योगी का आदेश गोरखपुर के स्कूल मैनेजमेंट ने नहीं माना:घर लौटकर खूब रोई छात्रा; बोली- प्रिंसिपल ने माता-पिता को बेइज्जत किया

सीएम योगी ने गोरखपुर की पंखुड़ी से उसकी स्कूल फीस माफ कराने का वादा किया था, लेकिन छात्रा मायूस हो गई है। स्कूल ने 1650 रुपए फीस माफ करने से मना कर दिया है। प्रिंसिपल ने कहा, अगर फीस माफ कर दी तो आए दिन लोग जनता दरबार में पहुंच जाएंगे। रोज फीस माफी के लिए आने लगेंगे। ‘दैनिक भास्कर’ ने शनिवार को पंखुड़ी से बात की। उसने कहा- मेरी पढ़ाई छूट रही है, इस वजह से परेशान हूं। सीएम के आश्वासन के बाद लगा था कि मैं अब स्कूल जा सकूंगी। लेकिन, फिर से स्कूल जाने का सपना टूट रहा है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… पंखुड़ी बोली – प्रिंसिपल ने कर दिया इन्कार
पंखुड़ी ने बताया, 1 जुलाई को गोरक्षनाथ मंदिर में जनता दरबार गई थी। सीएम योगी से फीस माफ कराने की बात की थी। खुद सीएम ने फीस माफ कराने का निर्देश अधिकारियों को दिया था। पंखुड़ी ने सीएम के साथ फोटो खिंचाई थी। सीएम ने कहा था- मेहनत से पढ़ाई करना। लेकिन कई दिन बीतने के बाद भी कहीं से कोई कॉल नहीं आई। सुबह अपने पेरेंट्स के साथ पक्की बाग स्थित सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल में फीस माफ करने का एप्लिकेशन लेकर गई थी। वहां स्कूल प्रिंसिपल मिले। उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा, जनता दरबार क्यों गई थी। इसके बाद किसी से फोन पर बात की। प्रिंसिपल बोले- मैं तुम्हारी फीस माफ नहीं कर सकता हूं। ऐसा करूंगा तो आए दिन जनता दरबार लोग जाने लगेंगे। रोज फीस माफी के लिए पेरेंट्स आने लगेंगे। पंखुड़ी ने कहा- मेरे पेरेंट्स से भी प्रिंसिपल ने ठीक से बात नहीं की। हम लोग निराश होकर घर लौट आए। अब पढ़िए सीएम योगी से बातचीत पंखुड़ी ने एप्लिकेशन में क्या लिखा…
सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल के प्रिंसिपल को संबोधित करते हुए पंखुड़ी ने फीस माफी का एप्लिकेशन लिखा है। इसमें लिखा है- सविनय निवेदन है कि मैं पंखुड़ी त्रिपाठी जो कि सीएम से आवेदन फीस माफी के लिए किया था। इसे स्वीकार कर उन्होंने अधिकारियों को आदेशित किया। आपसे निवेदन है कि फीस माफी कर शिक्षा दिलाने में मेरी मदद करें। हम आपके आभारी रहेंगे। घर में छाई उदासी, खूब रोई पंखुड़ी
कोतवाली क्षेत्र के पुदरदिलपुर में पंखुड़ी का घर है। स्कूल से लौटने के बाद पंखुड़ी खूब रोई। इस दौरान पिता राजीव त्रिपाठी, मां मीनाक्षी और भाई वंश उसे समझाते रहे। स्कूल में प्रिंसिपल की बात सुनने के बाद पूरे घर में उदासी का माहौल हो गया है। एक कमरे में बैठकर परिवार के सभी सदस्य पंखुड़ी को समझाते रहे। पंखुड़ी बोलीं- 4 महीने से घर पर बैठी हूं
