‘दिल्ली में निर्भया को मार दिया गया। हाथरस में पीड़िता को मार दिया गया। मैं बच गई, इसलिए मुझे जिंदा रहते हुए सजा दी जा रही। ये लोग मेरे परिवार और गवाहों को मार देंगे।’ ये शब्द उन्नाव रेप पीड़िता के हैं। इस मामले में दोषी भाजपा के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत दे दी। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और हरीश वैद्यनाथन शंकर की बेंच ने सेंगर की सजा को अपील पर सुनवाई पूरी होने तक सस्पेंड कर दिया। कुलदीप अब बाहर ही रहने वाला है। इस पूरे मामले पर दैनिक भास्कर ने पीड़िता से बात की। मौजूदा स्थिति को समझा। उस अतीत पर भी चर्चा की, जिसने पीड़िता के जीवन को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया। कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ दी जमानत
दिल्ली हाईकोर्ट ने 23 दिसंबर को कुलदीप सिंह सेंगर को लेकर फैसला सुनाया। उसमें शर्तें भी लगाई हैं। कुलदीप जमानत अवधि के दौरान दिल्ली नहीं छोड़ पाएंगे। पीड़िता के 5 किलोमीटर के दायर में नहीं जाने। पासपोर्ट जमा करना होगा। हर सोमवार को थाने में रिपोर्ट करना होगा। अगर कोई शर्त तोड़ता है, तो जमानत रद्द होगी। जिस वक्त यह फैसला सुनाया जा रहा था, पीड़िता दिल्ली में कोर्ट के बाहर थी। रोने लगी। पीड़िता इस फैसले को लेकर बेहद दुखी है। वह कहती है- ये लोग बहुत पावरफुल हैं। कोर्ट ने 5 किलोमीटर दूर रहने की जरूर बात कही है, लेकिन इनके लोग तो पहुंच ही आएंगे न। असली खतरा तो उन्हीं लोगों से है। ये लोग मेरे परिवार को खत्म कर देंगे। मेरे मामले में जो गवाह थे, उन सबकी सुरक्षा हटा दी गई। इस फैसले के बाद उनके अंदर डर भर गया है। वह सब तो उसी उन्नाव में हैं, अब उनके पास सुरक्षा तक नहीं है। रेपिस्ट और हत्यारे को जमानत, मेरे चाचा आज भी जेल में
पीड़िता ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा- आप देखेंगे कि जिस भी मामले में बहस पूरी हो जाती है, उसमें 2-3 दिन या फिर 1 हफ्ते में फैसला आ जाता है। लेकिन इस मामले को 3 महीने तक लटकाए रखा गया। आखिर 3 महीने क्यों रोका गया, ताकि पूरा सेटलमेंट किया जा सके। भाजपा की सरकार है। ये भाजपा का ही नेता है, इसलिए उसकी सजा सस्पेंड हुई है और यह जमानत पर बाहर आ रहा। पीड़िता ने कहा- कुलदीप ने मेरे साथ रेप किया। इसके भाई ने मेरे पापा की हत्या की, लेकिन अब दोनों ही बाहर हैं। दूसरी तरफ, मेरे चाचा जिन्होंने न किसी का रेप किया, न किसी की हत्या की और न ही किसी की छेड़खानी की, वह पिछले 7 साल से तिहाड़ जेल में बंद हैं। उनकी पत्नी को भी एक्सीडेंट में मार दिया गया। तब वह कुछ देर के लिए बाहर आए थे। आखिर हमारे साथ यह सब अन्याय क्यों हो रहा है। पिता की मौत हुई, मामला CBI को गया तब केस दर्ज हुआ
कुलदीप सिंह सेंगर उन्नाव का एक बड़ा नेता था। 2002 में उसने पहली बार बसपा के टिकट पर उन्नाव सदर सीट से चुनाव लड़ा था। जीत गया। पहले कभी भी बसपा उन्नाव की यह सीट नहीं जीती थी। रौब और विवाद के चलते बसपा ने कुलदीप को पार्टी से निकाल दिया। 2007 का चुनाव कुलदीप सपा के टिकट से लड़ा। बांगरमऊ से विधायक बन गया। 2012 में सीट बदली और भगवंतनगर से विधायक बन गया। 2016 में कुलदीप को सपा ने पार्टी से निकाल दिया। इसने अपनी पत्नी संगीता सिंह को निर्दलीय जिला पंचायत अध्यक्ष बनवा दिया। इससे इसकी हैसियत का अंदाजा लगाया जा सकता है। 2017 में भाजपा ने टिकट दे दिया। कुलदीप बांगरमऊ सीट से जीत गया। पीड़िता अपने साथ हुई घटना को लेकर कहती है- उस वक्त कुलदीप सेंगर का बहुत बड़ा नाम था। इलाके में सबसे बड़ा नेता माना जाता था। 