पीएम मोदी ने इसी 15 अगस्त को कहा कि भारत के युवाओं के रोजगार पर घुसपैठियों को डाका नहीं डालने दिया जाएगा। घुसपैठियों को देश में नहीं रहने दिया जाएगा। उनके खिलाफ योजनाबद्ध तरीके से कार्रवाई होगी। इस तरह की कार्रवाई को रोकने के लिए आज पूरे देश में I Love Mohammad ( आई लव मोहम्मद) वाली छोटी सी घटना का इस्तेमाल किया जा रहा। पूरे देश को सांप्रदायिक आग में झोंकने का काम किया जा रहा। ये कहना है कानपुर के मोहित वाजपेयी का। मोहित ने ही पहली बार I Love Mohammad के पोस्टर और उसको लगाने वाले जगह को लेकर आपत्ति जताई। फिर धरना दिया। जिसके बाद यह मामला पूरे देश में फैल गया। अब यूपी के तमाम जिलों के साथ देश के अलग-अलग हिस्सों में इसे लेकर प्रदर्शन हो रहा है। दैनिक भास्कर की टीम ने मोहित वाजपेयी से इस पूरे मामले पर विस्तार से बात की। आइए सबकुछ एक तरफ से जानते हैं… 4 सितंबर को हंगामा, 10 सितंबर को FIR
कानपुर के रावतपुर में सैय्यद नगर मोहल्ला है। यहीं एक जफर गली है। हिन्दू-मुस्लिम मिक्स आबादी यहां रहती है। 4 सितंबर को बारावफात को लेकर मुस्लिम वर्ग के लोगों ने इस इलाके को सजाया। गली के ठीक सामने उन्होंने I Love Mohammad लिखा साइन बोर्ड और पोस्टर लगाया। इसके पहले यहां इस तरह का साइन बोर्ड नहीं लगता था। इसे लेकर इलाके के ही मोहित वाजपेयी और उनके कुछ साथियों ने आपत्ति जताई और धरने पर बैठ गए। उनका कहना था कि यह नई परंपरा की शुरुआत हो रही, ऐसा बिल्कुल नहीं होने देंगे। धरना प्रदर्शन के बाद मामला हिन्दू-मुस्लिम हो गया। मौके पर पहुंची पुलिस ने वह बोर्ड हटाया और किसी तरह से मामला शांत कराया। अगले दिन यानी 5 सितंबर को मुस्लिम वर्ग के लोगों ने बारावफात का जुलूस निकाला। सबकुछ आराम से पूरा हुआ। 10 सितंबर को पुलिस ने दरोगा पंकज मिश्रा की शिकायत पर बारावफात कार्यक्रम के आयोजक 8 लोगों के खिलाफ नामजद और 10-15 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा लिख दिया। कहा गया- 5 तारीख के जुलूस में हिन्दू धर्म से जुड़े धार्मिक पोस्टर फाड़े गए हैं। वीडियो और सीसीटीवी फुटेज को देखने के बाद केस दर्ज किया गया है। इसके बाद पूरे देश में प्रदर्शन शुरू हो गया है। उन्नाव में 30 से ज्यादा लोगों पर केस हो गया। अब हर दिन देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन हो रहा है। जब मैं पैदा हुआ, तब सैय्यद नगर का नाम जनता नगर था
हमने इस पूरे मामले पर मोहित वाजपेयी से बात की। मोहित पेशे से वकील हैं। अपने बारे में बताते हुए वह कहते हैं- जब मेरा जन्म हुआ था, तब सैय्यद नगर का नाम जनता नगर था। मुस्लिम तुष्टिकरण वाली सरकारें आती रहीं और नाम बदल गया। इसी सैय्यद नगर में 2009 में डबल मर्डर होता है। इसी सैय्यद नगर में एक लड़की के साथ गैंगरेप होता है, उसे निर्वस्त्र छोड़ दिया जाता है, बाद में वह सुसाइड कर लेती है। इसी सैय्यद नगर में 8 अप्रैल 2014 को रामनवमी की शोभा यात्रा को लेकर जमकर हंगामा होता है। उस वक्त राज्य में सपा और केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। मोहित कहते हैं- 20 नवंबर 2018 को मुस्लिम समाज ने बारावफात का जुलूस नए रास्ते से निकाला। उस रास्ते पर बाबा कौशलेश्वर महादेव मंदिर था, गलियों में हिन्दुओं के घर। हिन्दू समाज के लोग विरोध करते हैं और फिर हंगामा हो जाता है। जिन लोगों के खिलाफ उस वक्त मामला दर्ज हुआ था, वही लोग इस 5 सितंबर वाले बारावफात के जुलूस के आयोजक हैं, उन्हीं के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। हर बार आपको ही आपत्ति क्यों होती है?
