बहुजन समाज पार्टी की रविवार को लखनऊ स्थित पार्टी मुख्यालय में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक है। इसमें कई अहम फैसले के साथ पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और नेशनल कोऑर्डिनेटर रहे जयप्रकाश सिंह की घर वापसी पर भी मुहर लग सकती है। एक सोर्स का दावा है कि जयप्रकाश की एक बड़े नेता के जरिए बसपा सुप्रीमो मायावती से बात हो चुकी है। हालांकि, जयप्रकाश खुद ऐसी किसी मुलाकात को खारिज कर रहे हैं। दैनिक भास्कर से बातचीत में ये जरूर कहा कि उन्होंने पार्टी में वापसी के लिए बसपा प्रमुख मायावती से अपील की है। अपनी पुरानी गलतियों के लिए माफी भी मांगी है। जानिए कौन हैं जयप्रकाश सिंह जाटव समाज से आने वाले गौतमबुद्धनगर में जन्मे 40 साल के जयप्रकाश सिंह के पिता शिक्षक और भाई सरकारी वकील हैं। एलएलएम डिग्री धारक जयप्रकाश ने साल-2009 में घर-परिवार छोड़कर खुद को बहुजन आंदोलन के लिए समर्पित कर दिया था। बसपा के कद्दावर नेताओं में शामिल धर्मवीर अशोक के जरिए जयप्रकाश की बसपा में एंट्री हुई थी। पहले वह बसपा कार्यालय में बैठते थे। वहीं से वह मायावती के छोटे भाई आनंद के संपर्क में आए। बसपा के लिए समर्पित और अविवाहित जयप्रकाश सिंह ने बहुत कम समय में मायावती के खास लोगों में अपनी गिनती करा ली। मायावती ने पहले उन्हें धर्मवीर अशोक के साथ हरियाणा में लगाया, फिर राजस्थान की जिम्मेदारी सौंपी। मायावती ने जयप्रकाश का कद बढ़ाते हुए राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और नेशनल कोऑर्डिनेटर बना दिया। बसपा से निकाले जाने से पहले तक वह इसी पद पर थे। मायावती अक्सर अपनी सभाओं में कहती रहती थीं कि उनका उत्तराधिकारी जाटव हाेगा। उसकी उम्र मुझसे 20-30 साल छोटी होगी। तब लोग कयास लगाते थे कि ये चेहरा जयप्रकाश सिंह ही होंगे। जयप्रकाश सिंह को यही मुगालता भारी पड़ा। राहुल-सोनिया को विदेशी मूल का कहने पर हुआ था निष्कासन
मायावती को करीब से जानने वाले कहते हैं कि वह अनुशासन के मामले में काफी कठोर हैं। पिछले लोकसभा में उन्होंने भतीजे आकाश को सिर्फ इस वजह से निष्कासित कर दिया था कि वे चुनाव में पीएम मोदी को टारगेट कर रहे थे। 8 साल पहले इसी तरह के फैसले में जयप्रकाश सिंह का भी निष्कासन हुआ था। 17 जुलाई, 2018 को जयप्रकाश लखनऊ में बसपा के कोऑर्डिनेटरों की बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने इस बैठक में सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर जमकर हमला बोला था। जयप्रकाश ने कहा था कि राहुल गांधी अगर अपने पिता पर गए होते तो कुछ उम्मीद भी थी, लेकिन वो अपनी मां पर गए हैं। उसकी मां सोनिया गांधी विदेशी हैं, उसमें भी विदेशी खून है। इसलिए मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि वो भारतीय राजनीति में कभी सफल नहीं हो सकता। जयप्रकाश ने तब राहुल गांधी के पीएम की दावेदारी को खारिज करते हुए कहा था कि भारत का प्रधानमंत्री पेट से नहीं, बल्कि पेटी (बैलेट बाक्स) से निकलेगा। अब गांधी की टोपी में वोट नहीं बचा, वोट अंबेडकर के कोट में भरा पड़ा है। वेद, मनुस्मृति, गीता, रामायण सारे के सारे खोखले