जहां युवक को खाया, वहीं बाघ कुनबे संग मंडरा रहा:लड़के ने देखा तो बेहोश हुआ; सीतापुर के 10 गांवों में आदमखोर की दहशत

‘मैं भैंस चरा रहा था। तभी देखा कि सामने से बाघ जा रहा। वह रुक गया। डर के मारे मेरे हाथ से डंडा छूट गया। वह घूरते हुए मेरी तरफ बढ़ने लगा। मैं उसे देखते हुए पीछे हो रहा था। तभी कटीले तार पर गिर गया। वहां गांव के एक व्यक्ति आए, उन्होंने मुझे संभाला। उस वक्त मेरे मुंह से एक भी शब्द नहीं निकल रहा था।’ ये बातें सीतापुर के महोली इलाके के नरनी निवासी 15 साल के विशाल दीक्षित के हैं। विशाल जब यह बता रहा था, तब उसका शरीर कांप रहा था। विशाल के पड़ोस में रहने वाले एक लड़के को दो हफ्ते पहले बाघ खा गया था। तब से बाघ गांव के आसपास चक्कर लगा रहा है। 10 गांवों में बाघ का इतना खौफ है कि लोग खेतों में जाना छोड़ दिया है। बाजार तक नहीं जा रहे। बच्चों ने स्कूल जाना बंद कर दिया है। हर दिन बाघ के हमले का डर बना हुआ है। गांव के लोग बाघ को आदमखोर कह रहे हैं। हालांकि शासन ने उसे आदमखोर अभी घोषित नहीं किया है। दैनिक भास्कर की टीम बाघ की दहशत वाले गांव पहुंची। स्थिति को देखा। लोगों से बात की। आइए सबकुछ सिलसिलेवार जानते हैं… बाघ का ऐसा खौफ की दिन में भी सन्नाटा
सीतापुर जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर महोली कस्बा है। यहां से करीब 5 किलोमीटर दूर नरनी गांव है। 22 अगस्त की शाम को बाघ ने यहीं के 24 साल के सौरभ दीक्षित को अपना शिकार बना लिया था। इस घटना को दो हफ्ते बीत गए। लोगों के मन से डर नहीं निकला। हम यहां के लिए निकले तो रास्ता एकदम सूना दिखा। एक व्यक्ति भी रास्ते पर नजर नहीं आया। सभी गांव के अंदर ही दिखे। हम सबसे पहले नरनी गांव पहुंचे। यहां सौरभ के घर गए। सौरभ के पिता गुड्डू दीक्षित हमें मिले। वह उस घटना को लेकर कहते हैं, मेरे तीन बेटे हैं, सौरभ बड़ा बेटा है। उसकी शादी तय कर दी थी। 22 अगस्त को वह शाम के 4 बजे जानवरों के लिए चारा लाने के लिए खेत जा रहा था। हमने मना किया कि रहने दो, उसकी मां और चाचा ने भी मना किया और कहा कि गांव में निमंत्रण है। आज मत जाओ। लेकिन वह नहीं माना, कहा कि अभी 30 मिनट में चारा लेकर आ जाता हूं। इसके बाद वह साइकिल लेकर चला गया। बेटे का एक पैर बाघ ने काटकर अलग कर दिया था
गुड्डू कहते हैं, हमने साढ़े 5 बजे फोन किया, लेकिन फोन नहीं उठा। फिर साढ़े पांच, छह और फिर साढ़े 6 बजे फोन किया, लेकिन एक बार भी फोन नहीं उठा। हम छोटे बेटे को लेकर वहां पहुंचे। साइकिल खेत के बाहर खड़ी थी। हमने आवाज लगाई, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। हमको लग गया कि अनहोनी हो गई है। हम और हमारा बेटा खेत से बाहर आए। कुछ और लोगों को इकट्ठा किया और फिर गए। कोई खेत में आगे चलने को तैयार नहीं था, हमारा बेटा, मेरा भाई और हम खेत में घुसते चले गए। कुछ नहीं मिला। लौटते वक्त देखा कि एक सूखी पत्ती पर खून का छींटा था। गुड्डू बोले, बाघ हम लोगों की आवाज सुनकर सौरभ को और अंदर खींच ले गया। लेकिन जब शोर ज्यादा हुआ, तो उसने छोड़ दिया। हमें बेटा अंदर मिला, उसका जांघ के पास से एक पैर कटा था। जांघ का हिस्सा