दैनिक भास्कर की टीम सैय्यद नगर के उस इलाके में गई थी, जहां बवाल हुआ था। स्थानीय मुस्लिम वर्ग का कहना था कि इस मोहल्ले में हर बार सिर्फ मोहित वाजपेयी को ही आपत्ति होती है। हमने यह सवाल मोहित से किया। वह कहते हैं, मुस्लिमों ने विस्तारवादी योजना के तहत काम किया, ऐसा न करते तो वह 56-57 देशों में न होते। यही काम वह रावतपुर में भी कर रहे हैं। जबसे से मैंने होश संभाला तब से यही देख रहा हूं कि यहां हिन्दुओं के साथ गलत हो रहा है। मैंने 2013 में रामनवमी समिति बनाई, आज यह समिति बहुत बड़ी हो गई है, सैय्यदनगर की कोई गली नहीं होगी जहां सनातनी झंडा न फहरा रहा हो। मोहित आगे कहते हैं, 2013 से पहले यहां मुसलमान कहते थे कि गोपाल चौराहा से मुन्ना लाल वाजपेयी तक कहीं भगवा झंडा नहीं होना चाहिए, लेकिन अब मैंने वहीं रामनवमी पर कार्यक्रम प्रारंभ किया। इसके बाद जब भी हिन्दुओं पर किसी तरह का दबाव आया, मैं हमेशा से आगे आया। मैं फिर कह देना चाहता हूं, हिन्दू समाज के साथ अत्याचार या फिर उन्हें परेशान किया जाएगा तो वकील मोहित वाजपेयी वहां खड़ा मिलेगा। I Love Mohammad को लेकर आपका विरोध क्यों
इस सवाल के जवाब में मोहित कहते हैं- हमारा विरोध I Love Mohammad के स्लोगन को लेकर नहीं है। इससे तो हमारा कोई मतलब ही नहीं है। हमारा विरोध सिर्फ और सिर्फ आई लव मोहम्मद लिखकर नई जगह घेरने को लेकर है। वहां रामनवमी का गेट लगता है। कार्यक्रम होता है, विरोध के वक्त मैंने कहा भी कि जहां पहले बारावफात के कार्यक्रम होते हैं, पोस्टर-बोर्ड लगते हैं, वहां लगाया जाए, इस नई जगह पर ऐसा नहीं हो। मैंने प्रशासन से भी इसी चीज को लेकर बात की। उनसे कहा कि सीएम योगी के दिशा निर्देशों का यहां सीधा-सीधा उल्लंघन हो रहा है। उनका निर्देश है कि किसी भी त्योहार में कोई नई परंपरा नहीं शुरू होगी, बस इसी चीज को लेकर मैं वहां धरने पर बैठा था, जब तक यह नई परंपरा नहीं हटेगी, तब तक मैं यहीं बैठा रहूंगा। प्रशासन ने बाद में इसे हटाया भी, तब हमारा धरना प्रदर्शन समाप्त हुआ। फटे पोस्टर का वीडियो आया, तब केस दर्ज हुआ
बारावफात जुलूस के आयोजकों पर एफआईआर को लेकर मोहित कहते हैं- जहां वह बोर्ड लगा था, वहां से हटाने के लिए प्रशासन लगातार कहता रहा। लोगों को मनाने की कोशिश करता रहा कि यहां से हटाकर जहां पहले लगता था, वहां लगा दीजिए, लेकिन बात नहीं मानी गई। फिर जहां लगा है वहां पहले लगा होता तो हम कभी विरोध ही नहीं करते। बाद में अधिकारियों ने उसे हटवाया। अगले दिन इनका जुलूस था, पप्पू साह के घर के आगे राजा पंडित के घर के सामने पुलिस के सामने हिन्दू धर्म के पोस्टर को फाड़ा गया, उसे आधार बनाकर ही पुलिस ने मुकदमा लिखा, उन्होंने जल्दबाजी नहीं दिखाई, बल्कि पूरी जांच के बाद ही मामला दर्ज किया है। हमने पूछा कि क्या पोस्टर फाड़ने का कोई वीडियो है? दूसरी बात- आपके खिलाफ 9 तारीख को आईजीआरएस पर शिकायत हुई, इसके बाद केस दर्ज हुआ। मोहित दोनों सवालों के जवाब में कहते हैं- हमारे पास 21 सेकेंड का वीडियो है, जिसमें फटा हुआ पोस्टर दिखता है। वहां मुस्लिम वर्ग के लोग और गाड़ी भी मौजूद है। हालांकि पोस्टर फाड़ते हुए का वीडियो हमारे पास नहीं मौजूद है। रही बात हमारे खिलाफ शिकायत की तो हमें इसकी कोई जानकारी नहीं है, प्रशासन ने अपने स्तर पर काम किया है, हम उनके साथ हैं। घुसपैठियों को बचाने के लिए प्रदर्शन हो रहा