पड़ गए। एक पलड़े पर सारे ग्रंथ रख दीजिए और दूसरे पर संविधान, तो संविधान ही सब पर भारी है। जयप्रकाश ने मुख्यमंत्री योगी पर भी टिप्पणी करते हुए कहा था कि मंदिर में शक्ति होती, तो योगी गोरखपुर का मंदिर छोड़कर मुख्यमंत्री न बनते। उन्होंने स्वामी चिन्मयानंद और उमा भारती का भी उदाहरण देते हुए कहा था कि इन सभी धार्मिक लोगों ने अपना मठ छोड़कर आप लोगों को मंदिर की घंटी बजाने में लगा दिया। उस समय हरियाणा और राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए बसपा का कांग्रेस से गठबंधन होने की बात चल रही थी। मायावती ने इस बयान के बाद जयप्रकाश को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पार्टी के राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर पद से हटाने के साथ ही निष्कासित भी कर दिया था। तब मायावती ने कार्रवाई करते हुए कहा था कि मुझे बसपा के राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर जय प्रकाश सिंह के भाषण के बारे में पता चला। जिसमें उन्होंने बसपा की विचारधारा के खिलाफ बात कही है। उन्होंने दूसरे दलों के नेतृत्व के खिलाफ व्यक्तिगत टिप्पणी भी की। यह उनकी व्यक्तिगत राय है, जिससे पार्टी सहमत नहीं। ऐसे में उन्हें तत्काल सभी पदों से हटाया जाता है। 2021 में बसपा के नाम पर बटोर रहे थे चंदा, पुलिस से शिकायत हुई थी
बसपा से निकाले जाने के बाद जयप्रकाश सिंह 2021 में एक बार फिर सुर्खियों में तब जाए, जब उन पर खुद बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने चंदा वसूली का आरोप लगाया। मायावती ने सोशल मीडिया पर लिखा था कि जयप्रकाश सिंह पार्टी से निष्कासित होने के बाद उन्हें सीएम बनाने के नाम पर घूम-घूमकर चंदा मांग रहे हैं। यह घोर अनुचित है। जयप्रकाश सिंह बसपा के मूवमेंट सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय की सोच से भटके हुए हैं। इसके बाद बसपा की नोएडा में तत्कालीन जिलाध्यक्ष रहीं लक्ष्मी सिंह ने बादलपुर थाने में इसकी शिकायत की थी। इसमें कहा था कि 19 जुलाई, 2021 को सोशल मीडिया के जरिए पता चला है कि पार्टी से निष्कासित जयप्रकाश और अन्य लोग पूर्व सीएम मायावती का नाम, फोटो और पार्टी के झंडे-बैनर का जाली तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं। साथ ही पार्टी के कार्यकर्ताओं से झूठ बोलकर चंदा वसूल रहे हैं। तब उन्होंने चंदे के नाम ठगी करते हुए एक बस को रथ बनाकर (कांशीराम विचार यात्रा) शुरू की थी। निष्कासन के बाद आकाश पर अक्सर करते रहते थे हमले
बसपा से निकाले जाने के बाद जयप्रकाश अक्सर मायावती के भतीजे आकाश पर सियासी वार करते रहते थे। वे सोशल मीडिया और कई मीडिया इंटरव्यू में दावे के साथ कहते थे कि बसपा को चंदे के रूप में मिले पैसे को आकाश करोड़ों के मकान बनाने और फैक्ट्री खोलने में खर्च कर रहे हैं। फिर इन फैक्ट्री में घाटा बताकर वह बहन मायावती से और पैसे मांगते हैं। इसके लिए उन्हें फिर चंदा लेना पड़ता है। एक इंटरव्यू में तो उन्होंने यहां तक दावा किया था कि पूरे यूपी को दो हिस्सों में बांट कर एक मुझे दे दो। दूसरा आकाश को दे दो। वे दावा करते थे कि मैं अपने आधे हिस्से को जीत कर अकेले मायावती को सीएम बना सकता हूं। कुछ महीने से सोशल मीडिया पर हृदय परिवर्तन दिखा रहे
