प्रिया सरोज की सीट से रागिनी लड़ना चाहती हैं चुनाव:सपा विधायक बोलीं- मछलीशहर मेरी कर्मभूमि; बताया, ब्रजेश पाठक क्यों निशाने पर?

‘बतौर सांसद प्रिया सरोज से मेरे बहुत अच्छे संबंध हैं। ये गर्व का विषय है कि उन्हें लोकसभा भेजने के लिए सभी 5 विधानसभाओं में सबसे अधिक मार्जिन मेरी सीट पर मिली थी। मछलीशहर मेरी कर्मभूमि है। मछलीशहर हमेशा मेरे दिल के सबसे करीब रहेगा। मौका मिला तो मैं हमेशा चाहूंगी कि मैं यहीं से लोकसभा का चुनाव लडूं।’ जौनपुर की मछलीशहर विधानसभा से समाजवादी पार्टी की पहली बार विधायक बनीं डॉ. रागिनी सोनकर ने यह बात कही। अपनी बेबाकी और तथ्यों से सत्ता पक्ष को सदन में कई बार बैकफुट पर लाने वाली रागिनी सोनकर ने डॉक्टरी छोड़कर राजनीति की राह पकड़ी। दैनिक भास्कर डिजिटल से खास बातचीत में उन्होंने सांसद प्रिया सरोज, अखिलेश यादव, सीएम योगी, डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक से लेकर पीडीए और 2027 के चुनाव तक हर मुद्दे पर खुलकर बात की। पढ़िए पूरा इंटरव्यू… सवाल: आपकी सांसद प्रिया सरोज से कैसी बॉन्डिंग है?
रागिनी: मुझे गर्व है कि हमारी पार्टी से इतनी महिला विधायक और सांसद चुनकर सदन पहुंची हैं। प्रिया सरोज हमारी युवा सांसद हैं। उन्हें लोकसभा पहुंचाने के लिए मेरी विधानसभा से सबसे अधिक मार्जिन मिला। यह मेरे लिए गर्व की बात है। हमने जी-जान लगाकर उन्हें जिताने में मेहनत की। बतौर सांसद हमारे संबंध बहुत अच्छे हैं। सवाल: उनकी मंगनी में आप नजर नहीं आईं?
रागिनी: (हंसते हुए) यह तो बहुत राजनीतिक और फंसाने वाला सवाल है। लेकिन मैं साफ करना चाहूंगी कि मैं उस समय उपस्थित नहीं थी। मुझे जानकारी भी नहीं हो पाई थी। खैर जब उनकी शादी रहेगी तो ये सारे प्रश्न मीडिया के पास नहीं रहेंगे। सवाल : डॉक्टरी छोड़ राजनीति की राह क्यों पकड़ी?
रागनी : मेडिकल प्रोफेशन ऐसा है कि इसे कभी छोड़ा नहीं जा सकता। जब हम डॉक्टर बनते हैं, तो शपथ लेते हैं कि आखिरी सांस तक मरीजों की सेवा करेंगे। मैंने डॉक्टरी कभी नहीं छोड़ी। हां, मैंने इसके साथ राजनीति को अपनी जिंदगी में शामिल किया है। सवाल : डॉक्टरी का पेशा आसान है या राजनीति?
रागिनी : देखिए टफ तो हर प्रोफेशन होता है। चाहे मेडिकल हो या कोई और। अब आपका मीडिया प्रोफेशन को ही देख लें, हर किसी के प्रोफेशन में चुनौती होती है। राजनीति में एक मेजर डिफरेंस (बड़ा अंतर) ब्लैक एंड व्हाइट शैडोज के हैं। उन शैडोज को एडजस्ट करना। मुझे लगता है कि उसको समझने में थोड़ा समय लगता है। इंसान जब उसमें ढल जाता है, तो इफेंसिटी काम कर सकता है। सवाल: आप विधायक बनकर खुश हैं या सांसद बनना चाहती हैं?
