यूपी के कई सरकारी अस्पताल रात को भगवान भरोसे चलते हैं। यहां डॉक्टर नहीं मिलते। नर्स और बाकी स्टाफ चैन की नींद सोता है। डिलीवरी के लिए कोई गर्भवती पहुंचे, तो इलाज नहीं मिलता। दैनिक भास्कर की टीम ने रात 12 से सुबह 5 बजे तक 6 CHC (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) का इन्वेस्टिगेशन किया। इसमें स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खुल गई। कुछ महीने पहले डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने खुद रायबरेली के बछरावां CHC में छापा मारकर डॉक्टरों की तैनाती चेक कर व्यवस्थाएं सुधारने की कोशिश की थी। इसके बाद हालात कितने सुधरे? यह जानने के लिए जब हम इन सरकारी अस्पतालों में पहुंचे, तो 4 जगह पूरा स्टाफ सो रहा था। एक जगह सीजेरियन के लिए आई गर्भवती को लौटा दिया। जबकि वह दर्द से तड़प रही थी। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM), स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग और इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड्स (IPHS) की साफ गाइडलाइन है। इसके मुताबिक, सभी CHC में डिलीवरी के लिए महिला डॉक्टर की 24 घंटे ड्यूटी जरूरी है। किसी भी गर्भवती को बगैर जांच के लौटाया नहीं जा सकता। जरूरत के मुताबिक डॉक्टर को ऑनकॉल बुलाना होता है। अगर हालत सीरियस है, तो डॉक्टर ही रेफर कर सकते हैं। इतना ही नहीं, सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर न होने से नर्स गलत तरीके से अबॉर्शन भी कर रही हैं। हमारे हिडन कैमरे में ऐसी 2 नर्सें भी कैद हुईं, जो रुपए लेकर अबॉर्शन करने की बात कह रही हैं। पढ़िए, पूरा खुलासा… महिला डॉक्टर ड्यूटी पर नहीं, नर्स करा रहीं डिलीवरी राजधानी लखनऊ में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल जानने के लिए हम सबसे पहले गोसाईंगंज CHC पहुंचे। यहां गेट तक घुप अंधेरा था। हम दरवाजे पर पहुंचे। एक व्यक्ति चारपाई पर चादर तानकर सोते मिला। कुर्सी पर बैठे व्यक्ति से पूछा- पेट दर्द की दवा मिल जाएगी? उसने बताया- इस समय केवल इमरजेंसी के मरीजों को दवा दी जाती है। यहां डॉक्टर के रूम के गेट पर खड़े होकर नर्स से बात की। अधीक्षक बोले- महिला डॉक्टर की कमी है
CHC अधीक्षक डॉ. सुरेश ने बताया- यहां गायनी की 2 महिला सर्जन हैं, लेकिन दोनों संविदा पर हैं। इनके अलावा महिला और पुरुष मिलाकर 5 डॉक्टरों की तैनाती है। स्टाफ नर्स की संख्या 3 है। अन्य संविदा पर तैनात हैं। दर्द से कराहती रही गर्भवती, डॉक्टर को नहीं बुलाया गेट पर अंधेरे के बीच रात 1.40 बजे हम मोहनलालगंज CHC पहुंचे। यहां रास्तों पर पानी भरा था। पिछले गेट से अस्पताल में दाखिल हुए। यहां नीचे 9 बेड का पुरुष वार्ड है, जो खाली पड़ा था। हम डॉक्टर की तलाश में आगे बढ़े, तो रूम में कुर्सियों के अलावा कोई नहीं दिखा। एक महिला दर्द से कराह रही थी। उसके पति ने बताया- इस समय कोई महिला डॉक्टर नहीं। मौजूद स्टाफ ने कॉल कर डॉक्टर को नहीं बुलाया। खुद ही झलकारी बाई अस्पताल रेफर कर दिया। हम महिला डॉक्टर की तलाश में पहली मंजिल पर गए। आवाज देने पर नर्स आईं। उससे गर्भवती का ऑपरेशन कर डिलीवरी कराने को बोला। ऑपरेशन का नाम सुनते ही उसने झलकारी बाई जाने की बात की। यहां गायनी की 2 डॉक्टर हैं। इनमें सर्जन और फिजिशियन है। 