संत प्रेमानंद महाराज ने ट्रोलर्स को करारा जवाब दिया है। उन्होंने अपने सत्संग में कहा, बुरे आचरण करने वालों को उपदेश अच्छे नहीं लगते। नाली का कीड़ा नाली में ही अच्छा लगता है, उसे अमृत कुंड में डालोगे तो अच्छा नहीं लगेगा। आजकल सही रास्ते पर चलना बड़ा कठिन है। दरअसल, एक महिला ने प्रेमानंद महाराज से सवाल पूछा था कि बच्चों की शादी उनके मन से करें या अपने मन से करें? क्योंकि दोनों में ही परिणाम अच्छे नहीं आते? इस पर संत प्रेमानंद महाराज ने जवाब दिया था कि परिणाम अच्छे आएंगे कहां से, न आज बहू अच्छी मिल रही न पति। लोगों के संस्कार ही अच्छे नहीं हैं। चरित्र कहां से अच्छा होगा। 100 लड़कियों-लड़कों में से सिर्फ 2-4 ही पवित्र हैं। प्रेमानंद महाराज की यह बात लोगों को अच्छी नहीं लगी और उन्होंने ट्रोल करना शुरू कर दिया। हालांकि टीवी एक्ट्रेस अंकिता लोखंडे और ‘बिग बॉस’, ‘सेलिब्रिटी मास्टर शेफ’ जैसे शो में नजर आ चुके राजीव अदातिया समेत कई लोगों ने प्रेमानंद महाराज को सपोर्ट किया। संत नहीं समझाएंगे तो कौन समझाएगा
प्रेमानंद महाराज ने नसीहत देते हुए कहा- गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड बनाना बंद करो और कोई नशा मत करो। अपने माता-पिता की आज्ञा में रहो। अगर इसी को बुरा मानो तो संत आपको समझाएंगे नहीं। क्योंकि आपको बुरा लगेगा। आज की युवा पीढ़ी और नए बच्चों की पहुंच शास्त्रों तक नहीं है। अगर उन्हें संत नहीं समझाएंगे तो उन्हें कौन समझाएगा। संत प्रेमानंद महाराज ने कहा- गंदे विचार, गंदे व्यवहार के कारण ही आज लोग गलत रास्ते पर जाकर डिप्रेशन में जा रहे हैं। माया इस जमाने में अपना कमाल कर जाती है। माया बड़े-बड़े को भ्रष्ट कर जाती है। हमारा और आपका अलग-अलग स्वरूप है। हमको सुधरना है, अच्छी अच्छी बातें भगवत चर्चा हो रही है, उसे सुनना है। भगवान ने हमें मनुष्य बनाकर कृपा की है। 31 जुलाई को संत प्रेमानंद महाराज को मिली थी धमकी
मथुरा में संत प्रेमानंद महाराज को जान से मारने की धमकी दी गई थी। सतना निवासी शत्रुघ्न सिंह ने संत प्रेमानंद जी के बारे में फेसबुक पर धमकी भरा पोस्ट डाला था। लिखा- पूरे समाज की बात है। मेरे घर की बात में बोलता तो प्रेमानंद होता या कोई और मैं उसकी गर्दन उतार लेता। युवक ने अपनी प्रोफाइल पर खुद को पत्रकार बताया था। प्रेमानंद ने वीडियो में क्या कहा था वो विस्तार से पढ़िए
12 जून का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसमें एक महिला प्रेमानंद महाराज से सवाल करती है कि बच्चे की मर्जी से शादी करें या परिवार की सहमति से, दोनों ही स्थिति में परिणाम अच्छे नहीं आते। महाराज की हमे समझ नहीं आ रहा है। ऐसा क्यों हो रहा है? इसका जवाब देते हुए प्रेमानंद महाराज ने कहा- कैसे परिणाम अच्छे आएंगे, जब बच्चे-बच्चियों के चरित्र पवित्र नहीं हैं। हमारी माता बहनों का पहले रहन सहन देखो। आज के बच्चे बच्चियां