बरेली में बच्चे, मां को पाकिस्तान भेजा:15 साल का बेटा बोला- पहलगाम में अटैक हुआ, मेरा क्या कसूर; मुझे मां के पास जाना है…

‘मेरा क्या कसूर है, जो मुझे मां से दूर कर दिया गया? मुझे मां की बहुत याद आती है। मैं और मेरी बहन मां के साथ रहना चाहते हैं।’ बरेली में शाहेनूर ये बातें कहते-कहते भावुक हो जाता है। उसकी उम्र महज 15 साल है। केंद्र सरकार की सख्ती के बाद शाहनूर की मां इरम को पाकिस्तान भेज दिया गया। शाहेनूर ने कहा, परिवार और आसपास के लोग कहते हैं कि मेरी मां हिंदुस्तानी नहीं है। अगर मुझे पाकिस्तान नहीं जाने दिया, तो मैं बड़ा होकर मां को हिंदुस्तान लाऊंगा। दरअसल, इरम 17 साल पहले बरेली के बिहारीपुर मोहल्ले की बहू बनकर भारत आईं थीं। 2024 में उनका पति से तलाक हो गया। वह अपने दो बच्चों बेटे शाहेनूर (15) और बेटी आयजा (7) के साथ अलग रहने लगीं। 1 मई को इरम बच्चों को दादी के पास छोड़कर पाकिस्तान चली गईं। क्योंकि उनके पास इंडियन नागरिकता नहीं थी। उनका वीजा रद्द कर दिया गया था। 22 अप्रैल को पहलगाम में टेरर अटैक हुआ था। 27 अप्रैल को भारत ने पाकिस्तानी नागरिकों के लिए जारी किए सभी वीजा रद्द कर दिए। ऐसे में पाकिस्तान के बाशिंदों को भारत छोड़कर जाना पड़ा। इसमें इरम भी शामिल हैं। इरम के जाने के बाद बच्चों की परवरिश कैसे हो रही है? मां से बात होती है या नहीं? ये सब जानने के लिए दैनिक भास्कर ऐप टीम इरम की ससुराल पहुंची। पढ़िए रिपोर्ट…. बेटे शाहेनूर ने क्या कहा, पढ़िए अगर मेरी मां यहां नहीं आई तो मैं पाकिस्तान चला जाऊंगा
इरम के बेटे शाहेनूर ने कहा- मेरी मां जब पाकिस्तान जा रही थी तो बहन उनसे लिपट गई और रोने लगी। उसे रोता देखकर मैं भी रोने लगा। हमने मां से कहा- मुझे भी आपके साथ चलना है, मैं यहां नहीं रह पाऊंगा। मगर मां ने मुझे समझाया। कहा- कुछ मजबूरी है, इसलिए तुम लोग मेरे साथ नहीं चल सकते हो। लेकिन एक दिन सब अच्छा होगा। मां ने जाते-जाते कहा, बच्चों मुझे भी तुम्हारी बहुत याद आएगी। उसने बहन को चूमा और मुझे भी। मां की भी आंख भर आई थी। मां ने कहा- मैं पाकिस्तान जा रही हूं, मगर हम रोज फोन पर बात करेंगे। इसलिए दुखी मत होना। एक दिन हम लोग साथ रहेंगे। शाहेनूर ने कहा, मां के बिना मुझे अच्छा नहीं लग रहा है। मैं पाकिस्तान जाना चाहता हूं, अपनी मां के पास। मेरी बहन भी साथ जाएगी। जब मैं 18 साल का हो जाऊंगा तो उनकी गारंटी ले लूंगा। उन्हें यहां लाने का प्रयास करूंगा। अगर मेरी मां यहां नहीं सकती तो हम लोग पाकिस्तान चले जाएंगे। हम वहां पढ़ाई करेंगे। अब इरम की सास की बात मुझे अल्लाह कब बुला ले, ये पता नहीं फिर बच्चों को कौन देखेगा