6 पुरुष डॉक्टर भी तैनात हैं। रात में कोई नहीं रुकता। अधीक्षक बोले- रात में महिला डॉक्टर की ड्यूटी रहती है
CHC प्रभारी डॉ. दिवाकर भारद्वाज ने यह मानने से इनकार कर दिया कि दर्द की कराहती गर्भवती को लौटा दिया है। हमने जब बताया कि इसके विजुअल हमारे पास हैं, तो बोले- जांच कराएंगे। डॉक्टर न सिजेरियन, बस नॉर्मल डिलीवरी कराई जा रही हम रात 2.30 बजे सरोजनी नगर CHC पहुंचे। यहां मुख्य गेट अंदर से बंद होने से PHC के रास्ते अस्पताल पहुंचे। यहां एक तीमारदार से पूछा- कोई स्टाफ है? उसने जनरल OPD की तरफ इशारा किया, जो अंदर से बंद था। दरवाजा खटखटाने पर वार्ड बॉय निकला। दरवाजा थोड़ा ही खुला, लेकिन अंदर जमीन पर लेटे लोग दिखाई दे रहे थे। गॉर्ड सरोज महिला अस्पताल की ओर ले गया। यहां हम प्रसव कक्ष के बाहर रुक गए। गार्ड ने दरवाजा खटखटाकर नर्स को बुलाया। अंदर से संविदा पर तैनात नर्स आईं। उसने बताया– रात में कोई महिला डॉक्टर नहीं रहतीं। ऑपरेशन के केस केवल सुबह देखते हैं। इसी दौरान अंदर से मरीज की रिश्तेदार महिला निकलीं। बोलीं– डॉक्टर नहीं हैं, नर्स ही नॉर्मल डिलीवरी कराएंगी। परिजन बोले- ठीक है, अब क्या कर सकते हैं? नर्स ने हमसे कहा- 2 बच्चे सिजेरियन से हुए हैं, तो तीसरा यहां नहीं हो पाएगा। आपको दूसरी जगह जाना पड़ेगा। अधीक्षक बोले– रोज रात को डॉक्टर की ड्यूटी लगाते हैं CHC अधीक्षक डॉ. चंदन ने दावा किया कि बगैर डॉक्टर के डिलीवरी नहीं की जाती। उस दिन डॉ. रश्मि की ड्यूटी थी। हमने उन्हें बताया कि ऑन कैमरा नर्स ने बताया कि कोई डॉक्टर नहीं है। इस पर वे चुप रहे। यहां दो गायनी सर्जन तैनात हैं। इनके अलावा 7 पुरुष डॉक्टर हैं। मरीज देखे बगैर ही नर्स बोली– बड़े अस्पताल ले जाओ हम रात 3.45 बजे आलमबाग स्थित चंदरनगर CHC पहुंचे। भीतर से दरवाजा बंद था। खटखटाने पर गार्ड सुनील ने दरवाजा खोला। महिला मरीज को भर्ती कराने की बात पर वह पहली मंजिल पर लाया। गार्ड ने एक रूम का दरवाजा खटखटाकर नर्स को जगाया। अंदर से दाई निकली। दरवाजे पर खड़े होकर ही कहा- सुबह देखा जाएगा। इस समय डॉक्टर नहीं हैं। हमने दरवाजे से देखा तो कमरे में अंधेरा था और नर्स बिस्तर पर बैठी थी। उनके पीछे एसी चल रहा था। नर्स ने आंख मलते हुए कहा- 2 बच्चे सीजेरियन से हुए हैं, तो तीसरा यहां नहीं हो पाएगा। आप बड़े अस्पताल ले जाइए। लोकबंधु ले जाइए या KGMU (King George’s Medical University)। गार्ड सुनील ने बताया- यहां सर्जन डॉ. सरोज हैं, दूसरी डॉ.