बहराइच में पुलिस लाइन में प्रसिद्ध कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी को यूपी पुलिस की ओर से गार्ड ऑफ ऑनर देने पर बवाल मचा है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और सांसद चंद्रशेखर ने योगी सरकार और यूपी पुलिस पर सवाल उठाए हैं। अखिलेश ने कहा- जब पूरा पुलिस महकमा सलामी में व्यस्त रहेगा, तो प्रदेश का अपराधी मस्त रहेगा। इसके बाद डीजीपी एक्शन में आ गए। उन्होंने एसपी से जवाब मांगा है। क्या है गार्ड ऑफ ऑनर? गार्ड ऑफ ऑनर के नियम क्या हैं? यूपी में किसे गार्ड ऑफ ऑनर देते हैं? क्या एसपी खुद ऐसे फैसले ले सकते हैं? सारे सवालों के जवाब इस रिपोर्ट में पढ़िए… पहले जानिए ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ क्या होता है? यूपी के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह के अनुसार, ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ को राज्य की संप्रभु सत्ता और सम्मान का प्रतीक माना जाता है। इसके तहत पुलिस या सशस्त्र बलों की एक टुकड़ी औपचारिक परेड करती है। सलामी देकर सम्मान जताती है। यह कोई भावनात्मक फैसला या लोकप्रियता से जुड़ा सम्मान नहीं होता। बल्कि तय प्रोटोकॉल, नियमों और संवैधानिक परंपराओं के अनुसार दिया जाता है। गार्ड ऑफ ऑनर का उद्देश्य राज्य की ओर से किसी विशेष व्यक्ति या अवसर को औपचारिक और आधिकारिक सम्मान देना होता है। पुलिस की गार्ड सलामी पूरी तरह एक विभागीय (डिपार्टमेंटल) प्रक्रिया है। इसे विभाग के बाहर गार्ड की सलामी, केवल राजकीय कार्यक्रमों (State Functions) के अवसर पर ही दिया जाता है। यूपी गार्ड एवं एस्कॉर्ट रूल्स के तहत गार्ड ऑफ ऑनर या औपचारिक सलामी केवल वर्दीधारी अधिकारियों (Uniformed Officers) के लिए निर्धारित है। इसमें पुलिस अधिकारियों के साथ सैन्य अधिकारियों एवं फौजी टुकड़ी को भी शामिल किया गया है। इसके अलावा किसी अन्य उच्चाधिकारी को केवल संतरी द्वारा साधारण सैल्यूट (Simple Salute) का ही प्रावधान है, गार्ड की सलामी का नहीं। राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा) को राष्ट्रीय सलामी (National Salute) दी जाती है। जबकि डीआईजी (DIG) और उससे ऊपर के अधिकारियों को जनरल सलामी (General Salute) दी जाती है। गार्ड की इस औपचारिक सलामी को ‘टर्न आउट’ कहा जाता है। यह सलामी सुपरिंटेंडेंट स्तर और उससे ऊपर के वर्दीधारी अधिकारियों को दी जाती है, जिसमें पूरे गार्ड सलामी देते हैं। इसके अलावा आर्म्ड फोर्सेज के अधिकारी/कर्मचारी की मृत्यु पर पार्थिव शरीर को शोकशस्त्र की सलामी दी जाती है। स्टेट ऑनर घोषित होने पर अन्य महानुभावों के पार्थिव शरीर को सलामी दी जाती है। यह सांसदों विधायकों को नहीं दी जा सकती है। नियम क्या कहते हैं? भारत में ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ से जुड़ा प्रोटोकॉल रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय और पुलिस ड्रिल मैनुअल के दिशा-निर्देशों के तहत निर्धारित होता है। केंद्र सरकार के स्तर पर राष्ट्रपति को 150 जवानों द्वारा त्रि-सेवा सलामी दी जाती है। वहीं, प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति को 100 जवानों का गार्ड ऑफ ऑनर मिलता है। इसी श्रेणी में विदेशी राष्ट्राध्यक्षों को भी औपचारिक सम्मान दिया जाता है। राज्य स्तर पर गार्ड ऑफ ऑनर का दायरा सीमित होता है। यह केवल कुछ तय संवैधानिक पदों और विशेष अवसरों तक ही प्रदान किया जाता है। गार्ड ऑफ ऑनर के लिए बिना वर्दी श्रेणी में केवल माननीय राष्ट्रपति और माननीय राज्यपाल ही अधिकृत होते हैं। अन्य किसी भी असैनिक अधिकारी या व्यक्ति को गार्ड ऑफ ऑनर देने का प्रावधान नहीं। यूपी सरकार ने 1995-96 में शासनादेश जारी करके मंत्रियों आदि को गार्ड ऑफ ऑनर