बसपा से निकाले जाने के बाद जयप्रकाश सिंह जिस तेजी से आगे बढ़े थे, उसी तेजी से फर्श पर आ गए। बीच में चंद्रशेखर की तारीफ करने लगे थे। पिछले कुछ दिनों से वे सोशल मीडिया पर बसपा की तारीफ में जुटे हैं। मायावती ने जब 9 अक्टूबर के कार्यक्रम की घोषणा की थी, तो वे इसे सफल बनाने के लिए भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं से भी अपील करते हुए सोशल मीडिया पर सक्रिय हो गए थे। अपने कई वीडियो में वे कह रहे थे कि राजनीतिक रूप से बसपा ही दलितों की एकमात्र पार्टी है। वैचारिक रूप से हमारे अलग-अलग संगठन हो सकते हैं। वे 2027 के विधानसभा चुनाव में भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं से भी बसपा के पक्ष में वोट देने की अपील कर रहे हैं। बसपा से जुड़े एक पदाधिकारी की मानें, तो ऐसा वो घर वापसी के लिए कर रहे हैं। हालांकि उनकी ये कोशिश रंग लाती हुई दिख रही है। सूत्रों की मानें, तो उनकी घर वापसी की पूरी पटकथा लिखी जा चुकी है। वे माफी मांगते हुए पार्टी में वापसी की अपील कर चुके हैं। बस उस पर बसपा प्रमुख मायावती का सार्वजनिक मुहर लगाना बाकी है। क्यों अहम है बसपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक
बसपा सुप्रीमो मायावती 9 अक्टूबर के सफल कार्यक्रम के बाद अब अपने संगठन को धार देने में जुटी हैं। 16 अक्टूबर को वह यूपी-उत्तराखंड के पदाधिकारियों की बैठक लेकर संगठन से जुड़े अभियानों की समीक्षा कर चुकी हैं। इन दोनों राज्यों में बसपा ने 2027 का चुनाव अकेले लड़ने का निर्णय लिया है। रविवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है। सुबह 11 बजे बैठक लखनऊ में ही पार्टी मुख्यालय में शुरू होगी। इस कार्यकारिणी की बैठक में यूपी-उत्तराखंड को छोड़कर देश भर के प्रदेश अध्यक्ष और राज्य प्रभारी सहित अन्य महत्वपूर्ण पदाधिकारी मौजूद रहेंगे। मायावती की इस राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में राष्ट्रीय समन्वयक बनाए गए आकाश आनंद भी शामिल होंगे। 16 अक्टूबर की बैठक में स्वास्थ्य कारणों से वह शामिल नहीं हो पाए थे। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में बिहार चुनाव के साथ अगले साल मई-जून में होने वाले राज्यों असम, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल व पुडुचेरी के विधानसभा को लेकर चर्चा होगी। पार्टी इन राज्यों में अपना जनाधार बढ़ाने के साथ विधानसभा चुनाव में भी मजबूती से उतरने की रणनीति बनाने में जुटी है। 2027 में यूपी-उत्तराखंड सहित कई राज्यों में चुनाव
राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में 2027 में होने वाले यूपी-उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव के साथ गोवा, मणिपुर, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और साल के आखिरी में होने वाले गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर अहम निर्णय लिए जाएंगे। 2028 मार्च में मेघालय, नगालैंड, त्रिपुरा में तो कर्नाटक में मई में विधानसभा चुनाव होने हैं। अगले 3 साल तक लगातार विधानसभा चुनाव और फिर 2029 में लोकसभा चुनाव होने हैं। