ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्सपो मार्ट में 25 सितंबर से इंटरनेशनल ट्रेड शो शुरू हुआ। यहां उत्तर प्रदेश की साझी संस्कृति और विरासत देखने को मिल रही है। 80 देशों से करीब 500 खरीदार आए हैं। यूपी के जनपद जिन खास वस्तुओं के लिए पहचाने जाते हैं, उनके स्टॉल यहां लगाए गए हैं। जिन खास उत्पादों को GI टैग मिला है, वो भी यहां प्रदर्शित किए हैं। ऐसे कुल 343 स्टॉल हैं। यानी कहा जाए तो इस ट्रेड फेयर के जरिए यूपी की संस्कृति और विरासत 80 देशों तक पहुंच रही है। ट्रेड फेयर में क्या कुछ खास है, इस रिपोर्ट में पढ़िए… मूकबधिर बच्चों के स्टॉल पर वैराइटी ऑफ कैंडल
कानपुर की दिव्यांग डेवलपमेंट सोसाइटी ने ट्रेड फेयर में हैंडमेड सामान का स्टॉल लगाया है। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि यह सभी सामान उन बच्चों ने तैयार किया है, जो न बोल सकते हैं, न सुन सकते हैं। वो सिर्फ आंखों से देखकर ही महसूस कर पाते हैं। ऐसे बच्चों की संख्या 60 है। वो कानपुर में 8वीं और 9वीं क्लास में पढ़ रहे हैं। इस सोसाइटी की संचालिका मनप्रीत कौर ने बताया- ये मूकबधिर बच्चे इतने टैलेंटेड हैं कि पढ़ाई के साथ हाथ का हुनर दिखाते हैं। अब दिवाली का सीजन है, इसलिए ये बच्चे वैराइटी ऑफ कैंडल बना रहे हैं। अचार, चिप्स, पापड़ जैसी चीजें भी बनाते हैं। हमारा सिर्फ एक ही मोटिव है कि कोई बच्चा ऐसा न रहे, जिसे हाथ का हुनर न आए। अगर किसी के पास ये हुनर है तो वो आराम से अपना जीवन यापन कर सकता है। ये मूकबधिर बच्चे पढ़ाई के साथ अपना खर्च भी खुद निकालते हैं। हाल ही में हमारी इस संस्था को राष्ट्रपति ने पुरस्कृत किया है। विलुप्त होती शहनाई को भी ग्लोबल मंच पर जगह
इस देश में शहनाई वादकों और उसके श्रोताओं की संख्या अब बेहद कम बची है। ऐसे वक्त में भी शहनाई को ट्रेड फेयर के जरिए ग्लोबल मंच दिया गया है। वाराणसी के शहनाई वादक रमेश कुमार बताते हैं- मैं तीसरी पीढ़ी हूं, जो इस काम को संभाले हूं। पहली बार ट्रेड फेयर में आया हूं। उम्मीद है कि लोग इस प्राचीन वाद्ययंत्र से जुड़ेंगे। रमेश बताते हैं- मैं बचपन में अपने पिता को शहनाई बजाते देखता था। उन्हें देख-देखकर ही मैंने भी शहनाई सीख ली। आज इतना हुनर है कि वीडियो कॉल पर ही शहनाई वादकों की मनपसंद शहनाई तैयार कर देता हूं। गोबर का मोबाइल स्टैंड, शिवलिंग और गणेश दरबार
यूपी में ललितपुर जिले के गोबर से बने प्रोडक्ट भी आकर्षण का केंद्र बने हैं। शिवलिंग, गणेश दरबार, घड़ियां, पेन स्टैंड, घड़े, मोबाइल स्टैंड सहित तमाम चीजें गोबर से बनी हुई हैं। इन्हें बनाने वाले प्रदीप कुमार बताते हैं- पिछले 3 साल से इनका ट्रेंड ज्यादा बढ़ा है। अब लोग डिमांड करते हैं और अपने अनुसार चीजें बनवाते भी हैं। इससे पहले सिर्फ मिट्टी की चीजों का ट्रेंड था। ये गाय के गोबर से बनी वस्तुएं हैं। अभी दिवाली नजदीक आ रही है, तो हम इससे जुड़ी वस्तुएं बना रहे हैं। लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां और वंदनवार आजकल डिमांड में हैं। इन वस्तुओं से प्रकृति को कोई खतरा नहीं। प्रदीप कहते हैं- जबसे प्रधानमंत्री ने स्वदेशी सामान को लेकर अपील की है, तब से लोग गोबर की वस्तुओं में काफी रुचि दिखा रहे हैं। रेजिन आर्ट की घड़ियां और नजरबट्टू