कानपुर की इस घटना को लेकर अब पूरे देश में प्रदर्शन हो रहा है। इसे लेकर मोहित कहते हैं- यह सब बहुत सोची-समझी रणनीति के तहत हो रहा है। राजनीतिक पार्टियों ने ही यह सब करवाया है और अब वही पार्टियां खुलकर सामने आ रही हैं। मेरा विरोध आई लव मोहम्मद को लेकर नहीं था, बल्कि मेरा विरोध नई परंपरा और नई जगह को लेकर था। पहले दिन से मैं यह चीज क्लियर करके लोगों को बता रहा हूं। 15 अगस्त 2025 को पीएम मोदी ने लाल किले से घोषणा की कि अब भारत के युवाओं के रोजगार पर घुसपैठियों को डाका नहीं डालने दिया जाएगा। घुसपैठियों को देश में नहीं रहने दिया जाएगा, उनके खिलाफ योजनाबद्ध तरीके से काम किया जाएगा। घुसपैठियों के खिलाफ की गई पीएम की इस घोषणा के बाद जो घुसपैठियों के समर्थक हैं, उन्होंने इस छोटी सी घटना का इस्तेमाल करते हुए देश को सांप्रदायिकता की आग में झोंकने का काम किया है। क्योंकि मुस्लिम संगठनों को मालूम है कि घुसपैठियों के खिलाफ केंद्र सरकार कठोर कार्रवाई करने जा रही है। लगातार विरोध प्रदर्शन के बीच क्या आपको डर लगता है
इस सवाल के जवाब में मोहित कहते हैं- मुझे डर तब लगेगा जब मैं गलत हो जाऊंगा। मैं सत्य हूं, सत्य को किसी का भय नहीं। मैं पीएम और गृह मंत्री से कहूंगा कि इस पूरे मामले की जांच एनआईए से करवाई जाए। बाकी आपने एक संगठन सीमी के बारे में सुना होगा, 2004 में उस वक्त पीएम रहे अटल बिहारी वाजपेयी जी ने बैन किया था, उसके फाउंडर मेंबर कानपुर से ही थे, फिर बना पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया, देश को मुस्लिम राष्ट्र बनाने का संकल्प था, उसे भी बैन किया गया। संगठन को बैन करना तो आसान है, लेकिन उस विचारधारा को कैसे खत्म करेंगे। उस विचारधारा को मानने वालों को कैसे खत्म करेंगे। उस विचारधारा को मानने वाले लोग सुनियोजित साजिश के तहत घुसपैठिए मुसलमानों को देश में बचाए रखने के लिए इस तरह की भूमिका बना रहे हैं। ऐसा करके उन्हें इंटरनेशनल सपोर्ट मिलेगा, देश पर दबाव डलवाया जाएगा, और फिर पीएम मोदी की घुसपैठियों के खिलाफ कार्रवाई को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा। ————————– ये खबर भी पढ़ें… आई लव मोहम्मद का जवाब आई लव शिवा: कानपुर में लोग बोले- पहले अल्लाह मोहम्मद लिखा जाता था; नई परंपरा नहीं पड़ने देंगे यूपी से लेकर देश के कई हिस्सों में ‘I Love Mohammad’ के बैनर और पोस्टर लेकर मुस्लिम सड़कों पर उतर रहे हैं। पुलिस से टकराव हो रहा है, FIR भी हो रही है। लेकिन प्रदर्शन बढ़ते जा रहे हैं। अब हिंदू संगठन भी I Love Shiva के बैनर-पोस्टर लेकर प्रदर्शन करने लगे हैं। दैनिक भास्कर की टीम वहां पहुंची, जहां पहला विवाद हुआ था। उस पहले ‘I Love Mohammad’ लिखे पोस्टर को भी देखा, जिसकी वजह से इतने बड़े लेवल पर प्रदर्शन शुरू हुआ। दोनों पक्षों से बात की। पुलिस की वह FIR भी देखी, जिसके बाद मामला बढ़ा। पढ़िए पूरी खबर…
