काशी के 50 हजार परिवार बाढ़ में घिरे:गंगा का पानी मोहल्लों में घुसा, नाले उफनाए; लोग बोले- किराए पर कमरा लेने को मजबूर

हर साल हम लोगों को अपने घर से दूर मां गंगा रहने के लिए मजबूर कर देती है। अब घर का सभी समान लेकर दूसरे जगह जा रहे हैं। परिवार को राहत शिविर में नहीं रख सकते हैं इसलिए रूम लेकर कुछ दिनों तक रहेंगे। जब मां गंगा का जलस्तर घटेगा तब फिर वापस आएंगे। ये दर्द है काशी में गंगा किनारे में रहने वाले लोगों का है। गंगा का पानी 20 हजार घरों तक पहुंच चुका है, जबकि वरुणा का पानी 30 हजार घरों तक पहुंच चुका है। ऐसे में लोग सुरक्षित जगह जाने की तैयारी कर रहे हैं। आने वाले दिनों में कैसी दिक्कतें बढ़ेंगी? लोगों को कैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है? इन सवालों के साथ दैनिक भास्कर टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची। पढ़िए रिपोर्ट… 3 तस्वीरें देखिए… पहले नगवां क्षेत्र की स्थिति सबसे पहले टीम गंगा के बाढ़ से प्रभावित नगवा क्षेत्र पहुंची। यहां के रामेश्वर मठ में बाढ़ का पानी घुस गया था। जहां से बटुकों और साधु संतों को नाव से निकाला जा रहा था। यहां शंकराचार्य की गाड़ी भी पूरी तरह से डूब गई थी। नाले का पानी भी घरों में पहुंच गया। इससे काफी बदबू हो रही है। बीमारी का भी खतरा है। नगवा नाला से पानी घुसने के कारण रामेश्वर मठ के पीछे से लेकर भागवत स्कूल की गली में 6 परिवार फंस गए। उन्हें प्रशासन ने राहत शिविर में पहुंचाया। वहीं गंगा का जलस्तर बढ़ने से हरिजन बस्ती, सोनकर बस्ती में पानी प्रवेश कर रहा है। यहां से रहने वाले लोग अपना सामान समेट रहे हैं। और घर को छोड़कर जाने की तैयारी कर रहे हैं। संगम पुरी कॉलोनी के मुख्य मार्ग में पानी आ गया है। महामृत्युंजय मंदिर के ऊपर तक पानी चढ़ गया है। 6 मोटर पंप लगाकर चैनल से निकाला जा रहा पानी ज्ञान प्रवाह नाला से पानी चैनल गेट लगने के कारण भीतर नहीं घुस पा रहा है। कॉलोनी की तरफ से आने वाले पानी को निकालने के लिए सिंचाई विभाग ने 6 मोटर पंप लगाया है। जबकि अपना घर आश्रम मदरवां सामनेघाट के पास तक पानी आ गया है। यहां चलने-फिरने में अशक्त करीब 114 लोगों को हटाया गया है। अब पढ़िए बाढ़ में फंसे लोगों ने क्या कहा… नगवार के बाद टीम गंगोत्री विहार कॉलोनी पहुंची। यहां 70 साल बुजुर्ग राम किशन अपने नाती को ठेले पर बैठाकर घर का सामान लेकर जा रहे थे। उन्होंने बताया- बाढ़ राहत कैंप में नहीं रह सकते हैं। घर परिवार है। किराए पर मकान ले लिया है। 2 से 3 महीने अब वही रहेंगे। जब गंगा का पानी पूरी तरह से घट जाएगा फिर मकान के सिल्ट को साफ करके रहेंगे। पूरे मोहल्ले में करीब 5000 लोग हैं जो कि घर छोड़ने को मजबूर हैं। पशुपालकों की बढ़ी है समस्या जब टीम विश्व सुंदरी पुल के पास पहुंची तो देखा के नीचे पानी आ गया है। रमना इलाके में पानी धीरे-धीरे घुसने लगा है। गंगा के तटवर्ती इलाके में लगाए गए सब्जी की फसल पानी में डूबने लगे हैं। पशुपालकों के लिए भी समस्या हो गई है। सामने घाट इलाके में भी लोग सामान समेटने लगे हैं। राजस्व विभाग की ओर से बाढ़ वाले इलाकों में निरीक्षण किया जा रहा है। अस्सी घाट के सड़क तक आया पानी, दुकान करना पड़ रहा खाली अस्सी घाट के किनारे के दुकानों में पानी भर गया है। अब वहां भी दुकानदार अपनी दुकानों को खाली करने लगे हैं। दुकानदार अभय ने बताया- अब सभी सामान को अपने घर ले जा रहे हैं। हम लोग रोज कमाने खाने वाले लोग हैं लेकिन अब घर की जीविका चलानी काफी मुश्किल हो जाएगी। हमारे साथ-साथ लगभग डेढ़ सौ से अधिक दुकानदार ऐसे हैं जो अपनी दुकानों को बंद करने जा रहे हैं या फिर उसके स्थान को बदलेंगे। आइए अब जानते हैं वरुणा की स्थिति वरुणा नदी के बाढ़ से करीब 30 हजार परिवार प्रभावित हो गए हैं। ​​​​​​पुलकोहना, सरैया, कोनिया, नक्खी घाट, विजयईपुरा, शैलपुत्री, तालीमनगर जैसे निचले इलाकों में पानी गलियों और घरों की ओर पहुंच गया है। लोग फिर से विस्थापन होने को मजबूर हो गए हैं। तटवर्ती इलाकों में रहने वालों के घरों के पास जलभराव शुरू हो चुका है और कई जगहों