वन नेशन-वन डेट पॉलिसी पर हो सकते हैं त्योहार:BHU में 200 ज्योतिषाचार्य के बीच सर्वे, 95% बोले- सूर्य सिद्धांत पर निकालेंगे पंचांग

त्योहार कोई भी हो, मौजूदा वक्त में दो तिथियों पर मनाया जा रहा है। होली, दिवाली, कृष्ण जन्माष्टमी समेत सभी त्योहारों के शुभ मुहूर्त पर संशय बना रहता है। गृहस्थ और साधु संतों के त्योहार अलग-अलग तिथियों पर मनाए जाते हैं। ऐसा 2 कारणों से होता है- 1. चंद्र कैलेंडर और अलग-अलग पंचांगों की गणना में अंतर की वजह से। 2. सूर्योदय और सूर्यास्त की अलग-अलग जगह की टाइमिंग के हिसाब से। ऐसे में BHU में नई पहल हुई है। यहां काशी हिंदू विश्वविद्यालय में 14 अक्टूबर को सेमिनार हुआ। इसमें इंदौर के मां शारदा ज्योतिषधाम अनुसंधान संस्थान भी मेजबान की भूमिका में रहा। भारत के 15 राज्य और नेपाल, सिंगापुर, दुबई के ज्योतिषाचार्य इसमें शामिल हुए थे। BHU के शोधार्थियों ने 200 ज्योतिषाचार्यों के बीच सर्वे किया। उनसे 2 सवाल पूछे गए- 1. क्या एक देश, एक तिथि, एक पंचांग होना संभव हो सकता है। 2. क्या चंद्र कैलेंडर और अलग-अलग पंचांगों की गणना में अंतर को खत्म किया जा सकता है। इस सर्वे के बाद 95% ज्योतिषाचार्यों में सहमति बन गई कि एक देश, एक तिथि और एक पंचांग पर काम करेंगे। इसके लिए सूर्य सिद्धांत पर पंचांग तैयार किया जाएगा। 2026-27 का पंचांग इसी सिद्धांत पर तैयार किया जाएगा। इस तरह से जो त्योहार की लिस्ट बनेगी, उसको स्टेट और सेंट्रल गर्वमेंट को भेजा जाएगा। ताकि उसी आधार पर छुट्टियां निर्धारित हो सके। वहीं, 5% ज्योतिषियों ने कहा- एक देश, एक तिथि, एक त्योहार होना संभव नहीं, क्योंकि अलग-अलग जगह पर सूर्य उदय और अस्त की टाइमिंग अलग-अलग होती है। नया पंचांग कैसे तैयार होगा? इसको लेकर दैनिक भास्कर ने सर्वे से जुड़े BHU के ज्योतिषाचार्यों से बात की। पढ़िए रिपोर्ट… अब क्या होगा- BHU वेबसाइट बना रहा, सभी स्टेट यहीं से लेंगे डेटा
BHU के शोधार्थी अमित कुमार मिश्रा कहते हैं- अगर सही तिथि और समय पर व्रत ना रखा जाएं तो उनके फल भी हमें नहीं मिलते हैं, हमारे पितृ नाराज हो जाते हैं। सूर्य सिद्धांत की पद्धति से व्रत का निर्णय लिया जाता है। सर्वे में 90% लोगों ने इसे सही बताया है, 10% ऐसे हैं, जो अलग सिद्धांतों में आधुनिक युग का प्रयोग करने की बात करते हैं, इसलिए हर त्योहार में 2 तिथि निकलकर सामने आती हैं। अब हम लोग बीएचयू में रिसर्च के बाद एक सॉफ्टवेयर डेवलप कर रहे हैं। सूर्य सिद्धांत डॉट इन वेबसाइट तैयार कर रहे हैं। इसकी मदद से 2026-27 में त्योहारों की तिथियों की लिस्ट सभी राज्यों में पहुंचाई जाएगी। यह सब सूर्य सिद्धांत से तैयार होगा। इससे तिथियों के निर्धारण में एकरुपता आएगी। 1995 से 1 त्योहार, 2 तिथियां शुरू हुई
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) के ज्योतिष विभाग के प्रोफेसर सुभाष पांडेय बताते हैं- त्योहारों में तिथियों का भेद, साल 1995 से चला आ रहा है। अब इसको खत्म करने का वक्त आ गया है। सूर्य सिद्धांत से पंचांग निकालने पर एक ही तिथि पर व्रत और त्योहार संभव हो सकते हैं। पंचांग बनाने के लिए तिथियों की शुद्धि, ग्रहों की चाल का पता लगाने के लिए जिन गणित सूत्र का इस्तेमाल किया जाता है। उनका आकलन 5 मिनट में लैपटॉप में किया जा सकता है। गूगल पर ‘सूर्य सिद्धांत डॉट इन’ पर क्लिक करके कोई भी छात्र-छात्राएं