डेढ़ साल से पोस्टिंग का इंतजार कर रहीं रेणुका मिश्रा वीआरएस ले सकती हैं। ऐसा होता है, तो राजीव कृष्ण का स्थायी डीजीपी बनने का रास्ता साफ हो जाएगा। स्थायी डीजीपी के लिए संघ लोकसेवा आयोग (UPSC) को प्रस्ताव भेज दिया जाएगा। रेणुका मिश्रा को 5 मार्च, 2024 के बाद से कोई तैनाती नहीं मिली है। रेणुका मिश्रा पहले वो वेटिंग में थीं, बाद में डीजीपी के साथ अटैच कर दी गईं। उसके बाद से अब तक उन्हें कोई पोस्टिंग नहीं मिली है। उनके पति आदित्य मिश्रा हाल ही में डीजी फायर सर्विस के पद से रिटायर हुए हैं। ऐसे में अब वो भी वीआरएस ले सकती हैं। राजीव कृष्ण का रास्ता कैसे साफ होगा? क्या टॉप-3 अफसरों में मौजूदा कार्यवाहक डीजीपी राजीव कृष्ण आ पाएंगे? राजीव कृष्ण अभी कितने नंबर पर हैं? इन सब सवालों के जवाब इस खबर में तलाशेंगे… स्थायी डीजीपी के लिए कहां अटक रही है बात?
मौजूदा डीजीपी राजीव कृष्ण आईपीएस अफसरों के वरीयता क्रम में 10वें नंबर पर हैं। डीजीपी की नियुक्ति के लिए प्रदेश सरकार यूपीएससी को प्रस्ताव भेजती है। इसमें 30 साल की सेवा पूरी कर चुके सभी आईपीएस अफसरों के नाम शामिल होते हैं। इसके बाद यूपीएससी जांच-पड़ताल के बाद टॉप-3 अफसरों के नाम राज्य सरकार को वापस भेज देती है। इसमें से किसी को डीजीपी बनाया जा सकता है। यही वजह है, प्रदेश सरकार ने डीजीपी के लिए अब तक प्रस्ताव यूपीएससी को नहीं भेजा है। यूपीएससी में उन्हीं नामों को भेजा जाएगा, जिनकी 6 महीने से अधिक सर्विस बची हो। मौजूदा समय में राजीव कृष्ण के अलावा रेणुका मिश्रा, आलोक शर्मा और पीयूष आनंद का कार्यकाल 6 महीने से अधिक बचा है। रेणुका की सेवा 19 महीने, आलोक शर्मा की 11 महीने और पीयूष आनंद की सर्विस करीब 3 साल बची है। राजीव कृष्ण को स्थायी डीजीपी बनाने के लिए अभी कम से कम जनवरी तक का इंतजार करना होगा। लेकिन, अगर रेणुका मिश्रा वीआरएस लेती हैं तो राजीव कृष्ण को डीजीपी बनाने के लिए एक सितंबर के बाद कभी भी प्रस्ताव यूपीएससी को भेजा जा सकता है। क्यों वीआरएस ले सकती हैं रेणुका मिश्रा?
विश्वस्त सूत्रों की मानें, तो रेणुका मिश्रा इसी महीने के आखिर तक वीआरएस का फैसला ले सकती हैं। दरअसल, रेणुका मिश्रा मार्च- 2024 में यूपी पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड की अध्यक्ष थीं। इसी दौरान सिपाही भर्ती पेपर लीक होने की वजह से प्रदेश सरकार की बड़ी किरकिरी हुई। इसके बाद सरकार ने उन्हें हटाकर वेटिंग में डाल दिया। करीब साढ़े चार महीने तक 5 मार्च से 18 जुलाई 2024 तक वेटिंग में रहीं। इसके बाद भी उन्हें कोई जिम्मेदारी न देते हुए डीजीपी मुख्यालय से अटैच कर दिया गया। आमतौर पर डीजी रैंक के अफसर को मुख्यालय से अटैच नहीं किया जाता। कैसे टॉप-3 में पहुंचेंगे राजीव कृष्ण
यूपीएससी सर्विस रिकार्ड और वरीयता के क्रम में टॉप तीन अफसरों के नामों का चयन करती है। राजीव कृष्ण से सीनियर जो 9 अफसर हैं, उनमें से बिजय कुमार इसी महीने रिटायर हो जाएंगे। बाकी 8 में से 5 अफसर दलजीत चौधरी, तिलोत्मा वर्मा, सफी अहसन रिजवी, संदीप सालुंके और एमके बशाल फरवरी तक रिटायर हो जाएंगे। यूपीएससी 6 महीने से कम बचे सर्विस वाले अफसर के नाम पर डीजीपी के लिए विचार नहीं करती। बशर्ते डेट ऑफ वैकेंसी यूपीएससी उसे माने, जिस तारीख में उसे राज्य सरकार की ओर से प्रस्ताव मिला है। रेणुका मिश्रा अगर रिटायरमेंट से पहले वीआरएस लेती हैं तो राजीव कृष्ण इस क्रम में आलोक शर्मा और पीयूष आनंद के बाद तीसरे नंबर पर पहुंच जाएंगे। कब से नहीं है यूपी में स्थायी डीजीपी
