अखिलेश के फॉर्मूले को डैमेज कर रहीं मायावती:दलितों के बाद पिछड़ों की बड़ी बैठक बुलाई, मुस्लिम भाईचारा कमेटी भी बनाई

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती एक महीने के अंदर चौथी बड़ी बैठक करने जा रही हैं। 1 नवंबर को बसपा की लखनऊ में पिछड़ों की बैठक बुलाई गई है। वैसे तो ये बैठक हर महीने की 11 तारीख को होती थी। इस बैठक को प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल, मेवालाल गौतम और प्रदेश कोषाध्यक्ष एवं राष्ट्रीय महासचिव राम अवतार मित्तल लेते थे। लेकिन पहली बार इस बैठक की तारीख में बदलाव किया गया है। बैठक की सूचना भी मायावती के कार्यालय से दी गई है। पार्टी सूत्रों की मानें तो बसपा की दलितों के बाद अब पिछड़ों पर नजर है। इसके साथ ही मायावती ने मुस्लिम भाईचारा कमेटियों का भी गठन कर दिया है। राजनीतिक जानकार बसपा के इस कदम को 2027 विधानसभा से पहले सपा के PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) की काट के तौर पर देख रहे हैं। आखिर क्या है बसपा का पूरा प्लान? ओबीसी और मुस्लिमों को साध कर बसपा क्या हासिल करना चाहती है? पढ़िए ये रिपोर्ट…. बसपा की इस बैठक में पिछड़ा वर्ग भाईचारा कमेटी के मंडल प्रभारी और जिले के पिछड़ा वर्ग भाईचारा कमेटी के प्रभारी शामिल होंगे। 9 अक्टूबर की लखनऊ में बड़ी संख्या में दलितों के साथ ओबीसी समाज के लोग भी आए थे। अब मायावती पिछड़ा वर्ग के भाईचारा कमेटी की बैठक बुलाकर इस सफलता के लिए धन्यवाद देंगी। साथ ही उन्हें अपने–अपने क्षेत्रों में ओबीसी समाज के बीच जाकर आभार जताएंगी और पार्टी की नीतियों–रीतियों से अवगत कराएंगी। प्रदेश में ओबीसी की आबादी 50 प्रतिशत से अधिक है। 8 प्रतिशत यादव जहां सपा का कोर वोटर हैं वहीं, कुर्मी-निषाद व राजभर के नाम से क्षेत्रीय पार्टियां और क्षत्रप अलग–अलग दलों में इन तबकों के वोट बटोरते रहते हैं। बाकी 30 प्रतिशत ओबीसी समाज बिखरा हुआ है। ओबीसी समाज बसपा के लिए कितना जरूरी? मायावती की नजर ओबीसी की इन जातियों को एकजुट करने पर है। यही कारण है कि बसपा ने लगातार दूसरी बार अति पिछड़े पाल समाज से आने वाले विश्वनाथ पाल को दूसरी बार प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी है। बसपा की राजनीति पर करीब से नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार सैय्यद कासिम कहते हैं- मायावती सोशल इंजीनियरिंग की धार को तेज करने में जुटी हैं। दलित, ओबीसी, मुस्लिम भाईचारा कमेटियों का गठन और बैठकें इसी दिशा की ओर संकेत कर रहे हैं। 