‘हमारा घर आग की लपटों से घिरा, तो पड़ोसी हमें बचाने के लिए घर के बगल में खाली पड़े खेत में तिरपाल पकड़कर खडे़ हो गए। मैंने एक-एक करके बहन के बच्चों और फिर अपने बच्चों को तीसरी मंजिल से इसी तिरपाल पर फेंक दिया। मेरी पत्नी और बहन भी यहीं से कूद गए। लेकिन, मां को लगा कि मेरे बच्चे दूसरी मंजिल पर फंसे हैंं। उन्हें बचाने के लिए वो नीचे चली गई। मैंने मां को बहुत ढूंढा, वो नहीं मिली। पूरे घर में धुआं और अंधेरा था। 2 घंटे बाद फायर ब्रिगेड ने आग बुझाई। तब मां घर के दूसरे फ्लोर पर बेहोश पड़ी मिली। पोते-पोती को बचाने के लिए उसने जान दे दी।’ मुरादाबाद में परी रेस्टोरेंट के संचालक प्रदीप श्रीवास्तव इतना बताते-बताते फफक पड़ते हैं। कहते हैं- मेरी मां की जान बच सकती थी। वो भी हमारे साथ घर की छत से तिरपाल पर कूद सकती थीं। लेकिन, वो अपने पोती-पोतों को बचाने की खातिर दुनिया से चली गई। मां को लगा, शायद कोई बच्चा घर की दूसरी मंजिल पर फंसा रह गया है। बता दें, 26 अक्टूबर की रात करीब 10 बजे मुरादाबाद के रामपुर दोराहा पर बने परी रेस्टोरेंट में भीषण आग लग गई थी। इसमें रेस्टोरेंट में रखे 5 गैस सिलेंडर जलकर राख हो गए थे। रेस्टोरेंट मालिक प्रदीप श्रीवास्तव की मां मंजू देवी (60) की धुएं में दम घुटने से मौत हो गई थी, जबकि 10 लोग झुलस गए थे। फायर ब्रिगेड की 8 गाड़ियों को आग पर काबू पाने में करीब 2 घंटे लगे थे। मंजू देवी के अंतिम संस्कार के लिए प्रदीप के रिश्तेदार और दोस्तों ने रुपए जुटाए। प्रदीप के पास मां का अंतिम संस्कार करने के भी रुपए नहीं बचे थे। रेस्टोरेंट मालिक की जुबानी, पूरी कहानी… क्लार्क इन होटल की आतिशबाजी से लगी आग
प्रदीप श्रीवास्तव से दैनिक भास्कर ने बात की। उन्होंने कहा- रोज की तरह रात के करीब 9.30 बजे मैं रेस्टोरेंट बंद करके ऊपर अपने घर चला गया। हमारे 3 मंजिला मकान में ग्राउंड फ्लोर पर मैं परी नाम से रेस्टोरेंट चलाता हूं। मकान के दूसरे और तीसरे फ्लोर पर मेरी फैमिली रहती है। मैंने ऊपर जाकर खाना खाया। इसके बाद तीसरी मंजिल पर परिवार के साथ बैठकर बातें कर रहा था। इसी बीच मुझे महसूस हुआ कि घर के नीचे से धुआं ऊपर आ रहा है। मैंने ऊपर से झांककर देखा तो हमारे घर के बाहर रेस्टोरेंट के आगे पड़ी टीन में आग लगी थी। सामने क्लार्क इन होटल में शादी में आतिशबाजी हो रही थी। उसके पटाखे काफी देर से हमारे टीनशेड पर आकर गिर रहे थे। उसकी वजह से मेरी बिल्डिंग में चलने वाले रेस्टोरेंट में पहले आग लगी। फिर सिलेंडर फटने से पूरा घर आग की लपटों से घिर गया। जान बचाने के लिए मैंने तीसरी मंजिल से बच्चे को फेंक दिया
आग लगती देख मैंने छत पर जाकर शोर मचाना शुरू कर दिया। नीचे से बचकर जाना मुमकिन नहीं था, क्योंकि घर से निकलने का एकमात्र रास्ता आग की लपटों से घिरा था। हमारे शोर और आग की लपटों को देख आसपास के लोग जुट गए। सभी ने मिलकर हमारे घर के बराबर में खाली पड़े खेत में तिरपाल को पकड़ लिया। मेरे पास बच्चों और परिवार की जान बचाने का कोई रास्ता नहीं था। मैंने एक-एक करके अपने 2 बच्चों और बहन के 3 बच्चों को तीसरी मंजिल से इसी तिरपाल पर फेंक दिया। मैंने मां को बहुत ढूंढा, लेकिन वो कहीं नजर नहीं आई
