भाजपा को नेताओं के झगड़े महंगे न पड़ जाएं:यूपी के कई जिलों में सड़क पर दिख रही गुटबाजी, पार्टी कार्रवाई क्यों नहीं कर रही?

‘अगर गुंडों की बात की जाएगी, तो मुझसे बड़ा गुंडा कोई नहीं। मैं कानपुर देहात का सबसे बड़ा हिस्ट्रीशीटर हूं।’- भाजपा सांसद देवेंद्र सिंह भोले ‘सांसद ने दिशा समिति में ऐसे लोगों को शामिल किया है, जो आम लोगों को टारगेट करते हैं। झूठे मुकदमे दर्ज कराते हैं।’-पूर्व सांसद अनिल शुक्ल वारसी कानपुर देहात की इस घटना से साफ हो गया कि भाजपा में अंदरूनी घमासान तेज है। गोंडा, हापुड़ और आजमगढ़ में भी पार्टी नेताओं की गुटबाजी अब सड़कों और सभागारों तक पहुंच गई है। कहीं सांसद और मंत्री आमने-सामने हैं, तो कहीं विधायक और पदाधिकारी एक-दूसरे पर हमला बोल रहे। एक ओर, भाजपा पंचायत चुनाव से लेकर विधानसभा चुनाव तक की जमीन मजबूत करना चाहती है। दूसरी ओर, नेता एक-दूसरे की टांग खींचने पर उतारू हैं। अनुशासन को मिसाल बताने वाली भाजपा में बढ़ती खींचतान ने एकजुटता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अगर यह स्थिति समय रहते नहीं संभली, तो पंचायत से लेकर विधानसभा चुनाव तक इसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ सकता है। भाजपा में सांसद और विधायकों के बीच यूं तो लोकसभा चुनाव के बाद से ही घमासान शुरू हो गया था। चुनाव में हारे भाजपा प्रत्याशियों के साथ नवनिर्वाचित सांसदों ने भी विधायकों पर चुनाव में विरोध करने के आरोप लगाए थे। फतेहपुर से चुनाव हारी साध्वी निरंजन ज्योति ने खुलकर आरोप लगाया था कि पार्टी के लोगों ने ही चुनाव हराया। सीतापुर के पूर्व सांसद राजेश वर्मा ने भी हार के बाद ऐसी ही वजह गिनाई थी। कानपुर देहात के सांसद देवेंद्र सिंह भोले और राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला के बीच भी वहीं से विवाद बढ़ा। यह विवाद अब भाजपा के गले की हड्‌डी बन गया है। घटनाएं, जिनसे भाजपा की गुटबाजी खुलकर सामने आई 1- देवेंद्र सिंह भोले Vs अनिल शुक्ल
कानपुर देहात के भाजपा सांसद देवेंद्र सिंह भोले और पूर्व सांसद अनिल शुक्ल वारसी का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। 4 नवंबर को जिलाधिकारी दफ्तर के सभागार में दिशा की बैठक में पहले दोनों के समर्थकों में कहासुनी हुई। फिर देवेंद्र सिंह भोले और अनिल शुक्ल में जमकर गाली गलौज हुई। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर जमकर शेयर किया गया। दोनों के झगड़े के चलते बैठक को स्थगित करना पड़ा था। उसके बाद देवेंद्र सिंह भोले ने मीडिया में बयान देकर कहा कि उनसे बड़ा कोई बदमाश नहीं। वह खुद हिस्ट्रीशीटर रहे हैं। दरअसल, अनिल शुक्ल और उनकी पत्नी प्रतिभा शुक्ल 2016 में भाजपा में शामिल हुए थे। रनिया से प्रतिभा शुक्ला दूसरी बार विधायक होने के नाते सरकार में मंत्री बनाई गईं। अनिल शुक्ला और सांसद देवेंद्र सिंह भोले के बीच वर्चस्व की लड़ाई है। दोनों के बीच बाहरी बनाम कैडर की भी जंग है। भाजपा कैडर से होने के नाते देवेंद्र सिंह भोले की संगठन में मजबूत पकड़ है। वह जहां ठाकुरों की पैरवी करते हैं, वहीं शुक्ला ब्राह्मणों की पैरोकार हैं। जानकार मानते हैं कि दोनों के बीच जंग ऐसे ही चलती रही तो इसका खामियाजा भाजपा को उठाना पड़ेगा। नोटिस का भी असर नहीं
योगी सरकार की मंत्री प्रतिभा शुक्ला और उनके पति अनिल शुक्ल वारसी ने जुलाई महीने में कोतवाली में धरना दिया था। तब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने अनिल शुक्ल वारसी को नोटिस देकर जवाब तलब किया था। पार्टी के नोटिस के बाद भी अनिल के रवैए में कोई बदलाव नहीं आया। जिलाधिकारी सभागार में जो हुआ, उससे भी पार्टी की छवि खराब हुई। 2- गोंडा में भी दो नेताओं के बीच जातीय संघर्ष
कानपुर कांड से पहले गोंडा में भी गुटबाजी सामने आ चुकी है। सितंबर में गोंडा में कटरा बाजार ब्लॉक ऑफिस के सभागार में जीएसटी संशोधन के लिए पीएम नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देने के लिए बैठक हुई। इसमें जिले के कटरा बाजार से भाजपा विधायक बावन सिंह और कटरा बाजार ब्लॉक प्रमुख जुगरानी शुक्ला के समर्थकों के बीच हिंसक झड़प हो गई। इस दौरान ईंट-पत्थर चले, कुर्सियां तोड़ी गईं और जमकर हाथापाई हुई। पुलिस फोर्स ने मौके पर पहुंचकर बमुश्किल हालात संभाले थे। 3- हापुड़ में सड़क पर उतरी कमीशनखोरी
