मां दुर्गा को क्षत्रियों ने अपना खून अर्पित किया:गोरखपुर में बड़े लोगों संग बच्चों ने भी बॉडी पर कट लगाए, हवन की भभूत मली

गोरखपुर के बांसगांव में दुर्गा मंदिर पर श्रद्धा और आस्था का संगम देखने को मिला। श्रीनेत वंश के क्षत्रियों ने गुरुवार को अपनी कुलदेवी मां दुर्गा को खून अर्पित कर मंगलकामना की। करीब 300 साल से चली आ रही इस परंपरा में श्रीनेत वंशीय क्षत्रियों ने नाईयों के उस्तरे से अपने शरीर पर चीरे लगवाए। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सभी ने अपने शरीर से निकले रक्त को बेलपत्र पर उतारकर मां दुर्गा के चरणों में अर्पित किया। विवाहितों ने अपने 9 अंगों- ललाट, छाती, भुजाएं, हाथ और जांघ पर चीरा लगवाया। वहीं, अविवाहितों ने केवल ललाट यानी माथे पर चीरा लगवाया। श्रद्धालुओं को विश्वास है कि इस मौके पर मांगी गई मन्नतें जरूर पूरी होती हैं। देश-विदेश में बसे श्रीनेत वंशीय क्षत्रिय भी इस अनुष्ठान में शामिल होने के लिए बांसगांव पहुंचते हैं। 3 तस्वीरें देखिए- हवन कुंड की भभूत लगाने से खून बंद होता है
मंदिर परिसर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु रक्त अर्पित करने के लिए उमड़े। चीरा लगने के बाद भक्त हवन कुंड से निकली भभूत को शरीर पर लगा लेते हैं, जिससे खून बहना बंद हो जाता है। भक्तों का दावा है कि इस परंपरा में कभी किसी भक्त को दवा की जरूरत नहीं पड़ी। न ही कोई गंभीर बीमारी सामने आई है। मंदिर शंख की आवाज से गूंज उठा
इस दौरान पूरे मंदिर परिसर में भक्तों के जयकारे, घंटा-घड़ियाल और शंख की ध्वनियां गूंजती रहीं। चारों ओर मां दुर्गा के चरणों में समर्पण और विश्वास का अनूठा भाव देखने को मिला। इस मौके पर ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि शिवाजी सिंह, नगर पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि विजय कुमार सिंह बबलू, पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष वेद प्रकाश शाही, पूर्व जिला पंचायत सदस्य जितेंद्र सिंह, समाजसेवी अमरजीत सिंह और मनोज सिंह समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। अब जानिए कब शुरू हुई थी परंपरा, कैसे शुरू हुई
यह विशेष परंपरा वर्ष 300 साल पहले शुरू हुई थी। इससे पहले यहां नवमी तिथि पर भैंसा, भेड़ा, बकरा और सूअर के बच्चे की बलि दी जाती थी। उस समय के प्रतिष्ठित समाजसेवी पंडित रामचंद्र शर्मा (वीर) ने इस पशु बलि का कड़ा विरोध किया। उन्होंने पशु हत्या को महापाप बताते हुए क्षत्रिय समाज से बलि प्रथा को बंद करने की अपील की। जब उनकी अपील को अनसुना कर दिया गया तो वे मंदिर परिसर में नीम के पेड़ के नीचे अनशन पर बैठ गए। हालत बिगड़ने पर क्षत्रिय समाज ने उनसे विकल्प पूछा, जिस पर पंडित शर्मा ने कहा- पशु हत्या बंद करो और अपनी ही देह से निकले खून को माता को अर्पित करो। उनकी प्रेरणा और त्याग से पशु बलि की जगह खुद के खून को अर्पित करने की प्रथा की शुरुआत हुई, जो आज तक जारी है। ——————— ये खबर भी पढ़िए- योगी ने कन्याओं के पांव धोए, चुनरी ओढ़ाई: भोजन परोसा, हनुमान जी बनकर आए बच्चे को भगवा ओढ़ाया नवरात्रि की महानवमी में CM योगी ने कन्या पूजन किया। गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर में योगी ने 9 कन्याओं और 1 बटुक को चुनरी ओढ़ाई। माथे पर रोली, चंदन, अक्षत का तिलक लगाया। पांव धोकर आशीर्वाद लिया। योगी ने खुद कन्याओं और बटुक को भोजन परोसा। उन्हें दक्षिणा देकर विदा किया। पढ़ें पूरी खबर…