दीपावली के अगले दिन 21 अक्टूबर को सिद्धार्थनगर में लोग मूर्ति विसर्जन करने जा रहे थे। कुछ झगड़ा हुआ। 4 पुलिसवालों ने एक युवक को बाइक पर बैठाया। उसे ले जाते हुए सीसीटीवी में कैद हुए। 14 मिनट उसके साथ रहे। एक घंटे के बाद वह युवक सड़क के किनारे बेहोशी की हालत में मिला। हाथ-पैर, सिर और जबड़ा टूटा हुआ था। सीएचसी ले गए, वहां डॉक्टरों ने जिला हॉस्पिटल रेफर किया। स्थिति गंभीर थी, इसलिए गोरखपुर भेजा गया। वहां भी डॉक्टर युवक की स्थिति देखकर हैरान थे। लखनऊ भेज दिया गया। 20 दिन से ज्यादा हो गए, युवक का इलाज लखनऊ के मैक्स हॉस्पिटल में चल रहा। उसे होश नहीं आया है। एक तरह से वह कोमा में चला गया है। परिवार का कहना है कि हर दिन 1 लाख रुपए खर्च हो रहे। प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं मिली। पुलिस ने फरार आरोपी पुलिसवालों पर 25-25 हजार का इनाम घोषित किया था। घटना के 10 दिन बाद सभी को पकड़ लिया गया था। यह घटना कैसे हुई? वजह क्या थी? पुलिस की थ्योरी क्या है? परिवार क्या कहता है? परिवार अब क्या चाहता है? इन सवालों का जवाब जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम सिद्धार्थनगर में पीड़ित परिवार से मिली। सिलसिलेवार पूरा मामला पढ़िए… मूर्ति विसर्जन करने रात में निकले
सिद्धार्थनगर जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर चंपापुर गांव है। यहीं अशोक कुमार पटेल का घर है। अशोक शिक्षामित्र हैं। 2 बेटे हैं, बड़ा बेटा रजनीश लखनऊ के एक कॉलेज से बी-फॉर्मा कर रहा। दूसरा अवनीश गांव में ही अभी पढ़ाई कर रहा। 20 अक्टूबर को दीपावली पर रजनीश लखनऊ से सिद्धार्थनगर अपने घर गया था। इस त्योहार पर यहां अलग-अलग गांव में लक्ष्मीजी की मूर्ति स्थापित होती है। उनकी पूजा होती है और अगले दिन धूमधाम से विसर्जन होता है। चंपापुर गांव में 22 अक्टूबर की शाम को विसर्जन का कार्यक्रम शुरू हुआ। आसपास सभी गांव की मूर्तियां मोहाना घाट पर विसर्जित करनी थीं। चंपापुर के साथ पकर भिटवा, बनगई गांव की मूर्तियां अपने गांव से निकलकर सड़क पर आ गईं। हर गांव की मूर्ति के साथ डीजे भी था। मूर्तियों को घाट तक ले जाने के दौरान मोहाना थाने के पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई थी। झगड़ा हुआ और गाड़ी आगे बढ़ गई
चंपापुर से करीब 1 किलोमीटर आगे बर्डपुर मैरिज हॉल के पास रात के 11 बजे झगड़ा हो गया। सभी डीजे आगे बढ़ गए और मूर्तियां पीछे रह गईं। मूर्तियों को आगे जाने से रजनीश और उनके साथियों ने रोका था। झगड़े की स्थिति बनने पर मोहाना थाने के 4 पुलिसकर्मी राजन सिंह, मनोज यादव, मंजीत सिंह, अभिषेक गुप्ता यहां पहुंचे। मूर्ति की गाड़ी को आगे ले जाने की बात कही। रजनीश तैयार नहीं हुए। तभी पुलिसकर्मियों ने कहा कि तुम्हें तुम्हारे पापा बुला रहे हैं, गाड़ी पर बैठो। रजनीश नहीं बैठ रहे थे, लेकिन पुलिसकर्मियों ने उन्हें जबरदस्ती बाइक पर बैठा लिया। रजनीश के भाई अवनीश कहते हैं- भइया को पुलिस बाइक पर बैठाकर अपने साथ ले गई। पेट्रोल पंप के सीसीटीवी में भी दिखा। फिर उन्हें वहीं फेंक दिया गया। भइया पुलिस की गिरफ्त में 14 मिनट तक रहे। इसके बाद पुलिसवाले उन्हें छोड़कर चले गए। 1 घंटे तक उनका कुछ भी पता नहीं चला। बाकी जो लोग थे, वो उन्हें खोज रहे थे। हम लोग भी पहुंचे। करीब 1 घंटे बाद उसी जगह पर रजनीश भइया बेहोशी की हालत में मिले। हाथ-पैर और जबड़ा टूटा, 3 अस्पतालों ने जवाब दिया
