, चालू पार्टी है हमें धोखा दिया था आपको भी धोखा देगी।’ उत्तराखंड उपचुनाव में गए थे, तो कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने उन्हें भाजपा की B-टीम बताया था। अखिलेश ने उसे चिरकुट तक कह दिया था। मध्यप्रदेश से लौटकर आए तो मुसलमानों के दबाव में कहा कि कांग्रेस भाजपा की B-टीम है। अब अखिलेश उसी B-टीम के रथ पर सवार हैं। अखिलेश चुनाव जीतने नहीं जाते, भाजपा को जिताने जाते हैं। सवाल: पंचायत चुनाव को लेकर सुभासपा की क्या तैयारी है?
राजभर: पंचायत चुनाव की पूरी तैयारी है। सभी 75 जिलों में पार्टी चुनाव लड़ेगी। नेताओं को चुनाव लड़ने के बारे में बोल दिया है। सवाल: यूपी में पंचायत चुनाव कब तक होंगे?
राजभर: पंचायत चुनाव समय पर होगा। वार्डों का पुनर्गठन हो गया है। मतदाता सूची का पुनरीक्षण चल रहा है। हमारी चुनावी तैयारी तेजी से चल रही है। सवाल: आरोप है, पंचायत चुनाव में AI का नाम लेकर मुस्लिम-यादव वोटर्स के नाम काटे जाएंगे?
राजभर: यह आरोप गलत है। हम लोग गांव से आते हैं, ये लोग हवा में बात करते हैं। जो नगर पंचायत बनी, नगर पालिका बनी। उनके आसपास के गांव के मतदाताओं का नाम शहरी और पंचायत चुनाव की मतदाता सूची में दर्ज कर दिया जाता है। सवा करोड़ मतदाता ऐसे हैं, जिनका नाम नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव की सूची में है। उन्हीं मतदाताओं का सत्यापन कराया जा रहा है। जो गलत है, उसका नाम काटा जाएगा। जो सही होगा, वही किया जाएगा। कुछ गलत नहीं होगा। सवाल: आपके पूर्व राष्ट्रीय महासचिव ने आरोप लगाया कि आप मुसलमानों को सबसे ज्यादा गाली देते हैं? राजभर: उनकी हिम्मत नहीं, वह अखिलेश यादव के चेले हैं। अखिलेश ने भेजा था कि सुभासपा को खत्म करो। वो खत्म करने आए थे, अब खुद ही खत्म हो गए। अब बिहार गए हैं, खत्म करने के लिए। अखिलेशजी उससे रात को 11 बजे मिलते हैं। सोचते हैं, ओमप्रकाश राजभर को पता नहीं चलेगा। 11 बजे मिलकर माल देते हैं, कहते हैं बिहार पहुंचकर राजभर को खत्म करो। सवाल: आपको मुस्लिम वोट नहीं चाहिए क्या?
राजभर: मुसलमान मोहम्मद साहब को पैगंबर मानते हैं, तो उनकी ही बात मान लें। मोहम्मद साहब ने कहा था कि बेबस, बेपनाह, लाचार, मजलूम की मदद करो। लेकिन, ये मियां भाई क्या करते हैं? इनकी नजर में सबसे मजलूम सोनिया गांधी, सबसे कमजोर अखिलेश यादव और मायावतीजी हैं। मुसलमानों की नजर में ये सबसे मजलूम हैं, मुस्लिम क्या लड़ाई लड़ेंगे? हम तो मुस्लिम नेताओं को चुनौती देते हैं कि यदि वास्तव में दम है, तो कहो अखिलेश यादव को कि 4 बार यादव सीएम बनाया, दम है तो घोषणा करो कि अगला सीएम मुसलमान का बेटा होगा। कोई मुसलमान नेता मर्द है, अखिलेश से सवाल करने वाला? जब कोई सरकार बनती है, तो इजहार अली जैसे लोग ठेका-पट्टा दिलाने, ट्रांसफर के लिए जुड़ते हैं। लेकिन, जब उनके काम नहीं होते हैं तो लौटकर चले जाते हैं। ——————————– ये खबर भी पढ़ें… यूपी में सबसे ज्यादा कानपुर वाले देते हैं गाली, टॉप 10 शहरों में लखनऊ और प्रयागराज यूपी में गाली कितनी आम है। किसी बात पर गुस्सा निकालना है तो गाली और फेमस होना है तो गाली…। रिसर्च भी यही कहती है कि रोजमर्रा की जिंदगी में लोग गाली का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं। 11 साल तक चले सर्वे में यह निकलकर आया है कि यूपी में गंदी–गंदी गालियां चौथी क्लास के बच्चे भी दे रहे हैं। गाली देने में कौन सा राज्य सबसे आगे? क्या है गाली देने की वजह? यूपी में कितने प्रतिशत लोग देते हैं गाली? यूपी के टॉप 5 जिले कौन से हैं, जहां ज्यादा गाली दी जाती है? किस शहर में दी जाती है सबसे ज्यादा गाली? कब हुई थी गाली की शुरुआत? गाली देने पर क्या है कानून? पढ़िए पूरी खबर…
राजभर: यह सुनी सुनाई बात है। मुख्तार अंसारी अब दुनिया में नहीं हैं। उनके खिलाफ हमारी पार्टी के नेता ने चुनाव लड़ा था। वह केवल 6 हजार वोट से हारा था। देश के जितने बड़े-बड़े पहलवान हैं, वो ओमप्रकाश राजभर के यहां बैठे हैं। जिस कुर्सी पर आप बैठे हैं, उसी पर उन्हें भी बैठाते हैं। सवाल: क्या विधानसभा चुनाव में एनडीए से गठबंधन जारी रहेगा?