कैसे पोशाक पहन रहे। संत प्रेमानंद महाराज कहते हैं-आजकल एक लड़के से ब्रेकअप- दूसरे से व्यवहार, दूसरे से ब्रेकअप तीसरे से व्यवहार और व्यवहार व्यभिचार में परिवर्तित हो रहा है। संत प्रेमानंद महाराज एक उदाहरण देते हुए कहते हैं अगर हमको चार होटल के खाने की जबान को आदत पड़ जाए तो घर की रसोई का भोजन अच्छा नहीं लगेगा। ऐसे ही चार पुरुष से मिलने की आदत पड़ गई है तो एक पति को स्वीकार करने की हिम्मत नहीं कर पाएगी। इसी तरह से पुरुष चार लकड़ियों से व्यभिचार करता है, वह पत्नी से संतुष्ट नहीं रहेगा। हमारी आदत खराब हो रही
संत प्रेमानंद महाराज कहते हैं हमारी आदत खराब हो रही हमारे बच्चों की आदत खराब हो रही। ये जो आजकल मोबाइल चल गया गंदी आदत चल गई। वर्तमान में बहू मिलना या पति मिलना बड़ा मुश्किल है। 100 में 2,4 कन्याएं ऐसी होंगी जो अपना पवित्र जीवन रखकर किसी पुरुष को समर्पित होती होंगी। कैसे वह सच्ची बहू बनेगी जो 4 लड़कों से मिल चुकी। जो 4 लड़कियों से मिल चुका है वह सच्चा पति बन सकेगा। भारत हमारा धर्म प्रधान देश है। अब जो देश में गलतियां घुस गई हैं। लिव इन रिलेशन गंदगी का खजाना है। हमारे यहां पवित्रता के लिए जान दे दी। जब मुगलों का आक्रमण हुआ पवित्रता के लिए जान दे दी लेकिन शरीर छूने नहीं दिया। आज क्या हो रहा है अपने पति के लिए प्राण देने की भावना हमारे देश में रही है। पत्नी को प्राण माना गया है अर्धांगिनी माना गया है कहां गईं हमारे देश की यह भाषा। अब संत प्रेमानंद महाराज को जानिए… 13 साल की उम्र में प्रेमानंद जी महाराज ने घर छोड़ दिया था
कानपुर जिले का नरवल तहसील का अखरी गांव। ये जगह है, जहां प्रेमानंद महाराज का जन्म और पालन-पोषण हुआ। यहीं से निकलकर वो इस देश के करोड़ों लोगों की जिंदगी में बस गए। उनके बड़े भाई गणेश दत्त पांडे बताते हैं- मेरे पिता शंभू नारायण पांडे और मां रामा देवी हैं। हम 3 भाई हैं, प्रेमानंद मंझले हैं। वो बताते हैं कि प्रेमानंद हमेशा से प्रेमानंद महाराज नहीं थे। बचपन में मां-पिता ने बड़े प्यार से उनका नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे रखा था। शिव मंदिर में चबूतरा बनाने से रोका, तो घर छोड़ दिया
बचपन में अनिरुद्ध ने अपनी सखा टोली के साथ शिव मंदिर के लिए एक चबूतरा बनाना चाहा। इसका निर्माण भी शुरू करवाया, लेकिन कुछ लोगों ने रोक दिया। इससे वह मायूस हो गए। उनका मन इस कदर टूटा कि घर छोड़ने का फैसला कर लिया। एक दिन देर रात खाना खाया और रोज की तरह छत पर बने कच्चे कमरे में जाकर सो गए। अगली सुबह जब बड़े भाई ने जगाने के लिए आवाज लगाई, कमरे से कोई जवाब नहीं आया। उन्होंने ऊपर जाकर देखा तो अनिरुद्ध कमरे में नहीं थे। खोजबीन शुरू की गई। काफी मशक्कत के बाद पता चला कि वो सरसौल में नंदेश्वर मंदिर पर रुके हैं। घरवालों ने उन्हें घर लाने का हर जतन किया, लेकिन अनिरुद्ध नहीं माने। फिर कुछ दिनों बाद बची-खुची मोह माया भी छोड़कर वह सरसौल से भी चले गए। प्रेमानंद जी के वृंदावन पहुंचने की कहानी
