ये 2 स्कूल केवल बानगी हैं। अकेले गोंडा जिले में ऐसे 29 एडेड स्कूल हैं, जहां 700 से ज्यादा टीचर्स तैनात हैं। पिछले 10 साल में इन्हें दो अरब रुपए की सैलरी दी जा चुकी है। पूरे यूपी में ऐसे स्कूलों की संख्या 1068 है। यानी यहां सरकारी सैलरी का खेल बड़े स्तर पर चल रहा है। आखिर, इन एडेड स्कूलों में शिक्षकों की फौज कैसे खड़ी हो गई? इसके लिए कौन जिम्मेदार है? दैनिक भास्कर ने जब इसका इन्वेस्टिगेशन किया तो सामने आया कि स्कूलों की समितियों ने विभाग के अफसरों और बाबुओं के साथ मिलकर थोक में भर्तियां कीं। ये भर्तियां दो कारणों से हुईं 1. रिश्वत लेने के लिए 2. नेताओं-जनप्रतिनिधियों और प्रबंधकों के रिश्तेदार या करीबी को नौकरी देने के लिए हम गोंडा में 10 दिन रहकर मामले की तह तक गए। यहां 3 स्कूलों में तैनात टीचर्स की जानकारी निकाली। इसमें सामने आया कि स्कूल समितियों, विधायकों, नेताओं के रिश्तेदारों को नौकरियां दी हैं। ये प्रभावशाली लोग हैं। इसलिए 7 साल से चल रही जांच अब तक पूरी नहीं हो पाई। पढ़िए, यहां नियुक्तियों में हुए खेल का सिलसिलेवार खुलासा… प्रिंसिपल ऐसे गए कि दोबारा लौटकर नहीं आए हम जब यहां पहुंचे तो स्कूल में प्रिंसिपल उमेशचंद्र तिवारी अपने कक्ष में नहीं थे। टीचरों ने बताया- वे बाहर गए हैं। जब टीचरों और बच्चों की संख्या के बारे में पूछा, तो हमें लिपिक कार्यालय भेज दिया। यहां मनेंद्र दुबे मिले। मनेंद्र ने कहा- प्रिंसिपल ही बताएंगे। जैसे ही हम विद्यालय के बाहर निकले, प्रिंसिपल तिवारी से मुलाकात हो गई। उन्होंने हमें अपने ऑफिस में बैठने को कहा और चले गए। काफी देर इंतजार के बाद भी वे नहीं लौटे। बाद में पता चला कि वे हमसे बात नहीं करना चाहते। इसलिए बिना बात किए ही चले गए। इस स्कूल की जांच यूपी सरकार की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) कर रही है। 2 दिन जल्दी छुट्टी, तीसरे दिन प्रवेश से रोका हम दोपहर 12.30 बजे स्कूल पहुंचे। तब तक यहां छुट्टी हो चुकी थी, जबकि छुट्टी का समय दोपहर 1.40 बजे हैं। गेट पर ताला था। हमने 200 मीटर दूर बैठे कुछ लोगों से बातचीत की। ये यहीं के टीचर थे। जल्दी छुट्टी होने का कारण कंडोलेंस बताया। हम अगले दिन सुबह 8.45 बजे स्कूल पहुंचे। तब भी स्कूल के बाहर सन्नाटा था। छठी में पढ़ने वाले छात्र सचिन प्रजापति से पूछा- स्कूल क्यों बंद है? वह बोला- नहीं पता। हम तीसरे दिन फिर सुबह 9 बजे विद्यालय पहुंचे। आज गेट पर भीतर से ताला बंद था। 2 लोग आए। गेट खोलने से इनकार कर दिया। बोले- नोटिस लगा है, पढ़ लीजिए। इसमें लिखा था- बिना प्रबंधक की इजाजत कोई बाहरी व्यक्ति स्कूल में प्रवेश नहीं कर सकता। नौकरी देने के नाम पर 36 लाख और 10 लाख हड़पने का मुकदमा बालक भगवान में लिपिक रहे और प्रबंधक के परिवार से जुड़े स्वयं प्रकाश शुक्ला पर 6 लोगों से 36 लाख रुपए हड़पने का मुकदमा गोंडा के कटरा बाजार थाने में दर्ज कराया। इस केस में अरुण पाण्डेय ने 6 लाख, राम आसरे ने 6 लाख, गंगा प्रसाद ने 6 लाख, राजेश शुक्ला ने 7 लाख और भूपेश