बीएचयू और एलयू की लॉ की मान्यता अपडेट नहीं:बार काउंसिंल ऑफ इंडिया में लंबित हैं एप्लिकेशन, 50 हजार स्टूडेंट फंसे

बाराबंकी के रामस्वरूप विश्वविद्यालय में लॉ स्टूडेंट्स की पुलिस पिटाई के बाद बवाल मचा है। हालांकि, बवाल के बाद 3 सितंबर को रामस्वरूप यूनिवर्सिटी में एलएलबी कोर्स को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) से मान्यता मिल गई है। यह वही मान्यता है, जिसको लेकर छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया था। लेकिन, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) और लखनऊ ‌‌‌‌विश्वविद्यालय (LU) की लॉ की मान्यता का नवीनीकरण भी लंबे समय से नहीं हुआ है। दरअसल, BCI में प्रदेश के निजी विश्वविद्यालयों के साथ राजकीय और निजी लॉ कॉलेजों की मान्यता के बड़ी संख्या में नवीनीकरण के मामले लंबित हैं। इससे प्रदेश में 50 हजार से अधिक बच्चों के भविष्य पर तलवार लटकी है। विधिक शिक्षा नियमावली- 2008 के तहत बार BCI की मंजूरी के बिना कोई भी विधिक शिक्षा केंद्र किसी छात्र को विधि के अध्ययन के पाठ्यक्रम में प्रवेश नहीं देगा। न ही इसकी पढ़ाई करा सकते हैं। उन्हें लॉ कोर्स चलाने के लिए BCI से संबद्धता या मान्यता लेना अनिवार्य है। एक बार काउंसिल से संबद्धता और मान्यता होने के बाद हर साल BCI से उनका नवीनीकरण भी कराना होता है। छात्रों के बवाल के बाद सीएम योगी ने दिए थे कड़ी कार्रवाई के आदेश
रामस्वरूप मेमोरियल विश्वविद्यालय में लॉ की मान्यता को लेकर एबीवीपी के छात्रों और कॉलेज प्रशासन के बीच हुए विवाद के बाद पुलिस ने छात्रों की पिटाई की थी। सीएम योगी ने 22 अगस्त को कैबिनेट बैठक में बिना लॉ की मान्यता के चल रहे कॉलेज और विश्वविद्यालयों पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। दैनिक भास्कर की पड़ताल में सामने आया है कि प्रदेश में 12 से अधिक विश्वविद्यालयों और 35 से अधिक लॉ कॉलेजों में लॉ की संबद्धता और मान्यता का नवीनीकरण बीते 2-3 साल से नहीं हो रहा है। राज्य विश्वविद्यालय, राजकीय विश्वविद्यालय, निजी विश्वविद्यालय और निजी महाविद्यालयों की ओर से काउंसिल में मान्यता नवीनीकरण का आवेदन करने के साथ शुल्क भी जमा करा दिया गया है। लेकिन मान्यता नवीनीकरण नहीं हो पाया है। इनकी मान्यता भी दो से 3 साल से अपडेट नहीं
राम मनोहर लोहिया अवध यूनिवर्सिटी अयोध्या, एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय बरेली, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी, लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ और छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर से संबद्ध करीब 10 विश्वविद्यालयों की भी मान्यता का नवीनीकरण बीते 2-3 से नहीं हुआ है। संचालकों का तर्क- नवीनीकरण की फीस जमा करा रखी है
निजी विश्वविद्यालय चलाने वाले विधिक शिक्षा नियमावली-2008 के चैप्टर-3 के नियम 14 (बी) का तर्क देते हैं। इसके तहत अगर किसी मौजूदा विधिक शिक्षा केंद्र की संबद्धता को भारतीय विधिज्ञ परिषद द्वारा अस्वीकृत या निरस्त कर दिया जाता है। तो वह अधिवक्ता के रूप में नामांकन के लिए विधि अध्ययन पाठ्यक्रम में शिक्षा प्रदान करने के लिए सक्षम नहीं होगा। लेकिन प्रदेश के ज्यादातर विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों ने लॉ शिक्षा की मान्यता के नवीनीकरण का आवेदन बार काउंसिल ऑफ इंडिया में कर रखा है। साथ ही अपनी नवीनीकरण की फीस भी जमा करा रखी है। इसी आधार पर वह बच्चों को लॉ में प्रवेश देने के साथ उन्हें पढ़ा भी रहे हैं। BCI के पूर्व सदस्य गोपाल नारायण मिश्रा का भी यही मानना है। उनके मुताबिक, BCI आवेदन करने और फीस जमा कराने के बाद मान्यता को रोकता नहीं। बार काउंसिल बहुत संवेदनशील संस्था है। सरकार का कोई नियंत्रण नहीं
उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय मानते हैं कि निजी विश्वविद्यालयों पर सरकार का सीधा नियंत्रण नहीं है। विश्वविद्यालयों के कामकाज पर थोड़ा-बहुत नियंत्रण उच्च शिक्षा परिषद का है। लेकिन फीस वृद्धि, एडमिशन सहित अन्य कामकाज में परिषद का भी नियंत्रण नहीं हैं। लेकिन, छात्रों पर पिटाई कराने या पुलिस से लाठीचार्ज कराने की छूट भी किसी को नहीं है। उनके मुताबिक, समर्थ पोर्टल पर सभी राजकीय महाविद्यालयों और राज्य विश्वविद्यालयों का संपूर्ण डाटा उपलब्ध रहेगा। निजी विश्वविद्यालयों के लिए समर्थ उत्तर प्रदेश पोर्टल बना रहे हैं। इस पोर्टल के बनने के बाद निजी विश्वविद्यालय और निजी कॉलेजों में कौन-कौन से कोर्स संचालित हैं और वहां अध्ययनरत बच्चों का भी पूरा डाटा पोर्टल पर होगा। ———————– ये खबर भी पढ़ें… प्रमोशन पाए अफसरों का DGP ले रहे इंटरव्यू, पूछ रहे- सबसे अच्छा काम क्या रहा, कहां जाना चाहते हैं; 21 सीओ से ASP बने हैं यूपी में हाल ही में प्रमोशन पाए पीपीएस अफसरों को जल्द फील्ड में तैनाती मिलेगी। तैनाती से पहले खुद डीजीपी राजीव कृष्ण इन अफसरों का टेस्ट ले रहे हैं। उनसे उनके काम के बारे में पूछ रहे हैं। अब तक की तैनाती का लेखा-जोखा भी जान रहे हैं। माना जा रहा है, इस इंटरव्यू के बाद जल्द ही इन अफसरों को तैनाती दी जाएगी। हालांकि, प्रमोशन के करीब 1 महीने बाद भी इन अफसरों को पोस्टिंग नहीं मिली है। पढ़े पूरी खबर…