कानपुर के रावतपुर में सैय्यद नगर मोहल्ला है। यहीं एक जफर गली है। हिन्दू-मुस्लिम मिक्स आबादी यहां रहती है। 4 सितंबर को बारावफात को लेकर मुस्लिम वर्ग के लोगों ने इस इलाके को सजाया। गली के ठीक सामने उन्होंने I Love Mohammad लिखा साइन बोर्ड और पोस्टर लगाया। इसके पहले यहां इस तरह का साइन बोर्ड नहीं लगता था। इसे लेकर इलाके के ही मोहित वाजपेयी और उनके कुछ साथियों ने आपत्ति जताई और धरने पर बैठ गए। उनका कहना था कि यह नई परंपरा की शुरुआत हो रही, ऐसा बिल्कुल नहीं होने देंगे। धरना प्रदर्शन के बाद मामला हिन्दू-मुस्लिम हो गया। मौके पर पहुंची पुलिस ने वह बोर्ड हटाया और किसी तरह से मामला शांत कराया। अगले दिन यानी 5 सितंबर को मुस्लिम वर्ग के लोगों ने बारावफात का जुलूस निकाला। सबकुछ आराम से पूरा हुआ। 10 सितंबर को पुलिस ने दरोगा पंकज मिश्रा की शिकायत पर बारावफात कार्यक्रम के आयोजक 8 लोगों के खिलाफ नामजद और 10-15 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा लिख दिया। कहा गया- 5 तारीख के जुलूस में हिन्दू धर्म से जुड़े धार्मिक पोस्टर फाड़े गए हैं। वीडियो और सीसीटीवी फुटेज को देखने के बाद केस दर्ज किया गया है। इसके बाद पूरे देश में प्रदर्शन शुरू हो गया है। उन्नाव में 30 से ज्यादा लोगों पर केस हो गया। अब हर दिन देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन हो रहा है। जब मैं पैदा हुआ, तब सैय्यद नगर का नाम जनता नगर था
हमने इस पूरे मामले पर मोहित वाजपेयी से बात की। मोहित पेशे से वकील हैं। अपने बारे में बताते हुए वह कहते हैं- जब मेरा जन्म हुआ था, तब सैय्यद नगर का नाम जनता नगर था। मुस्लिम तुष्टिकरण वाली सरकारें आती रहीं और नाम बदल गया। इसी सैय्यद नगर में 2009 में डबल मर्डर होता है। इसी सैय्यद नगर में एक लड़की के साथ गैंगरेप होता है, उसे निर्वस्त्र छोड़ दिया जाता है, बाद में वह सुसाइड कर लेती है। इसी सैय्यद नगर में 8 अप्रैल 2014 को रामनवमी की शोभा यात्रा को लेकर जमकर हंगामा होता है। उस वक्त राज्य में सपा और केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। मोहित कहते हैं- 20 नवंबर 2018 को मुस्लिम समाज ने बारावफात का जुलूस नए रास्ते से निकाला। उस रास्ते पर बाबा कौशलेश्वर महादेव मंदिर था, गलियों में हिन्दुओं के घर। हिन्दू समाज के लोग विरोध करते हैं और फिर हंगामा हो जाता है। जिन लोगों के खिलाफ उस वक्त मामला दर्ज हुआ था, वही लोग इस 5 सितंबर वाले बारावफात के जुलूस के आयोजक हैं, उन्हीं के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। हर बार आपको ही आपत्ति क्यों होती है?