बाघ खा गया था। सिर के पीछे वाला हिस्से और गर्दन पर भी गंभीर घाव था। आज 12 दिन बीत गए, हम एक दिन वहां गए थे, चारा काटने वाला हंसुआ लेकर आए, लेकिन सौरभ का फोन कहीं नहीं मिला। बेटे की मौत के बाद गुड्डू दीक्षित सीएम योगी से मिले। उन्होंने सीएम योगी से कहा, इस बाघ को पकड़वा लीजिए। सीएम ने कहा कि हम जल्द ही इसे पकड़वाते हैं। गुड्डू कहते हैं, अभी भी बाघ नहीं पकड़ा गया। हम एक बार फिर से सीएम से मिलना चाहते हैं, उनसे कुछ मांग है, इसलिए बात करना चाहते हैं। हम मांग पहले बताएंगे तो लोग हमें मिलने नहीं देंगे। खेत से चारा तक नहीं ला पा रहे
नरनी गांव में हमने कुछ और लोगों से बात की। प्रेम प्रकाश कहते हैं, पिछले दो हफ्ते से हम खेतों की तरफ नहीं जा रहे। बाघ का डर कुछ इस तरह से है कि कोई दिन में भी गांव के बाहर अकेले जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। बगल बैठे कृष्णपाल कहते हैं, हमारे खेत में चारा तैयार है, लेकिन वह नहीं आ पा रहा। जानवरों के सामने सूखा चारा यानी भूसा डाला है, लेकिन वह खा नहीं रहे, उन्हें भी हरे चारे की आदत हो गई है। दिक्कत यह है कि बहुत सारे लोगों के पास तो भूसा भी नहीं है। कृष्णपाल प्रशासन के इंतजाम को लेकर कहते हैं, प्रशासन ने बाघ को पकड़ने के लिए पड़वा बांधा, बाघ उसे भी खा गया, लेकिन ये लोग पकड़ नहीं पाए। ये चाह ही नहीं रहे कि बाघ पकड़ा जाए, चाहते तो इनके पास इतनी व्यवस्था है कि एक दिन में उसे पकड़ लें। बाघ तो सबको दिख रहा, जो यहां बाघ को पकड़ने आए हैं, उन्हें भी दिख रहा है। वह भी एक नहीं है, बल्कि 5-6 की संख्या में है। बाघ का पूरा परिवार है। गांव के लोगों को अक्सर दिख रहा, उनके पैरों के निशान दिख रहे हैं। नरनी और आसपास के गांव में अब छुट्टा जानवर नहीं दिखते। गांव के लोग कहते हैं कि बाघ ने सबको अपना शिकार बना लिया है। जो कुछ सियार वगैरह बचे हैं, वह भी अब रातों को गांव के किनारे आकर रहने लगे हैं। गांव के ही 70 साल के मिश्री लाल कहते हैं, हम 5 साल से बाघ देख रहे हैं। एक दिन तो हमारे खेत में 4-5 जानवर मरे मिले थे, सबको बाघ खाया था। यहां अब न जंगली सुअर दिखता है, न सियार। अगर यह पकड़ा नहीं जाएगा तो बहुत हालत खराब कर देगा। मिश्रीलाल कहते हैं- हमारी तरफ कोई आवारा पशु नहीं दिखता, बाघ सबको खा गया है। जंगली सुअर तक नहीं दिखता। अगर ये पकड़ा नहीं गया तो सबकी हालत खराब कर देगा। वन विभाग के अधिकारी बाघ के पदचिन्हों को लगातार नाप रहे हैं। उसे पकड़ने के लिए पिंजरा लगाया है। कुछ जगहों पर स्पेशल कैमरे लगाए गए हैं, लेकिन अब तक उनके कैमरे में एक बार भी बाघ की तस्वीर नहीं आई है। स्थानीय इस बात को लेकर भी नाराज हैं कि जब गांव के लोगों को लगातार दिख रहा है, फिर प्रशासन को वह नजर क्यों नहीं आ रहा है। बाघ मेरे सामने था, मुझे कुछ समझ नहीं आया