प्रेमानंद महाराज के संन्यासी बनने के बाद वृंदावन आने की कहानी बेहद रोचक है। एक दिन प्रेमानंद महाराज से मिलने एक संत आए। उन्होंने कहा- श्री हनुमत धाम विश्वविद्यालय में श्रीराम शर्मा दिन में श्री चैतन्य लीला और रात में रासलीला मंच का आयोजन कर रहे हैं। इसमें आप आमंत्रित हैं। पहले तो प्रेमानंद महाराज ने अपरिचित साधु से वहां आने के लिए मना कर दिया। लेकिन साधु ने उनसे आयोजन में शामिल होने के लिए काफी आग्रह किया। इस पर प्रेमानंद महाराज ने आमंत्रण स्वीकार कर लिया। प्रेमानंद महाराज जब चैतन्य लीला और रासलीला देखने गए, तो उन्हें बहुत पसंद आई। यह आयोजन करीब एक महीने तक चला। चैतन्य लीला और रासलीला समाप्त होने के बाद प्रेमानंद महाराज को आयोजन देखने की व्याकुलता होने लगी। वह उसी साधु के पास गए, जो उन्हें आमंत्रित करने आए थे। उनसे मिलकर महाराज ने कहा- मुझे भी अपने साथ ले चलें। मैं रासलीला को देखूंगा और इसके बदले आपकी सेवा करूंगा। इस पर साधु ने कहा, आप वृंदावन आ जाएं। वहां हर रोज आपको रासलीला देखने को मिलेगी। इसके बाद प्रेमानंद महाराज वृंदावन आ गए। यहां खुद को राधा रानी और श्रीकृष्ण के चरणों में समर्पित कर दिया। साथ ही भगवद प्राप्ति में लग गए। इसके बाद महाराज संन्यास मार्ग से भक्ति मार्ग में आ गए। फिलहाल वह वृंदावन के मधुकरी में रहते हैं। ————————— ये भी पढ़ें : आगरा में विदेशी महिला पर्यटकों की साड़ी खुली, महिला सिपाही ने साड़ी बांधी, पर्यटक बोलीं- इट्स अमेजिंग ड्रेस आगरा में साड़ी पहनकर ताजमहल देखने पहुंची इटली की दो महिला पर्यटकों की साड़ी खुल गई। वह बार-बार साड़ी बांध रही थीं। मगर साड़ी बार-बार खुल जा रही थी। यह देख वहां सुरक्षा में तैनात एक महिला सिपाही ने दोनों की साड़ी बांधी। दोनों टूरिस्टों ने सिपाही से साड़ी बांधने और प्लेट्स बनाने का तरीका पूछा। पढ़िए पूरी खबर…
प्रेमानंद महाराज ने नसीहत देते हुए कहा- गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड बनाना बंद करो और कोई नशा मत करो। अपने माता-पिता की आज्ञा में रहो। अगर इसी को बुरा मानो तो संत आपको समझाएंगे नहीं। क्योंकि आपको बुरा लगेगा। आज की युवा पीढ़ी और नए बच्चों की पहुंच शास्त्रों तक नहीं है। अगर उन्हें संत नहीं समझाएंगे तो उन्हें कौन समझाएगा। संत प्रेमानंद महाराज ने कहा- गंदे विचार, गंदे व्यवहार के कारण ही आज लोग गलत रास्ते पर जाकर डिप्रेशन में जा रहे हैं। माया इस जमाने में अपना कमाल कर जाती है। माया बड़े-बड़े को भ्रष्ट कर जाती है। हमारा और आपका अलग-अलग स्वरूप है। हमको सुधरना है, अच्छी अच्छी बातें भगवत चर्चा हो रही है, उसे सुनना है। भगवान ने हमें मनुष्य बनाकर कृपा की है। 31 जुलाई को संत प्रेमानंद महाराज को मिली थी धमकी
