भोले बाबा के आदेश पर सेवादारों ने फटकारीं लाठियां:दरोगा के बयान पर भी चार्जशीट में बाबा का नाम नहीं, सभी आरोपी जमानत पर, पार्ट-1

2 जुलाई, 2024…हाथरस जिले के फुलरई मुगलगढ़ी गांव में निरंकार साकार हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग में भगदड़ मची। 121 लोग की जान चली गई। सैकड़ों लोग घायल हुए। इस केस को कल 1 साल पूरा हो जाएगा। जेल गए सभी 11 आरोपी जमानत पर बाहर हैं। दैनिक भास्कर को 3200 पेज की चार्जशीट में एक अहम बयान हाथ लगा है। इसमें FIR कराने वाले सब-इंस्पेक्टर ने सीधे तौर पर कहा है कि नारायण साकार हरि उर्फ सूरजपाल उर्फ भोले बाबा ने अपने सेवादारों से भीड़ पर लाठी चलाने को कहा। इसके बाद सेवादारों ने भीड़ को धक्का दिया, लाठियां मारीं। इसी वजह से भगदड़ मची। दरोगा के इस बयान के बावजूद बाबा का नाम न FIR में था और न चार्जशीट में है। इस एक साल में क्या-क्या बदला? पुलिस जांच में क्या निकला? कोर्ट केस स्टेटस क्या है? जहां सत्संग हुआ, वहां अब क्या स्थिति है? यह सब जानने के लिए दैनिक भास्कर हाथरस में ग्राउंड जीरो पर पहुंचा। पढ़िए इस सीरीज की पहली रिपोर्ट… अब घटनास्थल का हाल सत्संग में जो ईंटें इस्तेमाल हुईं, वो अब भी वहीं पड़ी हैं
हम सबसे पहले घटनास्थल पर पहुंचे, जहां भगदड़ मची थी। ये स्थान मथुरा-बरेली हाईवे पर हाथरस जिले से करीब 40 किलोमीटर दूर है। गांव का नाम है फुलरई मुगलगढ़ी। गांव के बाहर हाईवे किनारे खेत हैं, जिनमें ये आयोजन हुआ था। हाईवे की सड़क से 1130 मीटर अंदर खेत में सत्संग पंडाल बनाया गया था। हमें यहां कई लोग मिले, जो आसपास दुकान चलाते हैं। वो ऑन कैमरा बोलने को तैयार नहीं हुए। उन्हें डर था कि कैमरे पर कुछ बोलने से दिक्कत हो सकती है। लेकिन, वे उस दिन को नहीं भूलते। क्योंकि भगदड़ मची, तो क्विक रिस्पांस करके बचाव-राहत शुरू करने वाले वही लोग थे। इन दुकानदारों ने ऑफ कैमरा हमें उस दिन के हालात बताए कि लोग कैसे इधर-उधर पड़े थे और वो उनको उठाकर अस्पताल भिजवा रहे थे। मौजूदा वक्त में इन खेतों में फसल खड़ी है। कई खेतों में प्लॉटिंग शुरू हो गई है। एक खेत में कुछ पुरानी ईंटें पड़ी हैं। दुकानदार बताते हैं कि ये वही ईंटें हैं, जो सत्संग के वक्त रास्ते बनाने में इस्तेमाल की गई थीं। आज भी कुछ खेत बहुत ज्यादा ऊंचे-नीचे हैं। इनमें बारिश का पानी भरा है। कहा तो ऐसा भी जाता है कि जब भगदड़ मची, तब भी कुछ ऐसा ही सीन था। खेत ऊंचे-नीचे थे। बारिश का पानी जमा होने से लोग एक-दूसरे के ऊपर फिसलते गए और मारे गए। 122 मौत बताने वाले पत्रकार बोले- एंबुलेंस तक मौजूद नहीं थीं
