बंगाल की खाड़ी से उठा चक्रवात मोन्था उत्तर प्रदेश के कई जिलों में असर दिखा गया। इसके चलते पिछले दिनों तेज बारिश और आंधी का दौर चला, जिससे मौसम में अचानक बदलाव आया। इस बारिश ने सिर्फ मौसम ही नहीं बदला, बल्कि इससे किसानों को भी भारी नुकसान झेलना पड़ा। अब 6 नवंबर तक राज्य के ज्यादातर हिस्सों में बारिश और बूंदाबांदी का सिलसिला जारी रहने की संभावना है। यूं तो राज्य से 13 अक्टूबर को मानसून की आधिकारिक विदाई हो चुकी थी, लेकिन पोस्ट-मानसून सीजन में जमकर बारिश हुई। इस असमय हुई बारिश से अब अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार ठंड ज्यादा पड़ेगी। कैसा रहेगा नवंबर का मौसम? बारिश से किसानों की फसलों पर क्या असर पड़ा? पढ़िए ये रिपोर्ट… नवंबर में ठंड की दस्तक
बंगाल की खाड़ी से उठे चक्रवात मोन्था के बाद उत्तर प्रदेश में मौसम अब स्थिर होने लगा है। नवंबर की शुरुआत के साथ ही राज्य में ठंड की दस्तक महसूस की जा रही है। मौसम विभाग के मुताबिक, इस महीने बारिश की संभावना बेहद कम है। आसमान साफ रहेगा और दिन में हल्की धूप के साथ सुहाना मौसम बना रहेगा। हालांकि सुबह और रात के तापमान में गिरावट दर्ज की जाएगी। दिन का तापमान औसतन 27 से 30 डिग्री सेल्सियस, जबकि रात का 12 से 16 डिग्री सेल्सियस तक रहने की संभावना है। पश्चिमी यूपी में ठंड जल्दी बढ़ेगी, जबकि पूर्वी यूपी में धीरे-धीरे असर दिखेगा। मौसम वैज्ञानिक मोहम्मद दानिश के अनुसार, नवंबर में उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्रों में अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक, जबकि राज्य के दक्षिणी भागों में सामान्य से कम दर्ज किया जाएगा। वहीं, पूरे प्रदेश में न्यूनतम तापमान सामान्य से ऊपर रहेगा, जिससे दिन में हल्की गर्माहट और रात में ठंडक महसूस की जाएगी। अब जानिए औसत अधिकतम और न्यूनतम तापमान क्या होता है?
मौसम विभाग के मुताबिक यूपी का औसत दैनिक तापमान 31 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है। गर्मियों में अधिकतम औसत तापमान 35 से 40 डिग्री सेल्सियस के बीच पहुंच जाता है। वहीं, ठंड में अधिकतम औसत तापमान 20 से 25 या 26 डिग्री सेल्सियस तक रहता है। ठंड में औसत न्यूनतम तापमान 10 से 15 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है। यहां ध्यान रखना जरूरी है कि पूरे भारत का भूगोल एक जैसा नहीं है। इस वजह से तापमान को लेकर भी अलग-अलग कैटेगरी हैं। अचानक हुई बारिश से क्या बढ़ेगी ठंड ?