हापुड़ से भाजपा विधायक विजयपाल आड़ती और सह मीडिया प्रभारी जय भगवान शर्मा के बीच 7 हजार गज जमीन की खरीद-फरोख्त के 10 लाख रुपए कमीशन विवाद को लेकर विवाद हुआ। विधायक को सड़क पर गाड़ी से उतार लिया गया। उनके खिलाफ कोतवाली में एफआईआर भी दर्ज कराई गई। 4- आजमगढ़ में क्षेत्रीय अध्यक्ष और जिलाध्यक्ष का विवाद
आजमगढ़ में मंत्री अनिल राजभर जिला पंचायत के नेहरू हॉल में हुए कार्यक्रम में शामिल होने गए थे। कार्यक्रम में कुछ समर्थक भिड़ गए। एक तरफ, क्षेत्रीय अध्यक्ष सहजानंद राय के करीबी और भाजयुमो के मंत्री अमन श्रीवास्तव थे। दूसरी ओर, जिलाध्यक्ष ध्रुव कुमार सिंह के करीबी और भाजयुमो के जिलाध्यक्ष निखिल राय गुट था। कोतवाली में भी दोनों पक्षों के बीच जमकर लात-घूसे चले। 5- पूर्व और मौजूदा अध्यक्षों में विवाद
भाजपा में पश्चिम, गोरखपुर और कानपुर क्षेत्र में पूर्व क्षेत्रीय अध्यक्ष और मौजूदा क्षेत्रीय अध्यक्षों के बीच का विवाद भी भाजपा के लिए परेशानी का सबब बना है। गोरखपुर में प्रदेश उपाध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह सेंथवार और मौजूदा क्षेत्रीय अध्यक्ष सहजानंद राय के बीच खुला विवाद है। आरोप है कि जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में भी धर्मेंद्र सेंधवार ने प्रदेश मुख्यालय में अपनी पकड़ का फायदा उठाकर सहजानंद राय के करीबी लोगों को किनारे लगा दिया। धर्मेंद्र सिंह के करीबी जिलाध्यक्ष अब सहजानंद को फेल करने में जुटे हुए हैं। बीते दिनों आजमगढ़ में प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी की मौजूदगी में एक महिला कार्यकर्ता ने हंगामा किया था। इसके पीछे भी कारण धर्मेंद्र और सहजानंद के बीच की टशन है। सहजानंद इसकी शिकायत लखनऊ से दिल्ली तक उच्च स्तर पर कर चुके हैं। उधर, कानपुर क्षेत्र में भी पूर्व क्षेत्रीय अध्यक्ष एवं प्रदेश उपाध्यक्ष मानवेंद्र सिंह और मौजूदा क्षेत्रीय अध्यक्ष प्रकाश पाल के बीच ऐसा ही विवाद है। मंडल से लेकर जिलाध्यक्ष तक दोनों के गुट बंटे हैं। प्रदेश मुख्यालय तक शिकायतें पहुंच रही हैं कि मानवेंद्र सिंह के करीबी जिलाध्यक्ष प्रकाश पाल को सहयोग नहीं कर रहे। नतीजतन संगठन का कामकाज प्रभावित हो रहा है। ऐसी ही कुछ स्थिति पश्चिम क्षेत्र में भी है। पश्चिम में भी पूर्व क्षेत्रीय अध्यक्ष एवं प्रदेश उपाध्यक्ष मोहित बेनीवाल और मौजूदा क्षेत्रीय अध्यक्ष सतेन्द्र सिसोदिया के बीच भी वर्चस्व की लड़ाई है। कार्रवाई न होने से बढ़ रहे मामले
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि बीते दिनों प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में गुटबाजी सामने आई है। इसको अगर समय रहते संभाला नहीं गया तो यह पंचायत से लेकर विधानसभा चुनाव तक भाजपा को नुकसानदेह साबित होगा। वह मानते हैं कि पार्टी विद डिफरेंस और अनुशासन का दम भरने वाली भाजपा में बीते सालों में अनुशासनहीनता बढ़ी है। क्योंकि, प्रदेश से लेकर शीर्ष नेतृत्व वोट बैंक की राजनीति में सख्त कार्रवाई करने से बच रहा। कानपुर की घटना को लेकर भी ऐसा ही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ब्राह्मण और ठाकुर वोट बैंक नाराज होने के डर से भाजपा ने कानपुर देहात में हो रही अनुशासनहीनता पर मौन धारण कर लिया है। यही स्थिति बाकी जगहों पर भी है। ———————– ये खबर भी पढ़ें… सहारनपुर में इंदिरा कॉलोनी के 300 मकानों पर चलेगा बुलडोजर, कई PM आवास बने; 45 साल बाद सिंचाई विभाग ने ठोका दावा यूपी के सहारनपुर में सिंचाई विभाग ने करीब 300 से ज्यादा मकानों पर लाल निशान लगाए हैं। इन्हें 3 दिन में खाली करने के लिए कहा है। निशान लगाने वालों ने मौखिक रूप से कहा है कि ये मकान अवैध हैं और इन पर बुलडोजर चलाया जाएगा। पढ़ें पूरी खबर