पुलिस का धंधा… लड़के उठाओ, पैसा लेकर छोड़ो:यूपी के सिद्धार्थनगर में ऑनकैमरा 25 हजार की डिमांड, स्टिंग के बाद रिपोर्टर पर हमला

1 का 5 करा दीजिए। (एक युवक को छोड़ने के 5 हजार रुपए) 25 हजार रुपए कर दो… बरी कर देंगे। इसके बाद इन पर कोई आंच नहीं आएगी। गारंटी ले रहे। बाकी ये धारा (एससी-एसटी एक्ट) उनके लिए (दूसरा पक्ष) लग जाएगी। तुम्हारे नाते 25 बोले हैं, नहीं तो 50 से नीचे बात ना होती। CO को हम लोग बता दिए। उन्होंने कहा कि मैनेज कर लो, इससे कम न हो। ये सौदेबाजी कर रहे हैं सिद्धार्थनगर जिले के चिल्हिया थाने में तैनात हेड कॉन्स्टेबल पवन मौर्या और वासिद अली। दोनों कॉन्स्टेबल 5 युवकों को छोड़ने के बदले 25 हजार रुपए की डिमांड कर रहे। दरअसल, कुछ दिन पहले लखनऊ के दरोगा धनंजय सिंह ने गैंगरेप केस से नाम हटाने के लिए कोचिंग संचालक से 2 लाख रुपए की रिश्वत मांगी थी। उसे यूपी एंटी करप्शन ब्यूरो ने रंगे हाथों पकड़ा। इसके बाद सवाल उठा कि क्या पुलिस पैसा लेकर आरोपियों को छोड़ देती है? ये पैसा किन अफसरों में बंटता है? ये सिस्टम कैसे काम करता है? इन सवालों के जवाबों के लिए दैनिक भास्कर की टीम ने सिद्धार्थनगर में इन्वेस्टिगेशन किया। हमने सिद्धार्थनगर के चिल्हिया थाने की गतिविधियों पर 10 दिन तक नजर रखी। क्योंकि, यहां आने वालों से हमें इनपुट मिले थे कि पुलिसवाले रुपए की डिमांड करते हैं। हमें एक घटना का पता चला कि बरगदवा गांव में ऑर्केस्ट्रा हुआ। इसे देखने के लिए आसपास के कई गांवों के लोग पहुंचे। ऑर्केस्ट्रा में महादेव गांव के 9 युवक भी गए थे। इन युवकों और दूसरे गांव के युवकों का किसी बात को लेकर विवाद हो गया। इन 9 युवकों से मारपीट की गई। इसमें एक युवक ज्यादा घायल हो गया, जिसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। किसी तरह रात में मामला शांत हुआ और ये युवक अपने गांव महादेव आ गए। दूसरे दिन चिल्हिया थाने के 2 पुलिसकर्मी महादेव गांव पहुंचे। वहां शहजाद, मनीष, राजेंद्र, आमीर और जमशेद से कहा कि तुम पर एससी-एसटी एक्ट, छेड़छाड़, लूट की धाराएं लग जाएंगी। थाने आओ… वरना जेल में बैठा दिए जाओगे। पुलिस के पास गुरवचन, लाली, शकील, गोलू के नाम भी डायरी में नोट हैं। इन्हें भी बुलाएंगे। इसके बाद दैनिक भास्कर की टीम इन युवकों के परिजन बनकर थाने पहुंची। पढ़िए, पुलिस की पूरी सौदेबाजी… 5 युवकों के 30 हजार लगते हैं, चलो 20 हजार करा दीजिए हेड कॉन्स्टेबल वासिद अली: इन युवकों का नाम आ रहा है। रिपोर्टर: आप बताइए क्या करें? 5 युवक हैं ये? हेड कॉन्स्टेबल वासिद अली: उनसे (हेड कॉन्स्टेबल पवन मौर्या) पूछ लेते हैं। रिपोर्टर: हां, पूछकर बता दीजिए। बुला लाइए, हमारे पास। (इसके बाद वासिद पवन को बुलाकर लाता है। फिर पवन और वासिद दोनों से हमारी डील होती है) हेड कॉन्स्टेबल पवन मौर्या: देखिए… अगर कहीं एससी-एसटी एक्ट लग गया तो फिर CO (सर्किल ऑफिसर) जांच करेंगे। 