रागिनी: हर पद की अपनी गरिमा और महत्ता है। विधानसभा में मैं जिस तरह जनता की आवाज उठा रही हूं, उससे मुझे गर्व की अनुभूति होती है। मैंने बहुत कम समय में राजनीति में प्रवेश किया। मेरी कोई बड़ी राजनीतिक या पारिवारिक पृष्ठभूमि नहीं रही है। मेरे पिता केवल एक कार्यकाल के लिए विधायक रहे। उससे पहले मेरे परिवार में कोई राजनीति में नहीं था। मुझे एक बड़ा मौका मिला है। मैं सबसे युवा महिला विधायक के रूप में विधानसभा में पहुंची हूं। भविष्य में अगर मुझमें क्षमता होगी और जनता का विश्वास बना रहेगा, तो जनता मुझे जहां चाहेगी, वहां पहुंचाएगी। सवाल: आप मछलीशहर या जौनपुर संसदीय क्षेत्र में से कौन-सा चुनेंगी?
रागिनी: कहा जाता है कि जहां जन्म लेते हैं, वह जन्मभूमि होती है। जहां से कर्म शुरू करते हैं, वह कर्मभूमि होती है। मछलीशहर मेरी कर्मभूमि है, यह हमेशा मेरे दिल के सबसे करीब रहेगा। मैं हमेशा यही चाहूंगी कि मछलीशहर से ही लोकसभा का चुनाव लडूं। सवाल : इस बार 48 महिलाएं चुनी गईं। सपा से 14 जीतीं। क्या यह पर्याप्त है?
रागिनी : महिलाओं को आधी आबादी माना जाता है। हमारी भागीदारी भी इसी अनुसार सुनिश्चित करना चाहिए। अगर हम पौराणिक काल से देखे, तो हमारे हक अधिकार और साक्षरता को लेकर कई सारे अवरोध पैदा किए गए। अगर राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाते हैं तो सभी का फायदा होगा। सवाल : सपा में अखिलेश को छोड़कर कौन नेता सबसे अधिक पसंद है?
रागिनी : राष्ट्रीय अध्यक्ष जी की ही प्रेरणा से मैं राजनीति में आई। हमारी मुलाकात एम्स में हुई थी। मैंने कई सारे कार्यकाल यूपी में देखे। लेकिन वो सपा का पहला कार्यकाल था, जो 5 साल का था। इसके पहले गठजोड़ की सरकारें थीं। जिसे कभी पूरे 5 साल का समय नहीं मिला। अखिलेश सबसे कम उम्र के सीएम बने। अपने कार्यकाल में उन्होंने जो करके दिखाया, वो भाजपा अपने साढ़े 8 साल के कार्यकाल में नहीं कर पाई। भाजपा सरकार का 9वां साल शुरू होने वाला है। मेट्रो स्टेशन को जिस स्टेज पर सपा ने रोका था, उससे भाजपा एक कदम आगे नहीं बढ़ पाई। कई लोग डिफरेंस पार्टी से हैं, लेकिन उनके कार्य करने तरीका और वर्क स्टाइल ऐसा है कि आप उन्हें पसंद कर सकते हैं। सवाल : योगी का साढ़े 8 साल का कार्यकाल हुआ है। 10 में कितने नंबर देंगी?
रागिनी : मैं तो विपक्ष की हूं, मुझसे नंबर मांगेंगे तो मैं माइनस में दे दूंगी। लेकिन, जनता उन्हें 2027 में नंबर जरूर बता देगी। सवाल : सीएम योगी से कैसे संबंध हैं?
रागिनी : पद की बात करें तो हमारे प्रदेश के सीएम हैं। बतौर विधायक एक ही बार मुलाकात हुई है। सोनकर समाज की एक रेप पीड़िता को लेकर उनसे बात करने गई थी। साथ ही कुछ क्षेत्र की समस्या थी। सड़कों के निर्माण के प्रस्ताव को लेकर गई थी। उनके साथ मेरी वही एक मुलाकात है। सवाल : सदन में अक्सर डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक आपके निशाने पर होते हैं?
रागिनी: मेरा निशाना किसी एक विभाग या व्यक्ति पर नहीं होता। स्वास्थ्य मेरा अपना विभाग है। इसलिए मुझे इसकी गहरी जानकारी है। स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर मुझे विशेष तैयारी की जरूरत नहीं पड़ती, क्योंकि ये सवाल मेरे लिए आसान और स्वाभाविक होते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि स्वास्थ्य के मामले में ही लोग सबसे ज्यादा मजबूर होते हैं। सवाल : भाजपा में कौन नेता पसंद हैं?
