बसपा अपने सबसे बुरे सियासी दौर से निकलने को बेताब है। 9 अक्टूबर को लखनऊ के कार्यक्रम में उमड़ी लाखों की भीड़ से कार्यकर्ताओं का उत्साह चरम पर है। अब बारी देश की राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा की है। 14 साल बाद बसपा नोएडा में शक्ति प्रदर्शन करने जा रही। दरअसल, साल-2007 के बाद से मायावती की राजनीतिक सक्रियता लगातार घटती गई। इसका असर सीट के नंबर और वोट शेयर पर भी दिखा। 2007 में 206 सीट और 30.4% वोट शेयर हासिल करने वाली बसपा 2012 में 80 सीट और 25.9% वोट शेयर पर आ गई। 2017 में 19 सीट के साथ ये वोट शेयर 22% और 2022 में 1 सीट के साथ 12.88% पर आ गया। दैनिक भास्कर ने बसपा में अपने सोर्सेज, पार्टी लीडर्स और पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स से समझने की कोशिश की कि मायावती ने लखनऊ के बाद आखिर नोएडा को क्यों चुना? पश्चिमी यूपी में इस शक्ति प्रदर्शन के बहाने बसपा क्या सियासी संदेश देना चाहती है? पश्चिम में मायावती दलित-मुस्लिम गठजोड़ तैयार करने में जुटीं
मायावती गौतमबुद्धनगर जिले की बादलपुर गांव की रहने वाली हैं। प्रदेश में 22 फीसदी दलितों में 12 फीसदी जाटव हैं। पश्चिमी यूपी में जाटव की आबादी अधिक है। कुछ जिलों में ये 30 फीसदी तक हैं। इस बार बसपा पश्चिमी यूपी में दलित-मुस्लिम गठजोड़ का नया समीकरण तैयार करने में जुटी है। बसपा ने पश्चिमी यूपी की कमान पार्टी के मुस्लिम चेहरे नौशाद अली को दे रखी है। मतलब बसपा यहां इस बार दलित-मुस्लिम समीकरण के बलबूते अपने खोए जनाधार को वापस लाना चाहती है। यही वजह है कि बसपा ने लखनऊ के बाद इस बार नोएडा को अपने शक्ति प्रदर्शन के लिए चुना। मायावती आखिरी बार नोएडा में सीएम रहते हुए 2011 में गई थीं। मतलब, 14 साल बाद वह नोएडा में किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल होंगी। वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ अग्निहोत्री कहते हैं- मायावती की निष्क्रियता के चलते ही बसपा के प्रदर्शन में भी गिरावट आई। मायावती यह बात समझ चुकी हैं। 9 अक्टूबर के लखनऊ कार्यक्रम में उन्होंने मंच से कहा था- मैं आप सबको आश्वस्त करती हूं कि अब आपके बीच में ज्यादा रहूंगी। यूपी विधानसभा- 2027 में बसपा एक मजबूत विकल्प के तौर पर खुद को दिखाना चाहती है। इसकी तैयारी उसने एक साल पहले से शुरू कर दी है। पश्चिम के 6 मंडलों के कार्यकर्ताओं को नोएडा बुलाया गया
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल के मुताबिक, 6 दिसंबर को नोएडा में पश्चिमी यूपी के 6 मंडल आगरा, मेरठ, अलीगढ़, सहारनपुर, मुरादाबाद व बरेली और लखनऊ में प्रदेश के बाकी 12 मंडल के कार्यकर्ता डॉ. अंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस पर जुटेंगे। इसके अलावा और कोई कार्यक्रम नहीं है। हालांकि, पार्टी के सोर्स साफ दावा करते हैं कि मायावती खुद 6 दिसंबर को नोएडा वाले कार्यक्रम में शामिल होंगी। मायावती अभी दिल्ली में हैं। पश्चिम के सभी मंडल कोआर्डिनेटरों को बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं को लेकर नोएडा पहुंचने के लिए बोला जा रहा है। इसकी पूरी मॉनिटरिंग भी हो रही है। खुद पार्टी महासचिव सतीश मिश्रा तैयारियों की समीक्षा कर चुके हैं। पश्चिमी यूपी के प्रभारी नौशाद अली पार्टी पदाधिकारियों के साथ कार्यक्रम स्थल पर तैयारियों का जायजा ले चुके हैं। इसकी तस्वीर सोशल मीडिया में पोस्ट करते हुए नौशाद ने लिखा- बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती के आदेश पर 6 दिसंबर, 2025 को अंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस पर ‘राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल’ नोएडा (गौतमबुद्ध नगर) में श्रद्धांजलि अर्पित करने का कार्यक्रम होगा। इसकी तैयारियों के लिए वह पार्टी पदाधिकारियों के साथ 23 नवंबर को राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल पहुंचे थे। इससे साफ है, मायावती इस कार्यक्रम में खुद शामिल होंगी। हालांकि इसका प्रचार-प्रसार नहीं किया जा रहा। वहां कोई मंच भी नहीं बनाया जा सकता। मतलब मायावती जाएंगी भी, तो श्रद्धांजलि अर्पित कर लौट आएंगी। सिर्फ वहां 6 मंडलों के कार्यकर्ताओं की भीड़ जुटाकर बसपा की ताकत का प्रदर्शन होगा। लखनऊ में होने वाले 12 मंडलों के कार्यक्रम में खुद प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल मौजूद रहेंगे। नोएडा में दिल्ली और हरियाणा के कार्यकर्ता भी पहुंचेंगे