संभल जिले की रेजिन आर्ट का स्टॉल सबसे आकर्षण का केंद्र है। रेजिन एक ऐसी कला है, जिसमें तरल इपॉक्सी रेजिन का उपयोग करके चमकदार परत बनाई जाती है। रेजिन कला से दीवार की कलाकृतियां, कोस्टर, ट्रे, ज्वैलरी, नजरबट्टू, की-रिंग जैसे आइटम्स बनाए गए हैं। इन्हें दीवार पर लगाकर आप घर की शान बढ़ा सकते हैं। हालांकि, रेजिन के आइटम्स थोड़ा कॉस्टली जरूर होते हैं। रेजिन कलाकार विकास बताते हैं- मैं सारा सामान अपने हाथ से बनाता हूं और पूरी दुनिया तक पहुंचाता हूं। इस हाथ के हुनर को पिछले 10 साल से कर रहा हूं। ग्रेटर नोएडा के ट्रेड फेयर में लगातार तीसरी बार स्टॉल लगा रहा हूं। लास्ट दोनों बार कस्टमर का अच्छा रिस्पांस मिला, इसलिए इस बार भी आया हूं। रेजिन आर्ट एकदम हटकर है, इसलिए कस्टमर इसमें काफी इंट्रेस्ट भी दिखा रहे हैं। बनारस का पान, मुरादाबाद की दाल खाइए
ग्रेटर नोएडा के ट्रेड फेयर में एक ही छत के नीचे यूपी के अलग-अलग शहरों का खानपान आपको मिलेगा। बनारस का पान, मुरादाबाद की दाल जैसे आइटम्स भी उपलब्ध हैं। ट्रेड फेयर में कई जगहों पर स्ट्रीट फूड, यूपी का स्टेपल फूड और उच्च ब्रांड्स के कॉन्टिनेंटल फूड सहित खाने के कई विकल्प मौजूद हैं। सबसे ज्यादा छोले-भटूरे, राजमा चावल की डिमांड है। —————————– ये खबर भी पढ़ें… राजाभैया की पत्नी ने जो हथियार दिखाए, वो कितने खतरनाक?, क्या यूपी में मिल सकता है विदेशी हथियारों का लाइसेंस कुंडा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया और उनकी पत्नी भानवी सिंह के बीच का विवाद सोशल मीडिया पर चर्चा में है। भानवी ने X पर वीडियो-फोटो शेयर करके राजा भैया के घर पर कथित हथियारों का जखीरा दिखाया। उन्होंने दावा किया- ये अवैध हैं और PMO, गृह मंत्रालय तथा UP सरकार को सबूत भेजे हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि वीडियो में दिख रहा असलहा कौन-कौन सा है? किस देश में बनता है? कैसे खरीद सकते हैं? क्या इनका लाइसेंस मिल जाता है? क्या ऐसा भी कोई हथियार है जिसका लाइसेंस भारत में नहीं मिलता? एक व्यक्ति को कितने असलहे रखने की अनुमति है? असलहे अवैध हैं तो पुलिस एक्शन क्यों नहीं ले रही या जांच क्यों नहीं कर रही? ऐसे मामलों में किन धाराओं में केस दर्ज हो सकता है? कितनी सजा है? पढ़िए पूरी खबर…
कानपुर की दिव्यांग डेवलपमेंट सोसाइटी ने ट्रेड फेयर में हैंडमेड सामान का स्टॉल लगाया है। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि यह सभी सामान उन बच्चों ने तैयार किया है, जो न बोल सकते हैं, न सुन सकते हैं। वो सिर्फ आंखों से देखकर ही महसूस कर पाते हैं। ऐसे बच्चों की संख्या 60 है। वो कानपुर में 8वीं और 9वीं क्लास में पढ़ रहे हैं। इस सोसाइटी की संचालिका मनप्रीत कौर ने बताया- ये मूकबधिर बच्चे इतने टैलेंटेड हैं कि पढ़ाई के साथ हाथ का हुनर दिखाते हैं। अब दिवाली का सीजन है, इसलिए ये बच्चे वैराइटी ऑफ कैंडल बना रहे हैं। अचार, चिप्स, पापड़ जैसी चीजें भी बनाते हैं। हमारा सिर्फ एक ही मोटिव है कि कोई बच्चा ऐसा न रहे, जिसे हाथ का हुनर न आए। अगर किसी के पास ये हुनर है तो वो आराम से अपना जीवन यापन कर सकता है। ये मूकबधिर बच्चे पढ़ाई के साथ अपना खर्च भी खुद निकालते हैं। हाल ही में हमारी इस संस्था को राष्ट्रपति ने पुरस्कृत किया है। विलुप्त होती शहनाई को भी ग्लोबल मंच पर जगह
इस देश में शहनाई वादकों और उसके श्रोताओं की संख्या अब बेहद कम बची है। ऐसे वक्त में भी शहनाई को ट्रेड फेयर के जरिए ग्लोबल मंच दिया गया है। वाराणसी के शहनाई वादक रमेश कुमार बताते हैं- मैं तीसरी पीढ़ी हूं, जो इस काम को संभाले हूं। पहली बार ट्रेड फेयर में आया हूं। उम्मीद है कि लोग इस प्राचीन वाद्ययंत्र से जुड़ेंगे। रमेश बताते हैं- मैं बचपन में अपने पिता को शहनाई बजाते देखता था। उन्हें देख-देखकर ही मैंने भी शहनाई सीख ली। आज इतना हुनर है कि वीडियो कॉल पर ही शहनाई वादकों की मनपसंद शहनाई तैयार कर देता हूं। गोबर का मोबाइल स्टैंड, शिवलिंग और गणेश दरबार