ने 5 लाख रुपए देने का आरोप लगाया है। आरोप है कि स्वयं प्रकाश ने चपरासी की नौकरी के लिए पैसे लिए। नौकरी न मिलने पर पीड़ितों ने स्वयं प्रकाश से अपने पैसे मांगे। स्वयं प्रकाश ने सभी 6 लोगों को चेक दिए, जो बाउंस हो गए। दूसरा मामला गोंडा के रमेश मौर्य ने दर्ज कराया है। मौर्य ने एडेड स्कूल में नौकरी के नाम पर 2018 में स्वयं प्रकाश को उसके ड्राइवर उमाशंकर जायसवाल के माध्यम से 6 लाख रुपए दिए। बाकी 4 लाख रुपए बाद में दिए। लंबे समय तक नौकरी न मिलने पर पीड़ित ने शिकायत की। सुलहनामे में स्वयं प्रकाश ने 10 लाख रुपए लेने की बात स्वीकारी। बाद में एसपी के आदेश पर नगर कोतवाली में मुकदमा दर्ज हुआ। इस मामले में स्वयं प्रकाश ने वॉट्सऐप कॉल पर कहा- सभी आरोप बेबुनियाद हैं। आपको जो भी जानकारी चाहिए, लिखित में भेजिए। यहां 45 शिक्षक नियम विरुद्ध भरे गए प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष शिवकुमार कौशल ने बताया- तत्कालीन जेडी उदयराज यादव ने अपने रिश्तेदार की नौकरी लगवाने के लिए कमेटी भंग कर मुझे अध्यक्ष पद से हटा दिया। शुरू के शिक्षक रिटायर होते गए। उसमें से अब 3 बचे थे। यहां 45 शिक्षक नियम विरुद्ध भर्ती किए। गोंडा में 29 एडेड स्कूलों की जांच मेरी शिकायत पर SIT कर रही है, अभी तक कुछ नहीं हुआ। सुबह 8 बजे शोकसभा के बाद स्कूल बंद
वजीरगंज स्थित श्री दयानंद आर्य वैदिक कॉलेज में सन्नाटा था। भीतर कुछ शिक्षक और कर्मचारी मौजूद थे। शिक्षक प्रकाश पांडेय से प्रिंसिपल के बारे में जानकारी मांगी। उन्होंने बताया कि वे लखनऊ गए हैं। छुट्टी के सवाल पर बोले कि सुबह 8 बजे शोकसभा के बाद स्कूल बंद कर दिया। अब जानिए, एडेड स्कूल क्या हैं? कैसे हुई नियुक्तियों की शिकायत शिक्षकों की कमी के चलते प्रदेश सरकार ने एडेड स्कूलों के प्रबंधकों को टीचरों की नियुक्तियों के अधिकार दिए थे। इन टीचरों का वेतन सरकार को देना होता है। इसका फायदा उठाते हुए प्रबंधकों ने खूब भर्तियां कर लीं। दयानंद वैदिक स्कूल के प्रबंध कमेटी के तत्कालीन अध्यक्ष शिवकुमार कौशल ने दिसंबर, 2018 में गोंडा के 29 एडेड स्कूलों में फर्जी नियुक्ति की शिकायत की। उन्होंने बेसिक शिक्षा के अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार को लिखे पत्र में इन विद्यालयों में मनमानी नियुक्ति कर हर महीने दो अरब रुपए सरकारी धन की क्षति बताया। रेणुका कुमार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए 25 मई, 2018 को बेसिक शिक्षा सचिव की अध्यक्षता में 4 सदस्यीय जांच समिति बनाई। अब जानिए, समिति की जांच में क्या निकला? समिति की जांच में गोंडा के 29 विद्यालयों में मान्यता, नियुक्ति और वेतन भुगतान में भारी गड़बड़ियों का खुलासा हुआ। 164 सहायक अध्यापकों की नियुक्ति अमान्य डिग्री पर होने की बात सामने आई थी। यह भी सामने आया कि 1.57 करोड़ का वेतन भुगतान हर महीने गलत नियुक्ति वालों को किया जा रहा है। समिति ने ये पाया… स्वतंत्र जांच की सिफारिश – रिपोर्ट में यह भी कहा कि ये वित्तीय अनियमितताएं आर्थिक अपराध की श्रेणी में आती हैं। इसलिए मामले की गहन जांच स्वतंत्र जांच एजेंसियों जैसे सतर्कता विभाग, एसआईटी, ईओडब्ल्यू या अन्य किसी उपयुक्त संस्था से कराई जानी चाहिए। अपर मुख्य सचिव ने SIT जांच की सिफारिश की
