यूपी में BLO रोती रही, बेटा चुप कराता रहा:बोलीं- SIR के लिए रात 3 बजे लोग फोन करते हैं, घर जाओ तो दरवाजे बंद मिलते

‘रात में 3 बजे लोगों की कॉल आती है। विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) फॉर्म को लेकर सवाल पूछा जाता है। रोज 200-300 फॉर्म करवाओ, फील्ड में जाओ। कई बार घर जाओ, तो लोग दरवाजा नहीं खोलते। जो खोलते हैं, वो कहते हैं तुम ही भरो, ये तुम्हारा काम है।’ यह दर्द शिक्षामित्र शिप्रा मौर्या का है। उन्हें बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) बनाया गया है। SIR को लेकर संग्राम छिड़ा है। इसके काम में लगे गोंडा के टीचर और फतेहपुर के लेखपाल ने 25 नवंबर को सुसाइड कर लिया। इन दोनों के परिवारवालों का आरोप है कि काम का दबाव था। जहां एक तरफ आम जनता को फॉर्म की जानकारी नहीं होने पर परेशानी हो रही। दूसरी तरफ, BLO भी परेशान नजर आ रहे। बीएलओ पर कितना दबाव है? फॉर्म भरने आने वाले लोग किस तरह के सवाल कर रहे? महिला बीएलओ घर-परिवार के साथ किस तरह से ड्यूटी निभा रहीं? यह सब जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम ग्राउंड पर लखनऊ स्थित रानी लक्ष्मीबाई मेमोरियल स्कूल पहुंची। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… यहां पर पहुंचकर हमने देखा कि लोगों की भीड़ इकट्ठा है। फॉर्म कैसे भरा जाएगा? 2003 में तो हमारा हुआ था? लोग ऐसे सवाल पूछ रहे थे। इसी भीड़ में एक महिला अपने बच्चे को गोद में लेकर फल खिला रही थी। उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे। पता चला कि ये शिप्रा मौर्या हैं, जो शिक्षामित्र हैं। वह बीएलओ की ड्यूटी कर रही हैं। इनका साढ़े तीन साल का बेटा है। वह अपने घर से 5 किलोमीटर दूर से बेटे के साथ लखनऊ के मल्हौर रोड स्थित रानी लक्ष्मी बाई मेमोरियल स्कूल आई हैं। हमने सवाल किया कि क्या हाल है? इस पर शिप्रा कहती हैं- काम का इतना दबाव है कि पूछिए मत। सुबह साढ़े नौ बजे काम की शुरुआत, रात 3-3 बजे तक कॉल
हमने शिप्रा मौर्या से उनकी दिनचर्या जाननी चाही। शिप्रा ने बताया- दिन की शुरुआत सुबह 9.30 बजे हो जाती है। 9.30 बजे कहने को तो अपने काम पर आती हूं। लेकिन, काम तो 24 घंटे चलता है। रात के तीन-तीन बजे लोगों की कॉल आती है। फॉर्म भरने को लेकर सवाल पूछे जाते हैं। हमारी बातचीत के दौरान जॉइंट मजिस्ट्रेट साहिल कुमार पहुंच जाते हैं। उन्होंने बीएलओ से कहा कि यहां 10 फॉर्म लेकर बैठी हो, फील्ड में जाइए। कुछ देर बाद शिप्रा रोकर जॉइंट मजिस्ट्रेट को अपनी परेशानी बताने लगीं। उनका साढ़े तीन साल का बेटा आंसू पोंछने लगा। शिप्रा ने कहा- हम स्कूटी चला नहीं पाते, ये हमारी पर्सनल प्रॉब्लम है। जितना हो सकता है, उतना कर रहे। फील्ड में हम रिक्शा बुक कर जा रहे हैं, सर। थोड़ा तो पब्लिक को भी सपोर्ट करना चाहिए। नंबर किसी का सेव नहीं है, कभी भी कोई कॉल कर देता है। रात के तीन बजे, कभी भी कॉल आ जाती है। फील्ड में लोगों की तरफ से गलत बर्ताव किया जा रहा। बच्चे को लेकर घर बूथ और फील्ड में मैनेज कर रही हूं। हालांकि साहिल कुमार शिप्रा मौर्या को सांत्वना देते हुए कहते हैं कि रोइए मत। आप यहीं से करिए। फील्ड में जो भी मिसबिहेव करे, उसका नाम नोट करिए या शिकायत करिए। बोलीं- फील्ड में होता है गलत बर्ताव