यूपी में ललितपुर जिले के गोबर से बने प्रोडक्ट भी आकर्षण का केंद्र बने हैं। शिवलिंग, गणेश दरबार, घड़ियां, पेन स्टैंड, घड़े, मोबाइल स्टैंड सहित तमाम चीजें गोबर से बनी हुई हैं। इन्हें बनाने वाले प्रदीप कुमार बताते हैं- पिछले 3 साल से इनका ट्रेंड ज्यादा बढ़ा है। अब लोग डिमांड करते हैं और अपने अनुसार चीजें बनवाते भी हैं। इससे पहले सिर्फ मिट्टी की चीजों का ट्रेंड था। ये गाय के गोबर से बनी वस्तुएं हैं। अभी दिवाली नजदीक आ रही है, तो हम इससे जुड़ी वस्तुएं बना रहे हैं। लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां और वंदनवार आजकल डिमांड में हैं। इन वस्तुओं से प्रकृति को कोई खतरा नहीं। प्रदीप कहते हैं- जबसे प्रधानमंत्री ने स्वदेशी सामान को लेकर अपील की है, तब से लोग गोबर की वस्तुओं में काफी रुचि दिखा रहे हैं। रेजिन आर्ट की घड़ियां और नजरबट्टू
संभल जिले की रेजिन आर्ट का स्टॉल सबसे आकर्षण का केंद्र है। रेजिन एक ऐसी कला है, जिसमें तरल इपॉक्सी रेजिन का उपयोग करके चमकदार परत बनाई जाती है। रेजिन कला से दीवार की कलाकृतियां, कोस्टर, ट्रे, ज्वैलरी, नजरबट्टू, की-रिंग जैसे आइटम्स बनाए गए हैं। इन्हें दीवार पर लगाकर आप घर की शान बढ़ा सकते हैं। हालांकि, रेजिन के आइटम्स थोड़ा कॉस्टली जरूर होते हैं। रेजिन कलाकार विकास बताते हैं- मैं सारा सामान अपने हाथ से बनाता हूं और पूरी दुनिया तक पहुंचाता हूं। इस हाथ के हुनर को पिछले 10 साल से कर रहा हूं। ग्रेटर नोएडा के ट्रेड फेयर में लगातार तीसरी बार स्टॉल लगा रहा हूं। लास्ट दोनों बार कस्टमर का अच्छा रिस्पांस मिला, इसलिए इस बार भी आया हूं। रेजिन आर्ट एकदम हटकर है, इसलिए कस्टमर इसमें काफी इंट्रेस्ट भी दिखा रहे हैं। बनारस का पान, मुरादाबाद की दाल खाइए
ग्रेटर नोएडा के ट्रेड फेयर में एक ही छत के नीचे यूपी के अलग-अलग शहरों का खानपान आपको मिलेगा। बनारस का पान, मुरादाबाद की दाल जैसे आइटम्स भी उपलब्ध हैं। ट्रेड फेयर में कई जगहों पर स्ट्रीट फूड, यूपी का स्टेपल फूड और उच्च ब्रांड्स के कॉन्टिनेंटल फूड सहित खाने के कई विकल्प मौजूद हैं। सबसे ज्यादा छोले-भटूरे, राजमा चावल की डिमांड है। —————————– ये खबर भी पढ़ें… राजाभैया की पत्नी ने जो हथियार दिखाए, वो कितने खतरनाक?, क्या यूपी में मिल सकता है विदेशी हथियारों का लाइसेंस कुंडा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया और उनकी पत्नी भानवी सिंह के बीच का विवाद सोशल मीडिया पर चर्चा में है। भानवी ने X पर वीडियो-फोटो शेयर करके राजा भैया के घर पर कथित हथियारों का जखीरा दिखाया। उन्होंने दावा किया- ये अवैध हैं और PMO, गृह मंत्रालय तथा UP सरकार को सबूत भेजे हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि वीडियो में दिख रहा असलहा कौन-कौन सा है? किस देश में बनता है? कैसे खरीद सकते हैं? क्या इनका लाइसेंस मिल जाता है? क्या ऐसा भी कोई हथियार है जिसका लाइसेंस भारत में नहीं मिलता? एक व्यक्ति को कितने असलहे रखने की अनुमति है? असलहे अवैध हैं तो पुलिस एक्शन क्यों नहीं ले रही या जांच क्यों नहीं कर रही? ऐसे मामलों में किन धाराओं में केस दर्ज हो सकता है? कितनी सजा है? पढ़िए पूरी खबर…