सपा नेता आजम खान को जेल बदले जाने पर एनकाउंटर का डर सता रहा था। उसका खुलासा उन्होंने खुद किया। उन्होंने बताया कि एक रात करीब साढ़े तीन बजे उन्हें सोते से उठाया गया। उनके और बेटे अब्दुल्ला के लिए अलग-अलग गाड़ियां लाई गईं। मैं जेल में सुनता था कि बाहर एनकाउंटर हो रहे हैं। मैंने अब्दुल्ला को गले लगाया। कहा- बेटे, जिंदगी रही तो मिलेंगे, नहीं रही तो ऊपर मिलेंगे। मुझे यकीन नहीं था कि हम दोबारा मिल पाएंगे। दरअसल, अक्टूबर 2023 में आजम और उनके बेटे की अचानक जेल बदल दी गई थी। रामपुर से आजम को सीतापुर और अब्दुल्लाह को हरदोई भेजा गया था। आजम ने कहा- जेल असल में फांसीघर जैसी थी। मैं 23 महीने बेटे अब्दुल्ला के साथ एक कोठरी में रहा। वहां खिड़की तक नहीं थी। रातभर लाठी लेकर सांप-बिच्छुओं से खुद को बचाता था। मेरी बीवी जेल में गिरीं, उनकी हंसली टूट गई। इलाज भी वहीं हुआ। उन्हें भी चोरी और लूट के मुकदमों में फंसाया गया। आजम खान ने यह बातें कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल से एक इंटरव्यू में कहीं। उन्होंने अंत में शायरी सुनाई..इस दिल के टुकड़े हजार हुए, कोई यहां गिरा, कोई वहां गिरा। इमरजेंसी में मुझे काल कोठरी में रखा गया
इमरजेंसी के दौर को भी याद किया। कहा- मुझे देशद्रोह के केस में जेल में डाल दिया गया था। तब मैं एलएलएम फाइनल सेमेस्टर का छात्र था। जेल के बेसमेंट की काल कोठरी में रखा गया, जहां सुंदर डाकू भी बंद था। नाश्ते में इतने सख्त चने मिलते थे कि दाढ़ का दांत टूट गया। 1- मैं और अब्दुल्ला एक छोटी सी कोठरी में रखे गए
मुझे, मेरी पत्नी तंजीन और बेटे अब्दुल्ला को 2017 में गिरफ्तार किया गया। मैं और अब्दुल्ला दोनों एक छोटी सी कोठरी में रखे गए। बीवी को महिलाओं के बैरक में भेज दिया गया। हालांकि हम तीनों एक ही जेल में थे, तो थोड़ा इत्मीनान (संतोष) था कि महफूज हैं। मगर सरकार ने तय किया कि अगर हम तीनों एक जगह रहेंगे, तो मिलते रहेंगे। इसलिए फैसला लिया गया कि हमें अलग-अलग जेलों में भेजा जाए। मेरी बीवी को उसी जेल में रखा गया। मुझे और अब्दुल्ला को दूसरे जेल में शिफ्ट कर दिया गया। 2- बेटे को जिंदा देखा, तब सुकून मिला
रात करीब 3:30 बजे मुझे सोते से उठाया गया। मेरे लिए अलग गाड़ी थी, अब्दुल्ला के लिए बड़ी गाड़ी। मैंने अधिकारियों से कहा- बेटे को साथ भेजिए, अलग क्यों ले जा रहे हैं। उन्होंने कहा- आपकी और इनकी अलग जेलें हैं, रास्ते में या पहुंचकर पता चल जाएगा। उस वक्त दिल में अजीब सी घबराहट थी। जब तक यह नहीं पता चला कि अब्दुल्ला जिंदा है, तब तक वो रात और अगला दिन बहुत भारी गुजरा। 3- गुनाह सिर्फ इतना कि मैंने रिक्शावालों के बच्चों को डॉक्टर बनाना चाहा रेड के वक्त मेरे घर में दो-दो फीट पानी भरा था, बिजली नहीं थी। अधिकारी नोट गिनने की मशीनें, सुनार और पैरामिलिट्री लेकर आए। मेरे पास सिर्फ ₹500 थे, बेटे अब्दुल्ला के पास ₹11,000 और बीवी के पास 100 ग्राम सोना। फिर भी हमें चोर कहा गया। मैंने बीड़ी बनाने वालों और रिक्शा चलाने वालों के बच्चों को इंजीनियर-डॉक्टर बनाना चाहा..यही मेरा गुनाह है। जोहर यूनिवर्सिटी के पीछे सर सैयद अहमद खां की सोच थी। मैंने भी वही सपना पूरा करने की कोशिश की। सर सैयद को ‘सर’ का खिताब मिला, मुझे नारा मिला…जो आजम का सर लाएगा, वही रामभक्त कहलाएगा। 4- मैं मंत्री था, इसलिए सियासत ने मुझे अपराधी बना दिया