मीनाक्षी हैं। वो इमरजेंसी पर आती हैं। हम यहां से वापस हो गए। CHC में 8 पुरुष डॉक्टर भी तैनात हैं लेकिन रात में इनमें से भी कोई नहीं था। CHC प्रभारी बोले- पता कराएंगे कि डॉक्टर क्यों नहीं थीं? नर्स बोलीं– डॉक्टर हैं पर मिलेंगी नहीं, लोहिया अस्पताल ले जाइए जब इंदिरानगर CHC पहुंचे तो मुख्य गेट खुला था। अंदर पहुंचे तो कुर्सियों को सटाकर 2 लोग सो रहे थे। हमने गॉर्ड को जगाया। उसने फॉर्मेसी काउंटर पर सो रहे वार्ड ब्वाय को जगाया। वार्ड ब्वाय ने अस्पताल की सफेद चादर हटाकर कहा- सर, सीजेरियन सुबह होगा। नॉर्मल अभी हो जाएगा। वो हमें पहली मंजिल पर नहीं ले जाना चाहता था। रिक्वेस्ट करने पर ले गया। नर्स को आवाज देकर उठाया। रूम से बाहर आई नर्स को हमने बताया- ऑपरेशन से बच्चे हुए हैं। उन्होंने कहा- यहां नहीं हो पाएगा। आप लोहिया अस्पताल ले जाइए। हमने कहा- डॉक्टर से मिलवा दीजिए। उन्होंने कहा- डॉक्टर हैं, पर मिलेंगी नहीं। प्रभारी बोले- जो भी पूछना हो, आकर बात कीजिए
इंदिरानगर CHC प्रभारी डॉ. मयंक से जब रात में किसी महिला डॉक्टर के तैनाती न होने पर सवाल किया तो उन्होंने पहले तो इनकार किया। फिर बोले- जो कुछ पूछना हो, यहां आकर बात कीजिए। 12 डॉक्टर तैनात, फिर भी रात में कोई नहीं रुकता हमने यहां काउंटर पर बैठे युवक से कहा- डॉक्टर से मिला दीजिए। उसने कहा- इस समय कोई महिला डॉक्टर नहीं मिलेंगी। सुबह 8 बजे के बाद आइए। वो महिला को प्रसव केंद्र की तरफ ले गया। यहां अंदर से नर्स निकली, जो संविदा पर तैनात है। उसने कहा- गायनी डॉक्टर रात में नहीं रहती। सिजेरियन के लिए लोहिया अस्पताल ही जाना पड़ेगा। असल में यहां गायनी की 2 महिला डॉक्टर तैनात हैं। 6 डॉक्टर संविदा पर हैं। इसमें 3 पुरुष हैं। इनके अलावा 6 डॉक्टर स्थायी हैं। 6 महिला और 1 पुरुष डॉक्टर की तैनाती राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत की है। इसके बाद भी एक भी डॉक्टर रात में नहीं मिला। अधीक्षक बोले- रात में ऑन कॉल बुलाई जाती हैं गायनेकोलॉजिस्ट
CHC अधीक्षक डॉ. दिलीप भार्गव ने पहले तो इस बात से इनकार किया कि रात में कोई डॉक्टर तैनात नहीं थीं। जब विजुअल के बारे में बताया तो बोले– रात में ऑन कॉल डॉक्टर बुलाया जाता है। महिला डॉक्टरों की कमी है सरकारी अस्पतालों की नर्स पैसा लेकर कर रहीं अबॉर्शन इन्वेस्टिगेशन के दौरान हमें ये भी पता चला कि सरकारी अस्पतालों की कुछ नर्स और ANM घर पर अबॉर्शन कर रही हैं। हकीकत जानने के लिए हम लखनऊ से 30 किलोमीटर दूर फिर CHC सरोजनी नगर पहुंचे। यहां हमें गौरी क्षेत्र की दाई मिली। हमने उससे अबॉर्शन की बात की। ये सुनने के बाद उसने हमें ANM से मिलाया। उधर, राजधानी लखनऊ से 30 किमी दूर CHC गोसाईंगंज में भी स्टाफ नर्स 2000 रुपए में अबॉर्शन के लिए राजी हो गई। ———————— भास्कर इन्वेस्टिगेशन की ये खबरें भी पढ़ें- बाप-दादा का नाम बदल डॉक्टर बने परिवार के 8 लोग:यूपी में फ्रीडम फाइटर के दत्तक बेटे-पोतों को आरक्षण, असली परिवार दुकान चला