चुनाव आयोग ने यूपी समेत देश के 12 राज्यों में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) लागू कर दिया है। 4 नवंबर से बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) घर-घर सर्वे करेंगे। बीएलओ 2003 की मतदाता सूची से आपके परिवार के वोटर्स का मिलान करेंगे। अगर इस सूची में आपका नाम है, तो बीएलओ चुनाव आयोग की ओर से जारी एप के प्रोफार्मा में इसकी जानकारी अपडेट कर देंगे। सवाल है, अगर आपका जन्म 2003 के बाद हुआ या सूची में आपका नाम नहीं, तो क्या होगा? जानिए सब कुछ… आखिर 2003 की मतदाता सूची से ही क्यों मिलान?
यूपी समेत देश में आखिरी बार 2003 में SIR हुआ था। 22 साल बाद अब 8वीं बार SIR हो रहा है। इसी वजह से आखिरी SIR को आधार बनाया गया है। इसका फायदा यह होगा कि इस सूची में दर्ज 70 फीसदी लोगों को फिर से कोई दस्तावेज नहीं दिखाना पड़ेगा। बीएलओ 2003 की मतदाता सूची से क्या-क्या मिलान करेंगे?
इसे समझने के लिए दैनिक भास्कर ने बिहार के एक बीएलओ से बात की। पेशे से टीचर बीएलओ ने बताया कि निर्वाचन आयोग की ओर से उपलब्ध कराए गए बीएलओ एप में 2003 की सूची उपलब्ध रहेगी। एक बीएलओ को 1000 से 1200 वोटर्स का मिलान करना होगा। सूची में दर्ज नाम का वोटर जिंदा हैं या नहीं? एप के प्रोफार्मा में ये जानकारी अपडेट कर दी जाएगी। यानी उनका नाम वोटर लिस्ट से हटाने वाली सूची में डाल दी जाएगी। दूसरी जानकारी मांगेंगे कि वोटर का पलायन तो नहीं हो गया। अगर वे दूसरे राज्य या विदेश में शिफ्ट हो गए हैं, तो प्रोफार्मा में ये जानकारी अपडेट कर इनका नाम भी वोटर लिस्ट से हटाने वाली सूची में डाल दिया जाएगा। तीसरी जानकारी में देखेंगे कि कहीं एक ही वोटर का नाम 2003 की सूची में दो जगह तो नहीं दर्ज है। ऐसे वोटर का डिटेल लेकर एक जगह से नाम हटाया जाएगा। आपका जन्म 2004 के बाद हुआ है, तो क्या होगा?
साल- 2004 के बाद जन्मे वोटर्स को बीएलओ को कुछ जानकारी उपलब्ध करानी होगी। इसमें जन्म प्रमाण पत्र (बर्थ सर्टिफिकेट) देना होगा। निवास प्रमाण पत्र के तौर पर 2003 के वोटर लिस्ट में दर्ज मां-पिता या परिवार की जानकारी देनी होगी। जन्म 1 जुलाई, 1987 से पहले हुआ है, तो क्या करना होगा?
अगर आपका नाम 2003 की लिस्ट में नहीं है और जन्म 1 जुलाई, 1987 से पहले का है, तो चुनाव आयोग की ओर से मान्य 12 दस्तावेजों में से कोई एक दस्तावेज बीएलओ को दिखाना होगा। जो बीएलओ एप के प्रोफार्मा में अपडेट कर नए मतदाता के तौर पर दर्ज करेगा। जन्म 1 जुलाई, 1987 से 2 दिसंबर, 2004 के बीच हुआ है तो क्या होगा?
ऐसे लोगों को चुनाव आयोग की ओर से तय 12 दस्तावेजों में से कोई एक दस्तावेज और अपने माता या पिता में से किसी एक का मान्य दस्तावेज देना होगा। अगर उनके माता या पिता का नाम 2003 की मतदाता सूची में है, तो उसका ब्योरा भी प्रमाण के तौर पर स्वीकार किया जाएगा। दूसरे राज्य से आकर बसे हैं, तो कैसे जुड़ेगा नाम?
अपने दूसरे राज्य में बने वोटर कार्ड को बीएलओ को सरेंडर करते हुए वर्तमान पता अपडेट करवाना होगा। निवास दस्तावेज के तौर पर आधार या अन्य 11 दस्तावेजों में से कोई एक देना होगा। इसके लिए आधार में वर्तमान पता अपडेट होना चाहिए। सर्वे में आपका नाम गलती से छूट गया, तो क्या करना होगा?
