बहराइच में डूबे 8 लोग नहीं मिले, घड़ियाल खा गया?:गांव जाने के लिए कोई सड़क नहीं; जंगल में रहने को मजबूर लोग

29 अक्टूबर को बहराइच के भरथापुर में 22 लोग नाव पर सवार हुए। गांव पहुंचने से पहले नाव डगमगाई और डूब गई। 13 लोग जैसे-तैसे बच गए। 9 लापता हो गए। 3 घंटे बाद एक महिला की लाश मिल गई। बाकी के 8 लोग जिसमें 5 बच्चे थे, नहीं मिल रहे। NDRF, SDRF, PAC सर्च अभियान में जुड़े। 5 किलोमीटर तक के एरिया में खोजा गया। 48 घंटे बीत गए लेकिन कोई नहीं मिला। आशंका है कि इस नदी में मगरमच्छ और घड़ियाल की भरमार है, वह सबको खा गए। दैनिक भास्कर की टीम गांव पहुंची। पीड़ित परिवारों से बात की। रेस्क्यू अभियान को देखा। वहां रह रहे लोगों के कठिन जीवन को समझा। यहां रहने वालों की कठिनाई का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि यहां न तो सड़क है, न बिजली और न ही किसी के पास पक्का मकान। जहां हादसा वहां पहुंचने का नाव ही एक मात्र विकल्प बहराइच का भरथापुर गांव जिला मुख्यालय से करीब 120 किलोमीटर दूर है। यहां पहुंचने के दो रास्ते हैं। एक लखीमपुर की खैरटिया बाजार की तरफ से, दूसरा कतर्निया घाट की तरफ से। दोनों ही तरफ नदी पड़ेगी। खैरटिया बाजार की तरफ से कौड़ियाला नदी को पार करके गांव पहुंचना होगा। कतर्निया घाट की तरफ गेरुआ नदी को पार करना होगा, इसके बाद 6 किलोमीटर जंगल के बीच से होकर जाना होगा। रास्ते के नाम पर सिर्फ पगडंडियां बची हैं। इस जंगल में हाथी, तेंदुआ, गेंडा हैं। भास्कर की टीम इसी जंगल के रास्ते भरथापुर गांव पहुंची। गांव में करीब सवा सौ घर रजिस्टर्ड हैं, लेकिन अभी 60-65 घरों में ही लोग रहते हैं। लखीमपुर की खैरटिया बाजार गांव से करीब 7 किलोमीटर दूर है। बुधवार व शनिवार को बाजार लगती है। भरथापुर गांव में हर घर के लोग सामान खरीदने जाते हैं। बुधवार को भी गांव के लोग कौड़ियाला नदी को पार करके खैरटिया बाजार गए थे। अलग-अलग समूह में वापस आ गए। ऐसे ही कुछ लोग शाम के 6 बजे वापस लौटे। लोगों के पास अनाज था। नाव पर करीब 3 क्विंटल अनाज रखा गया। एक बाइक रखी गई। फिर एक-एक करके लोग चढ़ने लगे। 22 लोग बैठ गए। इसमें 12 बच्चे थे। कुछ और नाव के वापस आने का इंतजार करने लगे। नदी में टूटे पड़े पेड़ से नाव टकराई और पलट गई
मौके पर भागकर पहुंचे गांव के राम नारायण कहते हैं, नदी में बरसात की वजह से पानी बढ़ा था, इसलिए लहर तेज थी। नाव चलाने में बहुत मेहनत लग रही थी। जैसे-तैसे नाव गांव की तरफ आने लगी। कटान में एक पेड़ टूट गया था जो नदी में ही पड़ा था, उसकी एक डाल नदी के ऊपर नजर आ रही थी। नाव उसी पेड़ से टकरा गई और पलट गई। सभी नदी की तेज धार में बहने लगे। गांव में हल्ला मच गया। लोग भागकर पहुंचे। एक लड़की उसी डाल को पकड़ ली, उस बच्ची का पैर एक महिला ने पकड़ लिया। गांव के लोग नदी में कूदे और उन दोनों को पहले निकाल लिया। राम नारायण कहते हैं, इसके बाद हर जगह सूचना दी गई, गांव के लोग नदी के किनारे-किनारे दूर तक गए। एक महिला नदी के किनारे बेहोश मिलीं, उन्हें अस्पताल भेजा गया। इसके बाद रात के करीब 10 बजे 2 किलोमीटर दूर एक और महिला मिलीं, लेकिन उनकी जान जा चुकी थी। मौसी के घर जा रहे थे, मां-दोनों बच्चे बह गए