रागिनी : इस प्रश्न का उत्तर मेरे लिए आज देना कठिन है। भाजपा में अब ऐसा माहौल बन गया है कि जिस उद्देश्य के लिए जनता से वोट लिया गया, जिसके लिए वे सदन में बैठे हैं, उसे वे धरातल पर उतार पाने में असफल हो रहे हैं। सवाल : विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना से कैसे संबंध हैं?
रागिनी : वे हमारे स्पीकर हैं। जब भी प्रश्नकाल होता है, मैं वहां सवाल पूछती हूं। मुझे लगता है कि सवाल पूछने का अवसर मिलना हमारे लिए एक अच्छी बात है। सवाल: आपके काम रुकते नहीं, विपक्षी विधायक अक्सर यह शिकायत करते हैं?
रागिनी: मैं यह नहीं कहूंगी कि विकास कार्य कभी नहीं रुकते। हां, यह जरूर है कि मैं तब तक प्रयास करती रहती हूं, जब तक काम पूरा नहीं हो जाता। मुझे लगता है कि एक जनप्रतिनिधि के रूप में यही मेरी जिम्मेदारी है। मैं यह 100% वादा तो नहीं कर सकती कि जो भी मेरे पास आएगा, उसका काम मैं निश्चित रूप से करवा दूंगी। लेकिन, मेरे पास मेहनत और कोशिश का दम है। मैं आखिरी दम तक कोशिश करती रहती हूं कि मेरे पास आने वाला कोई भी व्यक्ति निराश न लौटे और उसका काम जरूर हो। सवाल : सपा इस समय पीडीए की बात कर रही है। यह क्या है?
रागिनी : पीडीए वो है, जो प्रत्यक्ष रूप से सबके सामने हैं। लेकिन, कहीं न कहीं सरकार ने अपनी आंखें उनके लिए बंद कर रखी हैं। पीडीए वो पिछड़ा है, वो दलित है, वो आधी आबादी है, वो आदिवासी समाज है, वो अल्पसंख्यक समाज है, और वो अगड़ा है, जो सिर्फ और सिर्फ सरकार की तानाशाही का शिकार हो रहा है। सवाल: बिहार में पीएम और उनकी मां पर अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया?
रागिनी: मुझे इस बयान की जानकारी अभी आपसे मिल रही है। इसके बारे में मुझे पहले से कोई जानकारी नहीं है। फिर भी व्यक्तिगत रूप से मैं मानती हूं कि किसी की मां के बारे में, चाहे वह मेरा विरोधी ही क्यों न हो, अभद्र टिप्पणी करना शोभा नहीं देता। विशेष रूप से राजनीतिक मंचों पर ऐसी टिप्पणियां बिल्कुल नहीं होनी चाहिए। सवाल : डिंपल यादव से किस तरह के संबंध हैं?
रागिनी: डिंपल यादव जी से मुझे बहुत स्नेह और आशीर्वाद मिलता है। जब मैं विधायक नहीं थी, तब भी उनसे मुलाकात होती थी। पहले जो स्नेह और प्यार मिलता था, आज भी उतना ही बरकरार है। सवाल: 2027 के विधानसभा चुनाव को लेकर क्या सोचती हैं?
रागिनी: मुझे विश्वास है कि 2027 में पीडीए अपनी सरकार बनाएगी। सवाल: भाजपा के सहयोगी दल सपा को नकली पीडीए कहते हैं?
रागिनी: वे ठीक कहते हैं, क्योंकि 2027 के चुनाव में वे सभी हमारी ओर आने वाले हैं। वे वास्तव में पीडीए का हिस्सा हैं, लेकिन अभी मजबूरी में वहां हैं। वे खुलकर नहीं बोल पाते, इसलिए कहते हैं कि असली पीडीए हैं। मुझे विश्वास है, 2027 के चुनाव में वे असली पीडीए के साथ आ जाएंगे। सवाल: विधानसभा में आपके सवालों पर कई बार खुद मुख्यमंत्री को जवाब देना पड़ता है?
