समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय महासचिव आजम खान ने सुरक्षा लेने से इनकार कर दिया है, लेकिन लिखा-पढ़ी में उन्होंने मना नहीं किया है, इसलिए उनके लिए आवंटित सुरक्षा कर्मी उनके पास भले न हों, उनके इर्द-गिर्द मौजूद हैं। आजम खान को वाई श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त है। जेल जाने के बाद उनकी सुरक्षा को निलंबित रखा गया था। जमानत मिलने और जेल से रिहा होने के बाद उनकी सुरक्षा बहाल कर दी गई। लेकिन ये सुरक्षा कर्मी जब अपनी ड्यूटी निभाने पहुंचे तो आजम खान ने उन्हें मना कर दिया। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि यूपी में कितने लोगों के पास कैटेगराइज सुरक्षा है, इसमें कितने के पास जेड प्लस, कितने के पास जेड, वाई प्लस, वाई और एक्स कैटेगरी की सुरक्षा है? किस कैटेगरी में कितने पुलिस कर्मी होते हैं? ‘दैनिक भास्कर’ की खास खबर में जानिए… केंद्र व राज्य सरकार शीर्ष पदों पर बैठे लोगों के साथ-साथ महत्वपूर्ण लोगों को खतरे का आकलन करते हुए सुरक्षा मुहैया कराती है। इसमें वर्तमान राज्यपाल और मुख्यमंत्री के साथ-साथ पूर्व मुख्यमंत्रियों व उप मुख्यमंत्रियों का नाम शामिल होता है। उत्तर प्रदेश में कुल 98 लोगों को कैटेगराइज सुरक्षा दी गई है। इसमें अलग-अलग कैटेगरी शामिल है। सबसे अधिक 26 लोगों को वाई श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त है। वहीं वाई प्लस 10, एस्कॉर्ट के साथ वाई कैटेगरी 10 और एस्कॉर्ट के साथ वाई प्लस कैटेगरी की सुरक्षा 13 लोगों को मिली हुई है। पूर्व उप मुख्यमंत्री के पास जेड प्लस सुरक्षा जेड प्लस के जिन 12 लोगों को सुरक्षा मिली है, उनमें राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ–साथ अखिलेश यादव और मायावती शामिल हैं। इनके अलावा केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, पूर्व सांसद मुरली मनोहर जोशी, विनय कटियार, सुरेश राणा, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, पूर्व उप मुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान व हाईकोर्ट के एक रिटायर्ड जज को ये सुरक्षा मुहैया कराई गई है। ब्रजेश पाठक को जेड प्लस सुरक्षा नहीं प्रदेश सरकार में उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को जेड प्लस सुरक्षा नहीं है, बल्कि इन्हें जेड कैटेगरी की सुरक्षा दी गई है। बसपा के कद्दावर नेता सतीश चंद्र मिश्रा को भी जेड श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की गई है। इनके अलावा मेरठ की सरधना सीट से भाजपा के टिकट पर विधायक रह चुके संगीत सोम, गोंडा से 6 बार सांसद रह चुके ब्रजभूषण शरण सिंह, प्रदेश सरकार में मंत्री नंद गोपाल नंदी, पूर्व मंत्री महेंद्र सिंह, मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, जयवीर सिंह और कांग्रेस के नेता प्रमोद तिवारी का नाम शामिल है। इन मंत्रियों के पास वाई प्लस कैटेगरी की सुरक्षा
प्रदेश सरकार के जिन मंत्रियों को वाई प्लस कैटेगरी की सुरक्षा मिली हुई है, उसमें लक्ष्मी नारायण चौधरी, बेबी रानी मौर्य, ओम प्रकाश राजभर, बलदेव सिंह औलख शामिल हैं। जबकि कुछ सांसद व विधायकों को भी इसी कैटेगरी की सुरक्षा दी गई है। उन्नाव से सांसद स्वामी सच्चिदानंद साक्षी, रायबरेली से विधायक आदिति सिंह, लखनऊ की सरोजनी नगर सीट से विधायक राजेश्वर सिंह, रामपुर से विधायक आकाश सक्सेना, अलीगढ़ से विधायक ठाकुर जयवीर सिंह और गाजीपुर से एमएलसी विशाल सिंह चंचल को भी वाई प्लस कैटेगरी की सुरक्षा एस्कॉर्ट के साथ मुहैया कराई गई है। इसके अलावा पूर्व मंत्री नरेश अग्रवाल और पूर्व सांसद दिनेश लाल निरहुआ, पूर्व केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय का नाम शामिल है। संजय निषाद को वाई श्रेणी की सुरक्षा