मैं मंत्री था, इसलिए सियासत ने मुझे अपराधी बना दिया। अब राजनीति वोट मांगने की नहीं, वोट छीनने की हो गई है। मेरे रिश्तेदारों, सहयोगियों, यहां तक कि बूढ़ी मां और बहन पर भी मुकदमे कर दिए गए। मेरा शादीघर उजाड़ दिया गया। पुलिस हर बार शादी में पहुंचती और कहती..तिजोरी चोरी हुई है। बाराती डरकर भाग जाते थे। अब अदालत ही एकमात्र रक्षक है। अगर अदालतें न बचीं तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा। मेरा दामन बेदाग है, लेकिन गुनाह यही है कि मैंने अपने लोगों को पढ़ाने और खड़ा करने की कोशिश की। 5- 94 मुकदमों में बेल, लेकिन हर बार नई धाराएं जोड़ दी जाती हैं
मेरे खिलाफ लगभग 94 मुकदमे दर्ज हैं। सभी में जमानत मिल चुकी है, लेकिन जैसे ही बेल होती है, पुलिस नई धाराएं जोड़ देती है ताकि जेल में रोका जा सके। एफआईआर 2019 में हुई, जबकि आरोप 2016 के हैं। कहा गया कि मेरे लोगों ने किसी के घर ढहा दिए, जबकि जमीन पर सरकार ने कब्जा लेकर गरीबों के लिए ‘आसरा योजना’ की इमारत बनवाई। 6- पायल और मुर्गी चोरी का भी आरोपी बना
एक एफआईआर में लिखा गया कि मैंने ‘पायल’ और ‘मुर्गियां’ चुरा लीं। बाद में जब डिब्बे खोले गए, तो उनमें सड़कों पर बिकने वाला सस्ता सामान निकला। कभी कहा गया कि यूनिवर्सिटी में नगर पालिका की मशीन रखी है। जांच हुई तो चेयरपर्सन ने खुद कहा- वो मशीन हमारी है ही नहीं। एक केस में लिखा गया कि मैंने शराब की दुकान लूटी। गल्ले से 16,900 चुराए। उसी केस में मेरी बीवी को भी मुलजिम बना दिया गया। ——————————————————– ये खबर भी पढ़िए- मुरादाबाद के रेस्टोरेंट में 5 सिलेंडर फटे, महिला की मौत:भीषण आग से घिरे लोग, 10 झुलसे; पहली मंजिल की खिड़की तोड़कर कूदे मुरादाबाद में तीन मंजिला रेस्टोरेंट में अचानक आग लग गई। इसके बाद एक-एक करके 5 गैस सिलेंडर फट गए। हादसे में 10 से अधिक लोग झुलस गए। रेस्टोरेंट मालिक की मां माया श्रीवास्तव की मौत हो गई। कुछ ही मिनटों में आग ने पूरे रेस्टोरेंट को चपेट में ले लिया। पढ़ें पूरी खबर…
इमरजेंसी के दौर को भी याद किया। कहा- मुझे देशद्रोह के केस में जेल में डाल दिया गया था। तब मैं एलएलएम फाइनल सेमेस्टर का छात्र था। जेल के बेसमेंट की काल कोठरी में रखा गया, जहां सुंदर डाकू भी बंद था। नाश्ते में इतने सख्त चने मिलते थे कि दाढ़ का दांत टूट गया। 1- मैं और अब्दुल्ला एक छोटी सी कोठरी में रखे गए
मुझे, मेरी पत्नी तंजीन और बेटे अब्दुल्ला को 2017 में गिरफ्तार किया गया। मैं और अब्दुल्ला दोनों एक छोटी सी कोठरी में रखे गए। बीवी को महिलाओं के बैरक में भेज दिया गया। हालांकि हम तीनों एक ही जेल में थे, तो थोड़ा इत्मीनान (संतोष) था कि महफूज हैं। मगर सरकार ने तय किया कि अगर हम तीनों एक जगह रहेंगे, तो मिलते रहेंगे। इसलिए फैसला लिया गया कि हमें अलग-अलग जेलों में भेजा जाए। मेरी बीवी को उसी जेल में रखा गया। मुझे और अब्दुल्ला को दूसरे जेल में शिफ्ट कर दिया गया। 2- बेटे को जिंदा देखा, तब सुकून मिला