वाराणसी में BHU के मौसम वैज्ञानिक प्रो. मनोज श्रीवास्तव के मुताबिक नवंबर में धीरे-धीरे ठंड दस्तक देगी। तापमान में गिरावट दर्ज की जाएगी। अभी के मौसम में बारिश की वजह से ठंड महसूस की जा रही है, लेकिन एक दो दिन में बारिश थम जाएगी। पिछले 24 घंटे में लखनऊ का अधिकतम तापमान 23.9 डिग्री सेल्सियस रहा, जो सामान्य से लगभग 7.5 डिग्री सेल्सियस कम है। वहीं, नवंबर के पहले सप्ताह में तापमान सामान्य से कम होगा। नवंबर में अत्यधिक ठंड पड़ने की संभावना नहीं है। 2 चक्रवातों ने बदला मौसम का मिजाज
मौसम वैज्ञानिक प्रोफेसर मनोज श्रीवास्तव ने बताया, चक्रवाती तूफान मोन्था के कारण पूर्वी उत्तर प्रदेश सहित कई जिलों में मौसम का मिजाज पूरी तरह बदल गया है। वर्तमान में देश के विभिन्न हिस्सों में दो चक्रवाती तूफानों का प्रभाव देखने को मिल रहा है। पहला चक्रवात गुजरात तट से होकर आया है, जबकि दूसरा बंगाल की खाड़ी से पहुंचा है। इन दोनों चक्रवातों के संयुक्त असर से उत्तर प्रदेश, मध्य भारत और पूर्वोत्तर के कई इलाकों में मौसम में अचानक बदलाव हुआ है। लगातार बह रही नमी भरी हवाओं के कारण वातावरण में ठंडक बढ़ी है और तापमान सामान्य से नीचे चला गया है। बारिश का खेती-किसानी पर असर
कृषि वैज्ञानिक प्रो. पीके सिंह के अनुसार अचानक हुई भारी बारिश से पकी हुई धान की फसल को गंभीर नुकसान हुआ है। कई जगहों पर खेतों में पानी भर जाने से कटाई के लिए तैयार धान गिरकर खराब हो गया, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है। इसके अलावा, खड़ी फसलों पर भी असर पड़ा है। कई खेतों में पौधे पानी में डूब जाने से सड़ने लगे हैं। सब्जी किसानों के लिए भी यह बारिश मुसीबत बनकर आई। जिन सब्जियों की बेल या लतादार फसलें (जैसे आलू, तोरई, गाजर) होती हैं, वे पूरी तरह खराब हो गईं, क्योंकि लगातार नमी और पानी जमने से पौधों की जड़ें सड़ गईं। इस वजह से बाजार में सब्जियों की आपूर्ति कम हो गई है, जिससे कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं। बारिश के बाद खेतों में फिर से अत्यधिक नमी आ गई है, जिसके कारण नई बुआई में देरी होगी। देर से बुआई का सीधा असर अगली फसल पर पड़ेगा फसल देर से तैयार होगी और कीट-रोगों का खतरा बढ़ जाएगा। अब जानिए कैसे होता है नुकसान का आकलन
जिला कृषि अधिकारी तेग बहादुर सिंह के अनुसार, लगातार बारिश से प्रदेश के कई जिलों में किसानों की धान, सब्जी और अन्य खरीफ फसलों को गंभीर नुकसान हुआ है। कई गांवों में खेतों में पानी भर जाने से फसलें पूरी तरह चौपट हो गईं। अब प्रशासनिक स्तर पर फसल क्षति का आकलन किया जा रहा है। रिपोर्ट आने के बाद ही यह तय होगा कि किस जिले या गांव में कितने प्रतिशत नुकसान हुआ है। बारिश या बाढ़ से नुकसान का आकलन क्रॉप कटिंग एक्सपेरिमेंट के जरिए किया जाता है। इसमें कृषि विभाग के अधिकारी खेतों का निरीक्षण कर त्रिभुज के आकार में फसल काटकर औसत उत्पादन का अनुमान लगाते हैं। यही आंकड़े तय करते हैं कि गांव या क्षेत्र में कितना प्रतिशत फसल नुकसान हुआ है। मुआवजा और बीमा के दो रास्ते होते है 33% से ज्यादा खराब फसलों का मुआवजा
जिला कृषि अधिकारी तेग बहादुर सिंह ने बताया, राज्य सरकार की तरफ से सिर्फ उन्हीं किसानों को मुआवजा देने का प्रावधान है, जिनकी फसल 33% से ज्यादा खराब हो चुकी है। तो ऐसे प्रभावित क्षेत्रों में किसानों को सर्वेक्षण के आधार पर कितना नुकसान हुआ है देखकर मुआवजा दिया जाता है। हालांकि अभी रिपोर्ट नहीं आई है कि कितनी फसलों का नुकसान हुआ है। बीमा कराई गई फसलों को पहले मिलेगा मुआवजा