दैनिक भास्कर की टीम सैय्यद नगर के उस इलाके में गई थी, जहां बवाल हुआ था। स्थानीय मुस्लिम वर्ग का कहना था कि इस मोहल्ले में हर बार सिर्फ मोहित वाजपेयी को ही आपत्ति होती है। हमने यह सवाल मोहित से किया। वह कहते हैं, मुस्लिमों ने विस्तारवादी योजना के तहत काम किया, ऐसा न करते तो वह 56-57 देशों में न होते। यही काम वह रावतपुर में भी कर रहे हैं। जबसे से मैंने होश संभाला तब से यही देख रहा हूं कि यहां हिन्दुओं के साथ गलत हो रहा है। मैंने 2013 में रामनवमी समिति बनाई, आज यह समिति बहुत बड़ी हो गई है, सैय्यदनगर की कोई गली नहीं होगी जहां सनातनी झंडा न फहरा रहा हो। मोहित आगे कहते हैं, 2013 से पहले यहां मुसलमान कहते थे कि गोपाल चौराहा से मुन्ना लाल वाजपेयी तक कहीं भगवा झंडा नहीं होना चाहिए, लेकिन अब मैंने वहीं रामनवमी पर कार्यक्रम प्रारंभ किया। इसके बाद जब भी हिन्दुओं पर किसी तरह का दबाव आया, मैं हमेशा से आगे आया। मैं फिर कह देना चाहता हूं, हिन्दू समाज के साथ अत्याचार या फिर उन्हें परेशान किया जाएगा तो वकील मोहित वाजपेयी वहां खड़ा मिलेगा। I Love Mohammad को लेकर आपका विरोध क्यों
इस सवाल के जवाब में मोहित कहते हैं- हमारा विरोध I Love Mohammad के स्लोगन को लेकर नहीं है। इससे तो हमारा कोई मतलब ही नहीं है। हमारा विरोध सिर्फ और सिर्फ आई लव मोहम्मद लिखकर नई जगह घेरने को लेकर है। वहां रामनवमी का गेट लगता है। कार्यक्रम होता है, विरोध के वक्त मैंने कहा भी कि जहां पहले बारावफात के कार्यक्रम होते हैं, पोस्टर-बोर्ड लगते हैं, वहां लगाया जाए, इस नई जगह पर ऐसा नहीं हो। मैंने प्रशासन से भी इसी चीज को लेकर बात की। उनसे कहा कि सीएम योगी के दिशा निर्देशों का यहां सीधा-सीधा उल्लंघन हो रहा है। उनका निर्देश है कि किसी भी त्योहार में कोई नई परंपरा नहीं शुरू होगी, बस इसी चीज को लेकर मैं वहां धरने पर बैठा था, जब तक यह नई परंपरा नहीं हटेगी, तब तक मैं यहीं बैठा रहूंगा। प्रशासन ने बाद में इसे हटाया भी, तब हमारा धरना प्रदर्शन समाप्त हुआ। फटे पोस्टर का वीडियो आया, तब केस दर्ज हुआ
बारावफात जुलूस के आयोजकों पर एफआईआर को लेकर मोहित कहते हैं- जहां वह बोर्ड लगा था, वहां से हटाने के लिए प्रशासन लगातार कहता रहा। लोगों को मनाने की कोशिश करता रहा कि यहां से हटाकर जहां पहले लगता था, वहां लगा दीजिए, लेकिन बात नहीं मानी गई। फिर जहां लगा है वहां पहले लगा होता तो हम कभी विरोध ही नहीं करते। बाद में अधिकारियों ने उसे हटवाया। अगले दिन इनका जुलूस था, पप्पू साह के घर के आगे राजा पंडित के घर के सामने पुलिस के सामने हिन्दू धर्म के पोस्टर को फाड़ा गया, उसे आधार बनाकर ही पुलिस ने मुकदमा लिखा, उन्होंने जल्दबाजी नहीं दिखाई, बल्कि पूरी जांच के बाद ही मामला दर्ज किया है। हमने पूछा कि क्या पोस्टर फाड़ने का कोई वीडियो है? दूसरी बात- आपके खिलाफ 9 तारीख को आईजीआरएस पर शिकायत हुई, इसके बाद केस दर्ज हुआ। मोहित दोनों सवालों के जवाब में कहते हैं- हमारे पास 21 सेकेंड का वीडियो है, जिसमें फटा हुआ पोस्टर दिखता है। वहां मुस्लिम वर्ग के लोग और गाड़ी भी मौजूद है। हालांकि पोस्टर फाड़ते हुए का वीडियो हमारे पास नहीं मौजूद है। रही बात हमारे खिलाफ शिकायत की तो हमें इसकी कोई जानकारी नहीं है, प्रशासन ने अपने स्तर पर काम किया है, हम उनके साथ हैं। घुसपैठियों को बचाने के लिए प्रदर्शन हो रहा