प्रदीप कहते हैं- मैंने बच्चों को तिरपाल के जरिए घर से सुरक्षित निकालने के बाद अपनी मां को ढूंढना शुरू किया। इस बीच मेरी पत्नी और बहन भी तिरपाल पर ही नीचे कूद गए। शायद मां को लगा कि बच्चे नीचे घर के दूसरे फ्लोर पर फंसे रह गए हैं। क्योंकि, आग लगने से कुछ देर पहले बच्चे वहीं खेल रहे थे। मां दूसरे फ्लोर पर चली गई और मैं उसे ऊपर ही ढूंढता रहा। मैंने दूसरी मंजिल पर भी जाने की कोशिश की, लेकिन तब तक वहां बेहद धुआं और अंधेरा हो चुका था। कुछ देर ढूंढने के बाद मैं भी तिरपाल पर कूद गया। आग बुझी, तो अंदर मां बेसुध पड़ी थी
आग बुझी, तो मेरी मां घर की दूसरी मंजिल पर बेसुध पड़ी थी, वो शायद मर चुकी थी। लेकिन, किसी ने कहा सांस चल रही है। जिंदगी की आस में तुरंत एम्बुलेंस में डालकर उन्हें अस्पताल ले गया, लेकिन डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। करोड़पति रेस्टोरेंट मालिक के पास मां के अंतिम संस्कार के पैसे भी नहीं बचे
मूलरूप से पूर्वांचल के रहने वाले प्रदीप ने करीब 8 साल पहले मुरादाबाद में रामपुर दोराहे पर रेस्टोरेंट खोला था। प्रदीप का बिजनेस सही चल रहा था। लेकिन, 26 अक्टूबर की रात हुए अग्निकांड ने उन्हें पूरी तरह सड़क पर ला दिया। घर में रखा पूरा सामान जलकर राख हो गया। यहां तक कि जल्दबाजी में घर का कोई सदस्य रुपए-पैसे और मोबाइल भी नहीं उठा सका। प्रदीप बताते हैं- जमीन खरीदने के लिए घर में 10 लाख रुपए कैश भी रखा था, वो भी जल गया। जेब में रोटी खाने तक के लिए एक पैसा नहीं बचा। यहां तक कि मेरे पास अपनी मां का क्रियाकर्म करने तक को पैसे नहीं बचे थे। मेरे रिश्तेदारों और परिचितों ने पहुंचकर ये व्यवस्थाएं कीं। छठ पूजा के लिए आई बहन भी हादसे का शिकार हुई
प्रदीप श्रीवास्तव ने बताया- मेरी बहन साधना भी अपने बच्चों को साथ लेकर छठ पूजा के लिए 2 दिन पहले ही आई थी। साधना और उनके बच्चे भी हादसे में घायल हुए हैं। हालांकि, प्राथमिक उपचार के बाद सभी को जिला अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। अब तस्वीरों में देखिए अग्निकांड… ————————–
ये खबर भी पढ़ें… लखनऊ के रेलवे हॉस्पिटल में भीषण आग; 22 मरीजों को बचाया गया, तीन मंजिला अस्पताल में भरा धुआं लखनऊ में आलमबाग स्थित रेलवे हॉस्पिटल में सोमवार तड़के भीषण आग लग गई। देखते ही देखते तीन मंजिला अस्पताल में धुआं भर गया। मरीजों और अस्पताल के स्टाफ का दम घुटने लगा। वहां अफरातफरी मच गई। तुरंत ही क्रिटिकल केयर यूनिट (CCU) वार्ड में भर्ती 22 से अधिक मरीजों को बाहर निकालकर दूसरे वार्ड में शिफ्ट किया गया। पढ़िए पूरी खबर
प्रदीप श्रीवास्तव से दैनिक भास्कर ने बात की। उन्होंने कहा- रोज की तरह रात के करीब 9.30 बजे मैं रेस्टोरेंट बंद करके ऊपर अपने घर चला गया। हमारे 3 मंजिला मकान में ग्राउंड फ्लोर पर मैं परी नाम से रेस्टोरेंट चलाता हूं। मकान के दूसरे और तीसरे फ्लोर पर मेरी फैमिली रहती है। मैंने ऊपर जाकर खाना खाया। इसके बाद तीसरी मंजिल पर परिवार के साथ बैठकर बातें कर रहा था। इसी बीच मुझे महसूस हुआ कि घर के नीचे से धुआं ऊपर आ रहा है। मैंने ऊपर से झांककर देखा तो हमारे घर के बाहर रेस्टोरेंट के आगे पड़ी टीन में आग लगी थी। सामने क्लार्क इन होटल में शादी में आतिशबाजी हो रही थी। उसके पटाखे काफी देर से हमारे टीनशेड पर आकर गिर रहे थे। उसकी वजह से मेरी बिल्डिंग में चलने वाले रेस्टोरेंट में पहले आग लगी। फिर सिलेंडर फटने से पूरा घर आग की लपटों से घिर गया। जान बचाने के लिए मैंने तीसरी मंजिल से बच्चे को फेंक दिया