देने पर अप्रसन्नता व्यक्त की थी और रोक लगाने का आदेश दिया था। यूपी में किसे देते हैं गार्ड ऑफ ऑनर? पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह बताते हैं- प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री अथवा मंत्री गार्ड ऑफ ऑनर के लिए अधिकृत नहीं। जब ये किसी स्टेट फंक्शन में चीफ गेस्ट होंगे, तभी सलामी दी जाएगी। इसके अलावा स्टेट फंक्शन में जो भी गेस्ट होंगे, उनको गार्ड का जनरल सैल्यूट दिया जाएगा। पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह बताते हैं- 26 जनवरी या 15 अगस्त की परेड में अगर जिलाधिकारी (डीएम) को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है, तो वो गार्ड ऑफ ऑनर की सलामी ले सकते हैं। यह अधिकार उन्हें कार्यक्रम में प्रतिनिधि के तौर पर मिलता है, न कि व्यक्तिगत सम्मान के रूप में। डीजीपी ने एसपी से मांगा जवाब
पुलिस लाइन में पुंडरीक महाराज को गार्ड ऑफ ऑनर देने के मामले को लेकर पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) राजीव कृष्ण ने संज्ञान लिया है। पुलिस परेड ग्राउंड के इस्तेमाल और सलामी देने की प्रक्रिया को लेकर उन्होंने नाराजगी जताई। साथ ही बहराइच के पुलिस अधीक्षक राम नयन सिंह से जवाब मांगा है। यूपी पुलिस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर जानकारी शेयर की। इसमें बताया कि बहराइच में एक कार्यक्रम के दौरान पुलिस परेड ग्राउंड के अनधिकृत उपयोग का मामला सामने आया है। इस पर डीजीपी ने संज्ञान लिया है। पोस्ट में कहा गया है कि पुलिस परेड ग्राउंड का इस्तेमाल केवल पुलिस प्रशिक्षण, अनुशासन और आधिकारिक आयोजनों के लिए तय मानकों के अनुसार ही किया जा सकता है। इन नियमों के उल्लंघन को देखते हुए संबंधित एसपी से स्पष्टीकरण मांगा गया है। क्या एसपी अपने स्तर पर गार्ड ऑफ ऑनर देने का फैसला ले सकता है एसपी अपने स्तर पर गार्ड ऑफ ऑनर देने का फैसला नहीं ले सकता। इसके लिए वरिष्ठ अधिकारियों या पुलिस मुख्यालय की अनुमति जरूरी होती है। बिना स्वीकृति गार्ड ऑफ ऑनर देना प्रोटोकॉल उल्लंघन माना जाता है। इस पर कार्रवाई संभव है। हालांकि, विवाद बढ़ने के बाद यूपी पुलिस ने इस मामले में अपना पक्ष रखते हुए स्पष्टीकरण जारी किया है। पुलिस के अनुसार, हाल ही में पुलिस प्रशिक्षण के दौरान कठिन मानसिक और शारीरिक परिश्रम के चलते 28 पुलिसकर्मियों ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। इसी कारण प्रशिक्षण के दौरान पुलिसकर्मियों में मानसिक अवसाद न हो और उनका मनोबल बनाए रखने के उद्देश्य से बहराइच में आचार्य पुंडरीक गोस्वामी को आमंत्रित किया गया था। हालांकि, मामले का डीजीपी राजीव कृष्ण ने संज्ञान लिया है। इस मामले में बहराइच एसपी से स्पष्टीकरण मांगा गया है। कौन हैं बहराइच के एसपी?
बहराइच के वर्तमान पुलिस अधीक्षक ने अपने पुलिस करियर की शुरुआत साल- 1998 में पीपीएस (PPS) के रूप में की थी। लंबे अनुभव और सेवाकाल के दौरान 2016 में उन्हें आईपीएस कैडर में शामिल किया गया। अपने कार्यकाल में बेहतरीन और साहसिक सेवाओं के लिए उन्हें गैलेंट्री अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। उनका गृह जनपद सुल्तानपुर बताया जाता है। राम नयन सिंह ने 22 दिसंबर, 2024 को बहराइच के पुलिस अधीक्षक के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। पुलिस अधीक्षक के पद पर यह उनकी पहली तैनाती है। दरअसल, राम नयन सिंह धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं। बताया जाता है कि प्रसिद्ध कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी को वह अपना आध्यात्मिक गुरु मानते हैं। इसके साथ ही बहराइच स्थित सिद्धनाथ मंदिर के प्रति भी उनकी गहरी श्रद्धा और आस्था है। कौन हैं पुंडरीक गोस्वामी?
कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी चैतन्य महाप्रभु भक्ति वंश के 38वें आचार्य हैं। वृंदावन में श्री राधारमण मंदिर के गोस्वामी हैं। वह कई गोशालाएं, एजुकेशनल ट्रस्ट और कल्याण ट्रस्ट चलाते हैं। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़े पुंडरीक गोस्वामी ने संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, लंदन, इटली, ज्यूरिख, स्विटजरलैंड में कथाएं की हैं। —————————- ये खबर भी पढ़ें… कथावाचक को गार्ड ऑफ ऑनर मिलने पर अखिलेश-चंद्रशेखर भड़के, सपा प्रमुख बोले- अपराधी मस्त वृंदावन के कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी को गार्ड ऑफ ऑनर दिए जाने पर विवाद शुरू हो गया है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और सांसद चंद्रशेखर आजाद ने योगी सरकार और यूपी पुलिस पर सवाल उठाए हैं। अखिलेश ने कहा- जब पूरा पुलिस महकमा सलामी में व्यस्त रहेगा तो प्रदेश का अपराधी मस्त रहेगा। पढ़िए पूरी खबर…
पुलिस लाइन में पुंडरीक महाराज को गार्ड ऑफ ऑनर देने के मामले को लेकर पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) राजीव कृष्ण ने संज्ञान लिया है। पुलिस परेड ग्राउंड के इस्तेमाल और सलामी देने की प्रक्रिया को लेकर उन्होंने नाराजगी जताई। साथ ही बहराइच के पुलिस अधीक्षक राम नयन सिंह से जवाब मांगा है। यूपी पुलिस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर जानकारी शेयर की। इसमें बताया कि बहराइच में एक कार्यक्रम के दौरान पुलिस परेड ग्राउंड के अनधिकृत उपयोग का मामला सामने आया है। इस पर डीजीपी ने संज्ञान लिया है। पोस्ट में कहा गया है कि पुलिस परेड ग्राउंड का इस्तेमाल केवल पुलिस प्रशिक्षण, अनुशासन और आधिकारिक आयोजनों के लिए तय मानकों के अनुसार ही किया जा सकता है। इन नियमों के उल्लंघन को देखते हुए संबंधित एसपी से स्पष्टीकरण मांगा गया है। क्या एसपी अपने स्तर पर गार्ड ऑफ ऑनर देने का फैसला ले सकता है एसपी अपने स्तर पर गार्ड ऑफ ऑनर देने का फैसला नहीं ले सकता। इसके लिए वरिष्ठ अधिकारियों या पुलिस मुख्यालय की अनुमति जरूरी होती है। बिना स्वीकृति गार्ड ऑफ ऑनर देना प्रोटोकॉल उल्लंघन माना जाता है। इस पर कार्रवाई संभव है। हालांकि, विवाद बढ़ने के बाद यूपी पुलिस ने इस मामले में अपना पक्ष रखते हुए स्पष्टीकरण जारी किया है। पुलिस के अनुसार, हाल ही में पुलिस प्रशिक्षण के दौरान कठिन मानसिक और शारीरिक परिश्रम के चलते 28 पुलिसकर्मियों ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। इसी कारण प्रशिक्षण के दौरान पुलिसकर्मियों में मानसिक अवसाद न हो और उनका मनोबल बनाए रखने के उद्देश्य से बहराइच में आचार्य पुंडरीक गोस्वामी को आमंत्रित किया गया था। हालांकि, मामले का डीजीपी राजीव कृष्ण ने संज्ञान लिया है। इस मामले में बहराइच एसपी से स्पष्टीकरण मांगा गया है। कौन हैं बहराइच के एसपी?
बहराइच के वर्तमान पुलिस अधीक्षक ने अपने पुलिस करियर की शुरुआत साल- 1998 में पीपीएस (PPS) के रूप में की थी। लंबे अनुभव और सेवाकाल के दौरान 2016 में उन्हें आईपीएस कैडर में शामिल किया गया। अपने कार्यकाल में बेहतरीन और साहसिक सेवाओं के लिए उन्हें गैलेंट्री अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। उनका गृह जनपद सुल्तानपुर बताया जाता है। राम नयन सिंह ने 22 दिसंबर, 2024 को बहराइच के पुलिस अधीक्षक के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। पुलिस अधीक्षक के पद पर यह उनकी पहली तैनाती है। दरअसल, राम नयन सिंह धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं। बताया जाता है कि प्रसिद्ध कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी को वह अपना आध्यात्मिक गुरु मानते हैं। इसके साथ ही बहराइच स्थित सिद्धनाथ मंदिर के प्रति भी उनकी गहरी श्रद्धा और आस्था है। कौन हैं पुंडरीक गोस्वामी?
कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी चैतन्य महाप्रभु भक्ति वंश के 38वें आचार्य हैं। वृंदावन में श्री राधारमण मंदिर के गोस्वामी हैं। वह कई गोशालाएं, एजुकेशनल ट्रस्ट और कल्याण ट्रस्ट चलाते हैं। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़े पुंडरीक गोस्वामी ने संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, लंदन, इटली, ज्यूरिख, स्विटजरलैंड में कथाएं की हैं। —————————- ये खबर भी पढ़ें… कथावाचक को गार्ड ऑफ ऑनर मिलने पर अखिलेश-चंद्रशेखर भड़के, सपा प्रमुख बोले- अपराधी मस्त वृंदावन के कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी को गार्ड ऑफ ऑनर दिए जाने पर विवाद शुरू हो गया है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और सांसद चंद्रशेखर आजाद ने योगी सरकार और यूपी पुलिस पर सवाल उठाए हैं। अखिलेश ने कहा- जब पूरा पुलिस महकमा सलामी में व्यस्त रहेगा तो प्रदेश का अपराधी मस्त रहेगा। पढ़िए पूरी खबर…