4 सदस्यीय जांच समिति की सिफारिश के बाद अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार ने प्रमुख सचिव गृह को 19 दिसंबर, 2019 को पत्र लिखा। मुख्यमंत्री कार्यालय से अनुमति प्राप्त करने के बाद प्रमुख सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने यूपी एसआईटी से जांच की प्रक्रिया शुरू कराई। एसआईटी पिछले 5 साल तक जांच करती रही। जांच के दौरान विद्यालय के प्रबंधकों से अभिलेख मांगे गए पर किसी ने नियुक्ति संबंधी कोई भी कागज एसआईटी को उपलब्ध नहीं कराया। अब ईओडब्ल्यू कर रही जांच SIT ने 4 साल तक जांच की। जब कोई नतीजा नहीं निकला तो उसने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी। SIT ने अपनी टिप्पणी में बेसिक शिक्षा निदेशालय की भूमिका को संदिग्ध बताया था। प्रमुख सचिव ने इस जांच रिपोर्ट को खारिज करते हुए इसकी जांच विशेष अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) को सौंप दी। एडेड स्कूलों में तैनात शिक्षकों के शैक्षिक अभिलेखों के सत्यापन को लेकर विशेष अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) ने बेसिक शिक्षा विभाग के लिपिक सुधीर कुमार सिंह व लेखा लिपिक अनुपम पांडेय को मुख्यालय बुलाया था, पर दोनों बाबू वहां नहीं गए। ईओडब्ल्यू के अपर पुलिस अधीक्षक ने इन दोनों लिपिकों को ईओडब्ल्यू के मुख्यालय में अटैच करने के लिए बीएसए को भेजा है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अतुल तिवारी ने बताया कि दोनों लिपिकों को विशेष अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) के मुख्यालय जाकर योगदान देने का निर्देश दिया है। लेखा विभाग की मिलीभगत भी सामने आई
हमने गोंडा के वित्त एवं लेखाधिकारी गिरीश चंद से 5 स्कूलों में तैनात शिक्षकों के वेतन के बारे में जानकारी मांगी। हमने उनसे इन विद्यालयों में हर महीने जारी होने वाले वेतन बिल की कॉपी के साथ ही शिक्षकों की संख्या मांगी। लेखाधिकारी ने अपने सामने ही हमसे इस संबंध में एक प्रार्थना पत्र लिखवाया। तीन दिन में जानकारी देने की बात कहकर उन्होंने आज तक इसकी सूचना नहीं दी। हमने उनसे कई बार फोन पर संपर्क किया पर उन्होंने फोन नहीं उठाया। महानिदेशक बोलीं- कराई जा रही जांच गोंडा के एडेड स्कूलों में मानक से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर हमने प्रमुख सचिव और महानिदेशक स्कूली शिक्षा मोनिका रानी से बात की। उन्होंने कहा कि अब आपने बताया है, तो जांच कराई जाएगी। जब हमने कहा कि मैडम इसमें तो विभागीय अफसर भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि जो भी दोषी होगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा। विधायक पीएन पांडेय ने न फोन उठाया, न मैसेज का जवाब दिया