प्रदेश सरकार में मत्स्य मंत्री संजय निषाद को वाई श्रेणी की सुरक्षा एस्कॉर्ट के साथ मिली है। राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह, पूर्व राज्यपाल कलराज मिश्रा, पूर्व राज्यपाल फागू चौहान, महिला आयोग की उपाध्यक्ष अपर्णा बिष्ट यादव, पूर्व डीजीपी और भाजपा के मौजूदा राज्यसभा सांसद बृज लाल, कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह, कौशांबी की चायल सीट से विधायक पूजा पाल और काशी में मणिकर्णिका घाट के महंत संतोष दास उर्फ सतुआ बाबा को भी एस्कॉर्ट के साथ वाई श्रेणी की सुरक्षा मिली है। इसके अलावा 10 लोगों को वाई प्लस, 26 लोगों को वाई और 17 लोगों को एक्स कैटेगरी में सुरक्षा हासिल है। इन धर्म गुरुओं को भी सरकार ने मुहैया करा रखी है सुरक्षा
जिन लोगों को सुरक्षा हासिल है, उसमें कई धर्म गुरु भी शामिल हैं। इसमें महंत संतोष दास उर्फ सतुआ बाबा के पास एस्कॉर्ट के साथ वाई कैटेगरी की सुरक्षा है। प्रयागराज में जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती के पास वाई प्लस कैटेगरी, दारुल उलूम देवबंद के मौलाना अरशद मदनी को वाई श्रेणी, लखनऊ में ऐशबाग ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली को वाई श्रेणी और श्री 108 महाराज बलदेव गिरी जो बाघंबरी गद्दी मठ के पीठाधीश्वर हैं, उनको भी वाई कैटेगरी की सुरक्षा उपलब्ध है। शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन और अपना धर्म परिवर्तन कर चुके जितेंद्र त्यागी उर्फ वसीम रिजवी को भी सरकार ने वाई प्लस कैटेगरी की सुरक्षा मुहैया करा रखी है। कैटेगरी के अतिरिक्त भी मुहैया कराई जाती है सुरक्षा
इन कैटेगरी के अलावा भी लोगों के जीवन भय को देखते हुए सुरक्षा मुहैया कराई जाती है। इसके तहत एक से दो गनर तक दिए जाते हैं। एसपी–डीएम की कमेटी एक माह के लिए किसी भी व्यक्ति को उसकी सुरक्षा की आवश्यकता का आकलन करते हुए सुरक्षा दे सकती है। इससे अधिक किसी को सुरक्षा देने के लिए मंडलायुक्त स्तर की कमेटी का अनुमोदन लेना जरूरी होता है। तीन माह से अधिक के लिए शासन स्तर पर गृह विभाग निर्णय लेता है। निजी खर्चे पर भी मिलती है सुरक्षा
शासन स्तर पर सुरक्षा का आकलन और मांग को देखते हुए कई निजी व्यय पर भी सुरक्षा के लिए गनर उपलब्ध कराए जाते हैं। इसमें 10 प्रतिशत, 25 प्रतिशत, 50 प्रतिशत व 100 प्रतिशत व्यय पर भी गनर उपलब्ध कराए जाते हैं। व्यय का आकलन संबंधित पुलिस कर्मी पर होने वाले कुल खर्च को जोड़कर लिया जाता है। अपनी पसंद का सुरक्षा कर्मी तय कर सकते हैं सुरक्षा प्राप्त महानुभाव
लंबे समय तक राज्यपाल के साथ सुरक्षा अधिकारी के तौर पर रहे जफर अब्बास नकवी बताते हैं- हर कैटेगरी के लिए सुरक्षा कर्मियों की अलग-अलग संख्या होती है। लेकिन मुख्यमंत्री या राज्यपाल अपनी आवश्यकता को देखते हुए इसे बढ़ा भी सकते हैं। इतना ही नहीं कई बार वीआईपी अपनी पसंद के अफसर या सुरक्षा कर्मी की तैनाती पर अधिक विश्वास करते हैं। सांसदों-विधायकों को मिलता है गनर
