‘पेशाब चटवाने के बजाय धुलवा भी सकते थे’:लखनऊ के लोगों में गुस्सा, बोले- काली टोपी और लाठी लेकर घूमता था आरोपी

लखनऊ में दलित बुजुर्ग से मंदिर में पेशाब चटवाने का मामला तूल पकड़ने लगा है। आरोपी स्वामीकांत गिरफ्तार हो चुका है। बुजुर्ग के घर नेताओं का जमावड़ा लगा हुआ है। वहीं, ग्रामीणों में घटना के बाद काफी नाराजगी है। उनका कहना है कि आरोपी दबंग है। वह काली टोपी और लाठी लेकर गांव में घूमता था। दंगा करने के लिए उकसाता था। यही नहीं, मंदिर के कपाट बंद करके भगवान को भी कैद कर लिया। 150-200 सालों से चली आ रही गांव में नौटंकी, मेला और रामलीला की परंपरा को फूहड़ता बताकर बंद करा दिया है। उसकी जमानत नहीं होनी चाहिए। NSA लगना चाहिए। मामले में लीपापोती न हो, निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। दैनिक भास्कर की टीम घटनास्थल पर पहुंची। पीड़ित परिवार, स्थानीय लोगों और आरोपी पक्ष से बातचीत की। इसमें ग्रामीणों ने आरोपी पर गंभीर आरोप लगाए। जबकि आरोपी पक्ष का कहना है कि स्वामीकांत को योजना के तहत फंसाया गया है। पुलिस की जांच में सहयोग किया जा रहा है। सच्चाई अपने-आप सामने आ जाएगी। पढ़िए ग्राउंड रिपोर्ट… पहले एक नजर में घटना… मंदिर की सीढ़ियों पर अचानक छूट गई पेशाब
काकोरी थाना क्षेत्र में सोमवार की रात बीमार रामपाल (65) शीतला माता मंदिर के सामने से गुजर रहे थे, तभी अचानक उन्हें दिक्कत महसूस हुई। तबीयत खराब होते ही रामपाल मंदिर की सीढ़ियों पर बैठ गए। तभी उनकी पेशाब निकल गई। यह देखते ही मंदिर के सामने की दुकान से स्वामीकांत बुजुर्ग के पास आया। उसने पहले बुजुर्ग से पेशाब चटवाई। फिर पानी से पूरा मंदिर धुलवाया। आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। बुधवार को तबीयत खराब होने पर उसे अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। अब पढ़िए स्थानीय लोगों ने जो कहा… आज एक के साथ हुआ, कल किसी और के साथ होगा
भास्कर की टीम काकोरी कस्बे में पहुंची। यहां के रहने वाले शिवकुमार बताते हैं कि आरोपी स्वामीकांत चार भाई हैं। स्वामीकांत की इच्छा से ही बुजुर्ग रामपाल मंदिर के पार्किंग एरिया में तख्त डालकर रहते थे। चारों भाई आते-जाते उन्हें देखते थे। घटना वाले दिन वहां कोई मौजूद नहीं था। रामपाल ने पेशाब किया या पानी गिरा? इसकी जानकारी किसी को नहीं है। स्वामीकांत ने रामपाल से कहा कि तुमने पेशाब किया है, तो उन्होंने मना कर दिया। इस पर स्वामीकांत ने बोला इसको तुम चाटो और रामपाल को चटवाया। अगर पानी होता तो आदमी को चाटने में क्या दिक्कत होती। इस बात को स्वामीकांत को वहीं खत्म कर देनी थी, लेकिन वह लात घूंसों से मारने की बात कहने लगे। उन्होंने कहा कि झगड़ा ना हो इसलिए रामपाल ने घटना के बारे में उस समय अपने बच्चों को नहीं बताया। दूसरे दिन सबको पता चला, तो लोगों ने कहा यह गलत बात है। चाहे पेशाब था या पानी उसको चटवाने की क्या जरूरत थी? रामपाल गरीब हैं, इसलिए स्वामीकांत ने घटना के बाद उस पर दबाव बनाया। पैसे का ऑफर दिया। सबने निर्णय लिया कि पैसे नहीं लेने हैं। पैसा तो आता रहेगा, लेकिन अभी घटना को पुलिस को जरूर बताना है। क्योंकि आज एक के साथ हुआ है, कल किसी और के साथ होगा। युवाओं को बहकाने और रंगबाजी का काम करते हैं
