2015 में त्रिपुरा बॉर्डर से भारत आया बांग्लादेशी नसीम:उन्नाव में मजदूरी कर रहा था, मलेशिया जाते समय लखनऊ में पकड़ा गया

लखनऊ एयरपोर्ट पर पकड़े गए बांग्लादेशी मो. नसीम के पास सारे दस्तावेज भारतीय थे। ये सब उसने फर्जी तरीके से हासिल किए थे। इमिग्रेशन और एजेंसियों की पूछताछ में उसने अपना पूरा चिट्ठा खोल दिया है। उसने बताया कि कब और कैसे भारत आया? यहां क्या काम करता था? ये दस्तावेज कैसे हासिल किए? आखिर मलेशिया क्यों जाना चाहता था? इसके अलावा उसके मोबाइल फोन में भी सारी चीजें बांग्लादेशी ही हैं। पहले घुसपैठिए मो. नसीम को जानिए नसीम ने पुलिस को खुद बताया कि वह घुसपैठिया है। वह बांग्लादेश के चिटगांव डिवीजन के बांदोरबन जिले के नैखॉन्गछड़ी गांव का रहने वाला है। 2015 में उसने भारत में घुसपैठ की। यहां स्लॉटर हाउस खोजकर उसमें काम किया। 2017 में जब यूपी में स्लॉटर हाउस बंद हो गए, तो मजदूरी करने लगा। इसके अलावा ड्राइवरी भी करता था। उन्नाव में रहता था। 2016-17 में उसने आधार कार्ड, पैन कार्ड और यहां तक कि भारतीय पासपोर्ट भी बनवा लिया। अब पढ़िए घुसपैठिए की भारत जर्नी उन्नाव में किराए पर रहता था, बनवा लिया था आधार कार्ड
नसीम ने पूछताछ में कबूल किया कि वह 2015 में त्रिपुरा बॉर्डर से भारत आया था। पहले उन्नाव के स्लॉटर हाउस में काम करने लगा। 2017 में स्लॉटर हाउस बंद हुए तो वह कभी मजदूरी करने लगा। कभी ड्राइवरी कर गुजारा करता था। वह उन्नाव की सफीपुर तहसील के गढ़ी इलाके में किराए के कमरे में रह रहा था। यहां रहकर उसने कुछ लोगों से संपर्क कर तहसील स्तर से निवास प्रमाणपत्र बनवा लिया। उसके बाद आधार कार्ड भी बन गया। इन्हीं के आधार पर पासपोर्ट भी बनवा लिया। पिछले महीने बांग्लादेश से लौटा था
कुछ दिन पहले वह अपने देश बांग्लादेश गया था। उसने भारत में फिर कैसे एंट्री ली, इसकी पूछताछ चल रही है। उसके फोन से अगस्त, 2025 में त्रिपुरा यात्रा और अगरतला से कोलकाता का रिटर्न टिकट मिला है। उसने मोहम्मद नसीम के नाम से भारतीय पासपोर्ट बनवाया। इसी पासपोर्ट पर मलेशिया भागने की योजना बनाई। जांच एजेंसियों से उसने बताया कि भारतीय पासपोर्ट की वहां बहुत वैल्यू है। इसलिए हम इसी पहचान के सहारे कारोबार करना चाहते थे। अपने देश के गाने और वीडियो देखता है
फॉरेनर्स रीजनल रजिस्ट्रेशन ऑफिस (FRRO) की टीम ने जब उसका फोन और सोशल मीडिया खंगाला, तो दर्जनों संपर्क उसी गांव के निकले। फेसबुक पर भी वह नैखॉन्गछड़ी के ग्रुप से जुड़ा था। यूट्यूब हिस्ट्री में बांग्लादेशी गाने और वीडियो भरे पड़े थे। कैसे पकड़ा गया नसीम
इमिग्रेशन जांच के दौरान उसके डॉक्यूमेंट में कई गड़बड़ियां मिलीं। FRRO की टीम ने जब उससे कड़ी पूछताछ की, तो जवाब उलझे हुए थे। शक गहराने पर जब मोबाइल खंगाला गया, तो पूरा नेटवर्क सामने आ गया। बांग्लादेशी कॉन्टैक्ट्स, फेसबुक ग्रुप और बंगाली चैट्स मिले। नेटवर्क की तलाश में जुटीं एजेंसियां
पुलिस और खुफिया एजेंसियों को अब शक है कि नसीम अकेला नहीं आया था। उसके साथ कई और लोग भी त्रिपुरा बॉर्डर से भारत में दाखिल हो चुके हैं। नसीम 2015 से अब तक यूपी और देश के अलग-अलग हिस्सों में आता-जाता रहा। इससे यह साफ है कि उसका नेटवर्क बड़ा है। एजेंसियां अब इस पूरी चेन को ट्रैक कर रही हैं। यह पता लगाने में जुटी हैं कि देशभर में ऐसे और कितने लोग छिपकर रह रहे हैं। ———————– ये खबर भी पढ़िए… थाई महिला ने फर्जी पासपोर्ट से की भारत में एंट्री, लखनऊ एयरपोर्ट पर पकड़ी गई लखनऊ के अमौसी एयरपोर्ट पर इमिग्रेशन टीम ने एक थाई महिला को फर्जी पासपोर्ट के साथ पकड़ा है। थोंगफुन चायफा उर्फ दरिन चोकथनपट नाम की यह महिला पहले से ब्लैकलिस्टेड थी। महिला को मार्च 2025 में एग्जिट परमिट पर भारत से भेजा गया था। इसके बाद वह 31 जुलाई 2025 को फर्जी पासपोर्ट से रक्सौल बॉर्डर से भारत में प्रवेश कर गई। लखनऊ निवासी जसविंदर सिंह ने अपने साथियों नवेंदु मित्तल और शुवेंदु निगम की मदद से महिला के लिए कई फर्जी पासपोर्ट बनवाए। (पूरी खबर पढ़िए)