राजभर: हम विधानसभा चुनाव में 35 सीट पर तैयारी कर रहे हैं। समाजवादी पार्टी धोखेबाज पार्टी है। कहने को 17 सीटें दी थीं, लेकिन उसके बाद भी अपना प्रत्याशी हमारी सीट पर दे दिया। जाफराबाद हमारे सिंबल से जीता है, लेकिन टोपी और झंडा सपा का लगाकर उनकी रसीद काट रहा। ऐसा धूर्त विधायक कौन यहां मिलेगा? गरीबों को फंसाता है, फर्जी केस में। हम चुनाव का इंतजार कर रहे हैं, उससे दो-दो हाथ करने की तैयारी है। सवाल: सपा तो 2027 में जीत के लिए आश्वस्त है, क्या कहेंगे?
राजभर: अखिलेश यादव 2047 तक ट्वीट कर मजा लें। अभी चुनाव नहीं हुआ है, लेकिन मुख्यमंत्री बन गए हैं, कॉलर टाइट कर लिया है। वह अगले 20 साल सीएम नहीं बनने वाले हैं। सवाल: भाजपा के बिना सहयोगी दल क्या हैं?
राजभर: हम लोग सच कहते हैं, सच के सिवा कुछ नहीं कहते। सच की लड़ाई लड़ते हैं। हम लोग किसी चीज के मोहताज नहीं। हम अपनी पार्टी, अपनी मेहनत और संघर्ष के दम पर हैं। किसी का एहसान नहीं है। उनके नेता गंवार की तरह बयान देते हैं। 2017 में अखिलेश ने कांग्रेस से गठबंधन किया, तो दोनों दल मिलकर केवल 47 सीट जीते थे। 2022 में ओमप्रकाश राजभर से गठबंधन किया तो 47 से 125 पर पहुंचा दिया। अंबेडकरनगर की पांचों सीटें, आजमगढ़ की 10 सीटें जिताने की हैसियत ओमप्रकाश राजभर ही रखता है। बलिया, गाजीपुर, मऊ, बस्ती जिताने की हैसियत रखता है, तो हराने की हैसियत भी रखता है। अखिलेशजी आप अपने पिता के नहीं हुए, अपने चाचा के नहीं हुए, तो आप किसी के क्या हो पाएंगे? ये अखिलेश यादव हैं, उन्हें केवल अपनी बिरादरी से मतलब है, खाली यादव, मियां भाइयों को बरगलाते हैं। सवाल: भाजपा नेता सहयोगी दलों के नेताओं को निशाना क्यों बना रहे?
राजभर: भाजपा के छुटभैया नेता हमारी बढ़ती हुई लोकप्रियता से परेशान हैं। डॉ. संजय निषाद की लोकप्रियता बढ़ रही है। यूपी में निषाद नेता के नाम पर डॉ. संजय निषाद, पटेल में अनुप्रिया पटेल और राजभर में ओमप्रकाश राजभर का नाम आता है। शोले फिल्म में गब्बर सिंह ने कहा था- तेरा क्या होगा कालिया? उसी तरह भाजपा के छुटभैया नेता पूछ रहे हैं कि हमारा क्या होगा संजय भैया? सवाल: बिहार विधानसभा चुनाव में सुभासपा की क्या तैयारी है?
राजभर: हमारी बिहार चुनाव की पूरी तैयारी है। मैंने बीते एक साल में बिहार में 42 सभाएं की हैं। पहले हम लोग 156 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। उसके बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने हमें बुलाकर कहा कि बिहार में आप तैयारी कर रहे हैं। आप जिन सीटों पर लड़ना चाहते हैं, उन पर फोकस ज्यादा करें। गृहमंत्री अमित शाह ने भी यही बात कही। उसके बाद हमने 29 सीटों पर जमीनी स्तर पर तैयारी की। हमने उन सीटों की सूची भी भाजपा नेतृत्व को उपलब्ध करा दी है। आने वाले दिनों में जब चुनाव की तारीख नजदीक आएगी, तो सीटें तय करेंगे। सवाल: बिहार में अखिलेश यादव भी तैयारी कर रहे हैं। तेजस्वी-राहुल गांधी के साथ रैलियां भी कर रहे?
