यूपी पुलिस ने रिश्वत लेने का ट्रैंड बदला:ओवरलोड ट्रक दौड़ाने की थानों में डील, एसओ बोला– यहां कैमरे…गाड़ी में देना रुपए

‘हमारे थाना क्षेत्र से बालू का ट्रक निकालना है तो 7 हजार रुपए लगेंगे। फिर तुम 3 चक्कर ले जाओ या 5 चक्कर। चलो… तुम 3 चक्कर लगाओगे तो हजार, पांच सौ कम दे देना। …और हां, जब तक पूरा रुपया नहीं मिलता है… तब तक अगर गाड़ी मिल जाएगी तो खड़ी करवा देंगे।’ ये कहना है यूपी पुलिस का। इन्होंने ओवरलोडिंग ट्रकों को बगैर चेकिंग निकालने के रेट फिक्स कर दिए हैं। रुपया देने के बाद पूरे थाना क्षेत्र में ट्रकों को रोका नहीं जाता। रुपयों की डिमांड करते और रुपए लेते भास्कर के कैमरे पर पुलिस अफसर से लेकर सिपाही तक कैद हुए हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक यूपी में 2024 में 46,052 सड़क हादसों में 24,118 मौतें हुई। इनमें 10% यानी करीब 4600 एक्सीडेंट ओवरलोडिंग वाहनों ने किए। मतलब साफ है- ये ओवरलोडिंग वाहन मौत बनकर सड़कों पर दौड़ रहे हैं। वहीं दूसरी ओर एक महीने पहले साेनभद्र जिले का एक वीडियो वायरल हुआ। इसमें कुछ पुलिस वाले हाईवे से गुजर रहे ट्रकों पर पत्थर फेंक रहे हैं। उन्होंने ट्रकों के शीशे तोड़ दिए। बताया जा रहा है कि पूरा माजरा पुलिस वालों की वसूली का है। वे ट्रकों को रोकना चाह रहे थे, जब ट्रक नहीं रुके तो पथराव कर दिया। इसके बाद 3 पुलिस वाले सस्पेंड और एक अफसर को लाइन अटैच किया। इन दोनों बातों से सवाल उठा कि क्या पुलिस वाले ओवर लोडिंग ट्रकों से रुपए लेते हैं? क्या बगैर रुपए दिए ट्रकों को नहीं जाने दिया जाता? पुलिस की वसूली का सिस्टम क्या है? बस, इन्हीं सवालों का जवाब जानने के लिए ‘दैनिक भास्कर’ की टीम ने बांदा, चित्रकूट और कौशांबी जिले के 5 थाना क्षेत्रों में 10 दिन तक इन्वेस्टिगेशन किया। पढ़िए, पूरा खुलासा… थाना 1 बदौसा : सिपाही बोला- 3 चक्कर लगाओ या 5, रुपए पूरे लगेंगे
हम बांदा जिले के बदौसा थाने पहुंचे। पता चला थाने के पीछे सिपाही अनुराग सिंह यादव अपने आवास में हैं। वहां पहुंचे और दरवाजा खटखटाया तो अनुराग खाना खा रहे थे। उन्होंने कहा कि बाहर इंतजार करो। हम पास बने मंदिर के बगल में अनुराग का इंतजार करने लगे। अनुराग जब बाहर आए तो सिविल ड्रेस में थे। सिपाही: कहां से आए हो? क्या काम है? कौन-सी गाड़ी है? रिपोर्टर: ट्रेलर है। हमको इस रोड पर बालू ले जाना है। सिपाही: कहां से ले जाओगे? रिपोर्टर: नरैनी की तरफ से… तो उसके लिए आए थे। सिपाही: बालू के लिए 7 हजार लगेंगे। रिपोर्टर: हमको 3 चक्कर ले जाना है बस। सिपाही: भाई तुम 3 चक्कर ले जाओ या 5 चक्कर ले जाओ। चलो तुम 3 चक्कर लगाओगे तो हजार-पांच सौ कम दे देना। रिपोर्टर: साहब, 7 हजार से कम न लगेगा?