तेग बहादुर सिंह के अनुसार, इस तरह का मुआवजा उन किसानों को प्राप्त होता है, जिन्होंने अपनी फसल का बीमा करवाया होता है। दरअसल, इसके लिए जब फसलों का आकलन करने के लिए बीमा कंपनी अधिकारी आते हैं, तब किसान को अपनी फसल का बीमा करवाना होता है। इसके बाद बीमा अधिकारी द्वारा किसान की फसलों का आकलन किया जाता है, इसके बाद मुआवजे की राशि प्रदान की जाती है। हालांकि यह राशि सिर्फ उन्हीं किसानों को प्रदान की जाती है, जिनकी फसलें 33% से अधिक खराब हो चुकी। जिन लोगों ने नहीं करवाया फसल का बीमा
जिन किसानों ने उनकी फसलों का बीमा नहीं करवाया है, ऐसे किसानों को मुआवजा मिलने में थोड़ी दिक्कत होती है। हालांकि जांच के बाद हर किसी को मुआवजे की राशि मिल जाती है। जिला कृषि अधिकारी के मुताबिक इस बार लखनऊ में 19,584 किसान खरीफ सीजन में कुल बीमित हुए हैं। अगर किसी किसान को सामूहिक आधार पर नुकसान हुआ है तो वो भी कंपलेन कर सकता है। सर्वे के आधार पर जितना नुकसान हुआ होगा। उसको उतना मुआवजा दिया जाएगा। टोल फ्री नंबर 14447 पर करें संपर्क
जिला अधिकारी तेग बहादुर सिंह बताते है, बीमा धारक किसानों से अनुरोध है कि यदि उनके क्षेत्र में धान की फसलें गिरती हैं या प्रभावित होती हैं, तो वे फसल प्रभावित होने के 72 घंटे के भीतर टोल फ्री नंबर 14447 (यूनिवर्सल सोम्पो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लि.) पर अपनी शिकायत दर्ज कराएं। इससे बीमा कंपनी सर्वेक्षण कर मुआवजे की राशि उपलब्ध कराएगी। ……………. ये खबर भी पढ़ें… यूपी में इस बार कैसी रहेगी ठंड, क्या रिकॉर्ड तोड़ेगी:10 दिन बाद लुढ़केगा पारा, जनवरी-दिसंबर में 5 डिग्री तक पहुंचेगा यूपी से 13 अक्टूबर को मानसून की विदाई हो गई। पोस्ट मानसून में जमकर बारिश हुई। इसके बाद अंदाजा लगाया जाने लगा है कि पिछले सालों की तुलना में इस बार कड़ाके की ठंड पड़ेगी। सुबह–शाम ठंड की शुरुआत भी हो चुकी है। सुबह के समय कई इलाकों में हल्की धुंध और ओस गिर रही है। मौसम विभाग का अनुमान है कि आने वाले 10 दिनों में दिन और रात के तापमान में गिरावट दर्ज होगी, जिससे सर्दी और बढ़ जाएगी। हल्की गुलाबी ठंड के साथ शुरू हुआ सर्दी का मौसम इस बार कैसा रहेगा? कब से कड़ाके की सर्दी पड़ेगी, अगर पड़ेगी तो क्यों?। पढ़िए पूरी खबर…
बंगाल की खाड़ी से उठे चक्रवात मोन्था के बाद उत्तर प्रदेश में मौसम अब स्थिर होने लगा है। नवंबर की शुरुआत के साथ ही राज्य में ठंड की दस्तक महसूस की जा रही है। मौसम विभाग के मुताबिक, इस महीने बारिश की संभावना बेहद कम है। आसमान साफ रहेगा और दिन में हल्की धूप के साथ सुहाना मौसम बना रहेगा। हालांकि सुबह और रात के तापमान में गिरावट दर्ज की जाएगी। दिन का तापमान औसतन 27 से 30 डिग्री सेल्सियस, जबकि रात का 12 से 16 डिग्री सेल्सियस तक रहने की संभावना है। पश्चिमी यूपी में ठंड जल्दी बढ़ेगी, जबकि पूर्वी यूपी में धीरे-धीरे असर दिखेगा। मौसम वैज्ञानिक मोहम्मद दानिश के अनुसार, नवंबर में उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्रों में अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक, जबकि राज्य के दक्षिणी भागों में सामान्य से कम दर्ज किया जाएगा। वहीं, पूरे प्रदेश में न्यूनतम तापमान सामान्य से ऊपर रहेगा, जिससे दिन में हल्की गर्माहट और रात में ठंडक महसूस की जाएगी। अब जानिए औसत अधिकतम और न्यूनतम तापमान क्या होता है?
