पांच साल से छोटे बच्चों को निमोनिया आसानी से घेर लेता है। संक्रमण के चलते बच्चे आसानी से निमोनिया की गिरफ्त में आ सकते हैं। बच्चों को अच्छे पोषण, स्वच्छ हवा, टीकाकरण और समय पर इलाज से बच्चों को निमोनिया से बचा सकते हैं। कुपोषित बच्चे आसानी से निमोनिया की जद में आ जाते हैं। ये जानकारी KGMU में पल्मोनरी मेडिसिन एंड क्रिटिकल केयर विभाग के अध्यक्ष डॉ.वेद प्रकाश ने दी। विश्व निमोनिया दिवस पर विभाग में जागरुकता कार्यक्रम हुआ। डॉ.वेद प्रकाश ने बताया कि निमोनिया घातक संक्रमण है। इसमें बच्चे को सर्दी-जुकाम, बुखार होता है। फिर सांस फूलने लगती है। उल्टियां होती हैं। समय पर इलाज से बीमारी काबू में आ सकती है। इलाज में देरी घातक है। उन्होंने बताया कि गंभीर मरीजों को एंटीबायोटिक्स और ऑक्सीजन देने की जरूरत पड़ती है। निमोनिया से बड़ी संख्या में दम तोड़ देते है बच्चें KGMU के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ.राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि उत्तर प्रदेश में भारत के 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का लगभग 18% हिस्सा है। वहीं, गंभीर निमोनिया के लगभग 24% हिस्सेदारी है। पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में निमोनिया से होने वाली मृत्यु का लगभग 26% योगदान है। उन्होंने बताया कि हॉस्पिटल मैनेजमेंट इनफॉरमेशन सिस्टम के वर्ष 2022-23 के आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में निमोनिया के कारण 452 मृत्यु हुईं थी। निमोनिया के लक्षण निमोनिया से बचाव