मथुरा में संत प्रेमानंद महाराज को जान से मारने की धमकी दी गई थी। सतना निवासी शत्रुघ्न सिंह ने संत प्रेमानंद जी के बारे में फेसबुक पर धमकी भरा पोस्ट डाला था। लिखा- पूरे समाज की बात है। मेरे घर की बात में बोलता तो प्रेमानंद होता या कोई और मैं उसकी गर्दन उतार लेता। युवक ने अपनी प्रोफाइल पर खुद को पत्रकार बताया था। प्रेमानंद ने वीडियो में क्या कहा था वो विस्तार से पढ़िए
12 जून का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसमें एक महिला प्रेमानंद महाराज से सवाल करती है कि बच्चे की मर्जी से शादी करें या परिवार की सहमति से, दोनों ही स्थिति में परिणाम अच्छे नहीं आते। महाराज की हमे समझ नहीं आ रहा है। ऐसा क्यों हो रहा है? इसका जवाब देते हुए प्रेमानंद महाराज ने कहा- कैसे परिणाम अच्छे आएंगे, जब बच्चे-बच्चियों के चरित्र पवित्र नहीं हैं। हमारी माता बहनों का पहले रहन सहन देखो। आज के बच्चे बच्चियां कैसे पोशाक पहन रहे। संत प्रेमानंद महाराज कहते हैं-आजकल एक लड़के से ब्रेकअप- दूसरे से व्यवहार, दूसरे से ब्रेकअप तीसरे से व्यवहार और व्यवहार व्यभिचार में परिवर्तित हो रहा है। संत प्रेमानंद महाराज एक उदाहरण देते हुए कहते हैं अगर हमको चार होटल के खाने की जबान को आदत पड़ जाए तो घर की रसोई का भोजन अच्छा नहीं लगेगा। ऐसे ही चार पुरुष से मिलने की आदत पड़ गई है तो एक पति को स्वीकार करने की हिम्मत नहीं कर पाएगी। इसी तरह से पुरुष चार लकड़ियों से व्यभिचार करता है, वह पत्नी से संतुष्ट नहीं रहेगा। हमारी आदत खराब हो रही
संत प्रेमानंद महाराज कहते हैं हमारी आदत खराब हो रही हमारे बच्चों की आदत खराब हो रही। ये जो आजकल मोबाइल चल गया गंदी आदत चल गई। वर्तमान में बहू मिलना या पति मिलना बड़ा मुश्किल है। 100 में 2,4 कन्याएं ऐसी होंगी जो अपना पवित्र जीवन रखकर किसी पुरुष को समर्पित होती होंगी। कैसे वह सच्ची बहू बनेगी जो 4 लड़कों से मिल चुकी। जो 4 लड़कियों से मिल चुका है वह सच्चा पति बन सकेगा। भारत हमारा धर्म प्रधान देश है। अब जो देश में गलतियां घुस गई हैं। लिव इन रिलेशन गंदगी का खजाना है। हमारे यहां पवित्रता के लिए जान दे दी। जब मुगलों का आक्रमण हुआ पवित्रता के लिए जान दे दी लेकिन शरीर छूने नहीं दिया। आज क्या हो रहा है अपने पति के लिए प्राण देने की भावना हमारे देश में रही है। पत्नी को प्राण माना गया है अर्धांगिनी माना गया है कहां गईं हमारे देश की यह भाषा। अब संत प्रेमानंद महाराज को जानिए… 13 साल की उम्र में प्रेमानंद जी महाराज ने घर छोड़ दिया था
कानपुर जिले का नरवल तहसील का अखरी गांव। ये जगह है, जहां प्रेमानंद महाराज का जन्म और पालन-पोषण हुआ। यहीं से निकलकर वो इस देश के करोड़ों लोगों की जिंदगी में बस गए। उनके बड़े भाई गणेश दत्त पांडे बताते हैं- मेरे पिता शंभू नारायण पांडे और मां रामा देवी हैं। हम 3 भाई हैं, प्रेमानंद मंझले हैं। वो बताते हैं कि प्रेमानंद हमेशा से प्रेमानंद महाराज नहीं थे। बचपन में मां-पिता ने बड़े प्यार से उनका नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे रखा था। शिव मंदिर में चबूतरा बनाने से रोका, तो घर छोड़ दिया