… मात्र 3 चक्कर ले जाना है। हमने सोचा कि चोरी से निकालूंगा तब भी कोई मतलब नहीं है। सिपाही: ठीक है। चूंकि कैमरे पर सिपाही अनुराग वर्दी में नहीं था। हम उसे वर्दी में कैप्चर करना चाहते थे। इसलिए अगले दिन फिर वहां पहुंचे। जब हम दूसरे दिन थाने में पहुंचे तो वर्दी में अनुराग जनसमस्याएं सुन रहा था। जनसमस्या सुनने के बाद वह हमसे मिले। रिपोर्टर: मेरे लिए आप कुछ आदेश करिए? सिपाही: क्या करें बताओ। कितने चक्कर का है? रिपोर्टर: 3–4 चक्कर लगाना है। सिपाही: अब ये न बताओ। क्लियर बताओ। इसलिए तुमसे कह रहा हूं। 5 हजार दे जाओ। अपना चक्कर लगाओ। चाहे 5 चक्कर लगाओ या 6 चक्कर लगाओ। रिपोर्टर: क्या है कि अभी सभी जगह देना पड़ेगा। सिपाही: भाई सभी जगह तो देना ही पड़ेगा। ऐसा नहीं है कि आप एक जगह दोगे तो सब जगह चल जाएगा। देना तो सभी जगह पड़ेगा। रिपोर्टर: ठीक है तब। सिपाही: ठीक है। 5 हजार दो और जाओ। फुर्सत में तुम भी रहो, हम भी रहें। कुर्सी से उठकर रिश्वत लेने के लिए सिपाही अनुराग सिंह हमारे साथ थाना परिसर में बने मंदिर तक पहुंचा। रिपोर्टर: आपके पास नरैनी वाला कुछ सिस्टम है क्या… लाइनअप के लिए। हमारी बात वहां नहीं हो पा रही है। सिपाही: नरैनी जाओ, वहां मिल लो जो वहां होगा। वहां जाओ जो देख रहा होगा (गाड़ी पास कराने का सिस्टम) उसे दे देना। रिपोर्टर: यह रुपए डाल लीजिए। अभी चला नहीं रहा हूं। नरैनी फाइनल हो जाए फिर आपको फोन करके आउंगा। जब आपको दे दूंगा तब गाड़ी चलाऊंगा। सिपाही: जब तक पूरा रुपया नहीं मिलता है, तब तक गाड़ी मिल जाएगी तो हम खड़ी करवा देंगे। रिपोर्टर: बिल्कुल, खड़ी करवा दीजिएगा। जब तक मैं आपको पूरा नहीं दूंगा, तब तक मैं नहीं चलाऊंगा। और कोई नहीं है वहां (नरैनी) पर? सिपाही: (रुपए जेब में डालते हुए) नरैनी में? रुको बात करता हूं। रिपोर्टर: साहब, यहां तो दरोगा कई होंगे? सिपाही: कोई नहीं टच करेगा। अगर मेरे से बात हुई हो तो। (फोन मिलाते हुए) रिपोर्टर: तब मैं चल रहा हूं। वहां पहुंचकर आपको फोन कर लूंगा। सिपाही ने एडवांस 3 हजार रुपए लिए यहां आपको बता दें कि सिपाही अनुराग ने बदौसा थाना क्षेत्र से ओवरलोड ट्रक पास कराने के नाम पर हमसे एडवांस 3 हजार रुपए लिए। बाकी जब ट्रक चलना होगा, उसके बाद देने की बात कर हमारी टीम वहां से निकल आई। थाना 2 भरतपकूप : सिपाही ने कहा- बालू का ओवरलोड ट्रक निकालने के 4 हजार लगेंगे बांदा के बदौसा थाने से लगभग 35 किमी दूर चित्रकूट का भरतकूप थाना है। यह एमपी–यूपी बॉर्डर पर है। यहां हमारी बातचीत सिपाही राजू सिंह से हुई। सिपाही राजू सिंह ने हमें शाम 7 बजे के बाद भरतकूप थाने के पास ही बन रहे नए थाने पर मिलने के लिए बुलाया। रिपोर्टर: थाना तो कोतवाली से भी