अवनीश कहते हैं- हम लोग भइया को बाइक पर बैठाकर बर्डपुर सीएचसी लेकर आए। यहां डॉक्टर ने एक इंजेक्शन लगाया। फिर उन्हें जिला हॉस्पिटल के लिए रेफर कर दिया। वहां के डॉक्टरों ने देखा, स्थिति बहुत खराब थी। उन्होंने गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर किया। वहां एक दिन तक भइया भर्ती रहे। 24 अक्टूबर को गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने भी जवाब दे दिया। रजनीश के पिता अशोक से हमारी बातचीत फोन पर हुई। वह कहते हैं- हम बेटे की स्थिति देखकर परेशान थे। कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या करें? जो जैसे बताता रहा था, हम वैसे ही बेटे को लेकर भागते रहे। मेरे ससुराल के कुछ लोग मेरे साथ थे। जब गोरखपुर में भी डॉक्टरों ने रेफर किया तब हम लखनऊ के लिए चले। लेकिन कहां ले जाना है, इसका पता नहीं था। कुछ लोगों ने कहा कि मैक्स लेकर जाइए, वहां ठीक रहेगा। हम मैक्स लेकर चले आए। बेटे के सिर के दोनों साइड चोट लगी है। हाथ और पैर टूटा हुआ था। अशोक कहते हैं- डॉक्टरों ने पैर की सर्जरी कर दी है। उसके लिए 2 लाख 70 हजार रुपए जमा कराया गया था। चेहरे पर जो चोट थी, वह भी इलाज से सही हो रही। हाथ की सर्जरी पर वह कहते हैं कि होश आने पर ही किया जाएगा। हमने खर्च को लेकर पूछा। अशोक कहते हैं- हर दिन 60-70 हजार रुपए खर्च हो रहे हैं। कुछ मदद शिक्षक साथियों ने की है। विधायक और सांसद जी ने 50-50 हजार रुपए दिए। अब तक 10 लाख से ज्यादा खर्च हुआ है। इधर-उधर से उधार लेकर मैनेज कर रहे हैं। प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं मिली। पुलिस का काम सुरक्षित रखना था, मारना नहीं
रजनीश के घर पर ही हमें कांति देवी मिलीं। वह कहती हैं- रजनीश ने अगर कोई झगड़ा भी किया तो उसे थाने में रखना चाहिए था। पुलिस को जनता मारेगी, तब कैसा लगेगा? पुलिस के मुताबिक, रजनीश गाड़ी से कूद गया, जिसकी वजह से उसकी यह स्थिति हुई। इसे लेकर रजनीश के घर पर बैठी पड़ोसी सुषमा कहती हैं- अभी बच्चे को होश नहीं आया। पुलिस की पिटाई से नहीं हुआ, तो फिर वह लेकर क्यों गए। आखिर पुलिस ने नहीं मारा तो फिर क्या वह अपने आप झटककर कैसे गिर गया। वह तो बीच में बैठा था, वो गिर गया और दोनों लोग बच गए। उसको पीटा गया है। हम चाहते हैं कि आरोपी पुलिसकर्मियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले। पुलिसकर्मी फरार हुए, तो 25 हजार इनाम घोषित हुआ
22 तारीख की रात हुई इस घटना के बाद चारों आरोपी पुलिसवाले राजन सिंह, मनजीत सिंह, मनोज यादव, अभिषेक फरार हो गए। अगले दिन उनका कुछ पता नहीं चल सका। चारों के खिलाफ हत्या का प्रयास, अपहरण समेत गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ। डीआईजी ने मोहाना थाना प्रभारी को निलंबित कर दिया। करीब एक हफ्ते बाद इनपुट मिला कि राजन सिंह और मनोज यादव हिमाचल प्रदेश के मनाली में मौज-मस्ती कर रहे हैं। पुलिस की टीम लोकेशन के जरिए उन तक पहुंची और 1 नवंबर को दोनों को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार दोनों पुलिसवालों से पूछताछ हुई। इनपुट मिला कि बाकी दोनों फरार सिपाही मंजीत और अभिषेक किसी और दिशा में भागे हैं। जांच में इनपुट मिला कि ये नेपाल सीमा क्षेत्र या फिर दिल्ली की तरफ भाग चुके हैं। दिल्ली पुलिस और उत्तराखंड पुलिस तक सूचना पहुंचाई गई। फिर सर्च अभियान तेज किया गया। 