5 आदमी हैं, जान ही रहे हो…। बड़ी दिक्कत हो जाएगी। ऐसा है, अगर बच जाए तो अच्छा है। हेड कॉन्स्टेबल वासिद अली: ये ही हम कह रहे हैं भैया… बच्चों को तकलीफ होगी। रिपोर्टर: …तो बताइए फिर? हेड कॉन्स्टेबल वासिद अली: 1 का 5 करा दीजिए। (एक युवक को छोड़ने के 5 हजार रुपए) 25 हजार रुपए करा दीजिए। रिपोर्टर: कुछ कम कराइए। हेड कॉन्स्टेबल पवन मौर्या: नहीं होगा। हेड कॉन्स्टेबल वासिद अली: अब इससे कम नहीं होगा। 25 हजार रुपए कर दो… बरी कर देंगे। हेड कॉन्स्टेबल पवन मौर्या: छूट जाएंगे… पक्का। हेड कॉन्स्टेबल वासिद अली: इसके बाद इन पर कोई आंच नहीं आएगी। गारंटी ले रहे हम लोग। बाकी ये धारा (एससी-एसटी एक्ट) उनके लिए (दूसरा पक्ष) लग जाएगी। रिपोर्टर: सर, 25 हजार रुपए न कहिए… कुछ कम कराइए भाई। हेड कॉन्स्टेबल वासिद अली: तुम्हारे नाते 25 बोले हैं, नहीं तो 50 से नीचे बात ना होती… जान लीजिए। ऐसे करोगे तो बात बिगड़ जाएगी। अंदर (थाने में) बैठाएंगे सबको… जेल भेजेंगे। रिपोर्टर: 15 हजार रुपए में करा दीजिए। 3 पंजे 15… ठीक है। (एक युवक को छोड़ने के 3 हजार रुपए) हेड कॉन्स्टेबल पवन मौर्या और वासिद अली: 15 हजार रुपए में नहीं होगा। अरे… हम 6 पंजे 30 लेते हैं। अभी बहुत हिसाब में बोला है। अभी बैठा लेंगे तो एक घंटे में पता चल जाएगा। हिसाब से बतियाए हैं। रिपोर्टर: एक बार साहब से बतिया लीजिए… बोलिए 15 हजार रुपए बोल रहे। हेड कॉन्स्टेबल वासिद अली: चलो… 20 हजार रुपए करा दो… जा। रिपोर्टर: 20 हजार रुपए करा देते हैं… कोई दिक्कत तो नहीं है, साहब से बतिया लीजिए। हेड कॉन्स्टेबल पवन मौर्या: नहीं, कोई दिक्कत नहीं। हेड कॉन्स्टेबल वासिद अली: कोई दिक्कत हुई तो हम हैं ना…‌? साहब को निचोड़ बताते हैं, ऐसे नहीं बताते। अभी बताएंगे और कांव-कांव करेंगे तो बिगड़ जाएगा मामला। इसके बाद हम परिवारवालों से बात करके बताने का कहकर थाने से चले आए। कुछ देर बाद फिर थाने पहुंचे। इनसे आगे की सौदेबाजी हुई… चलो… 5 आदमी के 15 हजार, नहीं तो हवालात में रहेंगे रिपोर्टर: 2 युवकों के परिजन पैसा देने को तैयार हैं… 3 के नहीं। क्या करें… बताएं? हेड कॉन्स्टेबल वासिद अली: चलो… एक आदमी के 3 हजार रुपए दे दो। 5 आदमी के 15 हजार रुपए। नहीं तो हवालात में रखना होगा। बड़े साहब (SHO) से बात हो गई है। वो तो 20 से कम में तैयार नहीं थे। रिपोर्टर: बड़े साहब कितना बताए? हेड कॉन्स्टेबल वासिद अली: 20 हजार रुपए। हम लोग बता दिए थे कि ऐसा-ऐसा मामला है। उन्होंने कहा कि चलो ठीक है, 20 हजार रुपए में मैनेज कर लो, इससे कम न हो। रिपोर्टर: इसमें बड़े साहब कितना लेंगे…? आप लोगों का कितना रहेगा…? हेड कॉन्स्टेबल वासिद अली: (हंसते हुए) अरे भाई… 10 हजार रुपए तो वे ही ले लेंगे। आप जाइए इनको (5 युवक) हम ठांस रहे हैं भीतर (हवालात में)। पांचों लोगों को ठांसेंगे। भीतर बैठ जाएंगे तो अपने पे आ जाएंगे। ये बाहर बड़ा भाव खाते हैं। भीतर बैठाओ, रातभर रखो तो ठीक हो जाएंगे। रिपोर्टर: बात तो सही है, लेकिन ये सभी निर्दोष हैं। हेड कॉन्स्टेबल वासिद अली: क्या करें…? जब नाम आ गया है मारपीट में… चाहे निर्दोष रहे हैं… चाहे दोषी रहे हैं। रिपोर्टर: कहिए तो 2 का करा दें। हेड कॉन्स्टेबल पवन मौर्या: करवा दो… देखा जाएगा। रिपोर्टर: कितना करा दे…? 