बढ़िया बनवा लिया है? सिपाही: हां, कोतवाली थोड़ा कंजस्टेड है। और सब ठीक है। रिपोर्टर: गाड़ी का क्या सिस्टम… कैसा रहता है? सिपाही: कितनी गाड़ी हैं? रिपोर्टर: अभी तो एक ही चलाएंगे। सिपाही: बढ़ाकर चलाओ। रिपोर्टर: बढ़ाकर तो चलाएंगे, लेकिन पहले यह जान लें कि एक में क्या होता है क्या नहीं होता है? …तो बता दीजिए क्या सिस्टम है? सिपाही: एक गाड़ी का 2500 रुपए चल रहा है। रिपोर्टर: कुछ कम नहीं हो जाएगा? सिपाही: बालू चलाओगे या गिट्‌टी में चलाओगे? रिपोर्टर: बालू लादकर चलाएंगे। सिपाही: 4 हजार रुपए। रिपोर्टर: अरे, साहब पीछे से निकालना भर है। सिपाही: बालू का ज्यादा है। (किसी से फोन पर बात करते हुए) जितना गाड़ी नंबर है, इस महीने का… वो उस वाले वाट्सअप नंबर पर डाल दो। ठीक है। (इसके बाद फोन कट हो जाता है) सिपाही: बालू का 4 हजार है। रिपोर्टर: इससे कम नहीं होगा? सिपाही: आप किसी से भी पता कर सकते हो। बालू के 4 हजार हैं, गिट्‌टी के ढाई हजार हैं। इस बीच एक सिपाही और आ गया। राजू उससे बोला कि यह आए हैं हमने बता दिया है। दूसरा सिपाही: देखिए, बालू के लिए 4 हजार का सिस्टम है। रिपोर्टर: देखिए बिना बातचीत के भेजना ठीक नहीं है। दूसरा सिपाही: कहां से आएगा? रिपोर्टर: घीयामऊ से बालू लेकर आएंगे। दूसरा सिपाही: कहां रहते हो? रिपोर्टर: सीतापुर (चित्रकूट का एक इलाका) सिपाही राजू सिंह: हमारी-तुम्हारी मुलाकात हुई है पहले कहीं? रिपोर्टर: नहीं, मुलाकात नहीं हुई है। दूसरा सिपाही: सीतापुर में कहां रहते हो? रिपोर्टर: चौगलिया तरफ रहते हैं। दूसरा सिपाही: जाते हुए, इन्हें समझ लो। रिपोर्टर: इससे कम न होगा। सिपाही राजू सिंह: सिर हिलाकर मना करते हुए। रिपोर्टर: …तो फिर मैं कल आता हूं। सिपाही राजू सिंह: चाहे जब आ जाओ, लेकिन 12 बजे के बाद। इसके बाद हम वहां से निकल आए। हमने राजू को पैसे इसलिए नहीं दिए क्योंकि वह सिविल ड्रेस में था। थाना 3 राजापुर : एसआई बोला- पहली गाड़ी में ज्यादा लगेगा, इसके बाद कम लेंगे​​​​​​ इसके बाद हमारा अगला टारगेट था राजापुर थाना, जो कि चित्रकूट के बॉर्डर पर है। यहीं से पास होकर गाड़ियां प्रयागराज के लिए जाती हैं। यहां हमें ट्रकों को पास कराने के लिए लगातार दो दिनों तक जाना पड़ा। सबसे पहले जानिए पहले दिन क्या हुआ? राजापुर थाने में ट्रकों को पास कराने के लिए हमें यहां तैनात एसआई इमरान खान का नंबर मिला। हम फोन पर उनसे बातचीत के बाद उनसे मिलने के लिए राजापुर थाने पहुंचे, जहां जनसमस्या सुनने के लिए एसआई बैठे थे। एसआई इमरान: क्या काम है? रिपोर्टर: गाड़ियों के संबंध में बात करनी थी। एसआई इमरान: कहां से आए हो? रिपोर्टर: चित्रकूट से आया हूं। एसआई इमरान: 5 मिनट समय दो… तब बात करते