श्रावस्ती जिले के भिखारीपुर मसढ़ी के घनश्याम गुप्ता नदी के किनारे बैठकर बिलख रहे हैं। घनश्याम कहते हैं, मामा के घर मुंडन कार्यक्रम था, उसी के लिए मां और दोनों बच्चे के साथ वहां गए थे। मौसी सोनापति के कहने पर मां रामजई ने तय किया कि एक दिन भरथापुर चल लेते हैं और फिर यहीं से घर चले जाएंगे। मौसी के साथ उनके दो नाती कोमल और शिवम भी थे। घनश्याम बोले- बच्चों के सहारे जी रहे थे
घनश्याम गुप्ता का कहना है कि नाव में ज्यादा लोग बैठ रहे थे, तब हमने कहा भी कि इसमें ज्यादा लोग हैं। तब कहा गया कि ऐसे ही चलता है। नाव पर संख्या ज्यादा थी तो हम और कुछ लोग नहीं चढ़े। हम दोबारा नाव लौटने का इंतजार करने लगे। लेकिन तभी देखा की नाव पलट गई। यह सब बताते हुए घनश्याम बिलखने लगते हैं। कहते हैं कि घर का चिराग बुझ गया। हम गांव जाकर क्या मुंह दिखाएंगे। बीवी की अभी दो महीने पहले ही मौत हुई थी। उन्हीं दो बच्चों के सहारे जी रहे थे। लेकिन अब लगता है कि सब खत्म हो गया। रिंकी अभी भी पति का इंतजार कर रही हैं
नदी के किनारे गुमसुम रिंकी देवी बैठी मिलीं। रिंकी के पति मेहीलाल भी उसी नाव में सवार थे। 48 घंटे बीत जाने के बाद भी मेहीलाल का कुछ पता नहीं चल सका है। रिंकी कहती हैं, बुधवार को खैरटिया में बाजार लगती है, हर बाजार गांव के लोग जाते हैं, हमारे पति भी गए थे, घर के लिए राशन लाना था। वह नाव पलटने से डूब गए, उनका कुछ भी पता नहीं चल सका है। हम यहीं बैठकर इंतजार कर रहे हैं। NDRF-SDRF और पीएसी लापता लोगों को खोज रही
घटना बुधवार की शाम 6 बजे के करीब हुई। सूचनाएं तेजी से आगे बढ़ीं। स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची। रात के करीब 2 बजे NDRF की टीम पहुंची। लापता लोगों को खोजना शुरू किया। सुबह तक एसडीआरएफ, पीएसी, स्थानीय प्रशासन और जिले के डीएम अक्षय त्रिपाठी मौके पर पहुंचे। सर्च अभियान तेज हुआ। कुल 11 बोट के जरिए सर्च अभियान पूरे दिन चला, लेकिन किसी का कुछ भी पता नहीं चल सका। शुक्रवार को दोबारा से सर्च अभियान शुरू हुआ, पूरा दिन बीत गया, लेकिन 8 गायब लोगों में किसी का भी पता नहीं चल सका। नदी में एक हजार से ज्यादा मगरमच्छ
कौड़ियाला नदी के दोनों तरफ घने जंगल हैं। इस नदी में बड़ी संख्या में घड़ियाल और मगरमच्छ भी हैं। वन विभाग के आंकड़ों की माने तो इस नदी में 1 हजार से ज्यादा मगरमच्छ हैं। इसलिए इस बात की आशंका जताई जा रही कि कहीं लापता लोगों को मगरमच्छ और घड़ियाल तो नहीं खा गए? घड़ियाल होने के चलते ही रेस्क्यू में लगे एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के गोताखोर पानी में उतरने से बच रहे हैं। 5 किलोमीटर के एरिया में लगातार सर्च अभियान चलाया जा रहा है। हम किस हाल में हैं, कोई देखने नहीं आता
गांव के ही जगमोहन अपने गांव की स्थिति पर बहुत दुखी हैं। कहते हैं, यहां से निकलने के दो रास्ते हैं, मार्केट के लिए खैरटिया जाते हैं तब 7 किलोमीटर चलना पड़ता है। कतर्निया घाट की तरफ जाते हैं तो 6 किलोमीटर जंगल में होकर जाना पड़ता है। इसमें हाथी, गेंडा, तेंदुआ और शेर का खतरा रहता है। पिछले कुछ सालों में गांव के तीन आदमियों को हाथी मार चुका है। 14 साल से हम विस्थापन की मांग कर रहे हैं, लेकिन अधिकारी सिर्फ गुमराह करते हैं। गांव में एक से डेढ़ लाख रुपए का खर्च कागज तैयार करवाने में हो गया है। जगमोहन कहते हैं, एक बार पूर्व डीएफओ आकाश बधावन जी आए थे। कह रहे थे कि आप लोगों को 10-10 लाख रुपए मिलेगा, विस्थापन के लिए जमीन नहीं मिलेगी। अगर जमीन लेना है तो यहीं पड़े रहो। हम लोग तैयार भी हो गए, लेकिन कुछ वक्त के बाद मामला ही खत्म हो गया। गांव में न बिजली, न सड़क न शौचालय
