मोबाइल गेमिंग की लत कितनी खतरनाक:स्क्रीन पर टकटकी-एक्साइटमेंट से हो सकती है मौत, क्या कहते हैं एक्सपर्ट

लखनऊ में 13 साल के लड़के विवेक कश्यप की मोबाइल फोन चलाते-चलाते मौत हो गई। वह बिस्तर पर बेहोश पड़ा था। बहन कुछ देर में आई, तो उसने बिस्तर पर पड़े फोन को चार्जिंग पर लगा दिया। भाई को चादर ओढ़ाकर चली गई। कुछ देर बाद कामकाज से फुरसत पाकर भाई को खाना खाने के लिए उठाने पहुंची। चादर हटाकर भाई को हिलाया-डुलाया। इसके बावजूद उसने कुछ रिस्पॉन्स नहीं किया। यह देख बहन चीखने-चिल्लाने लगी। बहन चांदनी ने बताया कि विवेक रोज फ्री फायर गेम खेलता था। कुछ देर पहले भी गेम खेल रहा था। चांदनी ने बताया कि वह अक्सर गेम खेलते-खेलते सो जाता था। मुझे लगा कि आज भी ऐसा हुआ है। विवेक की मौत की क्या वजह हो सकती है? लंबे समय तक मोबाइल गेमिंग बच्चों के लिए कितनी खतरनाक है? क्या गेमिंग से स्ट्रेस या हार्ट प्रॉब्लम्स हो सकती हैं? लगातार स्क्रीन पर टकटकी और एक्साइटमेंट से शरीर पर क्या असर पड़ता है? क्या सडेन गेमर डेथ वजह हो सकती है? सारे सवालों के जवाब दैनिक भास्कर एक्सप्लेनर में पढ़िए … सवाल: गेम खेलकर सोने के बाद मौत, वजह क्या हो सकती है? जवाब: गोरखपुर जिला अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. रोहित गुप्ता बताते हैं- पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट अभी नहीं आई है, इसलिए मौत की सही वजह अभी बताना मुश्किल है। शुरुआती जानकारी के अनुसार, बच्चा मोबाइल गेम खेलकर सो गया था। बाद में फोन चार्जिंग पर रखा गया। बहन ने देखा कि वह रिस्पॉन्स नहीं कर रहा था। दरअसल, लंबे समय तक गेमिंग के बाद सोना बच्चों के लिए तनाव, नींद की कमी, दिल की धड़कन में असर जैसी स्थितियां पैदा कर सकता है। गेम में एड्रेनालिन रश और प्रतिस्पर्धा के कारण दिमाग लगातार सक्रिय रहता है। सोने के समय भी दिमाग पूरी तरह शांत नहीं होता। इससे तनाव और बेचैनी बढ़ सकती है। देर तक गेम खेलने के कारण बच्चों की नींद का सर्केडियन रिदम बिगड़ जाता है। नींद पूरी न होने से स्मृति, ध्यान और सीखने की क्षमता प्रभावित होती है। तेज गेमिंग के दौरान शरीर में एड्रेनालिन और हार्मोन का स्तर बढ़ता है। इससे दिल की धड़कन तेज हो जाती है। लंबे समय तक लगातार हार्ट रेट ऊंचा रहने से दिल और ब्लड प्रेशर पर दबाव पड़ सकता है। इससे जान जाने का खतरा रहता है। केजीएमयू के कार्डियोलॉजिस्ट विभाग के प्रो. अक्षय प्रधान बताते हैं कि ऐसे मामलों में सटीक अंदाजा लगाना मुश्किल होता है। रेयर कारणों में आयन चैनलोपैथीज शामिल हैं। हार्ट में सोडियम, पोटैशियम और कैल्शियम चैनल्स होते हैं, जो लगातार घटते-बढ़ते रहते हैं। इसी से दिल की धड़कन नियंत्रित होती है। अगर इन चैनल्स में जेनेटिक समस्या हो, तो हार्ट रेट (वेंट्रिकुलर एरिथमिया) असामान्य रूप से बढ़ सकती है। कभी-कभी 200 बीट्स प्रति मिनट तक हो जाती है। ऐसे में डेथ होने के चांस बढ़ जाते हैं। साथ ही, कभी-कभी अन्य नॉन‑नेचुरल कारण भी घटना में शामिल हो सकते हैं। सवाल: क्या फोन पर गेम खेलने से जान जा सकती है? जवाब: रिटायर्ड सीएमएस डॉ. राजेश श्रीवास्तव के अनुसार, सिर्फ फोन पर गेम खेलने से किसी की मौत नहीं होती। आमतौर पर पहले से कोई स्वास्थ्य समस्या या बेसलाइन परेशानी मौजूद होती है, जिस पर परिवार ने ध्यान नहीं दिया होगा। हां, अगर बच्चा कोई फिजिकल गेम खेल रहा हो तो संभव हो सकता था कि चोट लगी है। या कुछ कारण रहा हो, लेकिन फोन पर गेम से मौत पॉसिबल नहीं। सवाल: क्या फोन पर गेमिंग से स्ट्रेस या हार्ट प्रॉब्लम्स हो सकती हैं? जवाब: केजीएमयू की एडिशनल प्रोफेसर डॉ. मोनिका बताती हैं- फोन पर गेम खेलने से हार्ट की कोई समस्या नहीं