हैं। रिपोर्टर: सर, गाड़ी चलाना था। एसआई इमरान: कौन-सी गाड़ी चलानी है? रिपोर्टर: ट्रेलर है। एसआई इमरान: कहां है गाड़ी? रिपोर्टर: सीतापुर से प्रयागराज जाएगा। ओवरलोड रहेगा… तो इसके संबंध में बात करनी है। एसआई इमरान: हम्म, 5 मिनट रुक जाओ। रिपोर्टर: ट्रक प्रयागराज जाएगा। एसआई इमरान: क्या ले जाओगे? रिपोर्टर: बांदा से बालू, गिट्‌टी लेकर जाएंगे। एसआई इमरान: ट्रक का नंबर दे दो और पैसा दे दो। रिपोर्टर: कितना-क्या देना होगा? एसआई इमरान: कितनी गाड़ी हैं? रिपोर्टर: एक है, अभी तक एमपी में चलती थी। अब यहां चला रहे हैं। एसआई इमरान: 5 हजार लगेगा। रिपोर्टर: कुछ कम कर दीजिए साहब। एसआई इमरान: अरे चलो, तुम चलाओगे तो कम कर देंगे। पहली गाड़ी है न। पहली गाड़ी में ज्यादा लगता है। उसके बाद कम कर देंगे। रिपोर्टर: अपना नंबर आप बता दीजिए। एसआई इमरान: 6393786*** रिपोर्टर: अमित नाम है मेरा। एसआई इमरान: तुम नंबर देकर चले जाओ और पैसा दे दो। आ जाओ… इधर आ जाओ। रिपोर्टर: अभी मैं पूरा नहीं लाया हूं। क्योंकि गाड़ी अभी चल नहीं रही है। जब गाड़ी चल जाएगी तो मैं आपको पूरा दे दूंगा। एसआई इमरान: अच्छा आओ। इसके बाद एसआई हमें थाने में बने भोजनालय में लेकर चले गए। रिपोर्टर: अच्छा साहब, आपके थाने में तो और दरोगा हैं। एसआई इमरान: हमको फोन करोगे न तो सब मैनेज हो जाएगा। रिपोर्टर: (रुपए देते हुए) अभी एक है, यह रख लीजिए। जब गाड़ी चलाऊंगा तो आपको पूरा दे दूंगा। अभी आपसे मिलने आया हूं। अभी हमने सोचा साहब से बातचीत कर लूं। जब चलेगी तो चलने से पहले आपके पास आऊंगा। एसआई इमरान: हां ध्यान रखना, पहले आना है। रिपोर्टर: आपको पैसा पहले दे जाऊंगा, फिर गाड़ी निकालूंगा। इसके बाद हम अगले दिन फिर राजापुर थाने के एसआई इमरान से मिलने पहुंचे। मिलने से पहले हमने उन्हें फोन किया था। फोन पर हमें उन्होंने बताया कि पहाड़ी थाने में बात हो गई है। आप यहीं आ जाओ। यहीं मुलाकात हो जाएगी। हम जैसे ही थाने पहुंचे। हमें एक बार फिर एसआई इमरान भोजनालय की तरफ लेकर गए। थाना 4 पहाड़ी : कारखास बोला- थाने का कोई मिले तो बता देना मुझसे बात हुई है एसआई इमरान: यहां वाला (राजापुर थाना) तो हम देख लेंगे। वहां के लोग (पहाड़ी थाना) आए हैं, उनको बुला लेते हैं। उनको ढाई हजार देने हैं। रिपोर्टर: आपको कितना दे दें? एसआई इमरान: हमारा 4 हजार दे दीजिए। रिपोर्टर: 4 न लीजिए साहब। एसआई इमरान: अरे अभी दे दो। बाकी अगली बार में कम कर दिया जाएगा। हमारी वजह से ही पूरी व्यवस्था है। रिपोर्टर: 2000 रुपए आप अभी ले लीजिए। एसआई इमरान: (हाथ में रुपए लेने के बाद), 2 नहीं 1 और दो तो बताएं। रिपोर्टर: अरे साहब, इतना अभी नहीं। एसआई इमरान: अरे, हम ही व्यवस्था करने वाले हैं तो 1 