भगदड़ के बाद जब हर कोई ये जानना चाहता था कि कितनी मौतें हुई हैं, तब दैनिक भास्कर के रिपोर्टर मनोज माहेश्वरी ने हॉस्पिटल में लाशें गिनकर उनकी संख्या 122 बता दी थी। इसके कई घंटे बाद पुलिस-प्रशासन ने मौतों का आधिकारिक डेटा 121 जारी किया था। घटनास्थल दिखाते हुए मनोज माहेश्वरी बताते हैं- मैं हाथरस में मौजूद था। तभी सूचना मिली कि सिकंदराऊ में भगदड़ मच गई है। उसमें काफी लोग हताहत हुए हैं। मैं मौके पर इसी जगह आया। मैंने जो दृश्य देखा, वो काफी मार्मिक था। यहां अफरा-तफरी मची हुई थी। लोगों की लाशें पड़ी थीं। कुछ लोग घायल थे, जो चीख-पुकार कर रहे थे। हर तरफ त्राहिमाम मचा हुआ था। एंबुलेंस तक मौजूद नहीं थीं। जो स्थानीय लोग थे, वो उन घायलों को उठा-उठाकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिकंदराऊ भिजवा रहे थे। प्रशासन काफी देरी से आया था। भगदड़ के वक्त पुलिस फोर्स भी काफी कम थी। मुख्य आरोपी बोला- 80 हजार भीड़ के लिए थे 60 पुलिसवाले
पुलिस ने इस केस में मुख्य आरोपी देवप्रकाश मधुकर को बनाया है। वो उस सत्संग का मुख्य आयोजक और सेवादार भी थे। देवप्रकाश मई, 2025 में ही इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत पर छूटे हैं। हम सिकंदराऊ कस्बे में रेलवे लाइन के किनारे दमदपुरा स्थित उनके घर पहुंचे। ग्राउंड फ्लोर पर ड्राइंग रूम में एक शोकेस बना है। इसके अंदर निरंकार बाबा की 6 अलग-अलग तस्वीरें लगी हैं। देवप्रकाश मधुकर कहते हैं- हमारा कोई दोष नहीं। हम पूरी तरह निर्दोष हैं। फिर भी हमारे ऊपर चार्जशीट लगा दी गई। हमने विधिवत तरीके से कार्यक्रम की परमिशन ली। इसमें जनप्रतिनिधि, खेत मालिकों, पुलिस, प्रशासन सभी की परमिशन थी। इसके बाद ही हम आयोजन करवा रहे थे। जो भी अव्यवस्था हुई है, वो प्रशासन की लापरवाही रही। रही-सही कसर शरारती तत्वों ने की, जिन्होंने भीड़ में कुछ महिलाओं पर जहरीला स्प्रे किया। इस वजह से भीड़ में भगदड़ मच गई। हमें कोर्ट से उम्मीद है कि बरी होंगे। देवप्रकाश कहते हैं- सड़क से सत्संग स्थल की दूरी 1130 मीटर थी। भगदड़ सड़क पर मची। पुलिस कह रही है कि बाबा के चरणों की रज (धूल) लेने की वजह से ये भगदड़ मची। हम कहते हैं कि बाबा जब मंच से उतरते हैं, चरण रज तभी ली जाती है, न कि 1130 मीटर दूर सड़क पर आकर। इसलिए पुलिस की चरण रज वाली थ्योरी गलत है। दूसरी बात ये कि सत्संग सड़क के एक तरफ हो रहा था, भगदड़ सड़क के दूसरी तरफ हुई। इसलिए आयोजकों की कोई गलती नहीं है। हम पूरी तरह निर्दोष हैं। देवप्रकाश एक ब्लॉक मुख्यालय में संविदा पर नौकरी करते थे। भगदड़ में उनका नाम मुख्य आरोपी में शामिल करने के बाद नौकरी छूट गई। उनकी पत्नी अपनी कमर दिखाते हुए कहती हैं कि मेरा कुछ दिन पहले ऑपरेशन हुआ है। इस घटना के बाद से परिवार बुरी तरह टूट गया है। हम जैसे-तैसे करके जी रहे हैं। हमने पूछा- क्या अब भी बाबा के सेवादार हैं? इस पर देवप्रकाश कहते हैं- मैं