इन सबके अतिरिक्त भी जिन लोगों को सुरक्षा मुहैया कराई जाती है उसमें प्रदेश की लोकसभा सीटों से निर्वाचित होने वाले सांसदों, प्रदेश के सभी विधायकों और राज्य सभा व विधान परिषद के सदस्यों को को 1–1 गनर संबंधित जिले से दे दिए जाते हैं। कई विधायक इसके अतिरिक्त भी गनर अलॉट करा लेते हैं। स्टेटस सिंबल मानी जाती है सुरक्षा
वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र कुमार कहते हैं- सरकार ने सुरक्षा के लिए मानक तय किए हुए हैं। इसमें राज्यपाल और मुख्यमंत्री के अतिरिक्त मंत्रियों को सुरक्षा देने का प्रावधान है। लेकिन कई बार मंत्री इसे लेने से मना कर देते हैं। बहुत से लोगों को सुरक्षा इंटेलिजेंस या आईबी के इनपुट के आधार पर उपलब्ध कराई जाती है। कई बार विधायक अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए अधिक गनर उपलब्ध करा लेते हैं। क्षेत्र में खुद को बड़ा नेता दिखाने की होड़ रहती है। ऐसे में कुछ स्टेटस सिंबल के लिए सुरक्षा लेते हैं। सत्ता की कृपा से भी मिलती है सुरक्षा
राजेंद्र कुमार बताते हैं- कई ऐसे लोग हैं, जिन्हें सत्ता लामबंदी या खुश करने के लिए सुरक्षा मुहैया कराती रही है। मसलन बुलंदशहर के रहने वाले गुड्डू पंडित को गनर और सुरक्षा रखने का शौक था। मायावती सरकार में उसे जेड सिक्योरिटी मिली हुई थी। एक मामले में जब वे जेल गए तो सुरक्षा वापस ले ली गई। गुड्डू पंडित सपा सरकार के दौरान भी सुरक्षा के लिए जोड़-तोड़ करते रहते थे। बाद में वे भाजपा में शामिल हुए तो उन्हें कमांडो उपलब्ध करा दिए गए। लेकिन उन्होंने भाजपा का विरोध शुरू किया तो सुरक्षा वापस ले ली गई। अब उनके पास कोई सुरक्षा नहीं है। पूर्व डीजीपी अरविंद कुमार जैन कहते हैं- कुछ लोगों को पदों के हिसाब से सुरक्षा मुहैया कराई जाती है, कुछ को व्यक्तिगत कारणों से भी सुरक्षा दी जाती है। विभिन्न श्रेणी की दी जाने वाली सुरक्षा को लेकर समय-समय पर रिव्यू होता रहता है। प्रमुख सचिव गृह की अध्यक्षता में गठित समिति निर्णय लेती है। ये थ्रेट परसेप्शन के आधार पर तय होता है कि किसे-किस श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी। कई बार गवाहों को भी सुरक्षा उसके ऊपर मंडराते खतरे को देखते हुए उपलब्ध कराई जाती है। ———————– ये खबर भी पढ़ें… यूपी में उद्घाटन के बाद बंद हुए 7 एयरपोर्ट:श्रावस्ती में रेलवे स्टेशन नहीं, पर एयरपोर्ट बना; कई तो 50-70 किलोमीटर दूरी पर बने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले 10 मार्च, 2024 को पीएम नरेंद्र मोदी ने चित्रकूट एयरपोर्ट का वर्चुअल उद्घाटन किया। इस तरह से बुंदेलखंड को अपना पहला एयरपोर्ट मिल गया। शुरुआत में चित्रकूट से लखनऊ की उड़ानें शुरू हुईं। हफ्ते में 4 दिन उड़ानें होती थीं, लेकिन धीरे-धीरे ये कम होती गईं। 4 महीने बीते और एयरपोर्ट से उड़ानें पूरी तरह से बंद हो गईं। पिछले करीब 1 साल से यहां से कोई यात्री विमान उड़ान नहीं भर सका। 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने 20 अक्टूबर, 2021 को कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट का उद्घाटन किया। पढ़ें पूरी खबर