तो हमारा बनता ही है। (रुपए लेने के बाद) चलो… अगली बार से हमारा ढाई हजार कर देना। रिपोर्टर: ऐसा तो नहीं है कि सीओ (सर्किल ऑफिसर) साहब को भी कुछ देना पड़ेगा? एसआई इमरान: देखो यह सब हम बताएंगे। आओ उनसे (पहाड़ी थाने वाले से) मिलवा देता हूं। रिपोर्टर: सर, इनको कितना देना है? एसआई इमरान: देखो, सबको ढाई–ढाई देना है, जो भी थाने हैं, हम हर जगह बोल दे रहे हैं। अभी महेवा थाने में भी बोल दे रहे हैं। वहां चले जाना। रिपोर्टर: आज इनको (पहाड़ी थाने वाले को) 1000 रुपए दिलवा दीजिए। महेवा जाकर हम आज ढाई दे देंगे। बाकी इनको कल 1500 रुपए दे देंगे। एसआई इमरान: अपना गाड़ी नंबर दे दो… इनको। ये पहाड़ी थाने के कारखास हैं। रिपोर्टर: अपना नंबर आप बता दो। शुभम द्विवेदी पहाड़ी थाने के कारखास: 8423225### एसआई इमरान: ये शुभम द्विवेदी हैं। ये पहाड़ी थाने के हैं। देखो नाम लिखा है न। पहाड़ी में जितनी भी गाड़ी चलती हैं यही लेते हैं। अब इनको दे दो। शुभम द्विवेदी: अपनी गाड़ी का नंबर तो बताओ। रिपोर्टर ने नंबर बताया शुभम द्विवेदी: गाड़ी का नंबर नोट करते हुए। क्या नाम है? कहां के रहने वाले हो। रिपोर्टर: मेरा नाम अमित है। सीतापुर का रहने वाला हूं। फिर वहां आपको ही फोन करेंगे। शुभम द्विवेदी: अब एक चीज और जान लो। थाने को कोई और मिलेगा तब बता देना। बाकी जब चेकिंग होगी तो हम ही रहेंगे। फिर कोई चेक ही नहीं करेगा। अभी कितना दे रहे हो? रिपोर्टर: इतना रख लीजिए, मैं महेवा से आ रहा हूं। साहब को बताया हूं। साहब को भी कम दिया है। एसआई इमरान: ये महीने का देगा। आगे और भी मिलेगा। शुभम द्विवेदी: ठीक है। रिपोर्टर: गाड़ी जब चलेगी तो उससे पहले आपको दे दूंगा? शुभम द्विवेदी: ठीक है। गाड़ी चलाना… जब कोई मिलेगा थाने का तो बता देना कि मुझसे बात हुई है। ऐसा मत करना कि कोई अधिकारी आ जाए तो उसे बता दो कि मुझसे बात हुई है। एसआई इमरान: (महेवा थाने पर फोन से बात करते हुए) सुनिए एक गाड़ी वाला लड़का अमित है। अभी एक गाड़ी चला रहा है। नए आए हैं इस रुट पर। अभी आपके पास जा रहा है। सीधे आपसे मिल लेगा। इसको हम भेज रहे हैं। (फोन काटकर रिपोर्टर को बताते हुए) एसओ थानाध्यक्ष महेवा प्रभुनाथ सिंह हैं। वहां जो सिपाही था, देख रहा था गाड़ियों का काम, वह ट्रांसफर चला गया तो यही देख रहे हैं। नंबर नोट कर लो 9125804### है। जाना तो वहां कहना हमें इमरान साहब ने भेजा है। एसआई इमरान: अजय आ गए हैं, इनको गाड़ी नंबर नोट करा दो। ये हमारे राजापुर थाने के कारखास हैं। अजय: वॉट्सऐप नहीं चलाते हो क्या? मोबाइल नंबर बताओ? रिपोर्टर: नहीं बड़ा वाला मोबाइल खराब है। नंबर ##########। एसआई इमरान: गाड़ी नंबर भी नोट कर लो। रिपोर्टर: ######### है गाड़ी नंबर। एसआई