पंखुड़ी ने बताया- मैं छठवीं क्लास में पढ़ाई कर रही थी। मेरा फरवरी में एग्जाम था, लेकिन फीस जमा नहीं होने की वजह से मुझे एग्जाम नहीं देने दिया गया। इसके बाद करीब 4 महीने से घर पर बैठी हूं। स्कूल में साथ पढ़ने वाले दोस्तों के कॉल भी आए। वह सब जानते थे। इसके बाद भी पूछा कि स्कूल क्यों नहीं आ रही हो। मेरे पास कोई जवाब नहीं था। 4 महीने बीत जाने के बाद जब लगा कि अब तो मेरी पढ़ाई छूट जाएगी। मेरा परिवार पहले से ही परेशान चल रहा है। तब मैंने CM से मिलने का फैसला लिया। मेरे माता-पिता ने बहुत परेशानी झेली है। उनकी खुशी के लिए कुछ भी करूंगी। मेरा फेवरेट सब्जेक्ट मैथ्स है। मेरे हमेशा मैथ्स में अधिक नंबर आते हैं। घर की दरक चुकी हैं दीवारें कोतवाली क्षेत्र के पुरदिलपुर में 1955 में पंखुड़ी का घर बना था। घर में पंखुड़ी के साथ उनके पिता राजीव, मां मीनाक्षी, भाई वंश रहता है। आज घर की दीवारें दरक चुकी हैं। छतों और दीवारों पर जगह-जगह दरारें साफ दिखती हैं। घर में लगे जर्जर दरवाजे पुराने समय की याद दिला देते हैं। घर पर चुना लगे तो जमाना हो गया है। यह बाहर से साफ नजर आता है। तीन कमरे हैं। बाहर एक बोर्ड वंश प्रोविजन स्टोर और वंश इलेक्ट्रिक नाम से लगा है। लेकिन सामान नहीं होने की वजह से भूले भटके ही कोई वहां आता है। राजीव बताते हैं- किसी के पंखे की बाइंडिंग, खराब RO का काम बैठकर कर लेता हूं। लोग घर पर ही काम कराना चाहते हैं। वहां जा नहीं पाता हूं। सब्जी पर का भी खर्च बड़ी मुश्किल से निकलता है। 2020 से संकट में आया परिवार
राजीव ने बताया- घर में सब कुछ ठीक चल रहा था। मैं चंडीगढ़ में रेडिमेड गारमेंट का काम करता था। कोरोना काल 2020 में काम बंद हो गया। मैं घर वापस आ गया। इसके बाद मुश्किलें बढ़ती चली गईं। घर आते ही छत पर लगी काई में फिसल कर मेरा दाया पैर टूट गया। ऑपरेशन कर डॉक्टर ने रॉड डाल दिया। इसके बाद मैं चार साल तक घर के एक बेड पर पड़ा रहा। परिवार चलाने के लिए पत्नी मीनाक्षी को बाहर निकलना पड़ा। इधर-उधर दौड़ने के बाद बड़ी मुश्किल से एक शॉप पर काम मिला। जिससे इतने पैसे नहीं मिलते हैं, बच्चों की पढ़ाई कराई जा सके। राजीव के दोनों बच्चे वंश और पंखुड़ी गोरखपुर के सरस्वती शिशु मंदिर में पढ़ते हैं। लेकिन पंखुड़ी की फीस जमा नहीं होने की वजह से स्कूल से निकाल दिया गया। ऐश्प्रा समूह ने की फीस जमा करने की पहल
ऐश्प्रा समूह के निदेशक अतुल सराफ ने कहा- दैनिक भास्कर एप पर पंखुड़ी की कहानी पढ़ी है। कंपनी के सीएसआर से पंखुड़ी की फीस जमा कराएंगे। पूरे साल की फीस जमा कराई जाएगी। प्रशासन स्तर से अब तक क्या हुआ
बताया जा रहा है कि प्रशासन स्तर से एक पत्र तैयार किया गया है। जिसे DIOS (जिला विद्यालय निरीक्षक) ऑफिस भेजा गया है। DIOS किसी केस के सिलसिले में अभी प्रयागराज गए हुए हैं। उनके आने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि उस पत्र में आखिर क्या आदेश जारी किया गया है? इस मामले में गोरखपुर डीएम कृष्णा करुणेश ने कहा- जनता दर्शन में छात्रा की ओर से जो डिमांड की गई है, उसे पूरा कराया जाएगा। इसकी प्रक्रिया चल रही है। ———————- ये खबर भी पढ़ें… गोरखपुर में बच्ची का एडमिशन योगी ने कराया…उसकी कहानी:फीस 1650 रुपए, मगर वो भी नहीं भर सके; CM बोले-पढ़ाई रुकने न पाए गोरखपुर की 13 साल की पंखुड़ी एक बार फिर पढ़ाई कर सकेगी। आर्थिक तंगी की वजह से पेरेंट्स फीस जमा नहीं कर पाए थे। उसे एग्जाम नहीं देने दिया गया। स्कूल से निकाल दिया गया। पढ़ने में तेज पंखुड़ी IAS बनना चाहती है। उसे अब भविष्य की चिंता सताने लगी। तब वह CM से मिलने जनता दरबार में पहुंची। पढ़ें पूरी खबर…