बीएलओ 4 नवंबर से 4 दिसंबर तक घर-घर सर्वे करने जाएंगे। 9 दिसंबर को ऐसे वोटर के नाम प्रकाशित होंगे, जिनके नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए गए हैं। अगर इसमें गलती से आपका नाम प्रकाशित हो गया है, तो घबराने की जरूरत नहीं। 9 दिसंबर से 8 जनवरी, 2026 तक, मतलब एक महीने की समय सीमा में आपको बीएलओ या ऊपर के सक्षम अधिकारी के समक्ष दावा-आपत्ति करनी होगी। SIR को लेकर चुनाव आयोग की क्या तैयारी?
यूपी में SIR आखिरी बार 2003 में लागू हुआ था। यूपी के मुख्य चुनाव अधिकारी नवदीप रिणवा ने बताया- 3 नवंबर तक सर्वे करने वाली टीम में शामिल अधिकारी और बीएलओ को ट्रेनिंग दी जाएगी। SIR के लिए साल- 2003 की मतदाता सूची वेबसाइट ceouttarpradesh.nic.in पर अपलोड करने का काम चल रहा है। बिहार SIR के बाद क्या बदलाव हुआ?
बिहार में SIR- 2025 के बाद कुल 68.66 लाख मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए गए। बीएलओ के सर्वे के बाद चुनाव आयोग ड्राफ्ट सूची 1 अगस्त, 2025 को जारी किया था। इसमें 65 लाख नाम हटा गए थे। इसमें 22 लाख मृत वोटर, दूसरी जगह शिफ्ट हो चुके 36 लाख वोटर और 7 लाख डुप्लीकेशन वाले वोटर थे। दावा-आपत्ति के बाद 3.66 लाख वोटर और हटाए गए। इसमें 2 लाख दूसरी जगह शिफ्ट हो चुके थे। 60 हजार मृत वोटर निकले, 80 हजार डुप्लीकेशन वाले चिह्नित हुए। नए मतदाता के तौर पर अलग से 21.53 लाख वोटर जोड़े गए थे। बिहार जैसी खामियां निकली, तो यूपी में कितने वोटर घटेंगे?
बिहार में जून- 2025 में SIR के पहले 7.89 करोड़ वोटर थे। SIR के बाद 7.42 करोड़ मतदाता हैं। मतलब 6% की कमी आई थी। यूपी चुनाव आयोग में पदस्थ एक अधिकारी की मानें, तो हर राज्य की अलग-अलग पलायन और मृत्यु दर है। यूपी में SIR के पहले 15.44 करोड़ वोटर हैं। ऐसे में सिर्फ अनुमानित आंकड़े के तौर पर करीब 1.30 करोड़ वोटर कम हो सकते हैं। फाइनल आंकड़ा सर्वे के बाद 7 फरवरी को फाइनल वोटर लिस्ट के प्रकाशित होने के बाद ही आएगा। SIR से जुड़े अफसर-कर्मचारियों के क्या होंगे तबादले?
अब फरवरी तक कलेक्टर, एडीएम, एसडीएम, तहसीलदार और बीएलओ के तबादलों पर रोक रहेगी। SIR प्रक्रिया से जुड़े कर्मचारियों और अफसरों के सामान्य तबादलों पर रोक रहेगी। विशेष हालात में तबादला करना जरूरी होने पर चुनाव आयोग से मंजूरी लेनी होगी। ———————– ये खबर भी पढ़ें… योगी ने हेलिकॉप्टर से देखा देश का सबसे बड़ा एयरपोर्ट…VIDEO, जेवर एयरपोर्ट का निरीक्षण किया नोएडा में सीएम योगी ने हेलिकॉप्टर से देश के सबसे बड़े जेवर एयरपोर्ट को देखा। उन्होंने एयरस्ट्रिप निर्माणाधीन टर्मिनल, पार्किंग, ओर एयरपोर्ट कनेक्टिविटी का सर्वेक्षण किया। इससे पहले उन्होंने एयरपोर्ट अथॉरिटी के अधिकारियों संग बैठक की। सीएम ने अधिकारियों से कहा- एयरपोर्ट के शुभारंभ से पहले सभी काम पूरे किए जाएं। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट यूपी की आर्थिक प्रगति, औद्योगिक विस्तार और रोजगार सृजन का केंद्र बनेगा। यह पीएम मोदी के विकसित भारत के विजन को साकार करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। पढ़ें पूरी खबर
यूपी समेत देश में आखिरी बार 2003 में SIR हुआ था। 22 साल बाद अब 8वीं बार SIR हो रहा है। इसी वजह से आखिरी SIR को आधार बनाया गया है। इसका फायदा यह होगा कि इस सूची में दर्ज 70 फीसदी लोगों को फिर से कोई दस्तावेज नहीं दिखाना पड़ेगा। बीएलओ 2003 की मतदाता सूची से क्या-क्या मिलान करेंगे?