शिप्रा मौर्या बताती हैं- ऊपर से बहुत प्रेशर है फॉर्म फीड करवाने का। लेकिन, लोगों की तरफ से बिल्कुल मदद नहीं की जा रही। पब्लिक की तरफ से बिल्कुल सपोर्ट नहीं मिल रहा। थोड़ा-सा पब्लिक अगर ये समझ जाए कि जितनी जिम्मेदारी हमारी है, उतनी उनकी भी है। इससे हमारा काम थोड़ा आसान होगा। काम हमारा है, हम मुकर नहीं रहे। फॉर्म आप भरवाने आई हैं, तो खुद बैठकर भरिए
यहीं पर हमें दूसरी महिला बीएलओ गीता देवी मिलीं। वो बताती हैं- हम पर इतना प्रेशर है और एसडीएम साहब ने सहयोग करने से मना कर दिया। हमें साफ कह दिया जाता है कि इतने फॉर्म कलेक्ट करिए। हम काम के लिए मना नहीं कर रहे। लेकिन, फील्ड वाले सहयोग नहीं कर रहे। कॉल करके अगर हम किसी को बुला रहे, तो वो साफ कह रहे कि हम बिजी हैं, समय नहीं है। हमने फॉर्म नहीं भरा, बाद में भरेंगे। गीता बताती हैं कि लोग सुबह तड़के 3 बजे से लेकर रात के 1 बजे तक कॉल कर रहे हैं। जहां हमारा नंबर डाला गया है, वहां पर कॉल की टाइमिंग भी लिखनी चाहिए। फील्ड में गईं बीएलओ, पढ़िए परेशानी
जॉइंट मजिस्ट्रेट साहिल कुमार की चेतावनी के बाद गीता देवी अपना सामान समेटती हैं। फिर एसआईआर का फॉर्म भरवाने के लिए फील्ड में निकल जाती हैं। अब फील्ड में अलग परेशानियों से जूझती हैं। यहां पर लोगों को फॉर्म देती हैं, तो कुछ लोग फॉर्म लेने से मना कर देते हैं। तो कुछ लोग घर में ही बैठा लेते हैं। अपना फॉर्म खुद ही भरवाते हैं। यहां तक कि कुछ लोगों ने अपनी पूरी जानकारी ही गलत दे रखी है। सर से डांट मिली, जल्दी फील्ड में जाना है
इसी स्कूल में एक बीएलओ जगतपाल मिले। वो बात करने राजी नहीं थे। पीठ पर बैग लिए जल्दी-जल्दी निकल रहे थे। उनका कहना था कि डांट पड़ी है। जल्दी से फील्ड में जा रहे। बड़ी कोशिशों के बाद बात करने पर वो बताते हैं कि फॉर्म को लेकर बहुत डांट पड़ी है। सर ने डांटा है। हम क्या करें? हम फॉर्म मांगने जाते हैं, तो लोग कहते हैं कि हमने अभी नहीं भरा है। यहां पर मारामारी है। मतदाता सूची में नाम जोड़ने, हटाने और फॉर्म के डिजिटलाइजेशन के लिए बीएलओ को लगातार फील्ड में रहना पड़ता है। ऑनलाइन पोर्टल की धीमी गति के कारण उन्हें रात भर काम करना पड़ता था। इससे काम का बोझ बढ़ता ही जा रहा है। जगतपाल ने कहा- अंगूठा छाप लोग भी यहां आते हैं। यहां सपोर्ट के लिए कोई नहीं है। मरो-जीओ किसी को मतलब नहीं, बस काम चाहिए। ऊपर से कहना है कि 10 बजे रात तक रुको। कैसे भी काम करके दो, डेली का 100 फॉर्म करके। अगर टारगेट नहीं पूरा होगा, तो वेतन होल्ड होगा। नौकरी पर खतरा मंडराएगा। इतना दबाव बनाया जा रहा। केवल काम से मतलब है इनको, इसलिए कितना भी दबाव बना दो। यहां का हाल देखने के बाद हम 1 किलोमीटर दूर कन्या विद्यालय पहुंचे। यहां भी एसआईआर का फॉर्म भरने का काम चल रहा था। हालांकि, यहां भीड़ कम थी। यहां भी जॉइंट मजिस्ट्रेट जायजा लेने पहुंचे थे। यहां के बीएलओ भी परेशान नजर आ रहे थे। दरवाजे से लोग लौटा देते हैं, फॉर्म लेने से मना करते हैं
यहां बैठी बीएलओ बताती हैं कि 24-24 घंटे हमें काम करना पड़ रहा। रात में घर जाकर फॉर्म भरना पड़ता है। दबाव इतना ज्यादा है कि खाना-पीना तक नहीं हो पा रहा। फील्ड में जाओ तो लोग दरवाजे से लौटा देते हैं। जाओ फॉर्म नहीं लेना है। फोन नंबर डाल दिया गया है, तो कोई भी कभी भी कॉल कर देता है। रात में 11-12 बजे तक फॉर्म भरने के बाद जब थोड़ा आराम करने जाओ तो कॉल आ जाती है। सुबह 4 बजे से फिर फॉर्म भरने की ड्यूटी पर लग जाओ। इसके बावजूद शिकायत आ रही कि बीएलओ मदद नहीं कर रहे। ऊपर से हमें ही डांट सुननी पड़ रही। बीएलओ सुदेशा गौतम बताते हैं- लोग घर के सामने खड़े रहते हैं, घर से बाहर भी नहीं निकलते। सपोर्ट कोई करता ही नहीं। बीएलओ को कोई कुछ समझता ही नहीं। लोग तरह-तरह के सवाल पूछते हैं। क्यों फॉर्म भरा जा रहा…हम नहीं भरेंगे। कुछ लोग तो फॉर्म ही नहीं लेते। हम पर दबाव है कि हम कैसे भी फॉर्म भरवाएं। जब हमें सपोर्ट नहीं मिलेगा, तो हम कैसे फॉर्म भरवा पाएंगे? 25 फीसदी तक पूरा हो गया फॉर्म भरवाने का काम