4 जून, 2017 को मैं कुलदीप के घर पर नौकरी मांगने गई थी। वहां इसने मेरे साथ रेप किया। मैंने इसका विरोध जताया, तब मुझे गायब करवा दिया गया। पुलिस ने मुझे खोजा और अपने कब्जे में किया। 10 दिन तक अपने साथ रखने के बाद 3 जुलाई को मुझे परिवार को सौंप दिया गया। उसी दिन मैंने विधायक और उसके भाई अतुल सिंह पर रेप केस करने का आरोप लगाया। मुकदमा दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन शिकायत ही नहीं ली गई। उन्नाव में पीड़िता और उसकी मां हर पुलिस अधिकारी के पास गईं, लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई। दोनों चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट कोर्ट गई, कोर्ट ने पीड़िता की मां की अर्जी पर सुनवाई की। उधर सुनवाई चल रही थी, दूसरी तरफ कुलदीप के भाई ने पीड़िता के पिता को पीट दिया और मुकदमा दर्ज करवाकर जेल भिजवा दिया। पीड़िता के पिता ने मीडिया के सामने कहा था कि मुझे फंसाया गया है, लेकिन उनकी नहीं सुनी गई। पिता की गिरफ्तारी के बाद पीड़िता सीएम योगी के आवास पर पहुंच गई और आत्मदाह का प्रयास किया। इसके ठीक अगले दिन यानी 9 अप्रैल को खबर आई कि पीड़िता के पिता की पुलिस कस्टडी में मौत हो गई। शरीर पर चोट के निशान थे। पीड़िता का कहना है कि कुलदीप के कहने पर ही उसके भाई और पुलिसवालों ने इतना पीटा था कि मेरे पापा की मौत हो गई। उसके लोगों ने पहले भी मेरे पापा को नीम के पेड़ पर बांधकर बंदूक की बट से पीटा था। पोस्टमॉर्टम में 14 चोटों की बात सामने आई थी। एक्सीडेंट में मेरी मौसी-चाची खत्म हो गईं
पिता की मौत के 3 दिन बाद ये केस सीबीआई को ट्रांसफर हो गया। सीबीआई ने कुलदीप को रेप का आरोपी बनाया और अगले ही दिन गिरफ्तार करके रिमांड पर ले लिया। यहां से केस शुरू हो गया। 13 जुलाई, 2018 को सीबीआई की चार्जशीट में पीड़िता के पिता को फंसाने में कुलदीप, उसके भाई और कुछ पुलिसवालों का नाम सामने आया। सबकी गिरफ्तारी हुई। 28 जुलाई को सीबीआई ने पीड़िता को गवाही के लिए बुलाया। उस वक्त तक इन सबको किसी तरह की कोई सुरक्षा नहीं मिली थी। पीड़िता के साथ उसके वकील, पीड़िता की मौसी और चाची एक कार में थी। रायबरेली के पास ये लोग पहुंचे थे। तभी सामने से आए एक ट्रक ने जोरदार टक्कर मारी, गाड़ी के परखच्चे उड़ गए। मौके पर ही चाची और मौसी की मौत हो गई। पीड़िता और वकील की हालत गंभीर हो गई। जिस ट्रक ने टक्कर मारी थी, उसकी नंबर प्लेट पर कालिख लगी थी। इस एक्सीडेंट की गूंज पूरे देश में सुनाई दी। यूपी सरकार आलोचनाओं से घिर गई। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का संज्ञान लिया। उस वक्त के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने इस पूरे मामले को ही दिल्ली में शिफ्ट कर दिया। पीड़िता को तुरंत ही सीआरपीएफ की सुरक्षा लगाई। दिल्ली में उसे 2 कमरे का घर देने का आदेश हुआ। इसके बाद पीड़िता अपनी मां के साथ वहीं दिल्ली में रहने लगी। कोर्ट ने सेंगर को उम्रकैद की सजा सुनाई
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस मामले को 5 अगस्त से हर दिन सुनना शुरू हुआ। 16 दिसंबर को जिला जज धर्मेश शर्मा ने कुलदीप सेंगर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। साथ ही 25 लाख रुपए का जुर्माना अदा करने का आदेश दिया। सेंगर के वकील ने कोर्ट से कहा कि आजीवन कारावास की सजा न दी जाए, 10 साल की ही सजा दी जाए। कोर्ट ने वकील की अपील को खारिज कर दिया। पीड़िता इस वक्त दिल्ली में ही रहती है। उसे सीआरपीएफ की सुरक्षा मिली है। लेकिन कुलदीप के बाहर आने से वह डरी हुई है। उसे अपने परिवार और गवाहों की चिंता है। ———————— ये खबर भी पढ़ें… UP का उन्नाव रेप केस-पूर्व BJP विधायक सेंगर को जमानत, आखिरी सांस तक जेल में रहना था उन्नाव रेप केस में उम्रकैद की सजा काट रहे भाजपा के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली हाईकोर्ट ने बेल दे दी है। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और हरीश वैद्यनाथन शंकर की बेंच ने सेंगर की सजा को अपील पर सुनवाई पूरी होने तक सस्पेंड कर दिया। पढ़ें पूरी खबर
