कानपुर के गौतमबुद्ध पार्क में ‘शिवालय’ पर दलित पॉलिटिक्स:मायावती नाराज, लिखा- यूपी में नफरत फैलेगी; चंद्रशेखर ने योगी को लेटर भेजा

यूपी में कानपुर एक बार फिर सुर्खियों में है। इस दफा सियासत की वजह से नहीं, बल्कि गौतम बुद्ध पार्क की वजह से। क्योंकि, इस पार्क का अस्तित्व खत्म होने जा रहा है। अब यहां प्रयागराज के शिवालय पार्क की तर्ज पर 12 ज्योर्तिलिंगो के स्वरूप स्थापित करने की तैयारी है। ये टूरिस्ट प्लेस डेवलप करने के लिए कानपुर निगम निगम सर्वे पूरा कर चुका है, जल्द यहां कंस्ट्रक्शन शुरू हो जाएंगे। यूं तो ये प्रोजेक्ट सिर्फ 15 करोड़ का है, मगर इसकी खिलाफत मायावती और चंद्रशेखर कर रहे हैं। उनका कहना है- गौतम बुद्ध पार्क को हटाना ठीक नहीं होगा। अगर ऐसा हुआ तो यूपी में अशांति फैल सकती है। क्या वाकई में सिर्फ एक पार्क हटाने से यूपी में अशांति हो सकती है? कानपुर में बौद्ध पार्क को हटाने की जरूरत क्यों पड़ी? शिवालय पार्क का बेसिक कान्सेप्ट क्या है? ये जानने के लिए दैनिक भास्कर गौतम बौद्ध पार्क पहुंचे। पढ़िए रिपोर्ट… पहले पार्क का माहौल जानिए जगह-जगह टूटफूट, झील सूख गई, बोट गायब
ये पार्क कल्याणपुर के इंद्रानगर में बना हुआ है। पार्क पहुंचने के बाद देखा कि यहां मुख्य गेट लाल पत्थरों की मदद से तैयार किया गया है। एक बोर्ड भी लगा है, जिस पर इस पार्क को कब बनाया गया, कितनी लागत थी, इसका जिक्र है। इसको पढ़कर समझ आया कि मायावती की सरकार में 8 सिंतबर, 1997 को गौतमबुद्ध पार्क का निर्माण कराया गया था। करीब 15 एकड़ जमीन पर यह पार्क फैला हुआ है। मगर गेट के लाल पत्थर अब टूट चुके हैं। इनकी मरम्मत नहीं करवाई गई थी। अंदर एक वक्त पर हरे भरे घास के मैदान में झूले और बोटिंग की सुविधा रही होगी। मगर अब झील सूख चुकी थी। इसमें बोट भी नजर नहीं आ रही थीं। झूले लगे थे, मगर अब पूरी तरह से जंग खा चुकी है। पार्क के कुछ हिस्सों की झाड़ियां बड़ी हो गईं थीं, देखकर लगा कि लंबे समय से कटाई-छंटाई नहीं हुई होगी। यहां जिन लोगों से मुलाकात हुई, उनके मुताबिक कल्याणपुर के करीब 200-250 लोग हर रोज यहां सुबह टहलने आते हैं। बाहर सुबह के वक्त जूस वगैरह की दुकान सजती है। 1995 में यहां ग्रीन बेल्ट, बीच में बारातघर था
इस पार्क को लेकर लोगों ने बताया- BJP विधायक प्रेमलता कटियार ने 1995 को यहां ग्रीन बेल्ट बनवाई थी। इस लैंड पर एक बारातघर भी तैयार कराया गया था। मगर जब मायावती की सरकार बनी, तो उन्होंने इसको तोड़कर गौतमबुद्ध पार्क बनवाया था। जुलाई, 2025 में कानपुर नगर निगम की टीम ने गौतमबुद्ध पार्क और उसके आसपास की जमीनों का दौरा किया। प्रयागराज की तर्ज पर यहां के शिवालय पार्क बनाने का प्रोजेक्ट फाइनल किया गया। इस ब्लू प्रिंट पर जमीन पर काम शुरू नहीं हुआ है। मगर यूपी में इस पर सियासत शुरू हो चुकी है। अब प्रयागराज के शिवालय पार्क के कुछ दृश्य देखिए… अब पार्क में टहलने आने वाले लोगों की बात पार्क के पीछे गंदा पानी भरा रहता है…
अब हमने पार्क में टहलने आए लोगों से बात शुरू की। सबसे पहले पार्क के गार्ड से पूछा- यहां कितने लोग टहलने आते हैं? गार्ड राकेश यादव कहते हैं- यहां पर रोजाना करीब 200-250 लोग टहलने के लिए सुबह और शाम को आते हैं। पीछे की तरफ एक नाला बहता है। इस कारण पीछे की तरफ हमेशा पानी भरा रहता है। इस पार्क से बहुत से लोगों का जुड़ाव है, सोचिए जो यहां रोज आता है, अचानक यहां कोई टूरिस्ट प्लेस बन जाएगा, तो वह व्यक्ति कहां जाएगा। उसको थोड़ा दुख तो होगा ही। बेकार पड़ी किसी दूसरी जमीन पर बनना चाहिए ‘शिवालय’