शिवकुमार ने आरोप लगाया कि स्वामीकांत और उनके परिवार के लोग इस क्षेत्र के माफिया हैं। यह लोग बीच-बीच में ऐसी हरकतें करके माहौल बनाते रहते हैं। जनता, पुलिस और महकमे को गुमराह करना इनका काम है। 10-20 आदमी लाठी लेकर और काली टोपी लगाकर रंगबाजी करते हैं। खुद ढंग से चलने लायक नहीं है, अगर तीन बार लाठी घुमवाया जाए, तो नहीं घुमा पाएंगे, लेकिन गांव के बच्चों और अन्य लोगों से कहेंगे कि तुम वहां पर दंगा कर दो। गांव के लोग इनके बहकावे में नहीं आते हैं। इस वजह से यह लोग गरीबों को दबाते हैं। अगर इन लोगों की माफियागिरी देखनी है, तो मंदिर में जाकर देखें। मंदिर के कपाट में ताला बंद कर दिया है। ईश्वर भी कैद हो गए हैं। यहां मूर्ति और बैटरी चोरी हो गई थी, जब खुलासा हुआ तो उसमें यह खुद चोर निकले। जब तक खुलासा नहीं हुआ था, तब तक यहां के लोगों को पकड़-पकड़ कर पूछते थे। दबंगई दिखाकर नौटंकी को बंद करवा दिया
शिवकुमार ने कहा कि इस मंदिर परिसर में पूर्वजों के समय से नौटंकी की प्रथा चली आ रही थी, जिसे अपनी दबंगई के दम पर बंद करवा दिया। गांववालों के पास परमिशन थी। बावजूद इसके नहीं होने दिया। पुलिस भी समझाकर हार गई। पुलिस के ऊपर दबाव बनवाया। 15 दिन तक चलने वाले मेले में कई लोगों की जीविका चलती थी। दुकान लगती थी। गांव में लोग आते थे। किसी को उसका एतराज नहीं था। अगर यह कहेंगे यहां पानी पीना है, तो पी लेना है। ये आरएसएस के आदमी हैं। किस पद पर हैं यह नहीं पता है। काली टोपी और पैंट पहनकर चार आदमी के साथ शाखा लगाते हैं। बाकी गांव का कोई भी उनके साथ शामिल नहीं होता है। घरवालों को जानकारी देकर पेशाब धुलवा भी सकते थे
पूर्व सभासद अमित वर्मा का कहना है इस घटना से लोगों में काफी आक्रोश है। यह काफी निंदनीय घटना है, अगर कोई व्यक्ति बीमार है। वह नहीं उठ पा रहा है, अगर गलती से पेशाब हो गई। ऐसे में आपका फर्ज था कि उसको या उसके घरवालों को बुलवाते। घटना की जानकारी देकर धुलवा लेते, लेकिन यह अधिकार किसने दिया कि अगर पेशाब हो गई है तो उसे चटवाएं। यह अधिकार आपको आरएसएस ने दिया है या हिंदूवादी संगठन ने दिया है। यह मजबूती इनको संगठन ही दे रहा है कि दलित वर्ग के व्यक्ति ने पेशाब किया, तो उसे चटवा दो। अगर दलित की जगह कोई पंडित या पुजारी होते तो क्या उनसे चटवाते? स्वामीकांत इस तरह की दबंगई कर रहे हैं क्योंकि दलित वर्ग सोया हुआ है। जिस दिन वह जागेगा उन्हें पता नहीं चलेगा कि कहां गए? अगर इतने बड़े दबंग हैं तो किसी जवान आदमी से यह करवा कर दिखाते। इनके ऊपर एनएसए की कार्रवाई होनी चाहिए। इस तरह की कार्रवाई हो की जमानत न हो। इस घटना की निष्पक्ष जांच हो लीपापोती न हो, जो आज उनके साथ हुआ है, वह किसी और के साथ न हो। परंपरा को फूहड़ता बताकर रासलीला बंद करा दी
मनोज कुमार राजपूत बताते हैं, यहां नौटंकी की परंपरा कब से चली आ रही थी किसी को नहीं मालूम है। 150-200 साल भी कम है। यहां रासलीला होती थी। स्वामीकांत ने फूहड़ता बताकर परंपरा को खत्म करा दिया, जबकि जो हमेशा से चला आ रहा था, वही हो रहा था। अब उनकी नजर में वह गलत लग रहा था। सबके विचार होते हैं, वह अपने-अपने विचार से चलते हैं। आरोपी 4 भाई, सर्राफा और कपड़े की दुकान
आरोपी स्वामीकांत गुप्ता के 3 भाई हैं- रमाकांत, श्यामकांत और अमरकांत। रमाकांत बड़े हैं और स्वामीकांत दूसरे नंबर पर है। इनके घर में ही सर्राफा और कपड़े की दुकान है। सभी भाई इन दोनों दुकानों को मिलकर चलाते हैं। गांव में जाति के आधार पर कोई बटवारा नहीं है। हालांकि, लोधी और यादव जाति की बहुलता है। कुल 2200-2500 की आबादी में लोधी 30%, यादव 25%, पासी 10% और मुस्लिम व अन्य मिलाकर 35% हैं। अब जानिए आरोपी पक्ष ने जो कहा… स्वामी के भाई बोले- साजिश के तहत फंसाया गया
