15 हजार सैनिक देने वाला गांव पुलिस भर्ती में पिछड़ा:यूपी पुलिस में सिर्फ 8 सिलेक्ट हुए; बोले- अग्निवीर योजना के बाद तैयारी छोड़ दी

गांव- गहमर, जिला- गाजीपुर, शाम का वक्त। 50 बीघे से ज्यादा बड़े ग्राउंड में फिजिकल ट्रेनिंग की सभी सुविधाएं हैं। वहां 50 से अधिक युवा दौड़ लगा रहे हैं। कुछ युवक एक्सरसाइज कर रहे हैं। पहले इसी ग्राउंड पर सुबह-शाम 500 से ज्यादा युवा दौड़ लगाते थे। यहां से तैयारी करके फौज में 15 हजार सैनिक भर्ती हो चुके हैं, लेकिन अब पहले वाली बात नहीं रह गई है। हाल ही में हुई पुलिस सिपाही भर्ती परीक्षा में एशिया के सबसे बड़े गांव से सिर्फ 8 युवा सिलेक्ट हुए हैं। पहले यह संख्या 20 या उससे भी ज्यादा होती थी। आखिर हर भर्ती परीक्षाओं में रिकॉर्ड सिलेक्शन देने वाला गांव पुलिस भर्ती में कैसे पिछड़ गया? क्या तैयारियों में कोई कमी रह गई या फिर कुछ और वजह थी? पढ़िए दैनिक भास्कर की ग्राउंड रिपोर्ट… हमारी टीम एशिया के सबसे बड़े गांव गहमर पहुंची। हम सीधे गंगा नदी के किनारे बसे इस गांव के मठिया मैदान युवाओं की तैयारी देखने पहुंचे। तैयारी करने वाले युवा इसी मैदान पर सुबह-शाम दौड़ लगाते हैं। हमारी मुलाकात यहां युवाओं को ट्रेनिंग देने वाले आकाश सिंह से हुई। आकाश से हमारा पहला सवाल यही था कि आखिर पुलिस भर्ती में यहां के युवाओं का सिलेक्शन कम क्यों हुआ? वह कहते हैं- यह फौजियों के गांव के नाम से मशहूर है। पुलिस में सिलेक्शन कम होने की वजह यह भी है कि इस बार यूपी में तैयारी करने वाले युवाओं की संख्या ज्यादा थी। हर कोई सिलेक्शन चाहता है। मेरे भी गांव का हर लड़का सरकारी नौकरी की तरफ ही जाना चाहता है। इसलिए वह तैयारी में जुट गया। यहां 100 से ज्यादा युवाओं ने पुलिस भर्ती का फॉर्म भरा था। 8-10 साथियों का सिलेक्शन हुआ है। बहुत सारे लोग अग्निवीर योजना आने के बाद तैयारी छोड़ चुके थे। यह भी एक बड़ी वजह रही। कुल 8 लड़कों का सिलेक्शन हुआ
पुलिस भर्ती में गांव के 8 युवाओं का सिलेक्शन हुआ है। इसमें 7 लड़के और 1 लड़की है। इनके नाम आशुतोष उपाध्याय, मनीष चौधरी, दिलनाज कुरैशी, तौसिफ खान, श्रवण कुमार, रागिनी सिंह, आसिफ खान और विकास कुमार सिंह है। सभी ने गांव में ही रहकर पढ़ाई की। फिर फिजिकल के लिए भी गांव में ही दौड़ लगाई। इनमें जो युवा हैं, सभी ने पहली बार यूपी पुलिस का फॉर्म भरा और कामयाबी हासिल की। गहमर गांव में 100 से ज्यादा युवाओं ने यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा का फॉर्म भरा था। इसमें आधे वो युवा थे, जो फौज की तैयारी के लिए रनिंग करते रहे हैं। इस बार पुलिस भर्ती में लिखित परीक्षा पहले हुई, मेरिट भी हाई गई। इसलिए तमाम युवा वहीं छट गए। मैदान पर दौड़ लगाने वाले नौशाद खान कहते हैं- हमने परीक्षा निकाल ली थी। दौड़ में भी अच्छा किया, लेकिन जब फाइनल मेरिट बनी तो मैं बाहर हो गया। इसी मठिया मैदान पर दौड़ लगाई थी। आगे बीएसएफ की भर्ती है, उसके लिए तैयारी चल रही है। हमारी मुलाकात इसी मैदान पर आसिफ खान से हुई। आसिफ यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा में सिलेक्ट हुए हैं। वह कहते हैं- गहमर और बगल वाले गांव बारा को मिलाकर कुल 20 बच्चे सिलेक्ट हुए हैं। हालांकि वह सबका नाम नहीं बता पाते। आसिफ से तैयारियों को लेकर पूछा तो वह कहते हैं- पहले बाहर रहते थे, लेकिन जब गांव में लाइब्रेरी खुल गई तो यहीं रहकर पढ़ने लगे। फिजिकल की तैयारी के लिए यह गांव अच्छा है। इसलिए हम यहीं रनिंग करते हैं। आसपास गांव के लोग भी यहीं आकर तैयारी करते हैं। एक मान्यता है कि जो यहां दौड़ता है, वह फेल नहीं होता। घर से आर्मी में, इसलिए छूट मिलती है
यहां एक समझने वाली बात है। वह यह कि आर्मी में यहां के लोगों का सिलेक्शन ज्यादा क्यों होता है? इस सवाल के जवाब में रिटायर्ड फौजी शुभलाल कहते हैं- जिनके पिता आर्मी में हैं, उन्हें आर्मी में सिलेक्शन के वक्त छूट मिलती है। इसके अलावा पुलिस में लंबाई-चौड़ाई ज्यादा है। सेना में कम लंबाई पर भी सिलेक्शन हो जाता है। पुलिस की लिखित परीक्षा टफ होती है, इसलिए भी गांव के लड़के कम सिलेक्ट हुए। साथ बैठे रिटायर्ड सिपाही महेंद्र प्रताप सिंह कहते हैं- हमारे गांव में हर घर में सैनिक होने का फायदा यह है कि जो नए लड़के हैं, उन्हें फिजिकल और लिखित परीक्षा के बारे में जानकारी हो जाती है। कैसे पढ़ना है और क्या कुछ करना है, सब पता चल जाने से सिलेक्शन आसान हो जाता है। इसीलिए लड़का जब 16 साल का हो जाता है, तब वह आर्मी की तैयारी में जुट जाता है। एक समय गहमर की स्थिति यह थी कि इसी गांव में कैंप लगाकर सिलेक्शन होता था। अग्निवीर की वजह से लोग रूठ गए
हमने यहां जिन लोगों से बात की उसमें ज्यादातर ने अपनी बात खत्म करने से पहले अग्निवीर की बात जरूर की। सबका यही कहना था कि अग्निवीर स्कीम आ जाने के चलते स्थानीय युवाओं में सेना की तैयारी को लेकर नाराजगी आई। यही वजह थी कि लोग दौड़-भाग वाली नौकरी के बजाय दूसरी नौकरी की तैयारी में जुट गए। फौजी महेंद्र कहते हैं, इस वक्त गांव से करीब 15 हजार लोग नौकरी कर रहे हैं। हमने सैनिकों की संख्या वाले रिकॉर्ड खंगाले। 16 मार्च 2021 को सदन में सरकार ने बताया था कि देश में कुल 11 लाख 51 हजार 726 जवान हैं। जो सीमा पर तैनात हैं। इसमें 1 लाख 67 हजार 557 सैनिक यूपी के हैं। इसमें गाजीपुर जिले के से कुल 10,320 सैनिक शामिल थे। इसमें भी सबसे ज्यादा संख्या गहमर गांव के सैनिकों की थी। ————————- यह खबर भी पढ़ें… यूपी का यह अनूठा गांव, एक साथ 36 सिपाही दिए, कोई कोचिंग नहीं, गांव के मैदान पर दौड़े; सेल्फ स्टडी से झंडे गाड़े इस गांव की खासियत क्या है, जिससे एक साथ 36 युवा सिपाही बने? तैयारी कैसे की? यह जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम गांव पहुंची। पढ़िए गांव से रिपोर्ट…