नरनी गांव में ही हमें 15 साल का विशाल मिला। विशाल ने 4 दिन पहले बाघ को अपने सामने देखा। विशाल बताते हैं, बाघ मेरे सामने था, उसने मुझे देखा तो घूरने लगा। मेरे हाथ में डंडा था, वह गिर गया। वह मुझे घूरता रहा, मैं उसे देखता रहा। इसके बाद आगे चलने लगा, मैं पीछे होते गया। तभी पीछे हमारे साथ के दो लोग आ गए। यही लोग मुझे ले आए। जो व्यक्ति विशाल को वहां से ले आया, उसने कहा, उस वक्त विशाल को होश ही नहीं था। आवाज ही नहीं निकल रही थी। आज भी वह जब यह सब बता रहा तो देखिए कांप रहा है। यहां से निकलकर हम मिर्जापुर गांव पहुंचे। यहां 3 दिन पहले बाघ ने एक गाय को निशाना बनाया था। उसके कान और पीठ पर वार किया था। गांव की सावित्री कहती हैं, गाय खेत से करीब 100 मीटर की दूरी पर बंधी थी। हम घर के अंदर थे, तभी गाय के चिल्लाने की आवाज सुनी और भागकर पहुंचे तब देखा कि बाघ गाय को गन्ने के खेत में ले जाने के लिए खींच रहा है, उसका बच्चा गाय के कान को चबा रहा, लेकिन हम लोगों के बाहर निकलने से वह भाग गया। बाघ सामने देखकर अटैक आ गया
29 अगस्त को बसारा गांव के राकेश वर्मा अपने खेत में घास काटने गए थे। कहा जा रहा कि उस वक्त उनके सामने बाघ आ गया, इसके बाद उन्होंने बचने के लिए दौड़ लगाई, लेकिन थोड़ी ही देर में उनका हार्ट ही फेल हो गया और मौके पर ही मौत हो गई। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि उनकी मौत हार्ट फेल होने से हुई है। लोग यही कह रहे कि उन्होंने बाघ देखकर ही दौड़ लगाई थी, क्योंकि जिस जगह पर घास काटने गए थे वहां से काफी दूर मिले, एक चप्पल भी रास्ते में मिला। जिले के डीएफओ नवीन खंडेलवाल इस वक्त लगातार दौरे पर रहते हैं। उनका कहना है कि बाघ को पकड़ने के लिए दुधवा की एक्सपर्ट टीम लगाई गई है। जल्द ही बाघ को पकड़ लिया जाएगा। अभी गांव के लोगों से अपील है कि वह जब भी खेत में जाएं, झुंड में जाएं, कहीं बाघ दिख जाए तो वन विभाग को सूचना दे दें। आसपास जंगल इसलिए हो रहे हमले
नरनी, मिर्जापुर के अलावा रूस्तमनगर, कोल्हौरा, पसिगवां, सीतारामपुर, श्यामजीरा, रोहिला, महुवाकोला, बिसेसुर दयालपुर जैसे कई गांव में इस वक्त बाघ को लेकर दहशत है। इन गांवों के आसपास अमलिया घाट जंगल, बेलहैया जंगल, महेवा और चिराग अली के बीच बबूल के पेड़ों का जंगल, सीतारामपुर से पसिगवां के पास जंगल हैं। ये 4 घने जंगल बाघ का आश्रय केंद्र हैं। पिछले 5 सालों से बाघ इन्हीं जंगलों में देखा जा रहा, लेकिन जैसे ही खेतों में गन्ने बड़े हो जाते हैं, ये बाघ खेतों की तरफ आ जाते हैं। इनके निशाने पर सबसे पहले आवारा पशु होते हैं, लेकिन जब वह इनका शिकार करके खत्म कर देते हैं, तब ये गांव की तरफ बढ़ते हैं। पिछले एक महीने से बाघ लगातार गांव के पालतू पशुओं और लोगों को अपना निशाना बना रहा है। ……………… ये खबर भी पढ़ें… सीतापुर में घाघरा की बाढ़ कर रही पीछा:7 हजार लोगों के घर बहे; महिला बोली- मन करता है नदी में कूद जाऊं नीचे लगी इस तस्वीर को देखिए। यह सीतापुर जिले के शुक्लपुरवा गांव की है। गांव की आबादी करीब 7 हजार की है। आधे से ज्यादा लोगों के घर नदी में समा चुके हैं। ये छप्परनुमा घर भी 1-2 दिन में नदी में समा जाएगा। सास-ससुर छप्पर के नीचे हैं, इसलिए बहू बाहर छाता लगाकर बैठी है। छप्पर नदी में बह जाने के बाद ये लोग नई जगह ऐसे ही छप्पर बनाएंगे और उसमें अपने दिन काटेंगे। दैनिक भास्कर की टीम इस इलाके में पहुंची। जो हालात दिखे वो डरावने थे…पढ़िए पूरी खबर…