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में तय होगा कि बसपा कितने राज्यों में अकेले और कहां गठबंधन के साथ आगे बढ़ेगी। ————————— ये खबर भी पढ़ें… मैंने पति खोया, ससुराल में सुहाग तक उतरने नहीं दिया, यूपी में मॉब लिंचिंग के शिकार दलित युवक की पत्नी का दर्द ‘मैंने अपना पति खोया। ससुराल पहुंची तो ननद, सास, देवर ने मेरी गर्दन दबाते हुए मारपीट शुरू कर दी। मेरा सुहाग तक नहीं उतरने दिया और घर से भगा दिया…बेटी को लेकर पिता के घर में रह रही हूं। सरकार ने मुझे नौकरी का आश्वासन दिया था। पर नौकरी ननद को दे दी गई। मेरे ससुर सरकारी पेंशन पाते हैं। ननद कल को शादी के बाद अपने घर चली जाएगी। कल को मेरे पिता नहीं रहे, तो मैं बेटी को लेकर कहां जाऊंगी?’ ये कहते हुए माॅब लिंचिंग के शिकार हरिओम वाल्मीकि की पत्नी संगीता उर्फ रिंकी फफक पड़ती हैं। पढ़ें पूरी खबर
मायावती को करीब से जानने वाले कहते हैं कि वह अनुशासन के मामले में काफी कठोर हैं। पिछले लोकसभा में उन्होंने भतीजे आकाश को सिर्फ इस वजह से निष्कासित कर दिया था कि वे चुनाव में पीएम मोदी को टारगेट कर रहे थे। 8 साल पहले इसी तरह के फैसले में जयप्रकाश सिंह का भी निष्कासन हुआ था। 17 जुलाई, 2018 को जयप्रकाश लखनऊ में बसपा के कोऑर्डिनेटरों की बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने इस बैठक में सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर जमकर हमला बोला था। जयप्रकाश ने कहा था कि राहुल गांधी अगर अपने पिता पर गए होते तो कुछ उम्मीद भी थी, लेकिन वो अपनी मां पर गए हैं। उसकी मां सोनिया गांधी विदेशी हैं, उसमें भी विदेशी खून है। इसलिए मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि वो भारतीय राजनीति में कभी सफल नहीं हो सकता। जयप्रकाश ने तब राहुल गांधी के पीएम की दावेदारी को खारिज करते हुए कहा था कि भारत का प्रधानमंत्री पेट से नहीं, बल्कि पेटी (बैलेट बाक्स) से निकलेगा। अब गांधी की टोपी में वोट नहीं बचा, वोट अंबेडकर के कोट में भरा पड़ा है। वेद, मनुस्मृति, गीता, रामायण सारे के सारे खोखले पड़ गए। एक पलड़े पर सारे ग्रंथ रख दीजिए और दूसरे पर संविधान, तो संविधान ही सब पर भारी है। जयप्रकाश ने मुख्यमंत्री योगी पर भी टिप्पणी करते हुए कहा था कि मंदिर में शक्ति होती, तो योगी गोरखपुर का मंदिर छोड़कर मुख्यमंत्री न बनते। उन्होंने स्वामी चिन्मयानंद और उमा भारती का भी उदाहरण देते हुए कहा था कि इन सभी धार्मिक लोगों ने अपना मठ छोड़कर आप लोगों को मंदिर की घंटी बजाने में लगा दिया। उस समय हरियाणा और राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए बसपा का कांग्रेस से गठबंधन होने की बात चल रही थी। मायावती ने इस बयान के बाद जयप्रकाश को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पार्टी के राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर पद से हटाने के साथ ही निष्कासित भी कर दिया था। तब मायावती ने कार्रवाई करते हुए कहा था कि मुझे बसपा के राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर जय प्रकाश सिंह के भाषण के बारे में पता चला। जिसमें उन्होंने बसपा की विचारधारा के खिलाफ बात कही है। उन्होंने दूसरे दलों के नेतृत्व के खिलाफ व्यक्तिगत टिप्पणी भी की। यह उनकी व्यक्तिगत राय है, जिससे पार्टी सहमत नहीं। ऐसे में उन्हें तत्काल सभी पदों से हटाया जाता है। 2021 में बसपा के नाम पर बटोर रहे थे चंदा, पुलिस से शिकायत हुई थी