टहलने आए अंश कुमार कहते हैं- पार्क के आसपास जो बेकार जमीन पड़ी है, उसमें शिवालय बनना चाहिए। इस पार्क का काफी समय से कोई सुंदरीकरण नहीं हुआ है। 2006 से यहां पर कुछ भी नहीं हुआ है और न ही यहां कोई सुविधाएं हैं, जो होनी चाहिए। ऐसा तब है, जब यहां आने वाले लोग ठीक-ठाक है। आप पूरे कानपुर में पूछ लीजिए। सब लोग इस पार्क के बारे में बता देंगे। फिर भी इस पार्क का स्वरूप क्यों बदला जा रहा है? ये समझ से परे है। अब गौतमबुद्ध पार्क पर हो रही सियासत जानिए चंद्रशेखर ने कहा- ये बाबा साहेब, भगवान बुद्ध से जुड़ा प्रतीकात्मक स्थल वेस्ट यूपी की नगीना सीट से सांसद चंद्रशेखर ने इस मुद्दे पर 31 अगस्त, 2025 को CM योगी आदित्यनाथ को लेटर लिखा– नगर निगम कानपुर गौतमबुद्ध पार्क को शिवालय पार्क में बदलना चाहता है। ये जगह शहर के सबसे बड़े पार्क में शामिल है। गौतम बुद्धा पार्क केवल हरित क्षेत्र नहीं है, बल्कि बाबा साहेब और भगवान गौतम बुद्ध की करुणा, समानता और बंधुत्व के विचारों से जुड़ा हुआ प्रतीकात्मक स्थल है। इसे किसी विशेष धर्म-सम्प्रदाय के स्वरूप में परिवर्तित करना बहुजन समाज की भावनाओं को आहत करेगा। संविधान की भावना भी यही है कि सार्वजनिक स्थल किसी विशेष धार्मिक रूप में परिवर्तित न किए जाए। हम सब धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं, मगर यह अत्यावश्यक है कि गौतम बुद्धा पार्क का मूल स्वरूप सुरक्षित रखा जाए। नए प्रोजेक्ट कहीं और बनाए जाएं। 1. गौतम बुद्ध पार्क को शिवालय पार्क में परिवर्तित करने की योजना पर रोक लगाई जाए। 2. पार्क का मौजूदा स्वरूप सुरक्षित रखा जाए। इसे बुद्ध-आंबेडकर सांस्कृतिक पार्क के रूप में और विकसित किया जाए। 3. अगर धार्मिक पर्यटन के लिए शिवालय पार्क विकसित करना है, तो इसके लिए किसी अन्य स्थान का चयन किया जाए। पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने X हैंडल पर लिखा- BJP सरकार इसको रोके, नहीं तो अशांति फैलेगी
भारत के संविधान के अनुसार भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, जहां पर अलग-अलग धर्मों और जातियों के लोग रहते हैं। हर धर्म के लोगों के अपने-अपने पूजास्थल हैं, इसके तहत ही कानपुर नगर में बुद्ध पार्क स्थित है, जो यहां बौद्ध धर्म और अम्बेडकर अनुयायियों के आस्था का केंद्र है। मगर BJP सरकार द्वारा इस बौद्ध पार्क में दूसरे धर्म के पूजा स्थल का निर्माण प्रस्तावित है, यह उचित नहीं है। BJP सरकार इसे तत्काल रोके, वरना यहां लोगों के बीच अशांति और घृणा फैल सकती है। नगर आयुक्त का व्यू अधिकारी बोले- पार्क नहीं, उसके पीछे की जमीन ले रहे
नगर आयुक्त सुधीर कुमार ने कहा- पार्क और पर्यटन स्थल के डेवलपमेंट को लेकर हम लोगों ने गौतमबुद्ध पार्क के पीछे की जमीन को चिह्नित किया है। पार्क के साथ कोई छेड़खानी नहीं की जा रही है। उन्होंने कहा- ये पूरा पार्क करीब 15 एकड़ में फैला हुआ है। इसके पीछे की तरफ भी लगभग इतनी ही जमीन पड़ी है, जहां पर पूरा जंगल है और अमूमन सालभर जलभराव रहता है। इस कारण इस जमीन पर शिवालय बनाने के लिए कहा गया था। हालांकि, कोई फाइनल प्रोजेक्ट नहीं है, अभी विचार ही चल रहा है। …………..
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