इसे समझने के लिए दैनिक भास्कर ने बिहार के एक बीएलओ से बात की। पेशे से टीचर बीएलओ ने बताया कि निर्वाचन आयोग की ओर से उपलब्ध कराए गए बीएलओ एप में 2003 की सूची उपलब्ध रहेगी। एक बीएलओ को 1000 से 1200 वोटर्स का मिलान करना होगा। सूची में दर्ज नाम का वोटर जिंदा हैं या नहीं? एप के प्रोफार्मा में ये जानकारी अपडेट कर दी जाएगी। यानी उनका नाम वोटर लिस्ट से हटाने वाली सूची में डाल दी जाएगी। दूसरी जानकारी मांगेंगे कि वोटर का पलायन तो नहीं हो गया। अगर वे दूसरे राज्य या विदेश में शिफ्ट हो गए हैं, तो प्रोफार्मा में ये जानकारी अपडेट कर इनका नाम भी वोटर लिस्ट से हटाने वाली सूची में डाल दिया जाएगा। तीसरी जानकारी में देखेंगे कि कहीं एक ही वोटर का नाम 2003 की सूची में दो जगह तो नहीं दर्ज है। ऐसे वोटर का डिटेल लेकर एक जगह से नाम हटाया जाएगा। आपका जन्म 2004 के बाद हुआ है, तो क्या होगा?
साल- 2004 के बाद जन्मे वोटर्स को बीएलओ को कुछ जानकारी उपलब्ध करानी होगी। इसमें जन्म प्रमाण पत्र (बर्थ सर्टिफिकेट) देना होगा। निवास प्रमाण पत्र के तौर पर 2003 के वोटर लिस्ट में दर्ज मां-पिता या परिवार की जानकारी देनी होगी। जन्म 1 जुलाई, 1987 से पहले हुआ है, तो क्या करना होगा?
अगर आपका नाम 2003 की लिस्ट में नहीं है और जन्म 1 जुलाई, 1987 से पहले का है, तो चुनाव आयोग की ओर से मान्य 12 दस्तावेजों में से कोई एक दस्तावेज बीएलओ को दिखाना होगा। जो बीएलओ एप के प्रोफार्मा में अपडेट कर नए मतदाता के तौर पर दर्ज करेगा। जन्म 1 जुलाई, 1987 से 2 दिसंबर, 2004 के बीच हुआ है तो क्या होगा?
ऐसे लोगों को चुनाव आयोग की ओर से तय 12 दस्तावेजों में से कोई एक दस्तावेज और अपने माता या पिता में से किसी एक का मान्य दस्तावेज देना होगा। अगर उनके माता या पिता का नाम 2003 की मतदाता सूची में है, तो उसका ब्योरा भी प्रमाण के तौर पर स्वीकार किया जाएगा। दूसरे राज्य से आकर बसे हैं, तो कैसे जुड़ेगा नाम?
अपने दूसरे राज्य में बने वोटर कार्ड को बीएलओ को सरेंडर करते हुए वर्तमान पता अपडेट करवाना होगा। निवास दस्तावेज के तौर पर आधार या अन्य 11 दस्तावेजों में से कोई एक देना होगा। इसके लिए आधार में वर्तमान पता अपडेट होना चाहिए। सर्वे में आपका नाम गलती से छूट गया, तो क्या करना होगा?