2007 में बसपा में ओबीसी समाज से आने वाले बाबू कुशवाहा, स्वामी प्रसाद मौर्य, ओमप्रकाश राजभर, राम अचल राजभर, रामप्रसाद चौधरी, दद्दू प्रसाद, सुखदेव राजभर, फागू चौहान जैसे कई चेहरे थे। इसमें से कई को मायावती ने अपने मंत्रिमंडल में भी जगह दी थी। बसपा ने मुस्लिम भाईचारा कमेटियों का भी गठन किया बहुजन समाज पार्टी ने प्रदेश में मुस्लिम भाईचारा कमेटियों का गठन शुरू कर दिया है। मायावती ने अयोध्या मंडल में मुस्लिम भाईचारा कमेटी का संयोजक मोहम्मद असद को बनाया है। इसी तरह राजधानी लखनऊ में ये जिम्मेदारी सरवर मलिक को सौंपी है। अभी मंडलों में मुस्लिम भाईचारा कमेटियों का गठन किया जा रहा है। इसके बाद जिले स्तर पर और फिर विधानसभा स्तर पर मुस्लिम भाईचारा कमेटियों का गठन होगा। मायावती अपनी पिछली बैठक में ही स्पष्ट कर चुकी हैं कि जनवरी 2026 से पहले पूरे प्रदेश में विभिन्न समाज के भाईचारा कमेटियों का गठन पूरा कर लिया जाए। वरिष्ठ पत्रकार रतन मणि लाल कहते हैं- बसपा जब सपा के सहयोग से सत्ता में भागीदार बनी थी, तो सिर्फ दलितों का आधार था। पर इसके बाद उसने अपना जनाधार बढ़ाने के लिए भाईचारा सम्मेलनों के बहाने अलग–अलग जातियों को जोड़ना शुरू किया था। तब बड़ी संख्या में मुस्लिम बसपा से जुड़े थे। बसपा में नंबर दो की हैसियत में कई बड़े मुस्लिम चेहरे थे। नसीमुद्दीन सिद्दकी बसपा के कद्दावर मुस्लिम चेहरों में से एक थे। बसपा की इस रणनीति से सपा के PDA को कितना नुकसान राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बसपा के इस सोशल इंजीनियरिंग फॉर्मूले से सबसे अधिक सपा में घबराहट देखी जा रही है। 9 अक्टूबर के कार्यक्रम के बाद जिस तरीके से सपा के नेताओं ने बसपा प्रमुख मायावती पर हमला बोला, उससे साफ है कि बसपा की रणनीति से सपा को नुकसान का अंदेशा है। सपा को 2024 में PDA के नारे का सबसे अधिक लाभ मिला। तब सपा को मुस्लिम, ओबीसी और दलितों की बड़ी आबादी का समर्थन मिला था। बसपा ने पिछले एक महीने में 4 बड़े आयोजन के बहाने सपा की PDA की हवा निकालने में जुटी है। बसपा ने 9 अक्टूबर के कार्यक्रम के बहाने जहां दलित (D) वोटरों को साधा है। वहीं 16 व 19 अक्टूबर को लखनऊ में यूपी–उत्तराखंड और राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक कर बड़ा संदेश देने की कोशिश की है। अब 1 नवंबर को पिछड़ा वर्ग भाईचारा कमेटी की बैठक बुलाकर और मुस्लिम भाईचारा कमेटी का गठन कर मायावती ने सपा के पिछड़े (P) और अल्पसंख्यक (A) को टारगेट किया है। जानिए ओबीसी पर क्यों है बसपा की नजर? ——————– ये खबर भी पढ़ें… ‘चंद्रशेखर ने कहा था मायावती कांशीराम को ब्लैकमेल करती थीं’:रोहिणी ने सांसद से बातचीत का 3 मिनट का AUDIO पोस्ट किया नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद को लेकर उनकी एक्स गर्लफ्रेंड डॉ. रोहिणी घावरी ने शुक्रवार को X पर एक ऑडियो पोस्ट किया। रोहिणी ने लिखा- बहनजी के प्रति चंद्रशेखर की गंदी सोच, बहुजन आंदोलन को खत्म करने की साजिश है। चंद्रशेखर ने कहा था कि बहनजी कांशीराम साहब को ब्लैकमेल करती थीं। धमकी देती थीं, मुख्यमंत्री नहीं बनाया तो समाज को बताऊंगी कि कांशीराम साहब ने मेरा रेप किया है। आकाश आनंद के पिता ने कांशीराम साहब के सिर पर बंदूक रखी थी। पढ़ें पूरी खबर