रागिनी: भाजपा ने 2022 का चुनाव विकास के नाम पर नहीं, विभाजनकारी नीतियों के आधार पर लड़ा था। अंग्रेजों ने “फूट डालो और राज करो” की नीति अपनाई थी। भाजपा ने भी वर्षों की साजिश के तहत लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया। उन्होंने हिंदू-मुस्लिम और जाति-पात के भेदभाव को बढ़ावा दिया। भाजपा ने लोगों को आश्वासन दिया था कि वे कानून-व्यवस्था को बेहतर करेंगे। लेकिन आज उनके ही एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं के खिलाफ उत्पीड़न और बलात्कार के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। छिनैती और डकैती की घटनाएं भी बढ़ती जा रही हैं। लखनऊ जैसे शहर में हाल ही में एक महिला को ई-रिक्शा से कूदकर अपनी जान बचानी पड़ी। जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई। जिस लॉ एंड ऑर्डर का सेहरा बांधकर उन्होंने सरकार बनाई थी, वह पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। इसके अलावा सरकार को संवैधानिक रूप से विधायकों और नौकरशाही के बीच समन्वय के साथ चलना चाहिए। लेकिन, आज केवल नौकरशाही की तानाशाही चल रही है। यहां तक कि सत्तापक्ष के विधायकों की बात भी नहीं सुनी जाती और वे बेचारे रो रहे हैं। सवाल: संभल दंगे पर आयोग की रिपोर्ट पर क्या कहेंगी?
रागिनी: मैंने अभी तक वह रिपोर्ट नहीं पढ़ी है, लेकिन आपके बताने के बाद मैं इसे जरूर पढ़ूंगी। मेरा मानना है कि अगर हम राजनीतिक दृष्टिकोण से भेदभाव को बढ़ावा देने के बजाय आपसी खाई को कम करें और सेकुलरिज्म-भाईचारे को बढ़ावा दें, तो सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं कभी नहीं होंगी। विधानसभा सत्र के दौरान फतेहपुर में कुछ लोगों की ओर से जबरन भगवा झंडा फहराने की कोशिश की गई। इसके अलावा कई ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हो रही हैं जो तनाव बढ़ाती हैं। सदन में भी बहुत सारी ऐसी टिप्पणियां किसी विशेष समुदाय या धर्म के खिलाफ की जाती हैं, जो बिल्कुल नहीं होनी चाहिए। हमारा देश सभी के लिए समान है- हर जाति और हर धर्म के लिए। देश और प्रदेश को इसी समानता के आधार पर चलना चाहिए। सवाल: सदन में श्रीराम को लेकर आपकी टिप्पणी पर काफी हंगामा हुआ था?
रागिनी: विजन 2047 पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने कहा कि सरकार का कोई ठोस विजन ही नहीं है, तो हम किस पर चर्चा करें? हमें बताया गया कि हम अपनी मंशा के अनुसार प्रदेश के विकास और सकारात्मक मूल्यों के लिए सुझाव दे सकते हैं। मैंने शिक्षा, स्वास्थ्य और बिजली सहित सभी विभागों के लिए अपने सुझाव दिए। सदन में चर्चा शुरू होने के दौरान सुबह संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना जी ने जापान का उदाहरण दिया, क्योंकि वे हाल ही में वहां से लौटे थे। उन्होंने बताया कि जापान में 50 प्रतिशत से अधिक लोग बौद्ध धर्म को मानते हैं। वहां बच्चों को सिखाया जाता है कि यदि भगवान बुद्ध स्वयं आकर भी उनके देश के खिलाफ कुछ कहें, तो वे उनकी बात को नकार दें और देश को प्राथमिकता दें। इस पर मैंने कहा कि भारत में, जहां 80 प्रतिशत आबादी हिंदुस्तान की है, हमें बार-बार बताया जाता है कि “हिंदू खतरे में है।” मैंने पूछा कि क्या हम अपने बच्चों को यह सिखा सकते हैं कि अगर भगवान श्रीराम भी आकर देश के खिलाफ कुछ कहें, तो उनकी बात को नकार कर देश को प्राथमिकता दी जाए? मेरे इस कथन पर मुझ पर हिंदू-विरोधी होने का आरोप लगाया गया। सवाल: भाजपा अक्सर आरोप लगाती है कि सपा परिवारवादी पार्टी है?