बचपन में अनिरुद्ध ने अपनी सखा टोली के साथ शिव मंदिर के लिए एक चबूतरा बनाना चाहा। इसका निर्माण भी शुरू करवाया, लेकिन कुछ लोगों ने रोक दिया। इससे वह मायूस हो गए। उनका मन इस कदर टूटा कि घर छोड़ने का फैसला कर लिया। एक दिन देर रात खाना खाया और रोज की तरह छत पर बने कच्चे कमरे में जाकर सो गए। अगली सुबह जब बड़े भाई ने जगाने के लिए आवाज लगाई, कमरे से कोई जवाब नहीं आया। उन्होंने ऊपर जाकर देखा तो अनिरुद्ध कमरे में नहीं थे। खोजबीन शुरू की गई। काफी मशक्कत के बाद पता चला कि वो सरसौल में नंदेश्वर मंदिर पर रुके हैं। घरवालों ने उन्हें घर लाने का हर जतन किया, लेकिन अनिरुद्ध नहीं माने। फिर कुछ दिनों बाद बची-खुची मोह माया भी छोड़कर वह सरसौल से भी चले गए। प्रेमानंद जी के वृंदावन पहुंचने की कहानी
प्रेमानंद महाराज के संन्यासी बनने के बाद वृंदावन आने की कहानी बेहद रोचक है। एक दिन प्रेमानंद महाराज से मिलने एक संत आए। उन्होंने कहा- श्री हनुमत धाम विश्वविद्यालय में श्रीराम शर्मा दिन में श्री चैतन्य लीला और रात में रासलीला मंच का आयोजन कर रहे हैं। इसमें आप आमंत्रित हैं। पहले तो प्रेमानंद महाराज ने अपरिचित साधु से वहां आने के लिए मना कर दिया। लेकिन साधु ने उनसे आयोजन में शामिल होने के लिए काफी आग्रह किया। इस पर प्रेमानंद महाराज ने आमंत्रण स्वीकार कर लिया। प्रेमानंद महाराज जब चैतन्य लीला और रासलीला देखने गए, तो उन्हें बहुत पसंद आई। यह आयोजन करीब एक महीने तक चला। चैतन्य लीला और रासलीला समाप्त होने के बाद प्रेमानंद महाराज को आयोजन देखने की व्याकुलता होने लगी। वह उसी साधु के पास गए, जो उन्हें आमंत्रित करने आए थे। उनसे मिलकर महाराज ने कहा- मुझे भी अपने साथ ले चलें। मैं रासलीला को देखूंगा और इसके बदले आपकी सेवा करूंगा। इस पर साधु ने कहा, आप वृंदावन आ जाएं। वहां हर रोज आपको रासलीला देखने को मिलेगी। इसके बाद प्रेमानंद महाराज वृंदावन आ गए। यहां खुद को राधा रानी और श्रीकृष्ण के चरणों में समर्पित कर दिया। साथ ही भगवद प्राप्ति में लग गए। इसके बाद महाराज संन्यास मार्ग से भक्ति मार्ग में आ गए। फिलहाल वह वृंदावन के मधुकरी में रहते हैं। ————————— ये भी पढ़ें : आगरा में विदेशी महिला पर्यटकों की साड़ी खुली, महिला सिपाही ने साड़ी बांधी, पर्यटक बोलीं- इट्स अमेजिंग ड्रेस आगरा में साड़ी पहनकर ताजमहल देखने पहुंची इटली की दो महिला पर्यटकों की साड़ी खुल गई। वह बार-बार साड़ी बांध रही थीं। मगर साड़ी बार-बार खुल जा रही थी। यह देख वहां सुरक्षा में तैनात एक महिला सिपाही ने दोनों की साड़ी बांधी। दोनों टूरिस्टों ने सिपाही से साड़ी बांधने और प्लेट्स बनाने का तरीका पूछा। पढ़िए पूरी खबर…