बसपा से निकाले जाने के बाद जयप्रकाश सिंह 2021 में एक बार फिर सुर्खियों में तब जाए, जब उन पर खुद बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने चंदा वसूली का आरोप लगाया। मायावती ने सोशल मीडिया पर लिखा था कि जयप्रकाश सिंह पार्टी से निष्कासित होने के बाद उन्हें सीएम बनाने के नाम पर घूम-घूमकर चंदा मांग रहे हैं। यह घोर अनुचित है। जयप्रकाश सिंह बसपा के मूवमेंट सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय की सोच से भटके हुए हैं। इसके बाद बसपा की नोएडा में तत्कालीन जिलाध्यक्ष रहीं लक्ष्मी सिंह ने बादलपुर थाने में इसकी शिकायत की थी। इसमें कहा था कि 19 जुलाई, 2021 को सोशल मीडिया के जरिए पता चला है कि पार्टी से निष्कासित जयप्रकाश और अन्य लोग पूर्व सीएम मायावती का नाम, फोटो और पार्टी के झंडे-बैनर का जाली तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं। साथ ही पार्टी के कार्यकर्ताओं से झूठ बोलकर चंदा वसूल रहे हैं। तब उन्होंने चंदे के नाम ठगी करते हुए एक बस को रथ बनाकर (कांशीराम विचार यात्रा) शुरू की थी। निष्कासन के बाद आकाश पर अक्सर करते रहते थे हमले
बसपा से निकाले जाने के बाद जयप्रकाश अक्सर मायावती के भतीजे आकाश पर सियासी वार करते रहते थे। वे सोशल मीडिया और कई मीडिया इंटरव्यू में दावे के साथ कहते थे कि बसपा को चंदे के रूप में मिले पैसे को आकाश करोड़ों के मकान बनाने और फैक्ट्री खोलने में खर्च कर रहे हैं। फिर इन फैक्ट्री में घाटा बताकर वह बहन मायावती से और पैसे मांगते हैं। इसके लिए उन्हें फिर चंदा लेना पड़ता है। एक इंटरव्यू में तो उन्होंने यहां तक दावा किया था कि पूरे यूपी को दो हिस्सों में बांट कर एक मुझे दे दो। दूसरा आकाश को दे दो। वे दावा करते थे कि मैं अपने आधे हिस्से को जीत कर अकेले मायावती को सीएम बना सकता हूं। कुछ महीने से सोशल मीडिया पर हृदय परिवर्तन दिखा रहे
बसपा से निकाले जाने के बाद जयप्रकाश सिंह जिस तेजी से आगे बढ़े थे, उसी तेजी से फर्श पर आ गए। बीच में चंद्रशेखर की तारीफ करने लगे थे। पिछले कुछ दिनों से वे सोशल मीडिया पर बसपा की तारीफ में जुटे हैं। मायावती ने जब 9 अक्टूबर के कार्यक्रम की घोषणा की थी, तो वे इसे सफल बनाने के लिए भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं से भी अपील करते हुए सोशल मीडिया पर सक्रिय हो गए थे। अपने कई वीडियो में वे कह रहे थे कि राजनीतिक रूप से बसपा ही दलितों की एकमात्र पार्टी है। वैचारिक रूप से हमारे अलग-अलग संगठन हो सकते हैं। वे 2027 के विधानसभा चुनाव में भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं से भी बसपा के पक्ष में वोट देने की अपील कर रहे हैं। बसपा से जुड़े एक पदाधिकारी की मानें, तो ऐसा वो घर वापसी के लिए कर रहे हैं। हालांकि उनकी ये कोशिश रंग लाती हुई दिख रही है। सूत्रों की मानें, तो उनकी घर वापसी की पूरी पटकथा लिखी जा चुकी है। वे माफी मांगते हुए पार्टी में वापसी की अपील कर चुके हैं। बस उस पर बसपा प्रमुख मायावती का सार्वजनिक मुहर लगाना बाकी है। क्यों अहम है बसपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक
बसपा सुप्रीमो मायावती 9 अक्टूबर के सफल कार्यक्रम के बाद अब अपने संगठन को धार देने में जुटी हैं। 16 अक्टूबर को वह यूपी-उत्तराखंड के पदाधिकारियों की बैठक लेकर संगठन से जुड़े अभियानों की समीक्षा कर चुकी हैं। इन दोनों राज्यों में बसपा ने 2027 का चुनाव अकेले लड़ने का निर्णय लिया है। रविवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है। सुबह 11 बजे बैठक लखनऊ में ही पार्टी मुख्यालय में शुरू होगी। इस कार्यकारिणी की बैठक में यूपी-उत्तराखंड को छोड़कर देश भर के प्रदेश अध्यक्ष और राज्य प्रभारी सहित अन्य महत्वपूर्ण पदाधिकारी मौजूद रहेंगे। मायावती की इस राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में राष्ट्रीय समन्वयक बनाए गए आकाश आनंद भी शामिल होंगे। 16 अक्टूबर की बैठक में स्वास्थ्य कारणों से वह शामिल नहीं हो पाए थे। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में बिहार चुनाव के साथ अगले साल मई-जून में होने वाले राज्यों असम, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल व पुडुचेरी के विधानसभा को लेकर चर्चा होगी। पार्टी इन राज्यों में अपना जनाधार बढ़ाने के साथ विधानसभा चुनाव में भी मजबूती से उतरने की रणनीति बनाने में जुटी है। 2027 में यूपी-उत्तराखंड सहित कई राज्यों में चुनाव
राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में 2027 में होने वाले यूपी-उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव के साथ गोवा, मणिपुर, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और साल के आखिरी में होने वाले गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर अहम निर्णय लिए जाएंगे। 2028 मार्च में मेघालय, नगालैंड, त्रिपुरा में तो कर्नाटक में मई में विधानसभा चुनाव होने हैं। अगले 3 साल तक लगातार विधानसभा चुनाव और फिर 2029 में लोकसभा चुनाव होने हैं। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में तय होगा कि बसपा कितने राज्यों में अकेले और कहां गठबंधन के साथ आगे बढ़ेगी। ————————— ये खबर भी पढ़ें… मैंने पति खोया, ससुराल में सुहाग तक उतरने नहीं दिया, यूपी में मॉब लिंचिंग के शिकार दलित युवक की पत्नी का दर्द ‘मैंने अपना पति खोया। ससुराल पहुंची तो ननद, सास, देवर ने मेरी गर्दन दबाते हुए मारपीट शुरू कर दी। मेरा सुहाग तक नहीं उतरने दिया और घर से भगा दिया…बेटी को लेकर पिता के घर में रह रही हूं। सरकार ने मुझे नौकरी का आश्वासन दिया था। पर नौकरी ननद को दे दी गई। मेरे ससुर सरकारी पेंशन पाते हैं। ननद कल को शादी के बाद अपने घर चली जाएगी। कल को मेरे पिता नहीं रहे, तो मैं बेटी को लेकर कहां जाऊंगी?’ ये कहते हुए माॅब लिंचिंग के शिकार हरिओम वाल्मीकि की पत्नी संगीता उर्फ रिंकी फफक पड़ती हैं। पढ़ें पूरी खबर