यहां के सुपरवाइजर प्रेम तिवारी बताते हैं कि अभी तक 25 फीसदी फॉर्म भरे जा चुके हैं। समस्याएं तो तमाम हैं, लेकिन काम तो करना पड़ेगा। काफी लोगों को फॉर्म भरना नहीं आता है, तो उनके फॉर्म भरने में मदद की जा रही। फील्ड में भी ऐसी ही दिक्कतें आ रहीं। SIR कराने आए लोगों की सुनिए… पब्लिक को परेशान करने के लिए हो रहा SIR
फॉर्म भरने आए एडवोकेट आरके यादव का कहना है कि सिर्फ पब्लिक को परेशान करने के लिए ये किया जा रहा। इसमें चाहिए बीएलओ जो है, वो घर-घर जाकर लोगों को बताए कि कैसे होगा, कैसे भरा जाएगा? नाम कट गया नहीं भर पाएंगे फॉर्म
फॉर्म भरने आए नजीमुद्दीन बताते हैं कि उनका नाम कट गया है। इसलिए अब वो एसआईआर का फॉर्म नहीं भर पाएंगे। अब दोबारा से उन्हें पहचान पत्र बनवाना पड़ेगा, तब फॉर्म भर पाएंगे। पूनम गुप्ता बताती हैं कि उनके एरिया में कोई बीएलओ पहुंचा ही नहीं। वो विधायक चौराहे के पास रहती हैं। यहीं अनूप मिले। वो बताते है कि बीएलओ मदद नहीं कर रहे। कभी इधर दौड़ो, कभी उधर दौड़ो। पता ही नहीं चल रहा कि हमारा भाग संख्या कौन-सा है? बीएलओ हमारी तरफ आए ही नहीं। बीएलओ ही तो बताएगा कि कहां-क्या करना है। कोई सपोर्ट ही नहीं मिल रहा। अब अफसर की सुनिए… हर लेवल पर हो रहा SIR का प्रचार
अभी हम ये सब देख रहे थे। बीएलओ की परेशानी सुन रहे थे। इसी बीच लखनऊ के जॉइंट मजिस्ट्रेट साहिल कुमार पहुंचे और उन्होंने जायजा लिया कि बीएलओ कैसे फॉर्म भरवा रहे? पब्लिक को क्या समस्या आ रही है? उन्होंने कई बीएलओ को तत्काल प्रभाव से फील्ड में जाने के निर्देश दिए। पब्लिक को कहां-क्या परेशानी आ रही, उसमें उनकी मदद की। साहिल कुमार बताते हैं- निरीक्षण के दौरान ये परेशानी आ रही है कि ‘लोगों को लगता है कि अभी काफी समय बचा है। इसलिए वे निश्चिंत होकर बैठे हैं। इसी वजह से फॉर्म भरने की प्रक्रिया धीमी हो रही। दूसरी समस्या यह है कि ऑनलाइन पोर्टल पर कई लोग खुद को सर्च ही नहीं कर पा रहे। इससे उन्हें भ्रम और परेशानी दोनों हो रही हैं। जॉइंट मजिस्ट्रेट ने कहा कि इन चुनौतियों के बावजूद बीएलओ और सुपरवाइजर अपना काम पूरी जिम्मेदारी से कर रहे। टीमें लगातार फील्ड में जाकर फॉर्म भरवा रही हैं। घर-घर जागरूकता फैला रही हैं। जिनका नाम नहीं दिख रहा, उन्हें प्रक्रिया समझा रही हैं। उन्होंने बताया कि सभी विभागों की तरफ से SIR प्रक्रिया का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग समय पर फॉर्म भरकर अपनी सूचनाओं को अपडेट करा सकें। लोगों को SIR के उद्देश्य, उसके महत्व और उससे होने वाले बदलावों के बारे में भी समझाया जा रहा है। ……………. ये खबर भी पढ़ें… SIR ड्यूटी में लगे टीचर ने जहर खाकर जान दी, यूपी में मरने से पहले पत्नी से बोला- SDM-BDO परेशान कर रहे थे यूपी के गोंडा में मतदाता पुनरीक्षण कार्य (SIR) में लगे टीचर BLO ने जहर खाकर जान दे दी। मंगलवार सुबह करीब साढ़े 7 बजे जहर खाने के बाद विपिन यादव को गंभीर हालत में मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। फिर वहां से लखनऊ के केजीएमयू रेफर कर दिया गया। वहां उनकी मौत हो गई। पढ़िए पूरी खबर…