राजभर: जहां जानी राधा रानी, ऊंहा पड़ी पाथर पानी। अखिलेश यादव मध्यप्रदेश में गए थे, वहां भाजपा की सरकार बनाकर आए। अखिलेश ने मध्यप्रदेश में भाषण दिया था कि ‘कांग्रेस को वोट मत देना, चालू पार्टी है हमें धोखा दिया था आपको भी धोखा देगी।’ उत्तराखंड उपचुनाव में गए थे, तो कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने उन्हें भाजपा की B-टीम बताया था। अखिलेश ने उसे चिरकुट तक कह दिया था। मध्यप्रदेश से लौटकर आए तो मुसलमानों के दबाव में कहा कि कांग्रेस भाजपा की B-टीम है। अब अखिलेश उसी B-टीम के रथ पर सवार हैं। अखिलेश चुनाव जीतने नहीं जाते, भाजपा को जिताने जाते हैं। सवाल: पंचायत चुनाव को लेकर सुभासपा की क्या तैयारी है?
राजभर: पंचायत चुनाव की पूरी तैयारी है। सभी 75 जिलों में पार्टी चुनाव लड़ेगी। नेताओं को चुनाव लड़ने के बारे में बोल दिया है। सवाल: यूपी में पंचायत चुनाव कब तक होंगे?
राजभर: पंचायत चुनाव समय पर होगा। वार्डों का पुनर्गठन हो गया है। मतदाता सूची का पुनरीक्षण चल रहा है। हमारी चुनावी तैयारी तेजी से चल रही है। सवाल: आरोप है, पंचायत चुनाव में AI का नाम लेकर मुस्लिम-यादव वोटर्स के नाम काटे जाएंगे?
राजभर: यह आरोप गलत है। हम लोग गांव से आते हैं, ये लोग हवा में बात करते हैं। जो नगर पंचायत बनी, नगर पालिका बनी। उनके आसपास के गांव के मतदाताओं का नाम शहरी और पंचायत चुनाव की मतदाता सूची में दर्ज कर दिया जाता है। सवा करोड़ मतदाता ऐसे हैं, जिनका नाम नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव की सूची में है। उन्हीं मतदाताओं का सत्यापन कराया जा रहा है। जो गलत है, उसका नाम काटा जाएगा। जो सही होगा, वही किया जाएगा। कुछ गलत नहीं होगा। सवाल: आपके पूर्व राष्ट्रीय महासचिव ने आरोप लगाया कि आप मुसलमानों को सबसे ज्यादा गाली देते हैं? राजभर: उनकी हिम्मत नहीं, वह अखिलेश यादव के चेले हैं। अखिलेश ने भेजा था कि सुभासपा को खत्म करो। वो खत्म करने आए थे, अब खुद ही खत्म हो गए। अब बिहार गए हैं, खत्म करने के लिए। अखिलेशजी उससे रात को 11 बजे मिलते हैं। सोचते हैं, ओमप्रकाश राजभर को पता नहीं चलेगा। 11 बजे मिलकर माल देते हैं, कहते हैं बिहार पहुंचकर राजभर को खत्म करो। सवाल: आपको मुस्लिम वोट नहीं चाहिए क्या?
राजभर: मुसलमान मोहम्मद साहब को पैगंबर मानते हैं, तो उनकी ही बात मान लें। मोहम्मद साहब ने कहा था कि बेबस, बेपनाह, लाचार, मजलूम की मदद करो। लेकिन, ये मियां भाई क्या करते हैं? इनकी नजर में सबसे मजलूम सोनिया गांधी, सबसे कमजोर अखिलेश यादव और मायावतीजी हैं। मुसलमानों की नजर में ये सबसे मजलूम हैं, मुस्लिम क्या लड़ाई लड़ेंगे? हम तो मुस्लिम नेताओं को चुनौती देते हैं कि यदि वास्तव में दम है, तो कहो अखिलेश यादव को कि 4 बार यादव सीएम बनाया, दम है तो घोषणा करो कि अगला सीएम मुसलमान का बेटा होगा। कोई मुसलमान नेता मर्द है, अखिलेश से सवाल करने वाला? जब कोई सरकार बनती है, तो इजहार अली जैसे लोग ठेका-पट्टा दिलाने, ट्रांसफर के लिए जुड़ते हैं। लेकिन, जब उनके काम नहीं होते हैं तो लौटकर चले जाते हैं। ——————————– ये खबर भी पढ़ें… यूपी में सबसे ज्यादा कानपुर वाले देते हैं गाली, टॉप 10 शहरों में लखनऊ और प्रयागराज यूपी में गाली कितनी आम है। किसी बात पर गुस्सा निकालना है तो गाली और फेमस होना है तो गाली…। रिसर्च भी यही कहती है कि रोजमर्रा की जिंदगी में लोग गाली का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं। 11 साल तक चले सर्वे में यह निकलकर आया है कि यूपी में गंदी–गंदी गालियां चौथी क्लास के बच्चे भी दे रहे हैं। गाली देने में कौन सा राज्य सबसे आगे? क्या है गाली देने की वजह? यूपी में कितने प्रतिशत लोग देते हैं गाली? यूपी के टॉप 5 जिले कौन से हैं, जहां ज्यादा गाली दी जाती है? किस शहर में दी जाती है सबसे ज्यादा गाली? कब हुई थी गाली की शुरुआत? गाली देने पर क्या है कानून? पढ़िए पूरी खबर…