यूपी में 11 मई, 2022 से स्थायी डीजीपी नहीं है। आखिरी स्थायी डीजीपी मुकुल गोयल थे, जो यूपीएससी के पैनल से डीजीपी बने थे। उनके बाद से अब तक 5 कार्यवाहक डीजीपी हो चुके हैं। मुकुल गोयल के बाद सबसे पहले देवेंद्र सिंह चौहान को कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया था। वो रिटायर हुए तो आरके विश्वकर्मा को दो महीने के लिए कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया। आरके विश्वकर्मा मई- 2023 में रिटायर हुए, तो बिजय कुमार को कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया। 31 जनवरी, 2024 को लगातार चौथे कार्यवाहक डीजीपी बने। 31 मई को प्रशांत कुमार के रिटायरमेंट के बाद राजीव कृष्ण को कार्यवाहक डीजीपी बना दिया गया। ये पुलिस फोर्स का दुर्भाग्य है
पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह कहते हैं कि ये पुलिस का दुर्भाग्य है। अफसरों के साथ भेदभाव हो रहा है। इसी वजह से आशीष गुप्ता ने वीआरएस लिया। जहां तक रेणुका मिश्रा का सवाल है तो वे एक काबिल अफसर रही हैं। इतने लंबे समय तक उन्हें वेटिंग में रखना या बिना काम के रखना उनका अपमान है। 35 साल की सर्विस के बाद अगर डेढ़ साल तक आपको एक कार्यालय न मिले तो कोई भी अधिकारी क्या करेगा? ——————————— ये खबर भी पढ़ें… छांगुर बाबा ने मुंबई से दुबई तक करवाया धर्मांतरण, डिग्री कॉलेज बनवा रहा था, मजार की 5 बीघा जमीन पर थी नजर; पढ़ें पूरी कहानी बलरामपुर में जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा बड़े लेवल पर धर्मांतरण करने की प्लानिंग में था। इसके लिए वह बलरामपुर में बंगले से लगे जमीन पर डिग्री कॉलेज बनवा रहा था। जमीन कम न पड़े, इसलिए पास की 5 बीघा मजार की जमीन पर भी उसकी नजर थी। वहीं, बलरामपुर के बाद आजमगढ़ को अपना दूसरा मुख्यालय बना रहा था। ATS सूत्रों के मुताबिक, छांगुर बाबा बड़े स्तर पर धर्मांतरण की प्लानिंग कर रहा था। इसलिए, वह कॉलेज भी बनवा रहा था। वह कई सालों से धर्मांतरण के काम में लगा हुआ था। ATS इन सब चीजों को लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट बनाकर ED को देगी। ED प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत मामला दर्ज करके इस पूरे नेटवर्क के पैसे के लेनदेन का पता लगाएगी। छांगुर बाबा आगे की क्या प्लानिंग कर रहा था। पढ़िए पूरी खबर..
मौजूदा डीजीपी राजीव कृष्ण आईपीएस अफसरों के वरीयता क्रम में 10वें नंबर पर हैं। डीजीपी की नियुक्ति के लिए प्रदेश सरकार यूपीएससी को प्रस्ताव भेजती है। इसमें 30 साल की सेवा पूरी कर चुके सभी आईपीएस अफसरों के नाम शामिल होते हैं। इसके बाद यूपीएससी जांच-पड़ताल के बाद टॉप-3 अफसरों के नाम राज्य सरकार को वापस भेज देती है। इसमें से किसी को डीजीपी बनाया जा सकता है। यही वजह है, प्रदेश सरकार ने डीजीपी के लिए अब तक प्रस्ताव यूपीएससी को नहीं भेजा है। यूपीएससी में उन्हीं नामों को भेजा जाएगा, जिनकी 6 महीने से अधिक सर्विस बची हो। मौजूदा समय में राजीव कृष्ण के अलावा रेणुका मिश्रा, आलोक शर्मा और पीयूष आनंद का कार्यकाल 6 महीने से अधिक बचा है। रेणुका की सेवा 19 महीने, आलोक शर्मा की 11 महीने और पीयूष आनंद की सर्विस करीब 3 साल बची है। राजीव कृष्ण को स्थायी डीजीपी बनाने के लिए अभी कम से कम जनवरी तक का इंतजार करना होगा। लेकिन, अगर रेणुका मिश्रा वीआरएस लेती हैं तो राजीव कृष्ण को डीजीपी बनाने के लिए एक सितंबर के बाद कभी भी प्रस्ताव यूपीएससी को भेजा जा सकता है। क्यों वीआरएस ले सकती हैं रेणुका मिश्रा?
