सावन में 5 रास्तों से बाबा विश्वनाथ के होंगे दर्शन:बाढ़ की वजह से गंगा घाट द्वार बंद, 2 करोड़ श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद

काशी विश्वनाथ धाम में सावन के महीने में 2 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन करेंगे। सावन 11 जुलाई से शुरू होकर 9 अगस्त तक चलेगा। इस बार 4 सोमवार होंगे। 2024 में सावन के 5 सोमवार पड़े थे और 1.65 करोड़ श्रद्धालुओं ने बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए थे। इस बार सावन के सोमवार 4 हैं, मगर श्रद्धालु के ज्यादा रहेंगे। इसलिए काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट ने व्यवस्थाएं फाइनल करनी शुरू कर दी हैं। सावन के महीने में सुगम दर्शन और VIP प्रोटोकॉल पर रोक लगा दी गई है। काशी के लोकल लोगों को अतिरिक्त सुविधा देते हुए सुबह और शाम को 1-1 घंटे का अतिरिक्त दर्शन का टाइम रिजर्व किया गया है। वाराणसी के लोग काशी द्वार से आ-जा सकेंगे। भक्त स्मार्टवॉच और मोबाइल मंदिर में नहीं ले जा सकेंगे। वहीं इस बार गंगा द्वार से दर्शन बंद रहेगा। केवल 5 रास्तों से श्रद्धालु दर्शन कर पाएंगे। इसको लेकर दैनिक भास्कर ने सावन की तैयारियों को लेकर मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्रा से बात की। पढ़िए रिपोर्ट… इस बार पांच द्वार से होंगे बाबा के दर्शन काशी विश्वनाथ मंदिर के CEO विश्व भूषण मिश्र ने कहा- धाम में सभी द्वारों से दर्शनार्थियों के लिए प्रवेश रूट तय होता है। मगर गंगा नदी के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए ललिता घाट (गंगा द्वार) से श्रद्धालुओं का प्रवेश कुछ समय के लिए रोक दिया गया है। अब केवल पांच गेटों से ही दर्शन होंगे। इसमें गेट नं. 4, नंदू फेरिया, सिल्को, ढुंढिराज और सरस्वती फाटक प्रवेश मार्ग शामिल हैं। पूरे शहर में एलईडी पर होगा डिजिटल दर्शन मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने बताया- स्मार्ट सिटी के सहयोग से धाम परिसर एवं नगर के विभिन्न स्थलों पर भगवान विश्वनाथ की आरती एवं श्रृंगार के डिजिटल दर्शन की व्यवस्था उपलब्ध कराई जाएगी। साथ ही श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर भी भगवान के दर्शन की ऑनलाइन स्ट्रीमिंग की जाएगी। काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ने अपील जारी की है… 1. सावन महीने में प्रोटोकॉल दर्शन/विशेष दर्शन की सुविधा नहीं होगी। ऐसे में किसी प्रकार के प्रलोभन या बहकावे में न आएं। अगर कोई व्यक्ति विशेष दर्शन के नाम पर धन मांगता है या अपनी दुकान से प्रसाद लेने पर दर्शन में सहायता का दावा करता है, तो वह आप को ठगने का प्रयास कर रहा है, उसकी शिकायत पुलिस या मंदिर कार्मिक से करें। 2. सावन महीने के दौरान विशेष तौर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। ऐसे में मंदिर तक पहुंचने के लिए अलग-अलग कतार में 8 से 10 घंटे की अवधि भी लग सकती है, इसलिए श्रद्धालु खाली पेट दर्शन करने के लिए न पहुंचे। वह अपने स्वास्थ्य का विशेष ख्याल रखें। 3. मंदिर में प्रतिबंधित सामग्री जैसे मोबाइल, इयरफोन, स्मार्ट वॉच, पेन, बैग अथवा धातु की वस्तुएं अपने आवास या होटल पर ही छोड़ कर आएं। बाबा के जलाभिषेक की व्यवस्थाएं भी जानिए… मंगला, भोग और सप्तऋषि आरती के रेट में बदलाव नहीं… सावन में मंदिर में विशेष चिकित्सकीय सुविधा धाम में दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के लिए 5 स्थानों पर चिकित्सकीय टीम की तैनाती की जाएगी। हेल्थ डेस्क पर 3 शिफ्ट में डॉक्टरों की ड्यूटी लगेगी। मंदिर न्यास द्वारा प्रत्येक शिफ्ट में 2 डॉक्टरों की टीम उपलब्ध रहेगी। साथ ही मंदिर की दो एम्बुलेंस कार्यरत रहेंगी, जिनमें से एक एम्बुलेंस में ALS (Advanced Life Support) की सुविधा उपलब्ध होगी, जो किसी भी इमरजेंसी के लिए तैयार रहेगी। बुजुर्गों को फ्री ई-रिक्शा मिलेगा धाम में दर्शन के लिए आने वाले वृद्ध, अशक्त, दिव्यांग जन एवं बच्चों के लिए गोदोलिया से मैदागिन तक फ्री ई-रिक्शा का संचालन किया जाएगा, जिससे उन्हें किसी भी प्रकार की असुविधा न हो। मंदिर परिसर में इन वस्तुओं पर पूरी तरह प्रतिबंध रहेगा… मंदिर में दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं की कैंपस में एंट्री से पहले तलाशी भी होगी। श्रद्धालु कोई भी इलेक्ट्रानिक डिवाइस, सिक्के, बेल्ट और बड़े बैग अंदर नहीं लेकर जा सकेंगे। श्रद्धालुओं के लिए जलपान एवं अन्य सुविधा समय-समय पर ग्लूकोज़/ओआरएस, सूक्ष्म जलपान, बिस्किट, टॉफी, चॉकलेट बांटे जाएंगे। इसका सीनियर सिटिजन और बच्चे आवश्यकता पड़ने पर इसका लाभ उठा सकते हैं। साथ ही पीने के पानी का काउंटर और गुड़ की व्यवस्था भी रहेगी। न लगेगी धूप, न भीगेंगे भक्त पूरे कॉरिडोर में 2 इंच मोटी मैट बिछवाई गई है। इसे जर्मन हैंगर से ढका गया है, जिससे धूप और बारिश से भी बचने में मदद मिलेगी। गर्मी के ताप और उमस से बचाने के लिए एयर कूलर और फैन लगाए गए हैं। लाइन में लगे भक्तों की प्यास बुझाने के लिए वाटर कूलर की भी व्यवस्था है। बाबा की भक्ति में डूबे भक्तों को जर्मन हैंगर बारिश से भींगने से बचाएगा। अंतिम सोमवार को 1 लाख रुद्राक्ष से श्रृंगार सावन के चौथे सोमवार को श्रीकाशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग और शिव-पार्वती के चल प्रतिमा का रुद्राक्ष के एक लाख से ज्यादा दानों से अद्भुत रुद्राक्ष श्रृंगार किया जाएगा। करीब 1 घंटे तक रुद्राक्ष श्रृंगार के बाद बाबा विश्वनाथ की महाआरती होगी। अब शिव की पूजा से संबंधित 5 सवालों के जवाब 5 स्लाइड में पढ़िए…