बिहारीपुर मोहल्ला निवासी नुसरत जहां कहती हैं- मेरा बेटा गलत संगत में पड़ गया और बहू को तलाक दे दिया। अब इरम के बच्चे हमारे पास हैं, लेकिन हम बूढ़े हैं। कब अल्लाह हमें बुला ले, ये कहा नहीं जा सकता। बच्चों की पढ़ाई और परवरिश का कोई ठिकाना नहीं है। अगर ये अपनी मां के पास रहेंगे तो अच्छा रहेगा। मेरी बहू अपने बच्चों से बेहद प्यार करती है। दिन में कई बार वीडियो कॉल पर बात करती है। शाहेनूर तो थोड़ा समझदार है, लेकिन आयजा तो बहुत छोटी है। दिन भर मां को याद करके रोती रहती है। मेरी पीएम मोदी जी से हाथ जोड़कर विनती है कि इन बच्चों को मां से दूर मत रहने दीजिए। इनकी मदद कीजिए। बताया- बेटा अब 10वीं क्लास में है और बेटी पहली क्लास में। लेकिन मां के पाकिस्तान जाने के बाद बच्चों की पढ़ाई छूट गई है। क्योंकि मेरी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। बेटा अथर का बच्चों से कोई सरोकार नहीं है। अब इरम की कहानी पढ़िए 15 साल बाद पति ने तलाक दिया, घर से निकाला
पाकिस्तान के लाहौर की निस्तार कॉलोनी निवासी डॉक्टर मजाहिल हुसैन के घर 2 जनवरी 1987 को एक बेटी का जन्म हुआ। नाम रखा गया इरम। आठ अप्रैल 2008 को इरम का निकाह बरेली के मोहल्ला बिहारीपुर निवासी मोहम्मद अथर से हुआ। इरम की शादी करीब 15 साल तक ठीक चली। इरम के मुताबिक, 11 जून 2024 को मोहम्मद अथर ने उसे रातभर पीटा। फिर तलाक देकर घर से निकाल दिया। इरम ने 18 जून 2024 को कोतवाली में पति मोहम्मद अथर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने उसी मकान में इरम को एक कमरा दिला दिया। शादी से उसे एक बेटा और बेटी हुई। इरम ने सितंबर 2024 में भारत छोड़ने का फैसला किया। मगर केस के कारण वह देश नहीं छोड़ सकती थी। ऐसे में उसने मुकदमा वापस लेने के लिए पुलिस को पत्र दिया। पुलिस ने 13 सितंबर 2024 को फाइनल रिपोर्ट लगा दी। इरम के पास लॉन्ग टर्म वीजा था
यह एफआर कोर्ट में पहुंच गई। वहां से इरम को नोटिस आया। इरम ने जवाब नहीं दिया तो 10 दिन पहले केस खत्म हो गया। अब वो पाकिस्तान जा सकती थी। इसी बीच पहलगाम हमला हो गया और देश छोड़ने का फरमान आ गया। इरम चाहती थीं कि वह बेटी को साथ ले जाएं, पर बच्चों की नागरिकता भारतीय होने के कारण नहीं ले जा सकीं। इरम के पास लॉन्ग टर्म वीजा था। सरकार के नए फरमान के हिसाब से वह चाहती तो भी कुछ और समय यहां रह सकती थीं। ……………………. ये खबर भी पढ़िए- यूपी की बहू तलाकशुदा बनकर पाकिस्तान जाएगी:पति से केस वापस लिया, बोली- बेटा नहीं ले जाऊंगी, वहां उर्दू पढ़नी पड़ेगी ‘हिंदुस्तान में औरतों पर जुल्म नहीं होता, बेटी तू वहां खुश रहेगी।’ पाकिस्तान में लाहौर के मशहूर डॉक्टर मजाहिल हुसैन ने 8 अप्रैल, 2008 को यह कहकर अपनी बेटी इरम का निकाह बरेली (यूपी) के मोहम्मद अथर से किया था। मां-बाप ने जिस उम्मीद से इरम का निकाह किया, वह पिछले साल टूट गई। शौहर ने तलाक दे दिया। सालभर से एक छोटे-से कमरे में खुद को कैद किए इरम अब अपने वतन वापस जा रही है। पहलगाम टेरर अटैक के बाद कह दिया गया है कि पाकिस्तानी अपने वतन लौट जाएं। इरम अब सारा सामान पैक कर रही है। पढ़ें पूरी खबर