आरोपी स्वामीकांत के बड़े भाई रमाकांत करीब 55 साल से आरएसएस से जुड़े हुए हैं। वह लखनऊ ग्रामीण, रायबरेली और लालगंज के सह संघ चालक हैं। इस घटना पर अपना पक्ष रखते हुए उन्होंने बताया कि परिवार के सभी सदस्य मंदिर में दीया जलाने जाते हैं। दीवाली की रात भी सबको जाना था, लेकिन स्वामीकांत अकेले ही चले गए। शाम तक सब सामान्य था, लेकिन अचानक से इतना बड़ा मुद्दा हो गया। हम लोग खुद स्तब्ध रह गए। योजनाबद्ध तरीके से फंसाया गया। मंदिर पर किसी का अधिकार नहीं है, कमेटी है
रमाकांत ने कहा कि मंदिर और तालाब पर किसी का अधिकार नहीं है। उसमें अलग-अलग समाज के लोगों ने मंदिर बनाया है। कई साल पहले अलग-अलग लोगों ने मूर्तियां स्थापित की थीं। हमारे परिवार की तरफ से हनुमान जी की मूर्ति स्थापित की गई थी। परिसर में करीब 18 मंदिर हैं, जिसकी देखरेख के लिए एक कमेटी बनाई गई थी। उन्हें प्रबंधक बनाया गया, हालांकि कमेटी रजिस्टर्ड नहीं है। पिछले 10 सालों में वहां जो भी मूर्तियां स्थापित थीं, उनका जीर्णोद्धार किया जा चुका है। उसके बगल में श्री राम दयाल धौसर वैश्य स्मारक ट्रस्ट जो है, वह हमारे ताऊ के नाम से और वह हमारी निजी जमीन है। जिसको खरीद कर हमने यह बनवाया है। अराजक लोग मंदिर के पास खेलते हैं जुआ
रमाकांत ने बताया कि कुछ अराजक लोग नहीं चाहते हैं कि मंदिर में साफ सफाई रहे। क्योंकि वहां बैठकर वह शराब और जुआ खेलते हैं। पितृपक्ष के महीने में परंपरा के तहत वहां पर रासलीला का आयोजन होता था। वृंदावन से पूरी टीम आती थी। धीरे-धीरे वहां मौजूद लोग उस परंपरा में फूहड़ता ले आए। लड़कियों का नाच होने लगा। इस चीज का विरोध करते हुए हम लोगों ने कमिश्नर को पत्र लिखा और उसको 2023 में बंद करवाया। इस बात से वहां के लोग नाराज थे। मंदिर के पास में एक कुटिया थी। जहां पर शराब और गांजे का सेवन किया जाता था। उसको ठीक करवा कर वहां पर एक छोटा सा अस्पताल बनवा दिया गया, जिसमें इलाके के लोग इलाज के लिए जाते थे। वहां मौजूद शराबी महिलाओं पर छींटाकशी करते थे। उस कुटिया को साफ कराया गया, तो भी कुछ लोगों ने काफी नाराजगी जताई। इन बातों से इलाके के लोग नाराज थे। मामले की जांच में पुलिस को पूरा सहयोग किया जा रहा है। साक्ष्य के आधार पर निष्पक्ष जांच होगी, जो सत्य है वह सामने आएगा। अब पढ़िए इस मामले में राजनीति दलों की प्रतिक्रिया… मायावती ने अमानवीय घटना बताई
घटना को लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती ने सोशल मीडिया X पर पोस्ट किया। उन्होंने कहा- यह अमानवीय घटना है। वहीं, सांसद चंद्रशेखर ने कहा- यह सिर्फ अपराध नहीं, बल्कि दलित विरोधी मानसिकता का नंगा प्रदर्शन है। यह मानवता के लिए कलंक है। आम आदमी पार्टी से राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने पीड़ित से फोन पर बात की। उन्होंने कहा- इंसान के साथ जानवर जैसा सलूक किया गया। मोहनलालगंज से बीजेपी के पूर्व सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर और विधायक अमरेश रावत ने बुधवार सुबह बुजुर्ग से मुलाकात की। कौशल किशोर ने रामपाल को अपना साथी बताते हुए घटना को दुर्भाग्यपूर्ण कहा। मोहनलालगंज से सपा सांसद आरके चौधरी ने भी बुधवार दोपहर पीड़ित से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी बुजुर्ग को न्याय दिलाने के लिए हर लड़ाई लड़ेगी। …………………………….. संबंधित खबर पढ़िए लखनऊ में दलित बुजुर्ग से मंदिर में पेशाब चटवाई:बीमारी के चलते सीढ़ियों पर छूट गई, दबंग ने लात मारकर पानी से धुलवाया लखनऊ में एक दलित बुजुर्ग से मंदिर परिसर में पेशाब चटवाई गई। दरअसल, बीमार बुजुर्ग मंदिर के सामने से गुजर रहे थे। तभी अचानक उन्हें दिक्कत महसूस हुई। तबीयत खराब होते ही वह मंदिर की सीढ़ियों पर बैठ गए। इसी दौरान उनकी पेशाब छूट गई। यह देखते ही मंदिर के सामने की दुकान से एक दबंग बुजुर्ग के पास आया। यहां पढ़ें पूरी खबर