रात करीब 3:30 बजे मुझे सोते से उठाया गया। मेरे लिए अलग गाड़ी थी, अब्दुल्ला के लिए बड़ी गाड़ी। मैंने अधिकारियों से कहा- बेटे को साथ भेजिए, अलग क्यों ले जा रहे हैं। उन्होंने कहा- आपकी और इनकी अलग जेलें हैं, रास्ते में या पहुंचकर पता चल जाएगा। उस वक्त दिल में अजीब सी घबराहट थी। जब तक यह नहीं पता चला कि अब्दुल्ला जिंदा है, तब तक वो रात और अगला दिन बहुत भारी गुजरा। 3- गुनाह सिर्फ इतना कि मैंने रिक्शावालों के बच्चों को डॉक्टर बनाना चाहा रेड के वक्त मेरे घर में दो-दो फीट पानी भरा था, बिजली नहीं थी। अधिकारी नोट गिनने की मशीनें, सुनार और पैरामिलिट्री लेकर आए। मेरे पास सिर्फ ₹500 थे, बेटे अब्दुल्ला के पास ₹11,000 और बीवी के पास 100 ग्राम सोना। फिर भी हमें चोर कहा गया। मैंने बीड़ी बनाने वालों और रिक्शा चलाने वालों के बच्चों को इंजीनियर-डॉक्टर बनाना चाहा..यही मेरा गुनाह है। जोहर यूनिवर्सिटी के पीछे सर सैयद अहमद खां की सोच थी। मैंने भी वही सपना पूरा करने की कोशिश की। सर सैयद को ‘सर’ का खिताब मिला, मुझे नारा मिला…जो आजम का सर लाएगा, वही रामभक्त कहलाएगा। 4- मैं मंत्री था, इसलिए सियासत ने मुझे अपराधी बना दिया
मैं मंत्री था, इसलिए सियासत ने मुझे अपराधी बना दिया। अब राजनीति वोट मांगने की नहीं, वोट छीनने की हो गई है। मेरे रिश्तेदारों, सहयोगियों, यहां तक कि बूढ़ी मां और बहन पर भी मुकदमे कर दिए गए। मेरा शादीघर उजाड़ दिया गया। पुलिस हर बार शादी में पहुंचती और कहती..तिजोरी चोरी हुई है। बाराती डरकर भाग जाते थे। अब अदालत ही एकमात्र रक्षक है। अगर अदालतें न बचीं तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा। मेरा दामन बेदाग है, लेकिन गुनाह यही है कि मैंने अपने लोगों को पढ़ाने और खड़ा करने की कोशिश की। 5- 94 मुकदमों में बेल, लेकिन हर बार नई धाराएं जोड़ दी जाती हैं
मेरे खिलाफ लगभग 94 मुकदमे दर्ज हैं। सभी में जमानत मिल चुकी है, लेकिन जैसे ही बेल होती है, पुलिस नई धाराएं जोड़ देती है ताकि जेल में रोका जा सके। एफआईआर 2019 में हुई, जबकि आरोप 2016 के हैं। कहा गया कि मेरे लोगों ने किसी के घर ढहा दिए, जबकि जमीन पर सरकार ने कब्जा लेकर गरीबों के लिए ‘आसरा योजना’ की इमारत बनवाई। 6- पायल और मुर्गी चोरी का भी आरोपी बना
एक एफआईआर में लिखा गया कि मैंने ‘पायल’ और ‘मुर्गियां’ चुरा लीं। बाद में जब डिब्बे खोले गए, तो उनमें सड़कों पर बिकने वाला सस्ता सामान निकला। कभी कहा गया कि यूनिवर्सिटी में नगर पालिका की मशीन रखी है। जांच हुई तो चेयरपर्सन ने खुद कहा- वो मशीन हमारी है ही नहीं। एक केस में लिखा गया कि मैंने शराब की दुकान लूटी। गल्ले से 16,900 चुराए। उसी केस में मेरी बीवी को भी मुलजिम बना दिया गया। ——————————————————– ये खबर भी पढ़िए- मुरादाबाद के रेस्टोरेंट में 5 सिलेंडर फटे, महिला की मौत:भीषण आग से घिरे लोग, 10 झुलसे; पहली मंजिल की खिड़की तोड़कर कूदे मुरादाबाद में तीन मंजिला रेस्टोरेंट में अचानक आग लग गई। इसके बाद एक-एक करके 5 गैस सिलेंडर फट गए। हादसे में 10 से अधिक लोग झुलस गए। रेस्टोरेंट मालिक की मां माया श्रीवास्तव की मौत हो गई। कुछ ही मिनटों में आग ने पूरे रेस्टोरेंट को चपेट में ले लिया। पढ़ें पूरी खबर…