रागिनी: यह बात कई समाचार चैनलों पर सामने आ चुकी है कि भाजपा में भी कई नेता ऐसे हैं, जिनका पारिवारिक पृष्ठभूमि राजनीतिक है। मेरे विचार में परिवारवाद कोई महत्वपूर्ण मुद्दा नहीं है। उदाहरण के लिए एक डॉक्टर चाहता है कि उसका बच्चा भी डॉक्टर बने। एक आईएएस अधिकारी अपने बच्चे को आईएएस बनाना चाहता है। एक व्यवसायी का बच्चा व्यवसाय में जाता है। यह आम बात है। एक पत्रकार के रूप में आप सर्वे करें, तो पाएंगे कि डॉक्टरों के बच्चे अक्सर डॉक्टरी, आईएएस के बच्चे आईएएस, और व्यवसायियों के बच्चे व्यवसाय में जाते हैं। उसी तरह एक राजनेता का बच्चा अपने माता-पिता को राजनीतिक परिवेश में देखता है। लोगों से मिलते-जुलते और उनके सुख-दुख को संभालते देखता है। अगर वह इस अनुभव से सीखकर राजनीति में आना चाहता है, तो इसमें क्या समस्या है? मैं परिवारवाद के खिलाफ नहीं हूं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जनता वोट देकर किसी को चुनती है। यदि परिवारवाद का ठप्पा सही होता, तो जनता वोट नहीं देती। चाहे कितने भी टिकट मिल जाएं, जीत के लिए जनता का समर्थन जरूरी है। यह लोकतंत्र और संविधान की ताकत है। सवाल: बिहार में वोट चोरी को लेकर काफी चर्चा हो रही है?
रागिनी: हां, निश्चित रूप से वोट चोरी हुई है। यह 2024 के लोकसभा चुनाव और 2022 के विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिला। हाल के खुलासों में सामने आया है कि एक कमरे के घर में सैकड़ों वोटरों का पता दर्ज है। कई मामलों में तस्वीरें गायब हैं। नाम केवल एबीसीडी जैसे अक्षरों में लिखे गए हैं। ये तथ्य स्पष्ट हैं। इंडिया गठबंधन ने इस डेटा पर काम किया है, जो खुद निर्वाचन आयोग द्वारा उपलब्ध कराया गया था। अगर आप इन तथ्यों को भी नकारते हैं, तो बिहार के गांवों में जाकर देखिए। वहां लोग सड़कों पर उतरकर यह साबित कर रहे हैं कि वे जीवित हैं। क्योंकि, उनके वोटर आईडी कार्ड में उन्हें मृत घोषित कर दिया गया है। लोग कह रहे हैं, “मैं मरा नहीं हूं, मैं जीवित हूं।” यह वोट चोरी कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं, बल्कि जमीनी हकीकत है। सवाल: विधानसभा की ओर से आप और अदिति सिंह विदेश गई थीं। उस यात्रा के बारे में बताएं।
रागिनी: मैं उस कार्यक्रम में अपने देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए गई थी। संसद से भी सत्तापक्ष और विपक्ष के कई लोग शामिल थे। हाल ही में नवनिर्वाचित सांसद, जैसे पुष्पेंद्र सरोज जी, भी जापान गए थे। इस तरह के अवसर कई लोगों को मिलते हैं। विधानसभा की ओर से इस अवसर में कुछ सांसदों और कुछ महिला विधायकों को चुना गया था। यह सम्मेलन विशेष रूप से महिलाओं के लिए था। जिसमें देश और विश्व की महिलाओं के राजनीति में आगे बढ़ने के विषय पर चर्चा हुई। —————————— यह खबर भी पढ़ें ब्रेनवॉश, फिर मुस्लिम लड़की से निकाह और खतना, बरेली में हिंदुओं के धर्मांतरण का सिंडिकेट यूपी की बरेली पुलिस ने 26 अगस्त को छांगुर बाबा जैसा धर्मांतरण सिंडिकेट का खुलासा किया। इस मामले में मदरसा संचालक समेत कुल 4 आरोपियों को अरेस्ट किया गया है। ये गैंग ऐसे लोगों को टारगेट करता था, जो आर्थिक या पारिवारिक रूप से कमजोर हों। पहले इनका ब्रेनवॉश किया जाता था। फिर मुस्लिम लड़कियों से शादी कराई जाती थी। आखिर में खतना करके पूरी तरह से धर्मांतरण करा दिया जाता था। ‘दैनिक भास्कर’ ने ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर सिंडिकेट के बारे में समझा। जांच से जुड़े पुलिस अफसरों से बात की। सिंडिकेट मेंबरों की प्रोफाइल और पीड़ित परिवारों की कहानी भी जानी। पढ़िए पूरी खबर…