मौसम विभाग के मुताबिक यूपी का औसत दैनिक तापमान 31 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है। गर्मियों में अधिकतम औसत तापमान 35 से 40 डिग्री सेल्सियस के बीच पहुंच जाता है। वहीं, ठंड में अधिकतम औसत तापमान 20 से 25 या 26 डिग्री सेल्सियस तक रहता है। ठंड में औसत न्यूनतम तापमान 10 से 15 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है। यहां ध्यान रखना जरूरी है कि पूरे भारत का भूगोल एक जैसा नहीं है। इस वजह से तापमान को लेकर भी अलग-अलग कैटेगरी हैं। अचानक हुई बारिश से क्या बढ़ेगी ठंड ?
वाराणसी में BHU के मौसम वैज्ञानिक प्रो. मनोज श्रीवास्तव के मुताबिक नवंबर में धीरे-धीरे ठंड दस्तक देगी। तापमान में गिरावट दर्ज की जाएगी। अभी के मौसम में बारिश की वजह से ठंड महसूस की जा रही है, लेकिन एक दो दिन में बारिश थम जाएगी। पिछले 24 घंटे में लखनऊ का अधिकतम तापमान 23.9 डिग्री सेल्सियस रहा, जो सामान्य से लगभग 7.5 डिग्री सेल्सियस कम है। वहीं, नवंबर के पहले सप्ताह में तापमान सामान्य से कम होगा। नवंबर में अत्यधिक ठंड पड़ने की संभावना नहीं है। 2 चक्रवातों ने बदला मौसम का मिजाज
मौसम वैज्ञानिक प्रोफेसर मनोज श्रीवास्तव ने बताया, चक्रवाती तूफान मोन्था के कारण पूर्वी उत्तर प्रदेश सहित कई जिलों में मौसम का मिजाज पूरी तरह बदल गया है। वर्तमान में देश के विभिन्न हिस्सों में दो चक्रवाती तूफानों का प्रभाव देखने को मिल रहा है। पहला चक्रवात गुजरात तट से होकर आया है, जबकि दूसरा बंगाल की खाड़ी से पहुंचा है। इन दोनों चक्रवातों के संयुक्त असर से उत्तर प्रदेश, मध्य भारत और पूर्वोत्तर के कई इलाकों में मौसम में अचानक बदलाव हुआ है। लगातार बह रही नमी भरी हवाओं के कारण वातावरण में ठंडक बढ़ी है और तापमान सामान्य से नीचे चला गया है। बारिश का खेती-किसानी पर असर
कृषि वैज्ञानिक प्रो. पीके सिंह के अनुसार अचानक हुई भारी बारिश से पकी हुई धान की फसल को गंभीर नुकसान हुआ है। कई जगहों पर खेतों में पानी भर जाने से कटाई के लिए तैयार धान गिरकर खराब हो गया, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है। इसके अलावा, खड़ी फसलों पर भी असर पड़ा है। कई खेतों में पौधे पानी में डूब जाने से सड़ने लगे हैं। सब्जी किसानों के लिए भी यह बारिश मुसीबत बनकर आई। जिन सब्जियों की बेल या लतादार फसलें (जैसे आलू, तोरई, गाजर) होती हैं, वे पूरी तरह खराब हो गईं, क्योंकि लगातार नमी और पानी जमने से पौधों की जड़ें सड़ गईं। इस वजह से बाजार में सब्जियों की आपूर्ति कम हो गई है, जिससे कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं। बारिश के बाद खेतों में फिर से अत्यधिक नमी आ गई है, जिसके कारण नई बुआई में देरी होगी। देर से बुआई का सीधा असर अगली फसल पर पड़ेगा फसल देर से तैयार होगी और कीट-रोगों का खतरा बढ़ जाएगा। अब जानिए कैसे होता है नुकसान का आकलन