पहले भी मानव सेवा करता था, अब भी करता हूं। मानव सेवा के लिए जहां मेरी जरूरत पड़ेगी, मैं वहां मौजूद रहूंगा। बाबा अब कहां हैं? इस पर देवप्रकाश कहते हैं- एक महीना पहले ही जेल से छूटा हूं। तब से घर, कुनबे, रिश्तेदारों का आना-जाना लगा है। मैं खुद वकील से मिलने और अन्य कामों में व्यस्त रहता हूं। इसलिए आश्रम की तरफ भी नहीं जा सका हूं। मुझे नहीं पता कि बाबा अब कहां हैं? वकील बोले- पुलिस की थ्योरी में हवा-हवाई बातें
देवप्रकाश के घर से हम सीधे एडवोकेट योगांश पाराशर के पास पहुंचे। योगांश भगदड़ केस में नामजद 2 आरोपियों मंजू यादव और संजू यादव के एडवोकेट हैं। उन्होंने हमें 3200 पेज की चार्जशीट पढ़वाई। पुलिस ने चार्जशीट में कुल 64 गवाह बनाए हैं। इसमें पुलिस, डॉक्टर और पब्लिक के लोग शामिल हैं। भगदड़ स्थल पर ड्यूटी देने वाले और मृतकों के शवों का पंचनामा भरने वाले पुलिसकर्मियों, घायलों का इलाज करने वाले डॉक्टरों और पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टरों को इस केस में गवाह बनाया गया है। कुछ ऐसे लोग भी गवाह हैं, जो सत्संग में आए थे। एडवोकेट योगांश पाराशर कहते हैं- पुलिस ने 3200 पेज की चार्जशीट जरूर लगा दी, लेकिन सबूत कुछ नहीं हैं। पुलिस की थ्योरी में सिर्फ हवा-हवाई बातें हैं। अगर पुलिस ने 80 हजार लोगों की परमिशन दी तो व्यवस्थाएं उसी के मुताबिक करनी चाहिए थीं। पुलिस-प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ते हुए सारा आरोप आयोजकों पर मढ़ दिया है। हमें उम्मीद है कि ट्रायल के दौरान हम अपना पक्ष मजबूती से रखेंगे। FIR दर्ज कराने वाले दरोगा का बयान पढ़िए बाबा ने सेवादारों से कहा- डंडा लिए क्या देख रहे हो, हटाओ और बाहर करो
हमें इस पूरे केस में सबसे अहम बयान हाथ लगा। ये बयान FIR दर्ज कराने वाले सब-इंस्पेक्टर बृजेश पांडेय का है, जो उन्होंने जांच टीम के सामने दिया है। इस बयान में पहली बार किसी भी तौर पर निरंकार साकार हरि उर्फ भोले बाबा का नाम लिया गया। हालांकि, इस बयान के बावजूद बाबा का नाम चार्जशीट में शामिल नहीं किया गया। SI बृजेश पांडेय ने बयान में बताया- फुलरई मुगलगढ़ी के मध्य जीटी रोड के पास जगतगुरु साकार विश्वहरि भोले बाबा के सत्संग का आयोजन प्रस्तावित था। आयोजनकर्ता देवप्रकाश मधुकर ने इसमें जुटने वाली लाखों की भीड़ को छिपाते हुए 80 हजार लोगों की परमिशन मांगी थी। इतनी ही भीड़ के हिसाब से पुलिस-प्रशासन ने सुरक्षा, शांति व्यवस्था, ट्रैफिक का प्रबंध किया था। लेकिन, इस कार्यक्रम में ढाई लाख से ज्यादा भीड़ इकट्ठा हुई। इससे जीटी रोड पर ट्रैफिक बाधित हो गया। SI बृजेश पांडेय ने बताया- मुख्य प्रवचनकर्ता सूरजपाल उर्फ भोले बाबा के प्रवचन के बाद निकलते वक्त श्रद्धालुओं ने उनके रास्ते की धूल समेटना