रहा गोरखपुर के एक ही परिवार के 8 सदस्य हैं। सभी पेशे से डॉक्टर हैं। सभी ने फ्रीडम फाइटर का आश्रित प्रमाणपत्र लगाकर MBBS में एडमिशन लिया। दरअसल, फ्रीडम फाइटर के असली, दत्तक बेटे-बेटी (गोद लिए) और उनके बच्चों (पोता, पोती, नाती, नातिन) को मेडिकल कॉलेजों में 2% आरक्षण मिलता है। इसलिए लोग गोदनामा और फ्रीडम फाइटर के आश्रित होने का प्रमाणपत्र बनवा लेते हैं। पढ़ें पूरी खबर आपकी पूजा में केमिकल वाला नकली चंदन:यूपी में खिन्नी की लकड़ी पर परफ्यूम; ऐसे 100 कारखाने, कैमरे में देखिए ठगी ये लकड़ी होती है… खिन्नी की, इसमें कोई महक नहीं होती। इसमें कंपाउंड (केमिकल मिक्सचर) मिलाया जाता है चंदन का… फिर यह महकती है चंदन जैसी। जब जलइयो चंदन-सी खुशबू होगी। अगर इसमें असली चंदन की लकड़ियां मिला दें, तो पहचानना मुश्किल हो जाता है। हम ही लोग पहचान पाते हैं। ये हैं यूपी के चंदन के बड़े कारोबारी, लेकिन ये चंदन होता नकली है। ये खिन्नी की लकड़ी पर चंदन की खुशबू वाले परफ्यूम का स्प्रे करके ऐसा नकली चंदन बनाते हैं कि आम लोग पकड़ ही नहीं पाते। पढ़ें पूरी खबर
CHC अधीक्षक डॉ. सुरेश ने बताया- यहां गायनी की 2 महिला सर्जन हैं, लेकिन दोनों संविदा पर हैं। इनके अलावा महिला और पुरुष मिलाकर 5 डॉक्टरों की तैनाती है। स्टाफ नर्स की संख्या 3 है। अन्य संविदा पर तैनात हैं। दर्द से कराहती रही गर्भवती, डॉक्टर को नहीं बुलाया गेट पर अंधेरे के बीच रात 1.40 बजे हम मोहनलालगंज CHC पहुंचे। यहां रास्तों पर पानी भरा था। पिछले गेट से अस्पताल में दाखिल हुए। यहां नीचे 9 बेड का पुरुष वार्ड है, जो खाली पड़ा था। हम डॉक्टर की तलाश में आगे बढ़े, तो रूम में कुर्सियों के अलावा कोई नहीं दिखा। एक महिला दर्द से कराह रही थी। उसके पति ने बताया- इस समय कोई महिला डॉक्टर नहीं। मौजूद स्टाफ ने कॉल कर डॉक्टर को नहीं बुलाया। खुद ही झलकारी बाई अस्पताल रेफर कर दिया। हम महिला डॉक्टर की तलाश में पहली मंजिल पर गए। आवाज देने पर नर्स आईं। उससे गर्भवती का ऑपरेशन कर डिलीवरी कराने को बोला। ऑपरेशन का नाम सुनते ही उसने झलकारी बाई जाने की बात की। यहां गायनी की 2 डॉक्टर हैं। इनमें सर्जन और फिजिशियन है। 6 पुरुष डॉक्टर भी तैनात हैं। रात में कोई नहीं रुकता। अधीक्षक बोले- रात में महिला डॉक्टर की ड्यूटी रहती है
CHC प्रभारी डॉ. दिवाकर भारद्वाज ने यह मानने से इनकार कर दिया कि दर्द की कराहती गर्भवती को लौटा दिया है। हमने जब बताया कि इसके विजुअल हमारे पास हैं, तो बोले- जांच कराएंगे। डॉक्टर न सिजेरियन, बस नॉर्मल डिलीवरी कराई जा रही हम रात 2.30 बजे सरोजनी नगर CHC पहुंचे। यहां मुख्य गेट अंदर से बंद होने से PHC के रास्ते अस्पताल पहुंचे। यहां एक तीमारदार से पूछा- कोई स्टाफ है? उसने जनरल OPD की तरफ इशारा किया, जो अंदर से बंद था। दरवाजा खटखटाने पर वार्ड बॉय निकला। दरवाजा थोड़ा ही खुला, लेकिन अंदर जमीन पर लेटे लोग दिखाई दे रहे