कानपुर की इस घटना को लेकर अब पूरे देश में प्रदर्शन हो रहा है। इसे लेकर मोहित कहते हैं- यह सब बहुत सोची-समझी रणनीति के तहत हो रहा है। राजनीतिक पार्टियों ने ही यह सब करवाया है और अब वही पार्टियां खुलकर सामने आ रही हैं। मेरा विरोध आई लव मोहम्मद को लेकर नहीं था, बल्कि मेरा विरोध नई परंपरा और नई जगह को लेकर था। पहले दिन से मैं यह चीज क्लियर करके लोगों को बता रहा हूं। 15 अगस्त 2025 को पीएम मोदी ने लाल किले से घोषणा की कि अब भारत के युवाओं के रोजगार पर घुसपैठियों को डाका नहीं डालने दिया जाएगा। घुसपैठियों को देश में नहीं रहने दिया जाएगा, उनके खिलाफ योजनाबद्ध तरीके से काम किया जाएगा। घुसपैठियों के खिलाफ की गई पीएम की इस घोषणा के बाद जो घुसपैठियों के समर्थक हैं, उन्होंने इस छोटी सी घटना का इस्तेमाल करते हुए देश को सांप्रदायिकता की आग में झोंकने का काम किया है। क्योंकि मुस्लिम संगठनों को मालूम है कि घुसपैठियों के खिलाफ केंद्र सरकार कठोर कार्रवाई करने जा रही है। लगातार विरोध प्रदर्शन के बीच क्या आपको डर लगता है
इस सवाल के जवाब में मोहित कहते हैं- मुझे डर तब लगेगा जब मैं गलत हो जाऊंगा। मैं सत्य हूं, सत्य को किसी का भय नहीं। मैं पीएम और गृह मंत्री से कहूंगा कि इस पूरे मामले की जांच एनआईए से करवाई जाए। बाकी आपने एक संगठन सीमी के बारे में सुना होगा, 2004 में उस वक्त पीएम रहे अटल बिहारी वाजपेयी जी ने बैन किया था, उसके फाउंडर मेंबर कानपुर से ही थे, फिर बना पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया, देश को मुस्लिम राष्ट्र बनाने का संकल्प था, उसे भी बैन किया गया। संगठन को बैन करना तो आसान है, लेकिन उस विचारधारा को कैसे खत्म करेंगे। उस विचारधारा को मानने वालों को कैसे खत्म करेंगे। उस विचारधारा को मानने वाले लोग सुनियोजित साजिश के तहत घुसपैठिए मुसलमानों को देश में बचाए रखने के लिए इस तरह की भूमिका बना रहे हैं। ऐसा करके उन्हें इंटरनेशनल सपोर्ट मिलेगा, देश पर दबाव डलवाया जाएगा, और फिर पीएम मोदी की घुसपैठियों के खिलाफ कार्रवाई को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा। ————————– ये खबर भी पढ़ें… आई लव मोहम्मद का जवाब आई लव शिवा: कानपुर में लोग बोले- पहले अल्लाह मोहम्मद लिखा जाता था; नई परंपरा नहीं पड़ने देंगे यूपी से लेकर देश के कई हिस्सों में ‘I Love Mohammad’ के बैनर और पोस्टर लेकर मुस्लिम सड़कों पर उतर रहे हैं। पुलिस से टकराव हो रहा है, FIR भी हो रही है। लेकिन प्रदर्शन बढ़ते जा रहे हैं। अब हिंदू संगठन भी I Love Shiva के बैनर-पोस्टर लेकर प्रदर्शन करने लगे हैं। दैनिक भास्कर की टीम वहां पहुंची, जहां पहला विवाद हुआ था। उस पहले ‘I Love Mohammad’ लिखे पोस्टर को भी देखा, जिसकी वजह से इतने बड़े लेवल पर प्रदर्शन शुरू हुआ। दोनों पक्षों से बात की। पुलिस की वह FIR भी देखी, जिसके बाद मामला बढ़ा। पढ़िए पूरी खबर…