दिल्ली हाईकोर्ट ने 23 दिसंबर को कुलदीप सिंह सेंगर को लेकर फैसला सुनाया। उसमें शर्तें भी लगाई हैं। कुलदीप जमानत अवधि के दौरान दिल्ली नहीं छोड़ पाएंगे। पीड़िता के 5 किलोमीटर के दायर में नहीं जाने। पासपोर्ट जमा करना होगा। हर सोमवार को थाने में रिपोर्ट करना होगा। अगर कोई शर्त तोड़ता है, तो जमानत रद्द होगी। जिस वक्त यह फैसला सुनाया जा रहा था, पीड़िता दिल्ली में कोर्ट के बाहर थी। रोने लगी। पीड़िता इस फैसले को लेकर बेहद दुखी है। वह कहती है- ये लोग बहुत पावरफुल हैं। कोर्ट ने 5 किलोमीटर दूर रहने की जरूर बात कही है, लेकिन इनके लोग तो पहुंच ही आएंगे न। असली खतरा तो उन्हीं लोगों से है। ये लोग मेरे परिवार को खत्म कर देंगे। मेरे मामले में जो गवाह थे, उन सबकी सुरक्षा हटा दी गई। इस फैसले के बाद उनके अंदर डर भर गया है। वह सब तो उसी उन्नाव में हैं, अब उनके पास सुरक्षा तक नहीं है। रेपिस्ट और हत्यारे को जमानत, मेरे चाचा आज भी जेल में
पीड़िता ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा- आप देखेंगे कि जिस भी मामले में बहस पूरी हो जाती है, उसमें 2-3 दिन या फिर 1 हफ्ते में फैसला आ जाता है। लेकिन इस मामले को 3 महीने तक लटकाए रखा गया। आखिर 3 महीने क्यों रोका गया, ताकि पूरा सेटलमेंट किया जा सके। भाजपा की सरकार है। ये भाजपा का ही नेता है, इसलिए उसकी सजा सस्पेंड हुई है और यह जमानत पर बाहर आ रहा। पीड़िता ने कहा- कुलदीप ने मेरे साथ रेप किया। इसके भाई ने मेरे पापा की हत्या की, लेकिन अब दोनों ही बाहर हैं। दूसरी तरफ, मेरे चाचा जिन्होंने न किसी का रेप किया, न किसी की हत्या की और न ही किसी की छेड़खानी की, वह पिछले 7 साल से तिहाड़ जेल में बंद हैं। उनकी पत्नी को भी एक्सीडेंट में मार दिया गया। तब वह कुछ देर के लिए बाहर आए थे। आखिर हमारे साथ यह सब अन्याय क्यों हो रहा है। पिता की मौत हुई, मामला CBI को गया तब केस दर्ज हुआ
कुलदीप सिंह सेंगर उन्नाव का एक बड़ा नेता था। 2002 में उसने पहली बार बसपा के टिकट पर उन्नाव सदर सीट से चुनाव लड़ा था। जीत गया। पहले कभी भी बसपा उन्नाव की यह सीट नहीं जीती थी। रौब और विवाद के चलते बसपा ने कुलदीप को पार्टी से निकाल दिया। 2007 का चुनाव कुलदीप सपा के टिकट से लड़ा। बांगरमऊ से विधायक बन गया। 2012 में सीट बदली और भगवंतनगर से विधायक बन गया। 2016 में कुलदीप को सपा ने पार्टी से निकाल दिया। इसने अपनी पत्नी संगीता सिंह को निर्दलीय जिला पंचायत अध्यक्ष बनवा दिया। इससे इसकी हैसियत का अंदाजा लगाया जा सकता है। 2017 में भाजपा ने टिकट दे दिया। कुलदीप बांगरमऊ सीट से जीत गया। पीड़िता अपने साथ हुई घटना को लेकर कहती है- उस वक्त कुलदीप सेंगर का बहुत बड़ा नाम था। इलाके में सबसे बड़ा नेता माना जाता था। 4 जून, 2017 को मैं कुलदीप के घर पर नौकरी मांगने गई थी। वहां इसने मेरे साथ रेप किया। मैंने इसका विरोध जताया, तब मुझे गायब करवा दिया गया। पुलिस ने मुझे खोजा और अपने कब्जे में किया। 