जिला कृषि अधिकारी तेग बहादुर सिंह के अनुसार, लगातार बारिश से प्रदेश के कई जिलों में किसानों की धान, सब्जी और अन्य खरीफ फसलों को गंभीर नुकसान हुआ है। कई गांवों में खेतों में पानी भर जाने से फसलें पूरी तरह चौपट हो गईं। अब प्रशासनिक स्तर पर फसल क्षति का आकलन किया जा रहा है। रिपोर्ट आने के बाद ही यह तय होगा कि किस जिले या गांव में कितने प्रतिशत नुकसान हुआ है। बारिश या बाढ़ से नुकसान का आकलन क्रॉप कटिंग एक्सपेरिमेंट के जरिए किया जाता है। इसमें कृषि विभाग के अधिकारी खेतों का निरीक्षण कर त्रिभुज के आकार में फसल काटकर औसत उत्पादन का अनुमान लगाते हैं। यही आंकड़े तय करते हैं कि गांव या क्षेत्र में कितना प्रतिशत फसल नुकसान हुआ है। मुआवजा और बीमा के दो रास्ते होते है 33% से ज्यादा खराब फसलों का मुआवजा
जिला कृषि अधिकारी तेग बहादुर सिंह ने बताया, राज्य सरकार की तरफ से सिर्फ उन्हीं किसानों को मुआवजा देने का प्रावधान है, जिनकी फसल 33% से ज्यादा खराब हो चुकी है। तो ऐसे प्रभावित क्षेत्रों में किसानों को सर्वेक्षण के आधार पर कितना नुकसान हुआ है देखकर मुआवजा दिया जाता है। हालांकि अभी रिपोर्ट नहीं आई है कि कितनी फसलों का नुकसान हुआ है। बीमा कराई गई फसलों को पहले मिलेगा मुआवजा
तेग बहादुर सिंह के अनुसार, इस तरह का मुआवजा उन किसानों को प्राप्त होता है, जिन्होंने अपनी फसल का बीमा करवाया होता है। दरअसल, इसके लिए जब फसलों का आकलन करने के लिए बीमा कंपनी अधिकारी आते हैं, तब किसान को अपनी फसल का बीमा करवाना होता है। इसके बाद बीमा अधिकारी द्वारा किसान की फसलों का आकलन किया जाता है, इसके बाद मुआवजे की राशि प्रदान की जाती है। हालांकि यह राशि सिर्फ उन्हीं किसानों को प्रदान की जाती है, जिनकी फसलें 33% से अधिक खराब हो चुकी। जिन लोगों ने नहीं करवाया फसल का बीमा
जिन किसानों ने उनकी फसलों का बीमा नहीं करवाया है, ऐसे किसानों को मुआवजा मिलने में थोड़ी दिक्कत होती है। हालांकि जांच के बाद हर किसी को मुआवजे की राशि मिल जाती है। जिला कृषि अधिकारी के मुताबिक इस बार लखनऊ में 19,584 किसान खरीफ सीजन में कुल बीमित हुए हैं। अगर किसी किसान को सामूहिक आधार पर नुकसान हुआ है तो वो भी कंपलेन कर सकता है। सर्वे के आधार पर जितना नुकसान हुआ होगा। उसको उतना मुआवजा दिया जाएगा। टोल फ्री नंबर 14447 पर करें संपर्क
जिला अधिकारी तेग बहादुर सिंह बताते है, बीमा धारक किसानों से अनुरोध है कि यदि उनके क्षेत्र में धान की फसलें गिरती हैं या प्रभावित होती हैं, तो वे फसल प्रभावित होने के 72 घंटे के भीतर टोल फ्री नंबर 14447 (यूनिवर्सल सोम्पो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लि.) पर अपनी शिकायत दर्ज कराएं। इससे बीमा कंपनी सर्वेक्षण कर मुआवजे की राशि उपलब्ध कराएगी। ……………. ये खबर भी पढ़ें… यूपी में इस बार कैसी रहेगी ठंड, क्या रिकॉर्ड तोड़ेगी:10 दिन बाद लुढ़केगा पारा, जनवरी-दिसंबर में 5 डिग्री तक पहुंचेगा यूपी से 13 अक्टूबर को मानसून की विदाई हो गई। पोस्ट मानसून में जमकर बारिश हुई। इसके बाद अंदाजा लगाया जाने लगा है कि पिछले सालों की तुलना में इस बार कड़ाके की ठंड पड़ेगी। सुबह–शाम ठंड की शुरुआत भी हो चुकी है। सुबह के समय कई इलाकों में हल्की धुंध और ओस गिर रही है। मौसम विभाग का अनुमान है कि आने वाले 10 दिनों में दिन और रात के तापमान में गिरावट दर्ज होगी, जिससे सर्दी और बढ़ जाएगी। हल्की गुलाबी ठंड के साथ शुरू हुआ सर्दी का मौसम इस बार कैसा रहेगा? कब से कड़ाके की सर्दी पड़ेगी, अगर पड़ेगी तो क्यों?। पढ़िए पूरी खबर…