40 साल से खिला रहे हैं साबुत आम की कुल्फी:आगरा में ठंडाई और केसर-पिस्ता, बादाम की कुल्फी भी फेमस, योगी कर चुके हैं तारीफ

आगरा का नाम आते दिमाग में सबसे पहले ताजमहल और पेठा का ख्याल आता है। लेकिन, आपको जानकार हैरानी होगी कि यहां शहर के बीचों-बीच एक छोटी-सी दुकान है, जो बहुत फेमस है। यहां सुबह से शाम तक हर समय लोगों की भीड़ लगी रहती है। आगरा की तपती गर्मी में पसीना पोछते लोग दुकान पर सफेद बनियान और पाजामे में बैठे व्यक्ति से कहते हैं- बाऊजी लगाना एक पत्ता। तुरंत कारीगर काम पर लग जाते हैं। हाथ में साबुत आम के अंदर जमी रबड़ी की कुल्फी आ जाती है। जिसका एक-एक पीस अंदर तक ठंडक देता है। इस आम की कुल्फी की शहर की जनता ही नहीं, सीएम योगी आदित्यनाथ भी मुरीद हैं। दुकान पर कुल्फी के साथ ही ठंडाई भी गर्मियों में शहर की जनता को स्वाद के साथ राहत देती है। कुल्फी और ठंडाई यूं ही इस दुकान पर नहीं बनने लगी। इसके पीछे का इतिहास भी काफी अलग है। आपको बताते हैं, कैसे एक पान की दुकान आज अग्रवाल ठंडाई और कुल्फी वाले के नाम से जानी जाती है। बेलनगंज के गुदड़ी मंसूर खां तिराहे पर है 40 साल पुरानी श्री अग्रवाल ठंडाई वाले की दुकान है। इस दुकान को शिवशंकर अग्रवाल चलाते हैं। शिवशंकर अग्रवाल बताते हैं- एक दिन उन्हें ख्याल आया कि ठंडाई बनाई जाए और अपनी पान की दुकान से बेची जाए। पहले दिन उन्होंने 5 लीटर ठंडाई बनाई, जो दो घंटे में खत्म हो गई। दूसरे दिन 10 लीटर ठंडाई बनाई, वो भी कुछ घंटों में ही खत्म हो गई। इसके बाद शुरू हुआ सिलसिला आज तक चल रहा है। इसी बीच एक दिन कुल्फी बनाने का ख्याल आया। साबुत आम की गुठली निकालकर उसमें रबड़ी और मेवे भरे गए। लोगों ने इसे काफी पसंद किया। फिर दुकान पर कुल्फी भी बनने लगी। अब साबुत आम की बनी कुल्फी के साथ ही केसर-पिस्ता-बादाम की कुल्फी भी लोगों की पसंद में शामिल हो गई है। सीएम योगी ने अपने सामने बनवाई कुल्फी
शिवशंकर के भतीजे प्रबल बताते हैं- 2014-15 में एक बार मैं गोरखपुर गया था। वहां मेरी मुलाकात सीएम योगी से कराई गई। उन्हें बताया गया कि यह साबुत आम की कुल्फी बनाते हैं। योगी ने उत्सुकता से पूछा कि गुठली कैसे निकालते हो? उन्होंने अपने सामने कुल्फी बनवाकर देखी। उन्हें साबुत आम की कुल्फी काफी पसंद भी आई। प्रबल बताते हैं कि आम आदमी पार्टी के संजय सिंह भी उनकी कुल्फी खा चुके हैं। लोग हर रोज पीने आते हैं ठंडाई
प्रबल बताते हैं- कुल्फी की सेल हो रही है, इसका मतलब ये नहीं कि ठंडाई के दीवाने यहां कम हैं। दुकान पर ठंडाई पीने आने वालों की संख्या भी कम नहीं है। वह ठंडाई बनाने की विधि भी बताते हैं। प्रबल बताते हैं कि हमारे यहां सफाई का खास ध्यान रखा जाता है। इस वजह से कस्टमर खिंचे चले आते हैं। कस्टमर बताते हैं कि अग्रवाल के यहां ठंडाई भी काफी बेहतरीन मिलती है। इसकी ठंडाई सिर्फ स्वाद में ही नहीं, शुद्धता और ताजगी में भी बेजोड़ है। यहां की कुल्फी और लस्सी का भी कोई जवाब नहीं। एक बार जो चख ले, बार-बार आने से खुद को रोक नहीं पाता। शाम के वक्त तो यहां बहुत ही भीड़ लगती है। लोग दूर-दूर से सिर्फ अग्रवाल ठंडाई और कुल्फी का स्वाद चखने आते हैं। ——————————- ये खबर भी पढ़ें… इंदिरा गांधी का चुनाव रद्द कराने वाले राजनारायण, स्पीकर ने टोका तो बोले- साहब, ये सिगरेट नहीं, मेरे विचारों का धुआं है 25 जून, 1975… यह वो दिन है, जिसे काले अध्याय के रूप में याद किया जाता है। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लागू कर दी थी। उस दौर के बड़े-बड़े नेताओं को सलाखों के पीछे डाल दिया गया था। उन्हीं में से एक थे राज नारायण। उन्होंने इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में देश की उस समय की सबसे ताकतवर नेता और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को रायबरेली सीट से चुनाव हरा दिया था। कौन थे राजनारायण? उनके गांव की अब स्थिति क्या है? उनके परिवार में कौन-कौन है? यह सब जानने के लिए दैनिक भास्कर राजनारायण के वाराणसी स्थित गांव मोतीकोट पहुंचा। पढ़िए पूरी खबर…