थे। गॉर्ड सरोज महिला अस्पताल की ओर ले गया। यहां हम प्रसव कक्ष के बाहर रुक गए। गार्ड ने दरवाजा खटखटाकर नर्स को बुलाया। अंदर से संविदा पर तैनात नर्स आईं। उसने बताया– रात में कोई महिला डॉक्टर नहीं रहतीं। ऑपरेशन के केस केवल सुबह देखते हैं। इसी दौरान अंदर से मरीज की रिश्तेदार महिला निकलीं। बोलीं– डॉक्टर नहीं हैं, नर्स ही नॉर्मल डिलीवरी कराएंगी। परिजन बोले- ठीक है, अब क्या कर सकते हैं? नर्स ने हमसे कहा- 2 बच्चे सिजेरियन से हुए हैं, तो तीसरा यहां नहीं हो पाएगा। आपको दूसरी जगह जाना पड़ेगा। अधीक्षक बोले– रोज रात को डॉक्टर की ड्यूटी लगाते हैं CHC अधीक्षक डॉ. चंदन ने दावा किया कि बगैर डॉक्टर के डिलीवरी नहीं की जाती। उस दिन डॉ. रश्मि की ड्यूटी थी। हमने उन्हें बताया कि ऑन कैमरा नर्स ने बताया कि कोई डॉक्टर नहीं है। इस पर वे चुप रहे। यहां दो गायनी सर्जन तैनात हैं। इनके अलावा 7 पुरुष डॉक्टर हैं। मरीज देखे बगैर ही नर्स बोली– बड़े अस्पताल ले जाओ हम रात 3.45 बजे आलमबाग स्थित चंदरनगर CHC पहुंचे। भीतर से दरवाजा बंद था। खटखटाने पर गार्ड सुनील ने दरवाजा खोला। महिला मरीज को भर्ती कराने की बात पर वह पहली मंजिल पर लाया। गार्ड ने एक रूम का दरवाजा खटखटाकर नर्स को जगाया। अंदर से दाई निकली। दरवाजे पर खड़े होकर ही कहा- सुबह देखा जाएगा। इस समय डॉक्टर नहीं हैं। हमने दरवाजे से देखा तो कमरे में अंधेरा था और नर्स बिस्तर पर बैठी थी। उनके पीछे एसी चल रहा था। नर्स ने आंख मलते हुए कहा- 2 बच्चे सीजेरियन से हुए हैं, तो तीसरा यहां नहीं हो पाएगा। आप बड़े अस्पताल ले जाइए। लोकबंधु ले जाइए या KGMU (King George’s Medical University)। गार्ड सुनील ने बताया- यहां सर्जन डॉ. सरोज हैं, दूसरी डॉ.मीनाक्षी हैं। वो इमरजेंसी पर आती हैं। हम यहां से वापस हो गए। CHC में 8 पुरुष डॉक्टर भी तैनात हैं लेकिन रात में इनमें से भी कोई नहीं था। CHC प्रभारी बोले- पता कराएंगे कि डॉक्टर क्यों नहीं थीं? नर्स बोलीं– डॉक्टर हैं पर मिलेंगी नहीं, लोहिया अस्पताल ले जाइए जब इंदिरानगर CHC पहुंचे तो मुख्य गेट खुला था। अंदर पहुंचे तो कुर्सियों को सटाकर 2 लोग सो रहे थे। हमने गॉर्ड को जगाया। उसने फॉर्मेसी काउंटर पर सो रहे वार्ड ब्वाय को जगाया। वार्ड ब्वाय ने अस्पताल की सफेद चादर हटाकर कहा- सर, सीजेरियन सुबह होगा। नॉर्मल अभी हो जाएगा। वो हमें पहली मंजिल पर नहीं ले जाना चाहता था। रिक्वेस्ट करने पर ले गया। नर्स को आवाज देकर उठाया। रूम से बाहर आई नर्स को हमने बताया- ऑपरेशन से बच्चे हुए हैं। उन्होंने कहा- यहां नहीं हो पाएगा। आप लोहिया अस्पताल ले जाइए। हमने कहा- डॉक्टर से मिलवा दीजिए। उन्होंने कहा- डॉक्टर हैं, पर मिलेंगी नहीं। प्रभारी बोले- जो भी पूछना हो, आकर बात कीजिए