विश्वस्त सूत्रों की मानें, तो रेणुका मिश्रा इसी महीने के आखिर तक वीआरएस का फैसला ले सकती हैं। दरअसल, रेणुका मिश्रा मार्च- 2024 में यूपी पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड की अध्यक्ष थीं। इसी दौरान सिपाही भर्ती पेपर लीक होने की वजह से प्रदेश सरकार की बड़ी किरकिरी हुई। इसके बाद सरकार ने उन्हें हटाकर वेटिंग में डाल दिया। करीब साढ़े चार महीने तक 5 मार्च से 18 जुलाई 2024 तक वेटिंग में रहीं। इसके बाद भी उन्हें कोई जिम्मेदारी न देते हुए डीजीपी मुख्यालय से अटैच कर दिया गया। आमतौर पर डीजी रैंक के अफसर को मुख्यालय से अटैच नहीं किया जाता। कैसे टॉप-3 में पहुंचेंगे राजीव कृष्ण
यूपीएससी सर्विस रिकार्ड और वरीयता के क्रम में टॉप तीन अफसरों के नामों का चयन करती है। राजीव कृष्ण से सीनियर जो 9 अफसर हैं, उनमें से बिजय कुमार इसी महीने रिटायर हो जाएंगे। बाकी 8 में से 5 अफसर दलजीत चौधरी, तिलोत्मा वर्मा, सफी अहसन रिजवी, संदीप सालुंके और एमके बशाल फरवरी तक रिटायर हो जाएंगे। यूपीएससी 6 महीने से कम बचे सर्विस वाले अफसर के नाम पर डीजीपी के लिए विचार नहीं करती। बशर्ते डेट ऑफ वैकेंसी यूपीएससी उसे माने, जिस तारीख में उसे राज्य सरकार की ओर से प्रस्ताव मिला है। रेणुका मिश्रा अगर रिटायरमेंट से पहले वीआरएस लेती हैं तो राजीव कृष्ण इस क्रम में आलोक शर्मा और पीयूष आनंद के बाद तीसरे नंबर पर पहुंच जाएंगे। कब से नहीं है यूपी में स्थायी डीजीपी
यूपी में 11 मई, 2022 से स्थायी डीजीपी नहीं है। आखिरी स्थायी डीजीपी मुकुल गोयल थे, जो यूपीएससी के पैनल से डीजीपी बने थे। उनके बाद से अब तक 5 कार्यवाहक डीजीपी हो चुके हैं। मुकुल गोयल के बाद सबसे पहले देवेंद्र सिंह चौहान को कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया था। वो रिटायर हुए तो आरके विश्वकर्मा को दो महीने के लिए कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया। आरके विश्वकर्मा मई- 2023 में रिटायर हुए, तो बिजय कुमार को कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया। 31 जनवरी, 2024 को लगातार चौथे कार्यवाहक डीजीपी बने। 31 मई को प्रशांत कुमार के रिटायरमेंट के बाद राजीव कृष्ण को कार्यवाहक डीजीपी बना दिया गया। ये पुलिस फोर्स का दुर्भाग्य है
पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह कहते हैं कि ये पुलिस का दुर्भाग्य है। अफसरों के साथ भेदभाव हो रहा है। इसी वजह से आशीष गुप्ता ने वीआरएस लिया। जहां तक रेणुका मिश्रा का सवाल है तो वे एक काबिल अफसर रही हैं। इतने लंबे समय तक उन्हें वेटिंग में रखना या बिना काम के रखना उनका अपमान है। 35 साल की सर्विस के बाद अगर डेढ़ साल तक आपको एक कार्यालय न मिले तो कोई भी अधिकारी क्या करेगा? ——————————— ये खबर भी पढ़ें… छांगुर बाबा ने मुंबई से दुबई तक करवाया धर्मांतरण, डिग्री कॉलेज बनवा रहा था, मजार की 5 बीघा जमीन पर थी नजर; पढ़ें पूरी कहानी बलरामपुर में जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा बड़े लेवल पर धर्मांतरण करने की प्लानिंग में था। इसके लिए वह बलरामपुर में बंगले से लगे जमीन पर डिग्री कॉलेज बनवा रहा था। जमीन कम न पड़े, इसलिए पास की 5 बीघा मजार की जमीन पर भी उसकी नजर थी। वहीं, बलरामपुर के बाद आजमगढ़ को अपना दूसरा मुख्यालय बना रहा था। ATS सूत्रों के मुताबिक, छांगुर बाबा बड़े स्तर पर धर्मांतरण की प्लानिंग कर रहा था। इसलिए, वह कॉलेज भी बनवा रहा था। वह कई सालों से धर्मांतरण के काम में लगा हुआ था। ATS इन सब चीजों को लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट बनाकर ED को देगी। ED प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत मामला दर्ज करके इस पूरे नेटवर्क के पैसे के लेनदेन का पता लगाएगी। छांगुर बाबा आगे की क्या प्लानिंग कर रहा था। पढ़िए पूरी खबर..