शुरू कर दिया। लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ के दबाव के कारण धूल समेटने नीचे बैठे महिला-पुरुष और बच्चे दबने-कुचलने लगे। जीटी रोड के दूसरी तरफ 3 मीटर गहरे गड्ढों में पानी भरा था। उनमें भी लोग गिरने लगे। आयोजन समिति और सेवादारों ने डंडे के बल पर भीड़ को भागने से रोक दिया। इससे भीड़ का दबाव बढ़ता गया और लोग कुचलते गए। पुलिस-प्रशासन ने घायलों को अस्पताल भिजवाया, लेकिन आयोजनकर्ताओं ने कोई मदद नहीं की। उन्होंने भीड़ के जूते-चप्पल और छूटे हुए सामान को पास के खेतों में खड़ी फसल में फेंककर सबूत छुपाने के प्रयास किए। पूरे कार्यक्रम की व्यवस्था आयोजन समिति के हाथ में थी। वो पुलिस-प्रशासन के लोगों को भी पंडाल के अंदर नहीं जाने दे रहे थे। जनता को फोटो खींचने-वीडियो बनाने तक की मनाही थी। SI के बयान के अनुसार- बाबा जब सत्संग स्थल से निकल रहे थे, तो भीड़ चरणों की धूल पाने उनकी तरफ गई। तब बाबा ने भीड़ को धक्का दिया और अपने आयोजकों (सेवादारों) से कहा- तुम डंडा लिए क्या देख रहे हो? इन लोगों को हटाओ, बाहर करो। इस पर सेवादारों और बाबा ने भीड़ को धकियाया। सेवादारों ने लाठी-डंडे मारे। इससे भगदड़ हो गई और महिलाओं-बच्चों, पुरुषों की मौत हो गई। आरोपी ने स्वीकारा- बाबा ने डंडे मारने को कहा था
बाबा के बयान का समर्थन करने के लिए हाथरस पुलिस ने उनके कुछ अनुयायियों/आरोपियों के भी बयान दर्ज किए हैं। इसमें एक आरोपी है राम लड़ैते। इसके अनुसार- मैं बाबा का भक्त हूं। पिछले 4 साल से नारायण विश्व हरि की सेवा करता हूं। जहां भी सत्संग होता है, वहां जाकर ट्रैफिक की व्यवस्था संभालता हूं। 2 जुलाई को मैं उसी सत्संग में शामिल था। भीड़ जब चरण रज लेने को दौड़ी तो बाबा के कहने पर हमने भीड़ को धकियाया और लाठी-डंडे से हटाने का प्रयास किया। इससे भगदड़ मच गई और लोग मारे गए। पुलिस के पास क्या सबूत हैं? ———————- ये खबर भी पढ़ें… सवाल अधिकार का नहीं, करोड़ों की कमाई का, यूपी सरकार सख्त- बनकर रहेगा बांके बिहारी कॉरिडोर मथुरा के वृंदावन में बांके बिहारी कॉरिडोर बनाने का गोस्वामी परिवार विरोध कर रहा है। धर्मार्थ कार्य विभाग का कहना है कि विरोध की असल वजह सिर्फ गोस्वामी परिवारों के अधिकार का झगड़ा नहीं है। झगड़ा गोस्वामी परिवारों और स्वामी हरिदास ट्रस्ट के बीच हर महीने लाखों रुपए के चढ़ावे की रकम का भी है। कॉरिडोर बनने से बांके बिहारी मंदिर में आने वाले चढ़ावे की राशि पर बड़ा अधिकार ट्रस्ट का होगा। विभाग का कहना है कि सरकार का मजबूत इरादा है, कोर्ट की हरी झंडी मिलने के बाद अब कॉरिडोर बनाया जाएगा। सरकार चंद परिवारों से ज्यादा मंदिर में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के प्रति जिम्मेदार है। पढ़ें पूरी खबर