इंदिरानगर CHC प्रभारी डॉ. मयंक से जब रात में किसी महिला डॉक्टर के तैनाती न होने पर सवाल किया तो उन्होंने पहले तो इनकार किया। फिर बोले- जो कुछ पूछना हो, यहां आकर बात कीजिए। 12 डॉक्टर तैनात, फिर भी रात में कोई नहीं रुकता हमने यहां काउंटर पर बैठे युवक से कहा- डॉक्टर से मिला दीजिए। उसने कहा- इस समय कोई महिला डॉक्टर नहीं मिलेंगी। सुबह 8 बजे के बाद आइए। वो महिला को प्रसव केंद्र की तरफ ले गया। यहां अंदर से नर्स निकली, जो संविदा पर तैनात है। उसने कहा- गायनी डॉक्टर रात में नहीं रहती। सिजेरियन के लिए लोहिया अस्पताल ही जाना पड़ेगा। असल में यहां गायनी की 2 महिला डॉक्टर तैनात हैं। 6 डॉक्टर संविदा पर हैं। इसमें 3 पुरुष हैं। इनके अलावा 6 डॉक्टर स्थायी हैं। 6 महिला और 1 पुरुष डॉक्टर की तैनाती राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत की है। इसके बाद भी एक भी डॉक्टर रात में नहीं मिला। अधीक्षक बोले- रात में ऑन कॉल बुलाई जाती हैं गायनेकोलॉजिस्ट
CHC अधीक्षक डॉ. दिलीप भार्गव ने पहले तो इस बात से इनकार किया कि रात में कोई डॉक्टर तैनात नहीं थीं। जब विजुअल के बारे में बताया तो बोले– रात में ऑन कॉल डॉक्टर बुलाया जाता है। महिला डॉक्टरों की कमी है सरकारी अस्पतालों की नर्स पैसा लेकर कर रहीं अबॉर्शन इन्वेस्टिगेशन के दौरान हमें ये भी पता चला कि सरकारी अस्पतालों की कुछ नर्स और ANM घर पर अबॉर्शन कर रही हैं। हकीकत जानने के लिए हम लखनऊ से 30 किलोमीटर दूर फिर CHC सरोजनी नगर पहुंचे। यहां हमें गौरी क्षेत्र की दाई मिली। हमने उससे अबॉर्शन की बात की। ये सुनने के बाद उसने हमें ANM से मिलाया। उधर, राजधानी लखनऊ से 30 किमी दूर CHC गोसाईंगंज में भी स्टाफ नर्स 2000 रुपए में अबॉर्शन के लिए राजी हो गई। ———————— भास्कर इन्वेस्टिगेशन की ये खबरें भी पढ़ें- बाप-दादा का नाम बदल डॉक्टर बने परिवार के 8 लोग:यूपी में फ्रीडम फाइटर के दत्तक बेटे-पोतों को आरक्षण, असली परिवार दुकान चला रहा गोरखपुर के एक ही परिवार के 8 सदस्य हैं। सभी पेशे से डॉक्टर हैं। सभी ने फ्रीडम फाइटर का आश्रित प्रमाणपत्र लगाकर MBBS में एडमिशन लिया। दरअसल, फ्रीडम फाइटर के असली, दत्तक बेटे-बेटी (गोद लिए) और उनके बच्चों (पोता, पोती, नाती, नातिन) को मेडिकल कॉलेजों में 2% आरक्षण मिलता है। इसलिए लोग गोदनामा और फ्रीडम फाइटर के आश्रित होने का प्रमाणपत्र बनवा लेते हैं। पढ़ें पूरी खबर आपकी पूजा में केमिकल वाला नकली चंदन:यूपी में खिन्नी की लकड़ी पर परफ्यूम; ऐसे 100 कारखाने, कैमरे में देखिए ठगी ये लकड़ी होती है… खिन्नी की, इसमें कोई महक नहीं होती। इसमें कंपाउंड (केमिकल मिक्सचर) मिलाया जाता है चंदन का… फिर यह महकती है चंदन जैसी। जब जलइयो चंदन-सी खुशबू होगी। अगर इसमें असली चंदन की लकड़ियां मिला दें, तो पहचानना मुश्किल हो जाता है। हम ही लोग पहचान पाते हैं। ये हैं यूपी के चंदन के बड़े कारोबारी, लेकिन ये चंदन होता नकली है। ये खिन्नी की लकड़ी पर चंदन की खुशबू वाले परफ्यूम का स्प्रे करके ऐसा नकली चंदन बनाते हैं कि आम लोग पकड़ ही नहीं पाते। पढ़ें पूरी खबर