या प्रोफेसर अपनी रिसर्च कर सकते हैं। एक पंचांग निर्धारित करेंगे, ताकि पूरे देश में कोई भी त्योहार एक ही दिन मनाया जाए। इसकी तारीख के मुताबिक ही सरकारी छुट्टियां होंगी। इस वेबसाइट पर भारत के सभी त्योहारों की डेट और मुहूर्त होंगे। सुभाष पांडेय कहते हैं- सनातन धर्म में कोई भी शुभ कार्य करने के लिए सबसे पहले पंचांग देखने की परंपरा है। पंचांग में निर्धारित तारीख ही लोगों के लिए शुभता का प्रतीक होती है। पंचांग बनाने के लिए सबसे पहले ज्योतिषी को 5 अंगों पर ध्यान देना होता है। पहला- तिथि, दूसरा- वार, तीसरा- नक्षत्र, चौथा- योग और पांचवां- करण‌। ये पांचों मिलकर हमें एक दिन के संपूर्ण खगोलीय घटनाओं की जानकारी देते हैं। आप किसी खास दिन की ज्योतिषीय गणना करना चाहते हैं, तो इन पांचों अंगों के आधार पर आप उस दिन का खगोलीय नक्शा और ज्योतिष गणना तैयार कर सकते हैं। इस पंचांग का विरोध भी हो रहा- भोपाल के ज्योतिषाचार्य बोले- त्योहार एक तिथि पर हो नहीं सकते
सर्वे में कुछ ज्योतिषाचार्य ऐसे भी थे, जिन्होंने एक देश, एक तिथि, एक पंचांग पर अलग राय दी। उन्होंने कहा- यह लागू नहीं हो सकता। भोपाल से आए अवधेश द्विवेदी ने कहा- पूरे देश में एक तिथि, एक त्योहार लागू नहीं हो सकता, क्योंकि हर जगह पर सूर्यास्त और सूर्योदय का समय अलग-अलग होता है। हमारे पंचांग की गणना भी इसी आधार पर होती है। हां, हमें गणना सही तरीके से करनी होगी, कंप्यूटर का सहारा नहीं लेना होगा। आज के समय में सब ज्योतिष आचार्य सॉफ्टवेयर की मदद से कुंडली देख रहे हैं। उसी की मदद से त्योहार की तिथि भी घोषित कर दे रहे हैं। इस कारण से एकरूपता नहीं है। कैसे होती है तिथियों की गणना
हिंदू पंचांग में गणना 3 आधार पर की जाती है। पहली- चंद्र, दूसरी- नक्षत्र और तीसरी- सूर्य आधारित होती है। इस पंचांग में भी सौर कैलेंडर की तरह 12 महीने होते हैं। हर महीने में 15-15 दिन के दो पक्ष होते हैं। एक शुक्ल और दूसरा कृष्ण पक्ष। महीने का हिसाब सूर्य और चंद्रमा की गति के आधार पर तय किया जाता है। ………………………………… ये भी पढ़ें :
37% शादियां कुंडली न मिलाने से टूट रहीं: BHU के 3 प्रोफेसर की रिसर्च, बोले- ग्रह मिलाना भी जरूरी लव अफेयर, लिव इन और बढ़ती घरेलू हिंसा के बाद टूटती शादियों को लेकर BHU के 3 प्रोफेसर ने रिसर्च की। रिसर्च में सामने आया कि 37% शादियां सिर्फ इसलिए टूट रही हैं, क्योंकि वर-वधु की कुंडली ठीक से मिलाई नहीं जा रही है। ग्रह दोष होने के बावजूद शादियां की जा रही हैं। ऐसे वर-वधु शादी के बाद लव अफेयर में पड़कर एकदूसरे का मर्डर करवा रहे हैं, या रिश्तों में दरार आने के बाद नए जीवन साथी ढूंढ रहे हैं। पढ़िए पूरी खबर… ये खबर भी पढ़िए- अब सूर्य सिद्धांत से बने पंचांग से तय होंगे त्योहार:2 दिन होली-दिवाली पड़ने से बिगड़ा गणित; क्या है एक तिथि, एक त्योहार? देश के अलग-अलग हिस्सों में होली दो तारीखों में 14 और 15 मार्च को मनाई गई। उत्तर भारत में ही एक हिस्से में होली 14 मार्च को मनाई गई, तो दूसरे हिस्से में 15 मार्च को। हालांकि, होली की सरकारी छुट्टी 14 मार्च को थी। ऐसे में, त्योहार मनाने की तारीख और छुट्टी मैच नहीं हो पाई। कुछ ऐसा ही संयोग पिछले साल दिवाली पर भी हुआ था। ऐसे में, अब सरकार तिथियों की इस दिक्कत का समाधान निकालने जा रही है। वह समाधान है- एक देश, एक तिथि, एक पंचांग। पढ़ें पूरी खबर