पर सीवर का गंदा पानी भर गया है। कोनिया में नदी किनारे खेती करने वाले सुरेश राजभर, अजय राजभर, वाल्मीकि, बसंत और सोमारू ने बताया कि यदि बाढ़ का पानी इसी तरह बढ़ता रहा तो आने वाले कुछ दिनों में उनकी खेती पूरी तरह से डूब जाएगी। कालोनी से सड़क तक आने का नाव ही सहारा नक्खी घाट पुलपार मुस्लिम बस्ती के अंतिम छोर पर प्रशासन ने 2 नाव लगा दिए हैं। जहां बहुत से लोगों की भीड़ लगी थी। जो अपने-अपने काम को निकल रहे थे। नाविकों ने बताया- हम सभी यहां रात 10 बजे तक रहते हैं। सभी के पास हम लोगों का नंबर है अगर कोई इमरजेंसी होती है तो हम रात में भी पहुंच जाते हैं। कॉलोनी में चलने वाले नाव पर हमारी मुलाकात अहमद से हुई। अहमद ने बताया- इस कॉलोनी में कुल 300 मकान है। जो पूरी तरह से पानी में डूब गया है। इस कॉलोनी से निकलने के लिए सिर्फ नाव ही सहारा है। जब हमें जरूरत होती है तो हम नाव वालों को बुलाते हैं और फिर सड़क तक पहुंचाते हैं। उन्होंने बताया कि मुश्किलें काफी ज्यादा हो गई है यदि घर में कोई बीमार हो जाता है तो उसे अस्पताल ले जाने में भी काफी दिक्कत होती है। उनका कहना है कि सरकार से उम्मीद है कि हमें पर्याप्त राशन मिले जिससे हम लोगों को थोड़ी राहत मिले। उन्होंने बताया- जब बच्चों को स्कूल जाना होता है तो सुबह इसी नाव से जाते हैं और फिर इसी नाव से घर वापस आते हैं। उन्होंने सरकार से अपील की है कि ऐसी व्यवस्था की जाए जिससे उनका घर पानी में ना डूबे। अब जानते हैं प्रशासन का क्या कहना है…
जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने कहा- जिला प्रशासन की तरफ से बाढ़ राहत के लिए कंट्रोल रूम खोला है। जो 24 घंटे एक्टिव मोड में है। बाढ़ में फंसे या खाद्य सामग्री नहीं है तो कंट्रोल रूम से जुड़े 0542-2508550, 2504170, 9140037137 नंबरों पर कॉल करके मदद मांग सकते हैं। जिलाधिकारी ने नगर निगम के अधिकारियों को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों, राहत शिविरों और आसपास के इलाकों में समुचित साफ-सफाई, एंटी-लार्वा छिड़काव, फॉगिंग और चूने का छिड़काव सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। बाढ़ प्रभावित इलाकों को DM और पुलिस कमिश्नर ने दौरा किया वाराणसी में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर चुका है। सुबह 6 बजे गंगा का जलस्तर 71.4 मीटर रिकॉर्ड किया गया, जबकि यहां खतरे का निशान 71.2 मीटर है। ऐसे में गंगा खतरे से 20 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। डीएम सत्येंद्र कुमार और पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने शनिवार को वरुणा के बाढ़ प्रभावित इलाकों का निरीक्षण किया। DM ने कहा- गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में हम लोगों ने बाढ़ ग्रसित शहरी क्षेत्र के 12 वार्ड का निरीक्षण किया है। यहां जलस्तर बहुत तेजी से बढ़ा है। 1200 परिवारों को 16 राहत शिविरों में शिफ्ट किया गया है। सभी प्रकार की सुविधा सुनिश्चित की जा रही है। उन्होंने बताया- बहुत सारे लोग अभी राहत शिविर की जगह छतों पर रह रहे हैं। जिन तक राहत सामग्री भिजवाई जा रही है। 1978 का रिकॉर्ड टूटने की आशंका
गंगा नदी का जलस्तर अब डराने लगा है। पहाड़ों पर हो रही लगातार बारिश के कारण गंगा और वरुणा नदियों में पानी का स्तर तेजी से बढ़ने की आशंका है। स्थानीय लोग आशंका व्यक्त कर रहे हैं कि आने वाले दो चार दिन तक अगर यही हालात रहे हो जलस्तर खतरे के निशान को भी पार कर सकता है। यह स्थिति 1978 के रिकॉर्ड जलस्तर 73.901 मीटर के करीब होगी। ———————–
ये खबर भी पढ़िए… मोदी ने जिस दालमंडी प्रोजेक्ट को लॉन्च किया, उसे जानिए; बाबा विश्वनाथ पहुंचने का तीसरा रूट डेवलप हो रहा, काशी की मॉडल रोड होगी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वाराणसी में दालमंडी प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी। दालमंडी प्रोजेक्ट में काशी विश्वनाथ के गेट नंबर 4 तक पहुंचने वाली एक सड़क को चौड़ा किया जाएगा। वाराणसी की मॉडल रोड की तरह विकसित करने का प्लान है। पढ़िए पूरी खबर