4 नवंबर को दोनों पुलिसकर्मी थाने में रखी अपनी बाइक लेने आए। यहीं से पुलिस ने इन्हें घेरकर पकड़ लिया। अब सभी चारों पुलिसकर्मी जेल भेज दिए गए हैं। पुलिस अफसरों का कहना है कि इस मामले में कोई कोताही नहीं बरती जाएगी। केस की गंभीरता से जांच करके कड़ी कार्रवाई की जाएगी। ———————— ये खबर भी पढ़ें… लड़कों को छोड़ने के 25 हजार मांगने वाले पुलिसकर्मी सस्पेंड, सिद्धार्थनगर में भास्कर के कैमरे पर मांगी थी घूस यूपी के सिद्धार्थनगर में पैसा मांगने वाले 2 पुलिसकर्मियों पर एक्शन हुआ है। दैनिक भास्कर के स्टिंग के बाद चिल्हिया थाने में तैनात हेड कॉन्स्टेबल पवन मौर्या और वासिद अली को सस्पेंड कर दिया गया। दोनों ने ऑन कैमरा 5 लड़कों को छोड़ने के लिए 25 हजार रुपए की सौदेबाजी की थी। पढ़ें पूरी खबर
सिद्धार्थनगर जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर चंपापुर गांव है। यहीं अशोक कुमार पटेल का घर है। अशोक शिक्षामित्र हैं। 2 बेटे हैं, बड़ा बेटा रजनीश लखनऊ के एक कॉलेज से बी-फॉर्मा कर रहा। दूसरा अवनीश गांव में ही अभी पढ़ाई कर रहा। 20 अक्टूबर को दीपावली पर रजनीश लखनऊ से सिद्धार्थनगर अपने घर गया था। इस त्योहार पर यहां अलग-अलग गांव में लक्ष्मीजी की मूर्ति स्थापित होती है। उनकी पूजा होती है और अगले दिन धूमधाम से विसर्जन होता है। चंपापुर गांव में 22 अक्टूबर की शाम को विसर्जन का कार्यक्रम शुरू हुआ। आसपास सभी गांव की मूर्तियां मोहाना घाट पर विसर्जित करनी थीं। चंपापुर के साथ पकर भिटवा, बनगई गांव की मूर्तियां अपने गांव से निकलकर सड़क पर आ गईं। हर गांव की मूर्ति के साथ डीजे भी था। मूर्तियों को घाट तक ले जाने के दौरान मोहाना थाने के पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई थी। झगड़ा हुआ और गाड़ी आगे बढ़ गई
चंपापुर से करीब 1 किलोमीटर आगे बर्डपुर मैरिज हॉल के पास रात के 11 बजे झगड़ा हो गया। सभी डीजे आगे बढ़ गए और मूर्तियां पीछे रह गईं। मूर्तियों को आगे जाने से रजनीश और उनके साथियों ने रोका था। झगड़े की स्थिति बनने पर मोहाना थाने के 4 पुलिसकर्मी राजन सिंह, मनोज यादव, मंजीत सिंह, अभिषेक गुप्ता यहां पहुंचे। मूर्ति की गाड़ी को आगे ले जाने की बात कही। रजनीश तैयार नहीं हुए। तभी पुलिसकर्मियों ने कहा कि तुम्हें तुम्हारे पापा बुला रहे हैं, गाड़ी पर बैठो। रजनीश नहीं बैठ रहे थे, लेकिन पुलिसकर्मियों ने उन्हें जबरदस्ती बाइक पर बैठा लिया। रजनीश के भाई अवनीश कहते हैं- भइया को पुलिस बाइक पर बैठाकर अपने साथ ले गई। पेट्रोल पंप के सीसीटीवी में भी दिखा। फिर उन्हें वहीं फेंक दिया गया। भइया पुलिस की गिरफ्त में 14 मिनट तक रहे। इसके बाद पुलिसवाले उन्हें छोड़कर चले गए। 1 घंटे तक उनका कुछ भी पता नहीं चला। बाकी जो लोग थे, वो उन्हें खोज रहे थे। हम लोग भी पहुंचे। करीब 1 घंटे बाद उसी जगह पर रजनीश भइया बेहोशी की हालत में मिले। हाथ-पैर और जबड़ा टूटा, 3 अस्पतालों ने जवाब दिया
अवनीश कहते हैं- हम लोग भइया को बाइक पर बैठाकर बर्डपुर सीएचसी लेकर आए। यहां डॉक्टर ने एक इंजेक्शन लगाया। फिर उन्हें जिला हॉस्पिटल के लिए रेफर कर दिया। वहां के डॉक्टरों ने देखा, स्थिति बहुत खराब थी। उन्होंने गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर किया। वहां एक दिन तक भइया भर्ती रहे। 