स्कूलों में रिश्तेदारों की नौकरी के मामले में हमने तरबगंज के विधायक प्रेमनारायण पांडेय को फोन किया। उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। इसके बाद वॉट्सऐप मैसेज किया। उन्होंने मैसेज सीन किया, लेकिन जवाब नहीं दिया। ——————— भास्कर इन्वेस्टिगेशन की ये खबरें भी पढ़ें- आपकी पूजा में केमिकल वाला नकली चंदन:यूपी में खिन्नी की लकड़ी पर परफ्यूम; ऐसे 100 कारखाने, कैमरे में देखिए ठगी ये लकड़ी होती है… खिन्नी की, इसमें कोई महक नहीं होती। इसमें कंपाउंड (केमिकल मिक्सचर) मिलाया जाता है चंदन का… फिर यह महकती है चंदन जैसी। जब जलइयो चंदन-सी खुशबू होगी। अगर इसमें असली चंदन की लकड़ियां मिला दें, तो पहचानना मुश्किल हो जाता है। हम ही लोग पहचान पाते हैं। ये हैं यूपी के चंदन के बड़े कारोबारी, लेकिन ये चंदन होता नकली है। ये खिन्नी की लकड़ी पर चंदन की खुशबू वाले परफ्यूम का स्प्रे करके ऐसा नकली चंदन बनाते हैं कि आम लोग पकड़ ही नहीं पाते। पढ़ें पूरी खबर महिलाएं कागजों पर ‘नेता’, कुर्सी पर पति का कब्जा:भास्कर टीम मिलने पहुंची तो पति बोले- हम ही सबकुछ संवैधानिक पदों पर महिलाओं को आरक्षण देने के बाद महिलाएं कितनी एक्टिव हुई हैं? क्या ये अपने क्षेत्र का काम खुद संभाल रही हैं? इन सवालों के जवाब के लिए दैनिक भास्कर की टीम ने कुशीनगर, गोरखपुर, सिद्धार्थनगर में 10 दिन तक इन्वेस्टिगेशन किया। हम कुशीनगर से 25 किमी दूर सेवरही ब्लॉक पहुंचे। ऑफिस में भीड़ थी। अंदर गए तो महिला ब्लॉक प्रमुख अनु तिवारी की कुर्सी खाली थी। पढ़िए पूरी खबर मंत्री-विधायकों के गांवों में भी नहीं पहुंचा ‘हर घर जल’:विधायक की मां हैंडपंप से भर रहीं पानी; यूपी के जलशक्ति मंत्री का गांव भी प्यासा ‘रामप्यारी देवी। उम्र 75 साल, लेकिन जोर लगाकर हैंडपंप से पानी भरने को मजबूर। रामप्यारी देवी कोई आम महिला नहीं। हमीरपुर के भाजपा विधायक डॉ. मनोज कुमार प्रजापति की मां हैं। इनके घर में जल जीवन मिशन की टोटी है, लेकिन पानी नहीं। पौथिया बुजुर्ग गांव विधायक डॉ. मनोज प्रजापति का पैतृक गांव है। सरकारी रिकॉर्ड में यहां जल जीवन मिशन का काम 100% हो गया है। अफसरों का दावा है कि यहां हर घर में पानी आ रहा है। पढ़ें पूरी खबर
वजीरगंज स्थित श्री दयानंद आर्य वैदिक कॉलेज में सन्नाटा था। भीतर कुछ शिक्षक और कर्मचारी मौजूद थे। शिक्षक प्रकाश पांडेय से प्रिंसिपल के बारे में जानकारी मांगी। उन्होंने बताया कि वे लखनऊ गए हैं। छुट्टी के सवाल पर बोले कि सुबह 8 बजे शोकसभा के बाद स्कूल बंद कर दिया। अब जानिए, एडेड स्कूल क्या हैं? कैसे हुई नियुक्तियों की शिकायत शिक्षकों की कमी के चलते प्रदेश सरकार ने एडेड स्कूलों के प्रबंधकों को टीचरों की नियुक्तियों के अधिकार दिए थे। इन टीचरों का वेतन सरकार को देना होता है। इसका फायदा उठाते हुए प्रबंधकों ने खूब भर्तियां कर लीं। दयानंद वैदिक स्कूल के प्रबंध कमेटी के तत्कालीन अध्यक्ष शिवकुमार कौशल ने दिसंबर, 2018 में गोंडा के 29 एडेड स्कूलों में फर्जी नियुक्ति की शिकायत की। उन्होंने बेसिक शिक्षा के अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार को लिखे पत्र में इन विद्यालयों में मनमानी नियुक्ति कर हर महीने दो अरब रुपए सरकारी धन की क्षति बताया। रेणुका कुमार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए 25 मई, 2018 को बेसिक शिक्षा सचिव की अध्यक्षता में 4 सदस्यीय जांच समिति बनाई। अब जानिए, समिति की जांच में क्या निकला? समिति की जांच में गोंडा के 29 विद्यालयों में मान्यता, नियुक्ति और वेतन भुगतान में भारी गड़बड़ियों का खुलासा हुआ। 164 सहायक अध्यापकों की नियुक्ति अमान्य डिग्री पर होने की बात सामने आई थी। यह भी सामने आया कि 1.57 करोड़ का वेतन भुगतान हर महीने गलत नियुक्ति वालों को किया जा रहा है। समिति ने ये पाया… स्वतंत्र जांच की सिफारिश – रिपोर्ट में यह भी कहा कि ये वित्तीय अनियमितताएं आर्थिक अपराध की श्रेणी में आती हैं। इसलिए मामले की गहन जांच स्वतंत्र जांच एजेंसियों जैसे सतर्कता विभाग, एसआईटी, ईओडब्ल्यू या अन्य किसी उपयुक्त संस्था से कराई जानी चाहिए। अपर मुख्य सचिव ने SIT जांच की सिफारिश की
4 सदस्यीय जांच समिति की सिफारिश के बाद अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार ने प्रमुख सचिव गृह को 19 दिसंबर, 2019 को पत्र लिखा। मुख्यमंत्री कार्यालय से अनुमति प्राप्त करने के बाद प्रमुख सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने यूपी एसआईटी से जांच की प्रक्रिया शुरू कराई। एसआईटी पिछले 5 साल तक जांच करती रही। जांच के दौरान विद्यालय के प्रबंधकों से अभिलेख मांगे गए पर किसी ने नियुक्ति संबंधी कोई भी कागज एसआईटी को उपलब्ध नहीं कराया। अब ईओडब्ल्यू कर रही जांच SIT ने 4 साल तक जांच की। जब कोई नतीजा नहीं निकला तो उसने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी। SIT ने अपनी टिप्पणी में बेसिक शिक्षा निदेशालय की भूमिका को संदिग्ध बताया था। प्रमुख सचिव ने इस जांच रिपोर्ट को खारिज करते हुए इसकी जांच विशेष अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) को सौंप दी। एडेड स्कूलों में तैनात शिक्षकों के शैक्षिक अभिलेखों के सत्यापन को लेकर विशेष अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) ने बेसिक शिक्षा विभाग के लिपिक सुधीर कुमार सिंह व लेखा लिपिक अनुपम पांडेय को मुख्यालय बुलाया था, पर दोनों बाबू वहां नहीं गए। ईओडब्ल्यू के अपर पुलिस अधीक्षक ने इन दोनों लिपिकों को ईओडब्ल्यू के मुख्यालय में अटैच करने के लिए बीएसए को भेजा है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अतुल तिवारी ने बताया कि दोनों लिपिकों को विशेष अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) के मुख्यालय जाकर योगदान देने का निर्देश दिया है। लेखा विभाग की मिलीभगत भी सामने आई