होती, जब तक कि पहले से कोई हार्ट रिलेटेड समस्या मौजूद न हो। स्ट्रेस का असर इस बात पर भी निर्भर करता है कि कौन सा गेम खेला जा रहा है? कहीं इसमें कोई सट्टेबाजी या हाई‑स्टेक गतिविधि तो शामिल नहीं? हालांकि, गोरखपुर जिला अस्पताल के डॉ. रोहित गुप्ता का कहना है कि लंबी और लगातार गेमिंग बच्चों और युवा में तनाव और दिल की समस्याओं का कारण बन सकती है। तेज और प्रतिस्पर्धी गेमिंग के दौरान शरीर में एड्रेनालिन और तनाव हार्मोन बढ़ जाते हैं। लंबे समय तक स्क्रीन पर ध्यान और एक्साइटमेंट से दिल की धड़कन तेज, ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है। नींद पूरी न होने और लगातार उत्तेजना से हार्ट और नर्वस सिस्टम पर दबाव पड़ सकता है। सवाल: लगातार स्क्रीन देखने और एक्साइटमेंट से क्या असर पड़ता है? जवाब: प्रो. अक्षय प्रधान बताते हैं कि लगातार स्क्रीन टाइम पर वक्त बिताने से कई सारी परेशानियां हो सकती हैं। उन पर ध्यान देने की जरूरत होती है। सवाल: क्या है सडन गेमर डेथ? जवाब: सडन गेमर डेथ (Sudden Gamer Death) एक उभरता हुई मेडिकल टर्म है। यह उन मामलों के लिए इस्तेमाल की जाती है, जहां लंबे समय तक लगातार गेम खेलने के बाद व्यक्ति अचानक बेहोश होकर मर जाता है। दरअसल, दुनियाभर में कुछ ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां मोबाइल गेमर की अचानक मौत हो जाती है। इसमें ना तो उन्हें कोई चोट लगती है, ना ही उनके साथ कोई हाथापाई होती है। ये जानकारी अमेरिकी लाइब्रेरी के जर्नल से मिली है। अमेर‍िकी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की रिसर्च के अनुसार, दुनियाभर में ऐसे करीब 24 मामले सामने आए हैं। जहां लोग लगातार गेम खेलते हुए मौत के शिकार हुए हैं। इन मौतों में एक मौत 1982 और बाकी 23 मौतें 2002 से 2021 के बीच हुई थी। सडन गेमर डेथ के शिकार ज्यादातर पुरुष हुए थे। वहीं, मरने वालों में सभी की उम्र 11 से 40 साल के बीच में थी। ज्यादातर मामले दक्षिण पूर्व एशिया के देशों से आए हैं। सवाल: सडन गेमर डेथ की वजह क्या है? जवाब: रिसर्च बताती है कि लंबे समय तक बिना रुके गेम खेलने से शरीर पर काफी दबाव पड़ता है। घंटों तक एक ही जगह बैठे रहने से ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट बढ़ जाते हैं, जिससे सर्कुलेशन पर असर पड़ता है। कई लोग सोचते हैं कि बीच-बीच में छोटे ब्रेक लेने से फर्क पड़ता है। लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक, लंबे समय तक लगातार गेमिंग के प्रभाव इतने गहरे होते हैं कि छोटे ब्रेक पर्याप्त नहीं होते। अमेरिकी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) की एक स्टडी के अनुसार, दुनियाभर में ‘सडन गेमर डेथ’ के मामलों के पीछे मुख्य कारण हैं, फेफड़ों में ब्लड क्लॉट, ब्रेन हेमरेज या ब्रेन ब्लीड या हार्ट रिदम में असामान्यता। ————————- ये खबर भी पढ़ें… यूपी में जो भेड़िए जान ले रहे, खुद खतरे में, क्या बदला लेने के लिए हमला करते हैं, बाढ़ भी एक बड़ी वजह यूपी के बहराइच में आदमखोर भेड़ियों के आतंक से 50 से ज्यादा गांव के लोग खौफ में जी रहे हैं। भेड़िए पहले बच्चों को ही उठा ले जा रहे थे, अब बड़ों को भी मार डाल रहे। भेड़िए 2 महीने में 4 बच्चों को उठा ले गए, जबकि पति-पत्नी को मार डाला है। अब तक 30 से ज्यादा हमले किए हैं, जिसमें 20 से ज्यादा लोग घायल हैं। इन हमलों के बीच एक चौंकाने वाली रिपोर्ट आई है। अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) ने भेड़िए की प्रजातियों में शामिल ‘कैनिस ल्यूपस पैलिप्स’ प्रजाति को संकटग्रस्त श्रेणी में रखा है। भेड़िए की यही प्रजाति बहराइच जिले में लोगों की जान ले रही है। पढ़िए पूरी खबर…