सियासी जानकार मानते हैं कि मायावती नोएडा में शक्ति प्रदर्शन करके राष्ट्रीय स्तर पर अपने कमबैक का ऐलान करेंगी। नोएडा देश की राजधानी दिल्ली के करीब है। इस कार्यक्रम पर राष्ट्रीय मीडिया की भी नजर होगी। वहीं, नोएडा में आयोजन होने से दिल्ली और हरियाणा के बसपा कार्यकर्ताओं के भी पहुंचने में आसानी होगी। अभी वहां भीड़ का कोई लक्ष्य तो तय नहीं किया गया। लेकिन, पार्टी सोर्स बताते हैं कि एक से दो लाख लोग इस कार्यक्रम में पहुंच सकते हैं। इतनी भीड़ को लेकर प्रेरणा स्थल पर व्यवस्था की जा रही है। आखिर नोएडा में ही शक्ति प्रदर्शन क्यों?
वरिष्ठ पत्रकार सैय्यद कासिम कहते हैं- पश्चिमी यूपी से ही बसपा को चंद्रशेखर के रूप में एक चुनौती मिल रही। आज जब लोकसभा में बसपा का एक भी सदस्य नहीं पहुंचा, तो चंद्रशेखर खुद अपनी पार्टी के सांसद हैं। चंद्रशेखर ने पश्चिमी यूपी में दलित-मुस्लिम समीकरण पर ही पार्टी का जनाधार बढ़ाने में जुटे हैं। हालांकि हाल के दिनों में चंद्रशेखर से जुड़े विवाद सामने आने के बाद से दलितों का उनसे तेजी से मोहभंग देखा जा रहा। चंद्रशेखर ने मुजफ्फरनगर में एक महीने की तैयारी कर जो सभा की, उसमें भी मुश्किल से 10 से 15 हजार ही लोग जुटे। ऐसे में बसपा नोएडा में शक्ति प्रदर्शन करके ये संदेश देना चाहेगी कि उसकी पकड़ पश्चिम में भी काफी मजबूत है। दलितों में बसपा प्रमुख मायावती का कोई दूसरा विकल्प नहीं बन सकता। मायावती मुस्लिमों को पार्टी से जोड़ने के लिए पिछले दिनों मुस्लिम भाईचारा कमेटी की बैठक ले चुकी हैं। उन्होंने मुसलमानों को खुला ऑफर दिया है कि भाजपा को हराना है तो वे उनका साथ दें। पश्चिमी यूपी में शक्ति प्रदर्शन के बहाने बसपा का सियासी संदेश
पश्चिमी यूपी में जाटव वोटर सबसे ज्यादा हैं। बावजूद इसके 2022 में बसपा को सबसे बड़ा झटका पश्चिमी यूपी में ही मिला था। उसका वोट फीसदी 10-12 तक गिर गया। जबकि 5 साल पहले 18 से 20 फीसदी वोट बसपा को वहां मिला था। इसकी बड़ी वजह ये रही कि मायावती ने भले ही सबसे अधिक 98 मुस्लिमों को टिकट दिया था, लेकिन उनका वोट सपा गठबंधन की ओर गया। दूसरे सपा ने 2022 में रालोद के साथ जो गठबंधन किया, उसका भी उसे फायदा मिला था। बसपा अपने दलित मतदाताओं को साधकर एक बार फिर पश्चिम में दलित-मुस्लिम वोटबैंक के बलबूते 2027 के विधानसभा में अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज कराने को बेताब है। यही कारण है कि मायावती ने पश्चिमी यूपी की कमान भी मुस्लिम चेहरे नौशाद अली को सौंप रखी है। ——————— ये खबर भी पढ़ें- यूपी में भाजपा क्या महिला अध्यक्ष देकर चौंकाएगी?, 14 दिसंबर तक ऐलान, वर्ना 15 जनवरी के बाद फैसला भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर अब इंतजार तेज हो गया है। बीजेपी के 14 जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि आगामी कुछ दिनों में पार्टी को नया प्रदेश अध्यक्ष मिल जाएगा। पार्टी के उच्चपदस्थ सूत्रों का कहना है कि प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर दिल्ली में पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने मंथन शुरू कर दिया है। भाजपा ने यूपी में 14 संगठनात्मक जिलों में जिलाध्यक्ष नियुक्ति की दूसरी सूची बुधवार देर रात जारी की है। अब तक 98 में से 84 जिलों में जिलाध्यक्ष नियुक्त कर दिए हैं। जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के बाद अब प्रदेश अध्यक्ष चुनाव की बारी है। भाजपा चौंकाने वाले निर्णय के लिए जानी जाती है। पढ़ें पूरी खबर