प्रदेश सरकार के जिन मंत्रियों को वाई प्लस कैटेगरी की सुरक्षा मिली हुई है, उसमें लक्ष्मी नारायण चौधरी, बेबी रानी मौर्य, ओम प्रकाश राजभर, बलदेव सिंह औलख शामिल हैं। जबकि कुछ सांसद व विधायकों को भी इसी कैटेगरी की सुरक्षा दी गई है। उन्नाव से सांसद स्वामी सच्चिदानंद साक्षी, रायबरेली से विधायक आदिति सिंह, लखनऊ की सरोजनी नगर सीट से विधायक राजेश्वर सिंह, रामपुर से विधायक आकाश सक्सेना, अलीगढ़ से विधायक ठाकुर जयवीर सिंह और गाजीपुर से एमएलसी विशाल सिंह चंचल को भी वाई प्लस कैटेगरी की सुरक्षा एस्कॉर्ट के साथ मुहैया कराई गई है। इसके अलावा पूर्व मंत्री नरेश अग्रवाल और पूर्व सांसद दिनेश लाल निरहुआ, पूर्व केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय का नाम शामिल है। संजय निषाद को वाई श्रेणी की सुरक्षा
प्रदेश सरकार में मत्स्य मंत्री संजय निषाद को वाई श्रेणी की सुरक्षा एस्कॉर्ट के साथ मिली है। राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह, पूर्व राज्यपाल कलराज मिश्रा, पूर्व राज्यपाल फागू चौहान, महिला आयोग की उपाध्यक्ष अपर्णा बिष्ट यादव, पूर्व डीजीपी और भाजपा के मौजूदा राज्यसभा सांसद बृज लाल, कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह, कौशांबी की चायल सीट से विधायक पूजा पाल और काशी में मणिकर्णिका घाट के महंत संतोष दास उर्फ सतुआ बाबा को भी एस्कॉर्ट के साथ वाई श्रेणी की सुरक्षा मिली है। इसके अलावा 10 लोगों को वाई प्लस, 26 लोगों को वाई और 17 लोगों को एक्स कैटेगरी में सुरक्षा हासिल है। इन धर्म गुरुओं को भी सरकार ने मुहैया करा रखी है सुरक्षा
जिन लोगों को सुरक्षा हासिल है, उसमें कई धर्म गुरु भी शामिल हैं। इसमें महंत संतोष दास उर्फ सतुआ बाबा के पास एस्कॉर्ट के साथ वाई कैटेगरी की सुरक्षा है। प्रयागराज में जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती के पास वाई प्लस कैटेगरी, दारुल उलूम देवबंद के मौलाना अरशद मदनी को वाई श्रेणी, लखनऊ में ऐशबाग ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली को वाई श्रेणी और श्री 108 महाराज बलदेव गिरी जो बाघंबरी गद्दी मठ के पीठाधीश्वर हैं, उनको भी वाई कैटेगरी की सुरक्षा उपलब्ध है। शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन और अपना धर्म परिवर्तन कर चुके जितेंद्र त्यागी उर्फ वसीम रिजवी को भी सरकार ने वाई प्लस कैटेगरी की सुरक्षा मुहैया करा रखी है। कैटेगरी के अतिरिक्त भी मुहैया कराई जाती है सुरक्षा
इन कैटेगरी के अलावा भी लोगों के जीवन भय को देखते हुए सुरक्षा मुहैया कराई जाती है। इसके तहत एक से दो गनर तक दिए जाते हैं। एसपी–डीएम की कमेटी एक माह के लिए किसी भी व्यक्ति को उसकी सुरक्षा की आवश्यकता का आकलन करते हुए सुरक्षा दे सकती है। इससे अधिक किसी को सुरक्षा देने के लिए मंडलायुक्त स्तर की कमेटी का अनुमोदन लेना जरूरी होता है। तीन माह से अधिक के लिए शासन स्तर पर गृह विभाग निर्णय लेता है। निजी खर्चे पर भी मिलती है सुरक्षा
शासन स्तर पर सुरक्षा का आकलन और मांग को देखते हुए कई निजी व्यय पर भी सुरक्षा के लिए गनर उपलब्ध कराए जाते हैं। इसमें 10 प्रतिशत, 25 प्रतिशत, 50 प्रतिशत व 100 प्रतिशत व्यय पर भी गनर उपलब्ध कराए जाते हैं। व्यय का आकलन संबंधित पुलिस कर्मी पर होने वाले कुल खर्च को जोड़कर लिया जाता है। अपनी पसंद का सुरक्षा कर्मी तय कर सकते हैं सुरक्षा प्राप्त महानुभाव
