नहाए-खाए के साथ छठ महापर्व आज से शुरू:यूपी के सभी शहरों में बेदी तैयार हुई, जानिए छठ पर्व का क्या है महत्व

छठ पूजा। ये सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि समर्पण, पहचान और संस्कृति है। 25 अक्तूबर से महापर्व छठ पूजा की शुरुआत हो गई है। 4 दिनों तक चलने वाला यह पावन पर्व पूरे उत्साह और आस्था के साथ मनाया जा रहा है। 26 अक्तूबर को खरना पूजन होगा। इस दिन व्रती पूरा दिन उपवास रखते हैं और सूर्यास्त के बाद छठी मैया को प्रसाद चढ़ाकर अपना उपवास तोड़ते हैं। प्रसाद परिवार और मित्रों में बांटा जाता है। छठ पूजा सूर्य देव (भगवान भास्कर) और उनकी बहन छठी मइया (ऊषा देवी) की उपासना के लिए की जाती है। सूर्य जीवन, ऊर्जा और स्वास्थ्य के प्रतीक हैं, जबकि छठी मइया संतान, समृद्धि और कल्याण की देवी मानी जाती हैं। यह पर्व क्यों है खास… छठ पर्व में किस दिन क्या होता है…. पहला दिन- नहाय खाय। जिसमें घर की सफाई, फिर स्नान और शाकाहारी भोजन से व्रत की शुरुआत होती है। दूसरा दिन- व्रती दिनभर उपवास रखने के बाद शाम को भोजन करते हैं। इसे खरना कहा जाता है। तीसरा दिन- छठ का प्रसाद बनाता है। प्रसाद में ठेकुआ, चावल के लड्डू और चढ़ावे के रूप में फल आदि होता है। शाम को बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है और तालाब या नदी किनारे डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। चौथा दिन- कार्तिक शुक्ल सप्तमी को उगते सूरज को अर्घ्य दिया जाता है। व्रतधारी दोबारा वहीं जाते हैं, जहां शाम को अर्घ्य दिया था। छठ पर्व का इतिहास भी जान लीजिए… स्कंद पुराण के मुताबिक, राजा प्रियव्रत (मनु के पुत्र) को कोई संतान नहीं था। उन्होंने महर्षि कश्यप से वरदान मांगा। ऋषि के यज्ञ से उन्हें एक बेटा हुआ, लेकिन उसमें जान नहीं थी। इससे दुखी राजा-रानी आत्महत्या की सोचने लगे। तभी एक देवी प्रकट हुईं। उन्होंने कहा, ‘मैं उषा की ज्येष्ठा बहन षष्ठी देवी हूं, बच्चों की रक्षा मेरी जिम्मेदारी है। यदि तुम मेरी विधि से पूजा करोगे तो तुम्हें संतान सुख मिलेगा।’ राजा-रानी ने देवी की पूजा की और बेटे का जन्म हुआ। इसके बाद से इस पूजा की शुरुआत हो गई। ऋग्वेद में लिखा गया है कि सूर्य और उसकी किरणों की आराधना से शरीर और मन दोनों शुद्ध होते हैं। मोदी सरकार ने छठ को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची में शामिल कराने की पहल की है।