आग लगती देख मैंने छत पर जाकर शोर मचाना शुरू कर दिया। नीचे से बचकर जाना मुमकिन नहीं था, क्योंकि घर से निकलने का एकमात्र रास्ता आग की लपटों से घिरा था। हमारे शोर और आग की लपटों को देख आसपास के लोग जुट गए। सभी ने मिलकर हमारे घर के बराबर में खाली पड़े खेत में तिरपाल को पकड़ लिया। मेरे पास बच्चों और परिवार की जान बचाने का कोई रास्ता नहीं था। मैंने एक-एक करके अपने 2 बच्चों और बहन के 3 बच्चों को तीसरी मंजिल से इसी तिरपाल पर फेंक दिया। मैंने मां को बहुत ढूंढा, लेकिन वो कहीं नजर नहीं आई
प्रदीप कहते हैं- मैंने बच्चों को तिरपाल के जरिए घर से सुरक्षित निकालने के बाद अपनी मां को ढूंढना शुरू किया। इस बीच मेरी पत्नी और बहन भी तिरपाल पर ही नीचे कूद गए। शायद मां को लगा कि बच्चे नीचे घर के दूसरे फ्लोर पर फंसे रह गए हैं। क्योंकि, आग लगने से कुछ देर पहले बच्चे वहीं खेल रहे थे। मां दूसरे फ्लोर पर चली गई और मैं उसे ऊपर ही ढूंढता रहा। मैंने दूसरी मंजिल पर भी जाने की कोशिश की, लेकिन तब तक वहां बेहद धुआं और अंधेरा हो चुका था। कुछ देर ढूंढने के बाद मैं भी तिरपाल पर कूद गया। आग बुझी, तो अंदर मां बेसुध पड़ी थी
आग बुझी, तो मेरी मां घर की दूसरी मंजिल पर बेसुध पड़ी थी, वो शायद मर चुकी थी। लेकिन, किसी ने कहा सांस चल रही है। जिंदगी की आस में तुरंत एम्बुलेंस में डालकर उन्हें अस्पताल ले गया, लेकिन डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। करोड़पति रेस्टोरेंट मालिक के पास मां के अंतिम संस्कार के पैसे भी नहीं बचे
मूलरूप से पूर्वांचल के रहने वाले प्रदीप ने करीब 8 साल पहले मुरादाबाद में रामपुर दोराहे पर रेस्टोरेंट खोला था। प्रदीप का बिजनेस सही चल रहा था। लेकिन, 26 अक्टूबर की रात हुए अग्निकांड ने उन्हें पूरी तरह सड़क पर ला दिया। घर में रखा पूरा सामान जलकर राख हो गया। यहां तक कि जल्दबाजी में घर का कोई सदस्य रुपए-पैसे और मोबाइल भी नहीं उठा सका। प्रदीप बताते हैं- जमीन खरीदने के लिए घर में 10 लाख रुपए कैश भी रखा था, वो भी जल गया। जेब में रोटी खाने तक के लिए एक पैसा नहीं बचा। यहां तक कि मेरे पास अपनी मां का क्रियाकर्म करने तक को पैसे नहीं बचे थे। मेरे रिश्तेदारों और परिचितों ने पहुंचकर ये व्यवस्थाएं कीं। छठ पूजा के लिए आई बहन भी हादसे का शिकार हुई
प्रदीप श्रीवास्तव ने बताया- मेरी बहन साधना भी अपने बच्चों को साथ लेकर छठ पूजा के लिए 2 दिन पहले ही आई थी। साधना और उनके बच्चे भी हादसे में घायल हुए हैं। हालांकि, प्राथमिक उपचार के बाद सभी को जिला अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। अब तस्वीरों में देखिए अग्निकांड… ————————–
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