10 दिन तक अपने साथ रखने के बाद 3 जुलाई को मुझे परिवार को सौंप दिया गया। उसी दिन मैंने विधायक और उसके भाई अतुल सिंह पर रेप केस करने का आरोप लगाया। मुकदमा दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन शिकायत ही नहीं ली गई। उन्नाव में पीड़िता और उसकी मां हर पुलिस अधिकारी के पास गईं, लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई। दोनों चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट कोर्ट गई, कोर्ट ने पीड़िता की मां की अर्जी पर सुनवाई की। उधर सुनवाई चल रही थी, दूसरी तरफ कुलदीप के भाई ने पीड़िता के पिता को पीट दिया और मुकदमा दर्ज करवाकर जेल भिजवा दिया। पीड़िता के पिता ने मीडिया के सामने कहा था कि मुझे फंसाया गया है, लेकिन उनकी नहीं सुनी गई। पिता की गिरफ्तारी के बाद पीड़िता सीएम योगी के आवास पर पहुंच गई और आत्मदाह का प्रयास किया। इसके ठीक अगले दिन यानी 9 अप्रैल को खबर आई कि पीड़िता के पिता की पुलिस कस्टडी में मौत हो गई। शरीर पर चोट के निशान थे। पीड़िता का कहना है कि कुलदीप के कहने पर ही उसके भाई और पुलिसवालों ने इतना पीटा था कि मेरे पापा की मौत हो गई। उसके लोगों ने पहले भी मेरे पापा को नीम के पेड़ पर बांधकर बंदूक की बट से पीटा था। पोस्टमॉर्टम में 14 चोटों की बात सामने आई थी। एक्सीडेंट में मेरी मौसी-चाची खत्म हो गईं
पिता की मौत के 3 दिन बाद ये केस सीबीआई को ट्रांसफर हो गया। सीबीआई ने कुलदीप को रेप का आरोपी बनाया और अगले ही दिन गिरफ्तार करके रिमांड पर ले लिया। यहां से केस शुरू हो गया। 13 जुलाई, 2018 को सीबीआई की चार्जशीट में पीड़िता के पिता को फंसाने में कुलदीप, उसके भाई और कुछ पुलिसवालों का नाम सामने आया। सबकी गिरफ्तारी हुई। 28 जुलाई को सीबीआई ने पीड़िता को गवाही के लिए बुलाया। उस वक्त तक इन सबको किसी तरह की कोई सुरक्षा नहीं मिली थी। पीड़िता के साथ उसके वकील, पीड़िता की मौसी और चाची एक कार में थी। रायबरेली के पास ये लोग पहुंचे थे। तभी सामने से आए एक ट्रक ने जोरदार टक्कर मारी, गाड़ी के परखच्चे उड़ गए। मौके पर ही चाची और मौसी की मौत हो गई। पीड़िता और वकील की हालत गंभीर हो गई। जिस ट्रक ने टक्कर मारी थी, उसकी नंबर प्लेट पर कालिख लगी थी। इस एक्सीडेंट की गूंज पूरे देश में सुनाई दी। यूपी सरकार आलोचनाओं से घिर गई। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का संज्ञान लिया। उस वक्त के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने इस पूरे मामले को ही दिल्ली में शिफ्ट कर दिया। पीड़िता को तुरंत ही सीआरपीएफ की सुरक्षा लगाई। दिल्ली में उसे 2 कमरे का घर देने का आदेश हुआ। इसके बाद पीड़िता अपनी मां के साथ वहीं दिल्ली में रहने लगी। कोर्ट ने सेंगर को उम्रकैद की सजा सुनाई
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस मामले को 5 अगस्त से हर दिन सुनना शुरू हुआ। 16 दिसंबर को जिला जज धर्मेश शर्मा ने कुलदीप सेंगर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। साथ ही 25 लाख रुपए का जुर्माना अदा करने का आदेश दिया। सेंगर के वकील ने कोर्ट से कहा कि आजीवन कारावास की सजा न दी जाए, 10 साल की ही सजा दी जाए। कोर्ट ने वकील की अपील को खारिज कर दिया। पीड़िता इस वक्त दिल्ली में ही रहती है। उसे सीआरपीएफ की सुरक्षा मिली है। लेकिन कुलदीप के बाहर आने से वह डरी हुई है। उसे अपने परिवार और गवाहों की चिंता है। ———————— ये खबर भी पढ़ें… UP का उन्नाव रेप केस-पूर्व BJP विधायक सेंगर को जमानत, आखिरी सांस तक जेल में रहना था उन्नाव रेप केस में उम्रकैद की सजा काट रहे भाजपा के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली हाईकोर्ट ने बेल दे दी है। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और हरीश वैद्यनाथन शंकर की बेंच ने सेंगर की सजा को अपील पर सुनवाई पूरी होने तक सस्पेंड कर दिया। पढ़ें पूरी खबर