इमरान: महेवा जाकर मिल लेना। रिपोर्टर: जी, जा रहे हैं। थाना 5 महेवाघाट : एसओ बोले- यहां कैमरा लगा है, गाड़ी में लड़के को रुपए देना यहां से निकलकर हम कौशांबी जिले के महेवाघाट थाने की ओर बढ़े। राजापुर थाने से लगभग दो किमी दूर कौशांबी का महेवाघाट थाना प्रयागराज हाईवे पर स्थित है। यहां हमारी मुलाकात एसओ प्रभुनाथ सिंह से हुई। रिपोर्टर: साहब, नमस्ते। एसओ प्रभुनाथ सिंह: नमस्ते। कौन-सी गाड़ी है? रिपोर्टर: ट्रक है। एसओ: डायरी पर नोट करते हुए, क्या नाम है? रिपोर्टर: अमित नाम है। एसओ: गाड़ी नंबर क्या है? रिपोर्टर: गाड़ी नंबर ####### है। एसओ: रहने वाले कहां के हैं? रिपोर्टर: सीतापुर, चित्रकूट वाला। साहब, ये कह रहा था कि अभी हम इस रुट पर नए हैं। अभी तक एमपी में चलाते थे। अगर आगे वाले थाने में कुछ बात हो जाती तो बढ़िया होता। एसओ: हो जाएगा सब चिंता न करो। नंबर दे देंगे। बता देंगे जाकर मिल लेना। कहां तक ले जाओगे? रिपोर्टर: प्रयागराज तक ले जाएंगे। साहब, रवन्ना (लीगल पर्ची) तो रहता है, लेकिन गाड़ी ओवरलोड रहती है। आप भी जानते हैं बिना रवन्ना गाड़ी चलाने वाला नहीं है। एसओ: हां, रवन्ना के बिना चलाने वाला नहीं है। पेनल्टी लंबी लगती है। कोई बात नहीं, जो गाड़ी होगी बताते रहना। रिपोर्टर: साहब अभी तो एक ही गाड़ी है। अगर ठीक-ठाक रहा तो मेरे पास 5 गाड़ियां हैं। एसओ: ठीक है। आपके नेटवर्क में जो भी आएंगे बताते रहना। सब हो जाएगा। रिपोर्टर: क्या रेट चल रहा है इधर का? एसओ: मोबाइल, बड़ी रखे हो क्या? बड़ी वाली कहां है? रिपोर्टर: बड़ी वाली मोबाइल नहीं है। हमारे पास यही छोटी वाली है। एसओ: जेब की तरफ देखते हुए और मोबाइल तो नहीं है। रिपोर्टर: और मोबाइल नहीं है। एसओ: ठीक। इसमें रिकार्ड वाला तो नहीं है। 3 चल रहा है, लेकिन अपना जो देके जाना दिक्कत नहीं होगी। रिपोर्टर जेब से पैसा निकालकर आगे बढ़ाते हुए… एसओ: पाॅकेट में रख… यहां कैमरा लगा है… बाहर जाओ, वहां गाड़ी खड़ी है। वहां लड़का मिलेगा। वहीं जाओ। रिपोर्टर गाड़ी की तरफ जाते हुए। काफी देर बाद एसओ प्रभुनाथ सिंह वर्दी में बाहर आए। गाड़ी से दूर उन्होंने रिपोर्टर को बुलाया। जहां पर उन्होंने साइड से पैसे लिए और जीप में बैठ गए। साथ ही रिपोर्टर को इशारा किया आप जाओ। जिसके बाद हम निकल आए। ट्रक ड्राइवर बोले– खूब वसूली हो रही
कैमरे पर पुलिसवालों को रिश्वत लेते हुए कैप्चर करने के बाद हमने ट्रक वालों से बात की। इसके लिए हम चित्रकूट के नो एंट्री जोन में पहुंचे। जहां लाइन से ट्रक खड़े हुए थे। ट्रक ड्राइवर ने बताया- हम ​​​​​भरतकूप से प्रयागराज जाते हैं। ओवरलोड ट्रकों से वसूली होती है। जब किसी को ओवरलोड ट्रक चलना होता है तो पुलिस थानों वालों को मैनेज करना पड़ता है। अब सड़क पर वसूली नहीं होती, थाने वाले पहले ही जमा करा लेते हैं। जो ओवरलोड चलाता है। वह पहले से पुलिसवालों का मुंह बंद करके रखता है। रेत-गिट्‌टी सप्लाई के गढ़ हैं ये तीनों जिले