मायावती गौतमबुद्धनगर जिले की बादलपुर गांव की रहने वाली हैं। प्रदेश में 22 फीसदी दलितों में 12 फीसदी जाटव हैं। पश्चिमी यूपी में जाटव की आबादी अधिक है। कुछ जिलों में ये 30 फीसदी तक हैं। इस बार बसपा पश्चिमी यूपी में दलित-मुस्लिम गठजोड़ का नया समीकरण तैयार करने में जुटी है। बसपा ने पश्चिमी यूपी की कमान पार्टी के मुस्लिम चेहरे नौशाद अली को दे रखी है। मतलब बसपा यहां इस बार दलित-मुस्लिम समीकरण के बलबूते अपने खोए जनाधार को वापस लाना चाहती है। यही वजह है कि बसपा ने लखनऊ के बाद इस बार नोएडा को अपने शक्ति प्रदर्शन के लिए चुना। मायावती आखिरी बार नोएडा में सीएम रहते हुए 2011 में गई थीं। मतलब, 14 साल बाद वह नोएडा में किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल होंगी। वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ अग्निहोत्री कहते हैं- मायावती की निष्क्रियता के चलते ही बसपा के प्रदर्शन में भी गिरावट आई। मायावती यह बात समझ चुकी हैं। 9 अक्टूबर के लखनऊ कार्यक्रम में उन्होंने मंच से कहा था- मैं आप सबको आश्वस्त करती हूं कि अब आपके बीच में ज्यादा रहूंगी। यूपी विधानसभा- 2027 में बसपा एक मजबूत विकल्प के तौर पर खुद को दिखाना चाहती है। इसकी तैयारी उसने एक साल पहले से शुरू कर दी है। पश्चिम के 6 मंडलों के कार्यकर्ताओं को नोएडा बुलाया गया
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल के मुताबिक, 6 दिसंबर को नोएडा में पश्चिमी यूपी के 6 मंडल आगरा, मेरठ, अलीगढ़, सहारनपुर, मुरादाबाद व बरेली और लखनऊ में प्रदेश के बाकी 12 मंडल के कार्यकर्ता डॉ. अंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस पर जुटेंगे। इसके अलावा और कोई कार्यक्रम नहीं है। हालांकि, पार्टी के सोर्स साफ दावा करते हैं कि मायावती खुद 6 दिसंबर को नोएडा वाले कार्यक्रम में शामिल होंगी। मायावती अभी दिल्ली में हैं। पश्चिम के सभी मंडल कोआर्डिनेटरों को बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं को लेकर नोएडा पहुंचने के लिए बोला जा रहा है। इसकी पूरी मॉनिटरिंग भी हो रही है। खुद पार्टी महासचिव सतीश मिश्रा तैयारियों की समीक्षा कर चुके हैं। पश्चिमी यूपी के प्रभारी नौशाद अली पार्टी पदाधिकारियों के साथ कार्यक्रम स्थल पर तैयारियों का जायजा ले चुके हैं। इसकी तस्वीर सोशल मीडिया में पोस्ट करते हुए नौशाद ने लिखा- बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती के आदेश पर 6 दिसंबर, 2025 को अंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस पर ‘राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल’ नोएडा (गौतमबुद्ध नगर) में श्रद्धांजलि अर्पित करने का कार्यक्रम होगा। इसकी तैयारियों के लिए वह पार्टी पदाधिकारियों के साथ 23 नवंबर को राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल पहुंचे थे। इससे साफ है, मायावती इस कार्यक्रम में खुद शामिल होंगी। हालांकि इसका प्रचार-प्रसार नहीं किया जा रहा। वहां कोई मंच भी नहीं बनाया जा सकता। मतलब मायावती जाएंगी भी, तो श्रद्धांजलि अर्पित कर लौट आएंगी। सिर्फ वहां 6 मंडलों के कार्यकर्ताओं की भीड़ जुटाकर बसपा की ताकत का प्रदर्शन होगा। लखनऊ में होने वाले 12 मंडलों के कार्यक्रम में खुद प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल मौजूद रहेंगे। नोएडा में दिल्ली और हरियाणा के कार्यकर्ता भी पहुंचेंगे
सियासी जानकार मानते हैं कि मायावती नोएडा में शक्ति प्रदर्शन करके राष्ट्रीय स्तर पर अपने कमबैक का ऐलान करेंगी। नोएडा देश की राजधानी दिल्ली के करीब है। इस कार्यक्रम पर राष्ट्रीय मीडिया की भी नजर होगी। वहीं, नोएडा में आयोजन होने से दिल्ली और हरियाणा के बसपा कार्यकर्ताओं के भी पहुंचने में आसानी होगी। अभी वहां भीड़ का कोई लक्ष्य तो तय नहीं किया गया। लेकिन, पार्टी सोर्स बताते हैं कि एक से दो लाख लोग इस कार्यक्रम में पहुंच सकते हैं। इतनी भीड़ को लेकर प्रेरणा स्थल पर व्यवस्था की जा रही है। आखिर नोएडा में ही शक्ति प्रदर्शन क्यों?