10 हजार रुपए करा दें क्या? हेड कॉन्स्टेबल पवन मौर्या: 10 हजार रुपए नहीं। अब जाइए… साहब (SHO) आ रहे हैं। SHO बोले- मामला निपटा लीजिए इसके बाद पुलिस की एक गाड़ी आते हुए दिखाई दी। जैसे-जैसे गाड़ी नजदीक आई… हूटर की आवाज तीखी होती गई। उस गाड़ी में से चिल्हिया थाने के SHO (थाना इंचार्ज) राजेश तिवारी उतरे और जाकर कुर्सी पर बैठ गए। हम SHO के पास लगी कुर्सी पर जाकर बैठ गए और बातचीत की। SHO ने हमें कहा कि आप मामला निपटा लीजिए। …और रात 10 बजे भास्कर रिपोर्टर पर हमला, पुलिस कनेक्शन उजागर 5 नवंबर की रात 10 बजे भास्कर रिपोर्टर रोहित सिंह बेलवा गांव लौट रहे थे। रास्ते में छठ पूजास्थल के पास 2 युवक खुले में पेशाब कर रहे थे। रोहित ने उन्हें टोका। कहा कि ऐसा न करें। कुछ देर बाद यह बात हमले की स्क्रिप्ट में बदल गई। दरअसल, चिल्हिया थाने में स्टिंग के दौरान दरोगा को पता चल गया था कि जो पीड़ित पक्ष का हमदर्द बनकर आया था, वह भास्कर का रिपोर्टर है। इसी वजह से पुलिस ने ब्याज पर पैसा बांटने वाले को अपने साथ मिलाया। इसके बाद रात में ही 10 लोग रोहित के घर में घुसे और मारपीट की। रोहित, उनकी पत्नी और बच्चों को पीटा। पत्नी के गले से सोने की चेन छीन ली। बच्चों से भी धक्का-मुक्की की। इसके बाद जब मदद के लिए पुलिस को फोन किया तो पुलिस मौके पर देर से पहुंची। रोहित इलाज कराने माधव प्रसाद मेडिकल कॉलेज पहुंचे। यहां थाना प्रभारी आए। उसके साथ हमले के आरोपी भी आ गए। जब FIR दर्ज कराने की बात की तो थाना प्रभारी FIR में मुख्य पॉइंट लिखने को तैयार नहीं थे। रोहित ने शिकायत में सोने की चेन लूट की बात लिखी तो थाना प्रभारी का जवाब था कि यह FIR में नहीं जाएगा। SP और DIG जवाब देने को तैयार नहीं
इस मामले में जब सिद्धार्थनगर SP डॉ. अभिषेक महाजन को कॉल किया तो उनके PRO ने अटैंड किया। उन्होंने एसपी से बात नहीं कराई। कहां कि सवाल बता दीजिए। जब उन्हें सवाल बताए तो जवाब दिए बगैर ही फोन डिस्कनेक्ट कर दिया। वहीं, डीआईजी संजीव त्यागी को भी हमने सवाल भेजे, लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया। ———————–
ये खबर भी पढ़ें… यूपी में नाबालिग हिंदू से 10 लड़कों ने गैंगरेप किया, 7 महीने वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करते रहे जुनैद मुझे फोन करता और 2-3 मिनट बात करता था। फिर कहता कि बात ही करोगी कि मिलने भी आओगी? मैं गई तो उसने एक टॉफी दी। उसे खाने के बाद मुझे कुछ समझ नहीं आया। जुनैद ने मेरे साथ गंदा काम किया, फोटो और वीडियो बना लिया। ये फोटो-वीडियो अपने दोस्त रैयान को दे दिए। मैं अब फंस चुकी थी। रैयान ने वीडियो वायरल करने की धमकी देकर बाग में बुलाया। गलत काम किया। पढ़ें पूरी खबर