हमने गोंडा के वित्त एवं लेखाधिकारी गिरीश चंद से 5 स्कूलों में तैनात शिक्षकों के वेतन के बारे में जानकारी मांगी। हमने उनसे इन विद्यालयों में हर महीने जारी होने वाले वेतन बिल की कॉपी के साथ ही शिक्षकों की संख्या मांगी। लेखाधिकारी ने अपने सामने ही हमसे इस संबंध में एक प्रार्थना पत्र लिखवाया। तीन दिन में जानकारी देने की बात कहकर उन्होंने आज तक इसकी सूचना नहीं दी। हमने उनसे कई बार फोन पर संपर्क किया पर उन्होंने फोन नहीं उठाया। महानिदेशक बोलीं- कराई जा रही जांच गोंडा के एडेड स्कूलों में मानक से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर हमने प्रमुख सचिव और महानिदेशक स्कूली शिक्षा मोनिका रानी से बात की। उन्होंने कहा कि अब आपने बताया है, तो जांच कराई जाएगी। जब हमने कहा कि मैडम इसमें तो विभागीय अफसर भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि जो भी दोषी होगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा। विधायक पीएन पांडेय ने न फोन उठाया, न मैसेज का जवाब दिया
स्कूलों में रिश्तेदारों की नौकरी के मामले में हमने तरबगंज के विधायक प्रेमनारायण पांडेय को फोन किया। उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। इसके बाद वॉट्सऐप मैसेज किया। उन्होंने मैसेज सीन किया, लेकिन जवाब नहीं दिया। ——————— भास्कर इन्वेस्टिगेशन की ये खबरें भी पढ़ें- आपकी पूजा में केमिकल वाला नकली चंदन:यूपी में खिन्नी की लकड़ी पर परफ्यूम; ऐसे 100 कारखाने, कैमरे में देखिए ठगी ये लकड़ी होती है… खिन्नी की, इसमें कोई महक नहीं होती। इसमें कंपाउंड (केमिकल मिक्सचर) मिलाया जाता है चंदन का… फिर यह महकती है चंदन जैसी। जब जलइयो चंदन-सी खुशबू होगी। अगर इसमें असली चंदन की लकड़ियां मिला दें, तो पहचानना मुश्किल हो जाता है। हम ही लोग पहचान पाते हैं। ये हैं यूपी के चंदन के बड़े कारोबारी, लेकिन ये चंदन होता नकली है। ये खिन्नी की लकड़ी पर चंदन की खुशबू वाले परफ्यूम का स्प्रे करके ऐसा नकली चंदन बनाते हैं कि आम लोग पकड़ ही नहीं पाते। पढ़ें पूरी खबर महिलाएं कागजों पर ‘नेता’, कुर्सी पर पति का कब्जा:भास्कर टीम मिलने पहुंची तो पति बोले- हम ही सबकुछ संवैधानिक पदों पर महिलाओं को आरक्षण देने के बाद महिलाएं कितनी एक्टिव हुई हैं? क्या ये अपने क्षेत्र का काम खुद संभाल रही हैं? इन सवालों के जवाब के लिए दैनिक भास्कर की टीम ने कुशीनगर, गोरखपुर, सिद्धार्थनगर में 10 दिन तक इन्वेस्टिगेशन किया। हम कुशीनगर से 25 किमी दूर सेवरही ब्लॉक पहुंचे। ऑफिस में भीड़ थी। अंदर गए तो महिला ब्लॉक प्रमुख अनु तिवारी की कुर्सी खाली थी। पढ़िए पूरी खबर मंत्री-विधायकों के गांवों में भी नहीं पहुंचा ‘हर घर जल’:विधायक की मां हैंडपंप से भर रहीं पानी; यूपी के जलशक्ति मंत्री का गांव भी प्यासा ‘रामप्यारी देवी। उम्र 75 साल, लेकिन जोर लगाकर हैंडपंप से पानी भरने को मजबूर। रामप्यारी देवी कोई आम महिला नहीं। हमीरपुर के भाजपा विधायक डॉ. मनोज कुमार प्रजापति की मां हैं। इनके घर में जल जीवन मिशन की टोटी है, लेकिन पानी नहीं। पौथिया बुजुर्ग गांव विधायक डॉ. मनोज प्रजापति का पैतृक गांव है। सरकारी रिकॉर्ड में यहां जल जीवन मिशन का काम 100% हो गया है। अफसरों का दावा है कि यहां हर घर में पानी आ रहा है। पढ़ें पूरी खबर