वरिष्ठ पत्रकार सैय्यद कासिम कहते हैं- पश्चिमी यूपी से ही बसपा को चंद्रशेखर के रूप में एक चुनौती मिल रही। आज जब लोकसभा में बसपा का एक भी सदस्य नहीं पहुंचा, तो चंद्रशेखर खुद अपनी पार्टी के सांसद हैं। चंद्रशेखर ने पश्चिमी यूपी में दलित-मुस्लिम समीकरण पर ही पार्टी का जनाधार बढ़ाने में जुटे हैं। हालांकि हाल के दिनों में चंद्रशेखर से जुड़े विवाद सामने आने के बाद से दलितों का उनसे तेजी से मोहभंग देखा जा रहा। चंद्रशेखर ने मुजफ्फरनगर में एक महीने की तैयारी कर जो सभा की, उसमें भी मुश्किल से 10 से 15 हजार ही लोग जुटे। ऐसे में बसपा नोएडा में शक्ति प्रदर्शन करके ये संदेश देना चाहेगी कि उसकी पकड़ पश्चिम में भी काफी मजबूत है। दलितों में बसपा प्रमुख मायावती का कोई दूसरा विकल्प नहीं बन सकता। मायावती मुस्लिमों को पार्टी से जोड़ने के लिए पिछले दिनों मुस्लिम भाईचारा कमेटी की बैठक ले चुकी हैं। उन्होंने मुसलमानों को खुला ऑफर दिया है कि भाजपा को हराना है तो वे उनका साथ दें। पश्चिमी यूपी में शक्ति प्रदर्शन के बहाने बसपा का सियासी संदेश
पश्चिमी यूपी में जाटव वोटर सबसे ज्यादा हैं। बावजूद इसके 2022 में बसपा को सबसे बड़ा झटका पश्चिमी यूपी में ही मिला था। उसका वोट फीसदी 10-12 तक गिर गया। जबकि 5 साल पहले 18 से 20 फीसदी वोट बसपा को वहां मिला था। इसकी बड़ी वजह ये रही कि मायावती ने भले ही सबसे अधिक 98 मुस्लिमों को टिकट दिया था, लेकिन उनका वोट सपा गठबंधन की ओर गया। दूसरे सपा ने 2022 में रालोद के साथ जो गठबंधन किया, उसका भी उसे फायदा मिला था। बसपा अपने दलित मतदाताओं को साधकर एक बार फिर पश्चिम में दलित-मुस्लिम वोटबैंक के बलबूते 2027 के विधानसभा में अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज कराने को बेताब है। यही कारण है कि मायावती ने पश्चिमी यूपी की कमान भी मुस्लिम चेहरे नौशाद अली को सौंप रखी है। ——————— ये खबर भी पढ़ें- यूपी में भाजपा क्या महिला अध्यक्ष देकर चौंकाएगी?, 14 दिसंबर तक ऐलान, वर्ना 15 जनवरी के बाद फैसला भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर अब इंतजार तेज हो गया है। बीजेपी के 14 जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि आगामी कुछ दिनों में पार्टी को नया प्रदेश अध्यक्ष मिल जाएगा। पार्टी के उच्चपदस्थ सूत्रों का कहना है कि प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर दिल्ली में पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने मंथन शुरू कर दिया है। भाजपा ने यूपी में 14 संगठनात्मक जिलों में जिलाध्यक्ष नियुक्ति की दूसरी सूची बुधवार देर रात जारी की है। अब तक 98 में से 84 जिलों में जिलाध्यक्ष नियुक्त कर दिए हैं। जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के बाद अब प्रदेश अध्यक्ष चुनाव की बारी है। भाजपा चौंकाने वाले निर्णय के लिए जानी जाती है। पढ़ें पूरी खबर