बीएलओ 4 नवंबर से 4 दिसंबर तक घर-घर सर्वे करने जाएंगे। 9 दिसंबर को ऐसे वोटर के नाम प्रकाशित होंगे, जिनके नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए गए हैं। अगर इसमें गलती से आपका नाम प्रकाशित हो गया है, तो घबराने की जरूरत नहीं। 9 दिसंबर से 8 जनवरी, 2026 तक, मतलब एक महीने की समय सीमा में आपको बीएलओ या ऊपर के सक्षम अधिकारी के समक्ष दावा-आपत्ति करनी होगी। SIR को लेकर चुनाव आयोग की क्या तैयारी?
यूपी में SIR आखिरी बार 2003 में लागू हुआ था। यूपी के मुख्य चुनाव अधिकारी नवदीप रिणवा ने बताया- 3 नवंबर तक सर्वे करने वाली टीम में शामिल अधिकारी और बीएलओ को ट्रेनिंग दी जाएगी। SIR के लिए साल- 2003 की मतदाता सूची वेबसाइट ceouttarpradesh.nic.in पर अपलोड करने का काम चल रहा है। बिहार SIR के बाद क्या बदलाव हुआ?
बिहार में SIR- 2025 के बाद कुल 68.66 लाख मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए गए। बीएलओ के सर्वे के बाद चुनाव आयोग ड्राफ्ट सूची 1 अगस्त, 2025 को जारी किया था। इसमें 65 लाख नाम हटा गए थे। इसमें 22 लाख मृत वोटर, दूसरी जगह शिफ्ट हो चुके 36 लाख वोटर और 7 लाख डुप्लीकेशन वाले वोटर थे। दावा-आपत्ति के बाद 3.66 लाख वोटर और हटाए गए। इसमें 2 लाख दूसरी जगह शिफ्ट हो चुके थे। 60 हजार मृत वोटर निकले, 80 हजार डुप्लीकेशन वाले चिह्नित हुए। नए मतदाता के तौर पर अलग से 21.53 लाख वोटर जोड़े गए थे। बिहार जैसी खामियां निकली, तो यूपी में कितने वोटर घटेंगे?
बिहार में जून- 2025 में SIR के पहले 7.89 करोड़ वोटर थे। SIR के बाद 7.42 करोड़ मतदाता हैं। मतलब 6% की कमी आई थी। यूपी चुनाव आयोग में पदस्थ एक अधिकारी की मानें, तो हर राज्य की अलग-अलग पलायन और मृत्यु दर है। यूपी में SIR के पहले 15.44 करोड़ वोटर हैं। ऐसे में सिर्फ अनुमानित आंकड़े के तौर पर करीब 1.30 करोड़ वोटर कम हो सकते हैं। फाइनल आंकड़ा सर्वे के बाद 7 फरवरी को फाइनल वोटर लिस्ट के प्रकाशित होने के बाद ही आएगा। SIR से जुड़े अफसर-कर्मचारियों के क्या होंगे तबादले?
अब फरवरी तक कलेक्टर, एडीएम, एसडीएम, तहसीलदार और बीएलओ के तबादलों पर रोक रहेगी। SIR प्रक्रिया से जुड़े कर्मचारियों और अफसरों के सामान्य तबादलों पर रोक रहेगी। विशेष हालात में तबादला करना जरूरी होने पर चुनाव आयोग से मंजूरी लेनी होगी। ———————– ये खबर भी पढ़ें… योगी ने हेलिकॉप्टर से देखा देश का सबसे बड़ा एयरपोर्ट…VIDEO, जेवर एयरपोर्ट का निरीक्षण किया नोएडा में सीएम योगी ने हेलिकॉप्टर से देश के सबसे बड़े जेवर एयरपोर्ट को देखा। उन्होंने एयरस्ट्रिप निर्माणाधीन टर्मिनल, पार्किंग, ओर एयरपोर्ट कनेक्टिविटी का सर्वेक्षण किया। इससे पहले उन्होंने एयरपोर्ट अथॉरिटी के अधिकारियों संग बैठक की। सीएम ने अधिकारियों से कहा- एयरपोर्ट के शुभारंभ से पहले सभी काम पूरे किए जाएं। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट यूपी की आर्थिक प्रगति, औद्योगिक विस्तार और रोजगार सृजन का केंद्र बनेगा। यह पीएम मोदी के विकसित भारत के विजन को साकार करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। पढ़ें पूरी खबर