यूपी के बांदा, चित्रकूट और कौशांबी जिले रेत, गिट्‌टी के गढ़ हैं। बांदा में केन व बागेन नदी, चित्रकूट में मंदाकिनी नदी और कौशांबी में यमुना व गंगा की सहायक नदियों से अवैध तरीके से रेत निकाली जाती है। फिर इन्हें ट्रकों में भरकर दूसरे जिलों में पहुंचाई जाती है। हर थाने में ओवरलोड ट्रक पास कराने का अलग-अलग रेट है। आखिर में जानिए जिम्मेदार पुलिस अफसर क्या कहते हैं? चित्रकूट के पुलिस अधीक्षक अरुण कुमार सिंह ने कहा… ऐसा कोई प्रकरण मेरे सामने आएगा और कोई साक्ष्य मिलेगा तो मैं कठाेर कार्रवाई करूंगा। ——————————– भास्कर इन्वेस्टिगेशन की ये खबरें भी पढ़ें- यूपी में 5500 रुपए में कट्‌टा:मिठाई की दुकान और शॉपिंग मॉल में बिक रहे, तस्कर बोला- 75 हजार में रिवॉल्वर ये है देसी कट्‌टा… 6 हजार रुपए मांगे हैं, लेकिन 5500 रुपए में लगा देंगे। ये नया है भैया… चला नहीं है। देखो… मैं बताऊं तुमको, ये चलने के बाद सेट हो जाएगा। 1-2 बार चलने के बाद बढ़िया हो जाएगा। यह कहना है अवैध हथियारों के तस्कर अंकित का। ये कासगंज जिले के भरगैन गांव में मिठाई की दुकान में देसी कट्‌टा बेच रहा। इसने पहले रेट बताए, फिर यह भी बताया कि मेन तस्कर कौन है? ये केवल कासगंज में हो रहा है, ऐसा नहीं है। यूपी के कई जिलों में आसानी से कट्‌टे, पिस्टल, रिवॉल्वर मिल रहे हैं। पढ़ें पूरी खबर यूपी में अफसरों को रुपए की पुड़िया दो…पासपोर्ट बनवाओ:कैमरे पर लिए ₹2000, रिजेक्ट एप्लिकेशन अप्रूव पासपोर्ट दफ्तरों पर चलने वाली दलाली और यहां तैनात विदेश मंत्रालय के अफसरों के रुपए लेने के मामले को एक्सपोज करने के लिए दैनिक भास्कर टीम ने गोरखपुर पासपोर्ट ऑफिस में एक महीने तक इन्वेस्टिगेशन किया। जिस फाइल में कमी बताकर यहां के अफसर ने रिजेक्ट किया, उसी फाइल को APO ने अगले दिन 2 हजार रुपए लेकर अप्रूव कर दिया। पढ़ें पूरी खबर यूपी में चल रहे अफ्रीकन-रशियन गर्ल्स के सेक्स रैकेट:स्पा सेंटर्स में एक्स्ट्रा सर्विस के नाम पर कस्टमर्स फंसा रहे; देखें स्टिंग अफ्रीकन… रशियन… थाई… ये लड़कियां जिस्मफरोशी के लिए खुद की नुमाइश कर रही हैं। यूपी में स्पा सेंटर की आड़ में इंडियन और थाई गर्ल्स से वैश्यावृत्ति कराना आम बात है। अब इन स्पा सेंटरों में काम्पिटिशन इतना बढ़ गया कि ये कस्टमर्स को फंसाने के लिए अफ्रीकन और रशियन गर्ल्स का सेक्स रैकेट चला रहे हैं। सोशल मीडिया से लेकर गली-चौराहे तक इनके एजेंट एक्टिव हैं, जो लड़कियां उपलब्ध करा रहे। पढ़ें पूरी खबर