गांव के ही मुन्ना लाल मौर्य कहते हैं, 90 साल की उम्र में बाबा की मौत यहीं हुई। पिता 70 साल के हो गए हैं। हमारी उम्र 40 साल हो गई है, सभी यहीं रहे। यह जिला बहराइच का बूथ नंबर एक गांव है। हम लोग चाहते हैं कि यहां से चले जाएं। 2014 से डीएम, एसडीओ, एसडीएम के पास चक्कर काट रहे हैं। जो भी जिलाधिकारी आए उनके पास 8 से 10 बार गए। सांसद के पास गए तो कहा कि काम हो जाएगा। विधायक सरोज देवी तो कहती हैं कि यह गांव नेपाल में पड़ता है। हम उनसे मिले और गांव आने के लिए 2 बार एप्लिकेशन दिया लेकिन नहीं आईं। मुन्ना लाल कहते हैं, भाजपा की लहर है। हम सभी लोग बीजेपी को वोट भी देते हैं, लेकिन यहां किसी भी तरह की कोई सुविधा नहीं है। लाइट नहीं है। सड़क नहीं है। शौचालय नहीं है। हम खुले में शौच के लिए जाते हैं और अपनी जान तेंदुआ के हाथों गंवाते हैं। हम यहां नहीं रहना चाहते। हम चाहते हैं कि नदी के दूसरी तरफ गिरिजापुरी या फिर टेढ़िया के आसपास हम सभी को बसा दिया जाए। प्रधानमंत्री आवास और शौचालय दे दिया जाए। सभी परिवारों को 15-15 लाख रुपए दे दिया जाए। गांव में करीब 125 घर हैं, 400-500 वोटर हैं। लास्ट में यही गांव जीत-हार मनाता है। नेपाल से निकलती है यह नदी, आगे सरयू बनती है
भरथापुर गांव अपने मुख्य स्थान से पीछे हो गया है। मतलब नदी की कटान में पूरा गांव चला गया। लोग पीछे होते हुए जंगल में घर बनाकर रहने लगे। गांव के बगल से जो कौड़ियाला नदी निकली है वह नेपाल के बर्दिया जिले के पहाड़ से निकलती है। यह नदी कतर्निया घाट सेंक्चुरी के सुजौली रेंज में चौधरी चरण सिंह बैराज पर उत्तर दिशा से आने वाले गेरुआ नदी से मिलती है। यहां दोनों मिलकर घाघरा नदी में बदल जाती हैं। यह नदी बहराइच से निकलकर सीतापुर और बाराबंकी होते हुए बस्ती जिले में प्रवेश करती है। यहां नदी सरयू में तब्दील हो जाती है और अयोध्या की तरफ जाती है। फिलहाल नाव हादसे की इस घटना के बाद अब यहां के लोगों के विस्थापन की मांग फिर से बढ़ गई है। अफसर खुलकर तो नहीं बोलते लेकिन दबी जुबान स्वीकार करते हैं कि यहां लोगों का जीवन बेहद कठिन है। रहने नहीं दिया जा सकता है। ………. ये खबर भी पढ़ें… पहले पत्नी की मौत, अब मां-बच्चे सब डूब गए:क्या मुंह लेकर घर जाऊं? VIDEO में बहराइच नाव हादसे की दर्दभरी कहानी बहराइच में घनश्याम गुप्ता के मामा के घर मुंडन था। घनश्याम अपनी मां और अपने दोनों बच्चे लेकर पहुंचे थे। उनकी मौसी भी अपने नातियों को लेकर आई थीं। कार्यक्रम खत्म हुआ। घनश्याम की मां रामजई ने कहा कि आज रात बहन के घर भरथापुर रह लेते हैं। कल घर चलेंगे। 29 अक्टूबर की शाम करीब 6 बजे का नाव घाट के किनारे लग गई। लहरें तेज थी। घनश्याम ने सबको नाव पर बैठाया, लेकिन खुद के लिए जगह नहीं बची। देखिए पूरा वीडियो