24 अक्टूबर को गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने भी जवाब दे दिया। रजनीश के पिता अशोक से हमारी बातचीत फोन पर हुई। वह कहते हैं- हम बेटे की स्थिति देखकर परेशान थे। कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या करें? जो जैसे बताता रहा था, हम वैसे ही बेटे को लेकर भागते रहे। मेरे ससुराल के कुछ लोग मेरे साथ थे। जब गोरखपुर में भी डॉक्टरों ने रेफर किया तब हम लखनऊ के लिए चले। लेकिन कहां ले जाना है, इसका पता नहीं था। कुछ लोगों ने कहा कि मैक्स लेकर जाइए, वहां ठीक रहेगा। हम मैक्स लेकर चले आए। बेटे के सिर के दोनों साइड चोट लगी है। हाथ और पैर टूटा हुआ था। अशोक कहते हैं- डॉक्टरों ने पैर की सर्जरी कर दी है। उसके लिए 2 लाख 70 हजार रुपए जमा कराया गया था। चेहरे पर जो चोट थी, वह भी इलाज से सही हो रही। हाथ की सर्जरी पर वह कहते हैं कि होश आने पर ही किया जाएगा। हमने खर्च को लेकर पूछा। अशोक कहते हैं- हर दिन 60-70 हजार रुपए खर्च हो रहे हैं। कुछ मदद शिक्षक साथियों ने की है। विधायक और सांसद जी ने 50-50 हजार रुपए दिए। अब तक 10 लाख से ज्यादा खर्च हुआ है। इधर-उधर से उधार लेकर मैनेज कर रहे हैं। प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं मिली। पुलिस का काम सुरक्षित रखना था, मारना नहीं
रजनीश के घर पर ही हमें कांति देवी मिलीं। वह कहती हैं- रजनीश ने अगर कोई झगड़ा भी किया तो उसे थाने में रखना चाहिए था। पुलिस को जनता मारेगी, तब कैसा लगेगा? पुलिस के मुताबिक, रजनीश गाड़ी से कूद गया, जिसकी वजह से उसकी यह स्थिति हुई। इसे लेकर रजनीश के घर पर बैठी पड़ोसी सुषमा कहती हैं- अभी बच्चे को होश नहीं आया। पुलिस की पिटाई से नहीं हुआ, तो फिर वह लेकर क्यों गए। आखिर पुलिस ने नहीं मारा तो फिर क्या वह अपने आप झटककर कैसे गिर गया। वह तो बीच में बैठा था, वो गिर गया और दोनों लोग बच गए। उसको पीटा गया है। हम चाहते हैं कि आरोपी पुलिसकर्मियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले। पुलिसकर्मी फरार हुए, तो 25 हजार इनाम घोषित हुआ
22 तारीख की रात हुई इस घटना के बाद चारों आरोपी पुलिसवाले राजन सिंह, मनजीत सिंह, मनोज यादव, अभिषेक फरार हो गए। अगले दिन उनका कुछ पता नहीं चल सका। चारों के खिलाफ हत्या का प्रयास, अपहरण समेत गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ। डीआईजी ने मोहाना थाना प्रभारी को निलंबित कर दिया। करीब एक हफ्ते बाद इनपुट मिला कि राजन सिंह और मनोज यादव हिमाचल प्रदेश के मनाली में मौज-मस्ती कर रहे हैं। पुलिस की टीम लोकेशन के जरिए उन तक पहुंची और 1 नवंबर को दोनों को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार दोनों पुलिसवालों से पूछताछ हुई। इनपुट मिला कि बाकी दोनों फरार सिपाही मंजीत और अभिषेक किसी और दिशा में भागे हैं। जांच में इनपुट मिला कि ये नेपाल सीमा क्षेत्र या फिर दिल्ली की तरफ भाग चुके हैं। दिल्ली पुलिस और उत्तराखंड पुलिस तक सूचना पहुंचाई गई। फिर सर्च अभियान तेज किया गया। 4 नवंबर को दोनों पुलिसकर्मी थाने में रखी अपनी बाइक लेने आए। यहीं से पुलिस ने इन्हें घेरकर पकड़ लिया। अब सभी चारों पुलिसकर्मी जेल भेज दिए गए हैं। पुलिस अफसरों का कहना है कि इस मामले में कोई कोताही नहीं बरती जाएगी। केस की गंभीरता से जांच करके कड़ी कार्रवाई की जाएगी। ———————— ये खबर भी पढ़ें… लड़कों को छोड़ने के 25 हजार मांगने वाले पुलिसकर्मी सस्पेंड, सिद्धार्थनगर में भास्कर के कैमरे पर मांगी थी घूस यूपी के सिद्धार्थनगर में पैसा मांगने वाले 2 पुलिसकर्मियों पर एक्शन हुआ है। दैनिक भास्कर के स्टिंग के बाद चिल्हिया थाने में तैनात हेड कॉन्स्टेबल पवन मौर्या और वासिद अली को सस्पेंड कर दिया गया। दोनों ने ऑन कैमरा 5 लड़कों को छोड़ने के लिए 25 हजार रुपए की सौदेबाजी की थी। पढ़ें पूरी खबर