लंबे समय तक राज्यपाल के साथ सुरक्षा अधिकारी के तौर पर रहे जफर अब्बास नकवी बताते हैं- हर कैटेगरी के लिए सुरक्षा कर्मियों की अलग-अलग संख्या होती है। लेकिन मुख्यमंत्री या राज्यपाल अपनी आवश्यकता को देखते हुए इसे बढ़ा भी सकते हैं। इतना ही नहीं कई बार वीआईपी अपनी पसंद के अफसर या सुरक्षा कर्मी की तैनाती पर अधिक विश्वास करते हैं। सांसदों-विधायकों को मिलता है गनर
इन सबके अतिरिक्त भी जिन लोगों को सुरक्षा मुहैया कराई जाती है उसमें प्रदेश की लोकसभा सीटों से निर्वाचित होने वाले सांसदों, प्रदेश के सभी विधायकों और राज्य सभा व विधान परिषद के सदस्यों को को 1–1 गनर संबंधित जिले से दे दिए जाते हैं। कई विधायक इसके अतिरिक्त भी गनर अलॉट करा लेते हैं। स्टेटस सिंबल मानी जाती है सुरक्षा
वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र कुमार कहते हैं- सरकार ने सुरक्षा के लिए मानक तय किए हुए हैं। इसमें राज्यपाल और मुख्यमंत्री के अतिरिक्त मंत्रियों को सुरक्षा देने का प्रावधान है। लेकिन कई बार मंत्री इसे लेने से मना कर देते हैं। बहुत से लोगों को सुरक्षा इंटेलिजेंस या आईबी के इनपुट के आधार पर उपलब्ध कराई जाती है। कई बार विधायक अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए अधिक गनर उपलब्ध करा लेते हैं। क्षेत्र में खुद को बड़ा नेता दिखाने की होड़ रहती है। ऐसे में कुछ स्टेटस सिंबल के लिए सुरक्षा लेते हैं। सत्ता की कृपा से भी मिलती है सुरक्षा
राजेंद्र कुमार बताते हैं- कई ऐसे लोग हैं, जिन्हें सत्ता लामबंदी या खुश करने के लिए सुरक्षा मुहैया कराती रही है। मसलन बुलंदशहर के रहने वाले गुड्डू पंडित को गनर और सुरक्षा रखने का शौक था। मायावती सरकार में उसे जेड सिक्योरिटी मिली हुई थी। एक मामले में जब वे जेल गए तो सुरक्षा वापस ले ली गई। गुड्डू पंडित सपा सरकार के दौरान भी सुरक्षा के लिए जोड़-तोड़ करते रहते थे। बाद में वे भाजपा में शामिल हुए तो उन्हें कमांडो उपलब्ध करा दिए गए। लेकिन उन्होंने भाजपा का विरोध शुरू किया तो सुरक्षा वापस ले ली गई। अब उनके पास कोई सुरक्षा नहीं है। पूर्व डीजीपी अरविंद कुमार जैन कहते हैं- कुछ लोगों को पदों के हिसाब से सुरक्षा मुहैया कराई जाती है, कुछ को व्यक्तिगत कारणों से भी सुरक्षा दी जाती है। विभिन्न श्रेणी की दी जाने वाली सुरक्षा को लेकर समय-समय पर रिव्यू होता रहता है। प्रमुख सचिव गृह की अध्यक्षता में गठित समिति निर्णय लेती है। ये थ्रेट परसेप्शन के आधार पर तय होता है कि किसे-किस श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी। कई बार गवाहों को भी सुरक्षा उसके ऊपर मंडराते खतरे को देखते हुए उपलब्ध कराई जाती है। ———————– ये खबर भी पढ़ें… यूपी में उद्घाटन के बाद बंद हुए 7 एयरपोर्ट:श्रावस्ती में रेलवे स्टेशन नहीं, पर एयरपोर्ट बना; कई तो 50-70 किलोमीटर दूरी पर बने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले 10 मार्च, 2024 को पीएम नरेंद्र मोदी ने चित्रकूट एयरपोर्ट का वर्चुअल उद्घाटन किया। इस तरह से बुंदेलखंड को अपना पहला एयरपोर्ट मिल गया। शुरुआत में चित्रकूट से लखनऊ की उड़ानें शुरू हुईं। हफ्ते में 4 दिन उड़ानें होती थीं, लेकिन धीरे-धीरे ये कम होती गईं। 4 महीने बीते और एयरपोर्ट से उड़ानें पूरी तरह से बंद हो गईं। पिछले करीब 1 साल से यहां से कोई यात्री विमान उड़ान नहीं भर सका। 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने 20 अक्टूबर, 2021 को कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट का उद्घाटन किया। पढ़ें पूरी खबर